इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 10 ‘जगरनाथ कविता का भावार्थ (Jagarnath Kavita ka Bhavarth)’ के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
10. जगरनाथ
लेखक – केदारनाथ सिंह
कैसे हो मेरे भाई जगरनाथ ?
कितने बरस बाद तुम्हें देख रहा हूँ
यह गुम्मट-सा क्या उग आया है
तुम्हारे ललाट पर ?
बच्चे कैसे हैं ?
कैसा है वह नीम का पेड़
जहाँ बँधती थी तुम्हारी बकरी ?
मैं ?
मैं तो बस ठीक ही हूँ
खाता हूँ
पीता हूँ
बक-बक कर आता हूँ क्लास में
यदि मिल गया समय तो दिन में भी
मार ही लेता हूँ दो-एक झपकी
पर हमेशा लगता है मेरे भाई
कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है
पर छोड़ो तुम कैसे हो ?
कैसा चल रहा है कामधाम ?
अरे वो ?
उसे जाने दो
वह बनसुग्गों की पाँत थी
जो अभी-अभी उड़ गई हमारे ऊपर से
वह है तो है
नहीं है तो भी चलती ही रहती है जिंदगी
पर यह भी सच है मेरे भाई
कि कई दिनों बाद
यदि आसमान में कहीं दिख जाय
एक हिलता हुआ लाल या पीला-सा डैना
तो बड़ी राहत मिलती है जी को
पर यह तो बताओ
तुम्हारा जी कैसा है आजकल ?
क्या इधर बारिश हुई थी ?
क्या शुरू हो गया है आमों का पकना ?
यह एक अजब-सा फल है मेरे भाई
सोचो तो कचाट और खुशबू से
भर जाती है दुनिया
पर यह क्या ?
तुम्हारे होंठ फड़क क्यों रहे हैं ?
तुम अब तक चुप क्यों हो मेरे भाई ?
जरा पास आओ
मुझे बहुत कुछ कहना है
अरे, तुम इस तरह खड़े क्यों हो ?
क्यों मुझे देख रहे हो इस तरह ?
क्या मेरे शब्दों से आ रही है
झूठ की गंध ?
क्या तुम्हें जल्दी है ?
क्या जाना ह काम पर ?
तो जाओ
जाओ मेरे भाई
रोकूँगा नहीं
जाओ………जाओ……..
और इस तरह
वह चला जा रहा था
मुझे न देखता हुआ
और उस न देखने की धार से
मुझे चीरता-फाड़ता हुआ
मेरा बचपन का साथी
जगरनाथ …….. !
भावार्थ- इस पाठ के माध्यम से लेखक एवं जगरनाथ से मिलने के बाद जो इन दोनों में बात हुई है उसका उल्लेख किया गया है। लेखक केदारनाथ सिंह अपने बचपने के दोस्त से मिलते हैं तो वह उनसे उनकी खबर लेते हैं कि जगरनाथ भाई आप कैसे हो उसके सिर पर चोट लगने से वहाँ एक गोला के आकार सा उग गया है तो कवि इसे देखकर कहते हैं यह तुम्हारे ललाहट पर क्या उग गया है। जो पहले नहीं था और तुम्हारे बच्चे कैसे हैं और जहाँ तुम्हारी बढ़ांती थी उस पेड़ का क्या सब ठीक है ना और फिर कवि अपना समाचार सुनाते हैं और कहते हैं मैं तो ठिक हीं हुँ खाता पिता रहता कभी-कभी समय मिला तो क्लास में ही एक दो नींद मार लेता हुँ। और कवि कहते हैं चलो ठिक है कैसा चल रहा है तुम्हारा काम-धाम आसमान में उड़ रहे सुगों की पंख कवि के आगे गिर जाते हैं तो कवि कहते हैं चलो जाने दो ऐसी हीं चलती रहती मेरी जिंदगी। कवि कहते हैं कि अगर आसमान में यदि दिख जाए हेलता हुआ लाल पिला डायना (चिड़या का पंख) तो बहुत हीं राहत मिलती है जी को और फिर कभी जगरनाथ जी से उनका हाल-चाल पूछते हैं कि चलो फिर बताओ तुम्हारा जी कैसा क्या तुम्हारे यहाँ बारिश हुई। क्या आमों का पकना शुरू हो गया और फिर कवि आम के बारे में सु शब्द का उच्चारण करते हैं और फिर कहते हैं कि सोचो तो एक ही स्वाद में पुरी दुनिया स्वाद एवं खुशबु से भर जाती है। और फिर कवि का ध्यान उनक होठो की तरफ जाती है और उनसे कहते हैं कि आपका होठ क्यों फड़फरा रहें हैं। और फिर कवि जगरनाथ को पास बुलाते है, कुछ और कहना चाहते हैं। अब जगरनाथ कवि और आश्चर्य चनक रूप से कवि की ओर देख रहें हैं। और फिर कवि कहते हैं के क्या हमारे शब्दों से झुठी गंध आ रही है। यानी की कवि का कहना है कि क्या मैं झुठ बोल रहा हुँ। और क्या तुम्हें कहीं काम करने जाने की जल्दी है तो फिर तुम जाओ मैं तुम्हें नहीं रोकुंगा। और फिर जगरनाथ अपना काम करने चला जाता है।
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Bihar Board Class 11th Hindi Chapter 10 Jagarnath Kavita ka Bhavarth, Bihar Board Class 10th Chapter 10 pad kavita jagarnath.
Vidyanchal kumar says
Please help
Vidyanchal kumar says
Thank you
Vidyanchal kumar says
Hi