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Raja Shahin

Sampurn Kranti Objective Questions | सम्‍पूर्ण क्रा‍न्‍ति 12th Hindi Objective Question Answer 2025

May 12, 2024 by Raja Shahin Leave a Comment

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Sampurn Kranti  Objective Questions

3.सम्‍पूर्ण क्रा‍न्‍ति

1. विनोबा भावे के सर्वोदय आन्‍दोलन में जयप्रकाश नारायण कब जुड़े ?
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

2. जयप्रकाश नारायण का निधन कब हुआ?
(a) 7 अक्टुबर 1979
(b) 6 अक्टुबर 1979
(c) 3 अक्टुबर 1979
(d) 8अक्टुबर 1979

Ans – (d) 8अक्टुबर 1979

3. समाज सुधारक तथा श्रेष्‍ठ नेता कौन थे।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

4. छात्र आन्‍दोलन का नेतृत्व किसने किया?
(a) जयप्रकश नारायाण
(b) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(c) मोहन राकेश
(d) मदन मोहन मालवीय

Ans – (a) जयप्रकश नारायाण

5. मरणोपरान्‍त भारत रत्‍न से जयप्रकाश नारायण को कब समानित किया गया।
(a) 1978
(b) 1879
(c) 1789
(d) 1998

Ans – (d) 1998

6. मैग्‍सेसे सम्‍मान से समानित किसे किया गया है।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) जयप्रकश नारायाण

Ans – (d) जयप्रकश नारायाण

7. 1952 के प्रजा सोशलिस्‍ट पार्टी के गठन में किनका योगदान महत्त्‍वपूर्ण रहा?
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

8. छात्र आन्‍दोलन कब हुआ था?
(a) 1971
(b) 1972
(c) 1974
(d) 1976

Ans – (c) 1974

9. ‘लोकनाय’ के नाम से किसे जाना जाता है।
(a) जयप्रकश नारायाण
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मदन मोहन मालवीय

Ans – (a) जयप्रकश नारायाण

10. किनके भाषण के बाद लोगो के हृदय में क्रान्तिकारी धधक उठी?
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

11. अमेरिका में कौन मजदूरी करते थे?
(a) जे.पी
(b) ए.के
(c) बी.के
(d) डी.के

Ans – (a) जे.पी

12. छाल आन्‍दोलन करने के लिए युवाओं को सलाह किसने दी?
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

13. जयप्रकाश नारायण कांग्रेस में क्‍यों सामिल हुए?
(a) देश को आजाद करने के लिए
(b) देश को बाँटने के लिए
(c) a और b
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (a) देश को आजाद करने के लिए

14. जयप्रकाश नारायण आन्‍दोलन का नेतृत्‍व किसके सलाह पर करते हैं।
(a) देश के सलाह पर
(b) गाँव के सलाह पर
(c) अपने सलाह पर
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (c) अपने सलाह पर  

15. ‘सम्‍पूर्ण क्रान्‍ति’ के हिसाब से कौन नहीं होते तो बिहार जल गया होता?
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

16. जे.पी ने मार्क्‍सवाद तथा समाजवादी शिक्षा कहाँ ग्रहण किए।
(a) चीन में
(b) अमेरिका में
(c) भूटान में
(d) भारत में

Ans – (b) अमेरिका में

17. ‘बाडल’ किसका पुकार का नाम था?
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) जयप्रकश नारायाण

Ans – (d) जयप्रकश नारायाण

18. दलविहीन लोकतंत्र की चर्चा किसने किया है।
(a) जयप्रकश नारायाण
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मदन मोहन मालवीय

Ans – (a) जयप्रकश नारायाण

19. ‘नेहरू’ जी को जयप्रकाश नारायण क्‍या कहा करते थे?
(a) भाई
(b) चाचा
(c) देश भक्‍त्त
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (a) भाई

20. ‘सम्‍पूर्ण क्रान्‍ति’ भाषण में जो शान्तिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं उन्‍हें जयप्रकाश नारायण क्‍या मानते हैं।
(a) लोकतंत्र का नेता
(b) लोकतंत्र का दुश्‍मन
(c) लोकतंत्र का प्रमुख
(d) कोई नहीं

