इस पोस्ट में हमलोग उत्तर प्रदेश बोर्ड के हिन्दी के गद्य खण्ड के पाठ छ: ‘अजन्ता कक्षा 10 हिंदी गद्य खण्ड’ (Ajanta Up Board Class 10 Hindi) के व्याख्या को पढ़ेंगे।
6. अजन्ता
लेखक- डॉ. भगवतशरण उपाध्याय
डॉ. भगवतशरण उपाध्याय का जन्म 1910 में बलिया जिले के उजियारपुर गाँव में हुआ था। इन्होनें अपनी शिक्षा पुरी करने के साथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रचिन इतिहास विषय में एम. ए. किया। इन्हें संस्कृत-साहित्य तथा पुरातन का ज्ञान था। साथ ही साथ यूरोपीय भाषाओं का अध्ययन करते हुए हिन्दी साहित्य को उन्नति के पथ पर अग्रसर कराने में खास योगदान दिया।
इन्होने पुरातन विभाग, प्रयाग संग्रहालय, लखनऊ संग्रहालय के अध्यक्ष तथा पिलानी में बिड़ला महाविद्यालय में प्राध्यापक पद पर काम किया। इसके बाद विक्रम विश्वविद्यालय में पुराने इतिहास विभाग में प्रोफेसर पद को पाया था। इनकी मृत्यु सन् 1962 में हुआ। यह संस्कृत और पुरातत्त्व के बहुत बड़े जानकार थे।
6. अजन्ता पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ डॉ. भगवतशरण उपाध्याय के द्वारा लिखा गया है, जिसमें उन्होंने अजन्ता की कला को भारत की अम़ूल्य विरासत के रूप में चित्रित किया है।
अपने जीवन को अमर बनाने के लिए मानव ने बहुत सारे प्रयास किए। लेकिन फिर भी वह जीवन को अमर नहीं बना सकें। अपनी सफलता को अगले आने वाली पिढी को बताने के लिए उपाय सोंचा।
बड़े-बड़े पहाड़ो, चट्टानों, ऊँचे-ऊँचे पत्थरों के खंभे, ताँबे और पितल के पत्थरों पर खुदे सुन्दर अक्षर, सुन्दर उपदेश, उनके जीवन-मरण की कहानीयों को लिखवाएँ थे। जो आज भी हमारी मुल्य विरासत बन गई है।
पहाड़ों को काटकर मंदिर स्थापना करने की कला लगभग सवा दो हजार वर्ष पहले हीं हो गया था। अजन्ता की गुफाएँ इन्हीं पुरानी गुफाओं में से एक हैं।
गुफा वाली मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध अजन्ता की गुफाएँ हैं।, जिनकी छतों और दिवारों पर भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट कोटि के चित्र खोदकर बनाए गए हैं। इस कला को विदेशियों तथा श्रीलंका और चीन ने भी नकल करके अपने यहां चित्र बनाए।
अजन्ता के चित्र जो छेनी, हथौड़ी से खोद-खोद कर बहुत हीं सुन्दर आकृति में बनाया गया है और चित्रकार उसमें सुंदर रंग भरते गए। मुम्बई और हैदराबाद के मध्य विध्यांचल के पूर्व-पश्चिम की ओर चलती हुई पर्वतमलाओं के नीचे वाले भाग पर सह्याद्रि पहाड़ी पर अजन्ता के गुफाएँ तथा मंदिर स्थित हैं।
अर्द्धचन्द्राकर पर्वत जो अजन्ता गाँव में है। वह हरे वनों से भरे ठोस पर्वतों को काटकर बने खाली जगह पर सुंदर घर, मंदिर, बरामदे और हॉल का निर्माण पूर्वजों के द्वारा किया गया है। अंदर खंभो और दिवारों पर सुंदर मूर्तियों का निर्माण किया गया है। अंदर छतों और दिवारों को रगड़कर चिकनी बना दी गई और तब उसमें मानों जैसे चित्रों की दुनिया बसा दी गई है और उसमें सुंदर रंग चित्रकारों द्वारा भरकर मानों जैसे उसमें प्राण ही फूँक दिया गया हो।
दिवारों पर अनेक कहानियाँ चित्रित है जैसेः- बंदर की कहानी, हाथियों की कहानी, हिरणों की कहानी, भय, त्याग, दया और क्रूरता की कहानी आदि। एक तरफ पाप और बेरहमी दिखाई गई है तो एक तरफ क्षमा और दया।
उन दिवारों पर महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी कथाओं जन्म से लेकर मृत्यु तक सारी घटनाएँ इस तरह दर्शाया गया है कि कोई भी दर्शक उसे देखकर मन्त्रमुग्ध से हो जातें हैं। इन्हीं चित्रों में बुद्ध एक हाथ में कमल लिए खड़े है जिसमें बहुत सारी आँखों की चमक एवं ललित सौंदर्य दर्शनीय है। भगवान बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण के समय गौतम बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के निमित्त घर त्यागकर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं और बुद्ध के पत्नि यशोधरा एवं उनका पुत्र राहुल निद्रा की अवस्था में निमग्न है।
गौतम बुद्ध के यह चित्र अत्यंत जीवन्त है, जिसमें बुद्ध का अपनी पत्नी एवं पुत्र से वियोग के समय उनका हृदय धड़क रहा हो, लेकिन वे अपने हृदय पर नियंत्रण रख चुके हैं। लेखक एक अन्य चित्र के माध्यम से भगवान बुद्ध के शिक्षा माँगने का वर्णन करते हुए कहतें हैं कि गौतम बुद्ध के साथ उनका भाई नंद खड़ा है जिसे खुद उनकी पत्नि गौतम बुद्ध के पास भेजी थी। उसने उसको वापस लेकर आने के लिए भेजा था। क्योंकि सुंदरी ने गौतम बुद्ध को बिना ज्ञान दिए वापस कर दिया था। वे बार-बार वहाँ जाते थे लेकिन उन्हें संघ से वापस बुला लिया जाता था।
दूसरी तरफ बंदरों को गजराज कमलनाकल तोड़कर हथिनियों को दे रहा है। खाने-खिलाने, बसने-बसाने, नाचने, गाने , ऊँच-नीच, धनी-निर्धन आदि को जितने हो सके। वे सब अजन्ता के दिवारों पर चित्रित किया हुआ है। बुद्ध के जन्म से पहले की भी गथाएँ इसमें दर्शाया गया है। पिछले जन्म की कथाएँ जातक कहलाती है। इनकी संख्या 555 है। उनका संग्रह जातक नाम से प्रसिद्ध है जिसमें बुद्ध पिछले जन्म में गज, बंदर, मृग आदि रूपों में पैदा हुए थे।
अजन्ता का संसार चित्रकालाओं में अलौकिक स्थान है। ये ईशा के करीब दो सौ साल पहले ही बनना शुरू हो गया था और सातवीं सदी तक बनकर तैयार भी हो गया। एक दो गुफाओं में लगभग दो हजार साल पुराने चित्र भी सुरक्षित हैं। इतनी अधिक संख्या में ऐये चित्र कहीं देखने को नहीं मिलते। लेकिन अजन्ता के चित्रों को देश विदेश में भी सम्मान प्राप्त है। Chapter 6 Ajanta Up Board Class 10 Hindi
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