इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ सात ‘सिक्का बदल गया ‘ (Sikka Badal Gaya Kahani Krishna Sobti class 11th Hindi) कहानी का सारांश और सम्पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।
7. सिक्का बदल गया
लेखिका-कृष्णा सोबती
इस कहानी के लेखिका कृष्णा सोबती है, जब सुबह एक खादी के चादर ओढ़ एक झील नदी के किनारे जाती है और उसे वहाँ अकेलापन सा महसुस होता है फिर भी अपने हाथां में जल लिए सूर्य देवता का नमस्कार करती है। उसे उसके आस-पास कोई नजर नहीं आता है। लेखिका कहती है की शाहनी पच्चास सालों से यहाँ नहाती रही है और साथ दुलहन बन कर सबसे पहले यहीं आयी थी। लेकिन आज वह अकेली है। उसका पढ़ा-लिखा बेटा उसके साथ नहीं है। और साहनी जी लम्बी-सी सांस लेती है और राम-राम कहते हुए अपने घर की ओर रवाना हो जाती है।
शेरा की मम्मी की मृत्यु होने के बाद शाहनी शेरा को पालती-पोसती है। उसका बहुत ज्यादा ख्याल रखती है। लेकिन जैसे ही शाहनी ने उसे पुकारा तो उस समय वह शाहनी को उसी हवेली के काल कोठरी में पड़े सोने-चांदी को लुट लेना चाहता है। शाहनी जब शेरा को बुलाती है। वह गुस्सा हो उठता है। ये सब साहनी को अच्छा नहीं लगता। शाहनी सांचती है कि अगर आज शाह जी होते, तो जो आज हो रहा है वो नहीं हो पाता। शेरा के आँखो में शाह जी के प्रति गुस्सा दिखाई मालुम पड़ता है और शेरा बोलता है की शाह जी ने तो हमारे हीं भाईयों से सूद ब्याज लेकर शाह जी सोने की बोरिया तौला करते हैं।
शाहनी कहती है कि अभी तक शेरा के तरफ से लगभग कत्ल हो चुका है। लेखिका का मानना है की शेरा शाह जी के डाँट खाकर चुप-चाप हवेली पड़ा रहता था। शाह जी शेरा-शेरा कह कर पुकारती है की उठ शेरा दुध पिले फिर शेरा उठता है और सोंचता है की शाहनी आखिर हमारा क्या बिगाड़ा है। शाह जी के पास शेरा सोंचता है कि अब जो हुआ सो हुआ। अब रात कुछ ठीक हो जाएगा।
शाह जी को शेरा उसके घर छोड़ने जाते हैं। और जो उसके पलान किया गया था। उसे बताना चाहता है और कहता है आपके ऊपर आने वाली खतरे को कुछ मैं भी संभाल लुँगा। शाहनी को सब पता था कि ये सब क्या चल रहा है। शेरा शाहनी को उसके घर पर छोड़कर पता नहीं कब वापस लौट आया पता ही नहीं चलता है। शाहनी अपनी बिस्तर पर दिनभर सोई हुई मालुम पड़ती है और मन ही मन सोंच रही कि हम इस घर के मालकिन लेकिन आज सबकुछ बिखर रहा है।
Sikka Badal Gaya Kahani Krishna Sobti class 11th Hindi
शाहनी सोंचती है कि जो लोग कल शाह जी के इसारे पर नाचते थें। उनके खेत कमाते थे वो आज बदल गए हैं। शाहनी अकेली है बेगु जो शाहनी को जानता पर शाहनी की ओर नजर उठाकर देखता तक नहीं। शाहनी बेहोश हो जाती है और बेगु कहता है कि सिक्का बदल गया। शाहजी द्वारा बनवाई गई हवेली में ही हवेली लुटने की मसवेरा की गई है। शाहनी सबकुछ जानती थी पर फिर भी अंजान बनी रहती थी। साथ ही थानेदार दाऊद खाँ भी आते है और शाह जी के बिते कुछ बाते याद करते हैं।
थानेदार दाऊद खाँ शाहनी से कहते हैं, कुछ नगद लेना चाहो तो ले लो। शेरा दूर खड़ा दाऊद खाँ को शाहनी के पास देखता है तो शेरा को किसी प्रकार से शक होता है।
शाहनी सोंचती है जिस घर की मैं रानी थी उसी घर से जा रही हूँ। शाहनी कहती है मैं इस घर से रोकर नहीं शान से निकलूँगी। और घर से निकलती है फिर पिछे मुड़कर अपने घर को देखते हुए ट्रक में बैठ जाती है, सभी को आर्शिवाद देती है। शाहनी को तो कुछ पता चलता हीं नहीं कि ट्रक चल रहा है या नहीं। हवेली का एक-एक हिस्सा शाहनी के आँखों में घुमता नजर आता है।
शाहनी सबकुछ समझ रही है कि राज बदल गया। सिक्का बदल गया।
Sikka Badal Gaya Kahani Krishna Sobti class 11th Hindi
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