Ans – (b) लोकतंत्र का दुश्‍मन

21. ‘सम्‍पूर्ण क्रान्‍ति’ भाषण में ‘जनशक्ति’ का प्रकाशन कहाँ से हुए।
(a) नेपाल से
(b) भगलपुर से
(c) पटना से
(d) राजस्‍थान से

Ans – (c) पटना से

22. किसने कहा समाज में भूख, महँगाई, भ्रष्‍टाचार जैसे दानव अभी वर्तमान में हैं।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) जयप्रकश नारायाण

23. ‘यूथ फॉर डेमोक्रेसी’ का आह्वान किसने किया?
(a) जयप्रकश नारायाण
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मदन मोहन मालवीय

Ans – (a) जयप्रकश नारायाण

24. ‘सम्‍पूर्ण क्रान्‍ति’ भाषण में जेपी ने किसकी प्रशांसा किया है।
(a) बापू और नेहरू की
(b) तिलक और नेहरू की
(c) भगत और गाँधी की
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (a) बापू और नेहरू की

25. ‘जेपी’ ने किनके भाषण से प्रभावित होकर अमेरिका गए।
(a) गोपाल कृष्‍ण गोखले के
(b) गाँधी के
(c) सत्‍यदेव के
(d) तिलक के

Ans – (c) सत्‍यदेव के

Sampurn Kranti Objective Questions

Bihar Board Class 12th Hindi Notes गद्य खण्ड

Class 12th Hindi गद्य खण्ड
1   बातचीत
2   उसने कहा था
3   संपूर्ण क्रांति
4   अर्द्धनारीश्वर
5   रोज
6   एक लेख और एक पत्र
7   ओ सदानीरा
8   सिपाही की माँ
9   प्रगीत और समाज
10   जूठन
11   हँसते हुए मेरा अकेलापन
12   तिरिछ
13   शिक्षा

Bihar Board Class 12th Hindi दिगंत भाग 2 Notes पद्य खण्ड

Class 12th Hindi पद्य खण्ड
1   कड़बक
2   सूरदास के पद
3   तुलसीदास के पद
4   छप्पय
5   कवित्त
6   तुमुल कोलाहल कलह में
7   पुत्र वियोग
8   उषा
9   जन-जन का चेहरा एक
10   अधिनायक
11   प्यारे नन्हें बेटे को
12   हार-जीत
13   गाँव का घर
14   Class 12th English

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Usne Kaha tha Objective Question | उसने कहा था 12th Hindi Objective Question Answer 2025

May 12, 2024 by Raja Shahin Leave a Comment

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2. उसने कहा था

2. हिन्‍दी गद्य साहित्‍य में महत्त्‍वपूर्ण स्‍थान रखने वाले कौन है।
(a) बालकृष्‍ण भट्ट
(b) जयप्रकाश नारायण
(c) वेन जॉनसन ने
(d) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

Ans – (d) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

2. चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी ने एंट्रेंस तथा मैट्रिक कहाँ से पास की?
(a) इलाहाबाद तथा कोलकाता
(b) मुम्‍बई तथा चेन्‍नई
(c) भारत तथा पटना
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (a) इलाहाबाद तथा कोलकाता 

3. खेतड़ी के नाबालिक राजा कौन हैं।
(a) गुलेरी
(b) जयसिंह
(c) वीरसिंह
(d) मानसिंह

Ans – (b) जयसिंह

4. उसने कहा था कब प्रकाशित हुआ था?
(a) 1297
(b) 1987
(c) 1981
(d) 1915

Ans – (d) 1915

5. गुलेरी जी का मुल निवास स्‍थान कहाँ था?
(a) कांगड़ा में
(b) भारत में
(c) इलाहाबाद में
(d) पंजाब में

Ans – (a) कांगड़ा में

6. कम लिखकर अधिक ख्‍याति प्राप्‍त करने वाले कौन थे?
(a) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) मदन मोहन मालवीय
(d) मोहन राकेश

Ans – (a) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

7. दि लिटरेरी क्रिटिसिज्‍म अंग्रेजी निबन्‍ध किसका है।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) जयप्रकश नारायाण

Ans – (c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

8. देश प्रेम को लेकर कुछ महत्त्‍वपूर्ण कविताएँ भी किसने लिखि है।
(a) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) मोहन राकेश
(d) मदन मोहन मालवीय

Ans – (a) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

9. पुरानी हिन्‍दी निबंध के लेखक कौन हैं।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

10. क्‍या तेरी कुड़माई (सगाई) हो गई है किसने कहा?
(a) लहना सिंह
(b) भगत सिंह
(c) बोधासिंह
(d) कोई नहीं

Ans – (a) लहना सिंह

11. कौन-सा वाक्‍य 25 वर्ष पहले की घटना का स्‍मरण दिलाती है।
(a) सूबेदारीन
(b) युद्ध भूमि
(c) कुड़माई हो गई
(d) a और c

Ans – (c) कुड़माई हो गई

12. नम्‍बर 77 राइफल्‍स में जमादार कौन था?
(a) लहना सिंह
(b) सूबेदारीन
(c) बोधासिंह
(d) हजारा सिंह

Ans – (a) लहना सिंह

13. कौन-सा बात लहना सिंह के मर्म को छू जाती है।
(a) साड़ी पसार कर सोना
(b) भिख माँगना
(c) आँचल पसार कर भिख माँगना
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (c) आँचल पसार कर भिख माँगना

14. सूबेदारीन के पति और पुत्र को बचाने में किसकी जान चली गई?
(a) बोधासिंह
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) लहना सिंह
(d) हजारा सिंह

Ans – (c) लहना सिंह

15. अनुवादों की बाढ़ किसने लिखा है।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) मोहन राकेश
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) जयप्रकश नारायाण

Ans – (c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

16. उसने कहा था कहानी में लाम का अर्थ क्‍या बताया गया है।
(a) युद्ध को
(b) गुण-दोष को
(c) चित्त को
(d) चाल-चलन को

Ans – (a) युद्ध को

17. लहनासिंह का भतीजा कौन था?
(a) बोधासिंह
(b) जयप्रकाश नारायण
(c) वजीर
(d) कीरत सिंह

Ans – (d) कीरत सिंह

18. उसने कहा था कहानी कितने भागों में विभक्‍त किया गया है।
(a) पाँच
(b) तीन
(c) चार
(d) एक

Ans – (a) पाँच

19. उसने कहा था कहानी में प्रमुख पात्र (नायक) कौन है।
(a) लहनासिंह
(b) बोधासिंह
(c) वजीर
(d) हजारासिंह

Ans – (a) लहनासिंह

20. तेरे घर कहाँ है सूबेदारीन से किसने पुछा?
(a) वजीर
(b) बोधासिंह
(c) लहनासिंह
(d) हजारासिंह

Ans – (c) लहनासिंह

21. उसने कहा था कहानी में लड़की के मामा का क्‍या नाम था?
(a) अंतरसिंह
(b) बोधासिंह
(c) लहनासिंह
(d) हजारासिंह

Ans – (a) अंतरसिंह 

22. बहादुर तथा निडर व्यक्तित्‍व का स्‍वामी किसे कहा गया है।
(a) अंतरसिंह
(b) बोधासिंह
(c) लहनासिंह
(d) हजारासिंह

Ans – (c) लहनासिंह

23. उसने कहा था कहानी में व्‍यक्तिय किसे कहा गया है।
(a) लहनासिंह
(b) बोधासिंह
(c) अंतरसिंह
(d) हजारासिंह

Ans – (a) लहनासिंह

24. बोधासिंह किसका पुत्र था?
(a) लहनासिंह का
(b) सूबेदार का
(c) लहनासिंह का
(d) हजारासिंह का

Ans – (b) सूबेदार का

25. डिंगल निबंध के लेखक कौन है।
(a) मदन मोहन मालवीय
(b) जयप्रकश नारायाण
(c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(d) मोहन राकेश

Ans – (c) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

Bihar Board Class 12th Hindi Notes गद्य खण्ड

Class 12th Hindi गद्य खण्ड
1   बातचीत
2   उसने कहा था
3   संपूर्ण क्रांति
4   अर्द्धनारीश्वर
5   रोज
6   एक लेख और एक पत्र
7   ओ सदानीरा
8   सिपाही की माँ
9   प्रगीत और समाज
10   जूठन
11   हँसते हुए मेरा अकेलापन
12   तिरिछ
13   शिक्षा

Bihar Board Class 12th Hindi दिगंत भाग 2 Notes पद्य खण्ड

Class 12th Hindi पद्य खण्ड
1   कड़बक
2   सूरदास के पद
3   तुलसीदास के पद
4   छप्पय
5   कवित्त
6   तुमुल कोलाहल कलह में
7   पुत्र वियोग
8   उषा
9   जन-जन का चेहरा एक
10   अधिनायक
11   प्यारे नन्हें बेटे को
12   हार-जीत
13   गाँव का घर
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Batchit Objective Questions | बातचीत 12th Hindi Objective Question Answer 2025

May 12, 2024 by Raja Shahin Leave a Comment

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Batchit Objective Questions

1.  बातचीत

1. हिन्‍दी के प्रारंभिक युग के प्रमुख पत्रकार कौन हैं।
(a) बालकृष्‍ण भट्ट
(b) अंतोन चेखव
(c) हेनरी लोपेज
(d) जयप्रकाश नारायण

Ans – (a) बालकृष्‍ण भट्ट

2. सौ अजान एक सुजान के रचनकार कौन हैं।
(a) अंतोन चेखव
(b) जयप्रकाश नारायण
(c) बालकृष्‍ण भट्ट
(d) हेनरी लोपेज

Ans – (c) बालकृष्‍ण भट्ट

3. बालकृष्‍ण भट्ट के पिता के नाम क्‍या था?
(a) रामानन्‍द
(b) बेनी प्रसाद भट्ट
(c) महावीर
(d) मोहन राकेश

Ans – (b) बेनी प्रसाद भट्ट

4. भारतेन्‍दु युग के प्रमुख सहित्यकारों में से एक थे?
(a) अंतोन चेखव
(b) बेनी प्रसाद भट्ट
(c) बालकृष्‍ण भट्ट
(d) मोहन राकेश

Ans – (c) बालकृष्‍ण भट्ट

5. बात-चीत का उत्तम तरीका क्‍या है।
(a) अपने-आप से बात करना
(b) दुसरो से बात करना
(c) दो-से-तीन लोगो में बात करना
(d) इनमें से सभी

Ans – (a) अपने-आप में बात करना

6. मन रमाने का ढंग क्‍या है।
(a) बाहर के बात
(b) दुसरे का बात
(c) अपने-आप से बात
(d) घरेलु बातचीत

Ans – (d) घरेलु बातचीत

7. कितने के द्वारा कि गई बातचीत को राम-रमौवल कहा गया है।
(a) दो
(b) चार
(c) तीन
(d) पाँच

Ans – (b) चार

8. मनुष्‍य के द्वारा आपस में बातचीत का उत्तम कला क्‍या है।
(a) प्रसंग को छेड़ना
(b) बातचीत को बदलना
(c) a और b
(d) आर्ट ऑफ कनवरसेशन

Ans – (d) आर्ट ऑफ कनवरसेशन

9. किस प्रसंग में चतुराई से प्रसंग छोड़े जाते हैं।
(a) बातचीत को बदलना
(b) आर्ट ऑफ कनवरसेशन
(c) हिन्‍दी शब्‍द कोश में
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (b) आर्ट ऑफ कनवरसेशन

10. किसने कहा की बोलने से ही सही साक्षात्‍कार होता है।
(a) बाकृष्‍ण भट्ट
(b) जयप्रकाश नारायण
(c) वेन जॉनसन
(d) कोई नहीं

Ans – (c) वेन जॉनसन

11. अगर वाक्शक्ति न होती तो क्‍या होता।
(a) सभी सृष्टि खुश रहती
(b) सभी सृष्टि गूँगी प्रतीत होती
(c) a और b
(d) इनमें से कोई नहीं

12. हिन्‍दी प्रदीप नामक मासिक पत्रिका का प्रारंभ कब हुआ था?
(a) 1877
(b) 1892
(c) 1772
(d) 1918

Ans – (a) 1877

13. मनुष्‍य में वाक्‍यशक्ति किसके द्वारा दिया गया है।
(a) महावीर के द्वारा
(b) बालकृष्‍ण भट्ट के द्वारा
(c) ईश्‍वर के द्वारा
(d) परिवार के द्वारा

Ans – (c) ईश्‍वर के द्वारा  

14. किसने कहा कि बिना बोले मनुष्‍य के गुण-दोष प्रकट नहीं होते हैं।
(a) बाकृष्‍ण भट्ट ने
(b) वेन जॉनसन ने
(c) बेनी प्रसाद भट्ट ने
(d) एडीसन ने

Ans – (d) एडीसन ने

15. बालकृष्‍ण भट्ट के पिता क्‍या थे?
(a) सिपाही
(b) व्‍यापारी
(c) वकील
(d) पत्रकार

Ans – (b) व्‍यापारी

16. जबतक मनुष्‍य बोलता नहीं है तबतक प्रकट नहीं होता है उसका.
(a) बोली
(b) गुण-दोष
(c) खान-पान
(d) चाल-चलन

 Ans – (b) गुण-दोष

17. बालकृष्‍ण भट्ट के सीता वनवास क्‍या है।
(a) नाटक
(b) कहानी
(c) निबंध
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (a) नाटक

18. नई रोशनी का विषय के लेखक कौन हैं।
(a) अंतोन चेखव
(b) जयप्रकाश नारायण
(c) बालकृष्‍ण भट्ट
(d) हेनरी लोपेज

Ans – (c) बालकृष्‍ण भट्ट

19. हमारे मन में जो कुछ मवाद या गंदगी जमा रहता है वो क्‍या बन कर बाहर निकल जाता है।
(a) बोली बनकर
(b) गुण-दोष बनकर
(c) खान-पान बनकर
(d) भाप बनकर

Ans – (d) भाप बनकर

20. आत्‍मचेतना का विकास कब होगा जब….
(a) अपने-आप से बात करने पर
(b) अपने गुण-दोष पर
(c) अपने खान-पान पर
(d) इनमें से कोई नहीं

Ans – (a) अपने-आप से बात करने पर

21. बातचीत निबंध में चंचल किसे कहा गया है।
(a) बोली को
(b) गुण-दोष को
(c) चित्त को
(d) चाल-चलन को

Ans – (c) चित्त को

22. बालकृष्‍ण भट्ट ने अनमोल किसे कहा है।
(a) वाक्शक्ति को
(b) गुण-दोष को
(c) चित्त को
(d) चाल-चलन को

Ans – (a) वाक्शक्ति को

23. बातचीत के दौरान जिह्वा किसे कहा गया है।
(a) वाक्शक्ति को
(b) गुण-दोष को
(c) सोच को
(d) विचार को

Ans – (d) विचार को

24. रेल का टिकट नाटक किसका है।
(a) अंतोन चेखव
(b) जयप्रकाश नारायण
(c) बालकृष्‍ण भट्ट
(d) हेनरी लोपेज

Ans – (c) बालकृष्‍ण भट्ट

25. रसातल यात्रा क्‍या है।
(a) नाटक
(b) कहानी
(c) निबंध
(d) उपन्‍यास

Ans – (d) उपन्‍यास

Bihar Board Class 12th Hindi Notes गद्य खण्ड

Class 12th Hindi गद्य खण्ड
1   बातचीत
2   उसने कहा था
3   संपूर्ण क्रांति
4   अर्द्धनारीश्वर
5   रोज
6   एक लेख और एक पत्र
7   ओ सदानीरा
8   सिपाही की माँ
9   प्रगीत और समाज
10   जूठन
11   हँसते हुए मेरा अकेलापन
12   तिरिछ
13   शिक्षा

Bihar Board Class 12th Hindi दिगंत भाग 2 Notes पद्य खण्ड

Class 12th Hindi पद्य खण्ड
1   कड़बक
2   सूरदास के पद
3   तुलसीदास के पद
4   छप्पय
5   कवित्त
6   तुमुल कोलाहल कलह में
7   पुत्र वियोग
8   उषा
9   जन-जन का चेहरा एक
10   अधिनायक
11   प्यारे नन्हें बेटे को
12   हार-जीत
13   गाँव का घर
14   Class 12th English

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NCERT Class 10 Hindi Chapter 17 संस्‍कृति पाठ का व्‍याख्‍या | Sanskriti Class 10 Summary क्षितिज भाग 2 हिंदी

September 24, 2023 by Raja Shahin Leave a Comment

17. संस्‍कृति

लेखक- भदंत आनंद कौसल्‍यायन

भदंत आनंद कौसल्‍यायन का जन्‍म 1905 में पंजाब के अंबाला जिले के सोहाना गाँव में हुआ।

उनके बचपन का नाम हरनाम दास था। लाहौर के नेशनल कॉलिज से बी.ए. किया।

बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

गांधी जी के साथ वर्धा में लंबे समय तक रहे।

1988 में इनका निधन हो गया।

इन्‍होंने 20 से अधिक पुस्‍तकें लिखी। जिनमें भिक्षु के पत्र, जो भूल ना सका, आह! ऐसी दरिद्रताा, बहानेबाजी, यदि बाबा ना होते, रेल का टिकट, कहाँ क्‍या देखा आदि प्रमुख हैं।

वे महात्‍मा गांधी के व्‍यक्तित्‍व से काफी प्रभावित थे।

उनके द्वारा सरल, सहज बोलचाल की भाषा में लिखे निबंध, संस्‍मरण और यात्रा वृतांत काफी चर्चित रहे हैं।

17. संस्‍कृति पाठ का सारांश

मानव सभ्यता और संस्कृति के शब्द विचारशीलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत प्रस्तुत करते हैं। इन शब्दों का उपयोग जब विभिन्न विशेषणों के साथ किया जाता है, तो उनका अर्थ समझ में कठिनाई हो सकता है। क्या सभ्यता और संस्कृति एक ही चीज़ हैं, या ये दो अलग-अलग वस्तुएँ हैं? इसे समझने की कोशिश करते हैं।

हम उन दिनों की कल्पना कर सकते हैं जब मानव समाज ने आग का आविष्कार नहीं किया था। आजकल, हमारे हर घर में एक चूल्हा होता है, लेकिन आग का आविष्कार करने वाला व्यक्ति कितना महत्वपूर्ण था!

एक और उदाहरण के रूप में, हम सोच सकते हैं कि मानव को कभी न सुई-धागे के बारे में ज्ञान था, लेकिन फिर भी किसी ने उसकी खोज की और इसे आविष्कारिक रूप से उपयोगी बनाया।

इन उदाहरणों से हम देख सकते हैं कि व्यक्ति की योग्यता, प्रवृत्ति, और प्रेरणा से आग और सुई-धागे के आविष्कार हुआ, और इसे हम संस्कृति कह सकते हैं। जिस तरह से यह आविष्कार हुआ और उसका उपयोग किया गया, उसका नाम है सभ्यता।

सभ्यता और संस्कृति के बारे में सोचते समय हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि संस्कृति उसकी सभ्यता का एक हिस्सा है, और उसमें समाज के विभिन्न पहलुओं की जानकारी, ओढ़ने-पहनने का तरीका, गमनागमन के साधन, और अन्य कई चीजें शामिल होती हैं। संस्कृति का महत्व समझने के लिए हमें यह भी देखना चाहिए कि यह किस प्रकार से समाज के सदस्यों के द्वारा उत्पन्न होती है और कैसे यह उनकी योग्यता के साथ जुड़ी होती है। अगर संस्कृति का महत्व कल्याण की दिशा में नहीं होता, तो वह असंस्कृति की ओर बढ़ सकती है।

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Class 10 Hindi Naubatkhane me Ibadat Summary Notes Solutions | नौबतखाने में इबादत का व्‍याख्‍या

November 20, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी क्षितिज भाग 2 के गद्य भाग के पाठ सोलह ‘एक कहानी यह भी’ (CBSE/NCERT class 10 Hindi Naubatkhane me Ibadat Summary Notes Solutions) के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

16. नौबतखाने में इबादत

लेखक परिचय
लेखक का नाम- यतीन्द्र मिश्र

जन्म- 12 अप्रैल 1977 ई0, (43 वर्ष), अयोध्या, उत्तर प्रदेश

इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी भाषा में एम० ए० किया। इस समय ये अर्द्धवार्षिक पत्रिका ’सहित’ का संपादन कर रहे हैं। ये साहित्य और कलाओं के संवर्द्धन एवं अनुशीलन के लिए ’विमला देवी फाउंडेशन’ का संचालन 1999 ई0 से कर रहे हैं।

रचनाएँ- इनके तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं- यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ और ड्योढ़ी का आलाप । इन्होंने प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और संगीत साधना पर एक पुस्तक ’गिरीजा’ लिखी ।

पाठ परिचय- प्रस्तुत पाठ ‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाई वादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ पर रोचक शैली में लिखा गया व्यक्तिचित्र है। इस पाठ में बिस्मिल्ला खाँ का जीवन- उनकी रुचियाँ, अंतर्मन की बुनावट, संगीत की साधना आदि गहरे जीवनानुराग और संवेदना के साथ प्रकट हुए हैं।Naubatkhane me Ibadat Summary

पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘नौबतखाने में इबादत’ में शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की जीवनचर्या का उत्कृष्ट वर्णन किया गया है। इन्होंने किस प्रकार शहनाई वादन में बादशाहत हासिल की, इसी का लेखा-जोखा इस पाठ में है। 1916 ई० से 1922 ई० के आसपास काशी के पंचगंगा घाट स्थित बालाजी मंदिर के ड्योढ़ी के उपासना-भवन से शहनाई की मंगलध्वनि निकलती है। उस समय बिस्मिल्ला खाँ छः साल के थे। उनके बड़े भाई शम्सुद्दीन के दोनों मामा अलीबख्श तथा सादिक हुसैन देश के प्रसिद्ध सहनाई वादक थे।

उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव (बिहार) में एक संगीत-प्रमी परिवार में 1916 ई0 में हुआ। इनके बचपन का नाम कमरूद्दीन था। वह छोटी उम्र में ही अपने ननिहाल काशी चले गये और वहीं अपना अभ्यास शुरू किया। 14 साल की उम्र में जब वह बालाजी के मंदिर के नौबतखाने में रियाज के लिए जाते थे, तो रास्ते में रसूलनबाई और बतूलनबाई का घर था। इन्होंने अनेक साक्षात्कारों में कहा है कि इन्ही दोनों गायिकी-बहनों के गीत से हमें संगीत के प्रति आसक्ति हुई।

शहनाई को ’शाहनेय’ अर्थात् ’सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है। अवधी पारंपरिक लोकगीतों और चैती में शहनाई का उल्लेख बार-बार मिलता

बिस्मिल्ला खाँ 80 वर्षों से सच्चे सुर की नेमत माँग रहें हैं तथा इसी की प्राप्ति के लिए पाँचों वक्त नमाज और लाखों सजदे में खुदा के नजदिक गिड़गिड़ाते हैं। उनका मानना है कि जिस प्रकार हिरण अपनी नाभि की कस्तूरी की महक को जंगलों में खोजता फिरता है, उसी प्रकार कमरूद्दीन भी यहीं सोचते आया है कि सातों सुरों को बरतने की तमीज उन्हें सलीके से अभी तक क्यों नहीं आई।

बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा है, वह मुहर्रम है। इस पर्व के अवसर पर हजरत इमाम हुसैन और उनके कुछ वंशजों के प्रति दस दिनों तक शोक मनाया जाता है। इस शोक के समय बिस्मिल्ला खाँ के खानदान का कोई भी व्यक्ति न तो शहनाई बजाता है और न ही किसी संगीत कार्यक्रम में भाग लेता है।

आठवीं तारीख खाँ साहब के लिए खास महत्त्व की होती थी। इस दिन वे खड़े होकर शहनाई बजाते और दालमंडी से फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते थे।

बिस्मिल्ला खाँ अपनी पुरानी यादों का स्मरण करके खिल उठते थे। बचपन में वे फिल्म देखने के लिए मामू, मौसी तथा नानी से दो-दो पैसे लेकर सुलोचना की नई फिल्म देखने निकल पड़ते थे।

Naubatkhane me Ibadat Summary

बिस्मिल्ला खाँ मुस्लमान होते हुए भी सभी धर्मों के साथ समान भाव रखते थे। उन्हें काशी विश्वनाथ तथा बालाजी के प्रति अपार श्रद्धा थी। काशी के संकटमोचन मन्दिर में हनुमान जयन्ती के अवसर पर वे शहनाई अवश्य बजाते थे। काशी से बाहर रहने पर वे कुछ क्षण काशी की दिशा में मुँह करके अवश्य बजाते थे।

उनका कहना था – ’क्या करें मियाँ, काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मन्दिर यहाँ ।’ काशी को संगीत और नृत्य का गढ़ माना जाता है। काशी में संगीत, भक्ति, धर्म, कला तथा लोकगीत का अद्भुत समन्वय है। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज, विद्याधरी, बड़े रामदास जी और मौजद्दिन खाँ थे।

बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई एक दुसरे के पर्याय हैं। बिस्मिल्ला खाँ का मतलब बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई।

एक शिष्या ने उनसे डरते-डरते कहा- ’बाबा आपको भारतरत्न मिल चूका है, अब आप फटी लुंगी न पहना करें।’ तो उन्होंने कहा- ’भारतरत्न हमको शहनाई पर मिला है न कि लुंगी पर। लुंगीया का क्या है, आज फटी है तो कल सिल जाएगी। मालिक मुझे फटा सूर न बक्शें।

निष्कर्षतः बिस्मिल्ला खाँ काशी के गौरव थे। उनके मरते ही काशी में । संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परम्पराएँ लुप्त हो चुकी हैं। वे दो कौमों के आपसी भाईचारे के मिसाल थे। खाँ साहब शहनाई के बादशाह थे। यही कारण है कि इन्हें भारत रत्न, पद्मभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा अनेक विश्वविद्यालय की मानद उपाधियाँ मिलीं। वे नब्बे वर्ष की आयु में 21 अगस्त, 2006 को खुदा के प्यारे हो गए।

Naubatkhane me Ibadat Summary

लघु-उत्तरीय प्रश्न (20-30 शब्दों में)____दो अंक स्तरीय

प्रश्न 1. बिस्मिल्ला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है? (Text Book)

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ जब इबादत में खुदा के समाने झुकते तो सजदे में गिड़गिड़ाकर खुदा से सच्चे सुर का वरदान माँगते । इससे पता चलता है कि खाँ साहब धार्मिक, संवेदनशील एवं निरभिमानी थे। संगीत-साधना हेतु समर्पित थे। अत्यन्त विनम्र थे ।

प्रश्न 2. सूषिर वाद्य किन्हें कहा जाता है? ’शहनाई’ शब्द की व्यत्पत्ति किस प्रकार हुई है? (Text Book)

उत्तर- सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। अरब देशों में ऐसे वाद्यों को ‘नय‘ कहा जाता है और उनमें शहनाई को ‘शाहनेय‘ अर्थात् ‘सूषिर वाद्यों में शाह‘ की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, शृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है।.

प्रश्न 3. ’संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं? (Text Book)

उत्तर- कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी को संगीतमय कहा गया है। वह जब बहुत गरम घी में कचौड़ी डालती थी, तो उस समय छन्न से आवाज उठती थी जिसमें कमरुद्दीन को संगीत के आरोह-अवरोह की आवाज सुनाई देती थी। इसीलिए कचौड़ी को ’संगीतमय कचौड़ी’ कहा गया है।

प्रश्न 4. डुमराँव की महत्ता किस कारण से है? (पाठ्य पुस्तक, 2012A,2015A)

उत्तर- डुमराँव की महत्ता शहनाई के कारण है। प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए जिस ’रीड’ का प्रयोग होता है, जो एक विशेष प्रकार की घास ’नरकट’ से बनाई जाती है, वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है।

Naubatkhane me Ibadat Summary

प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है? (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ जब कभी काशी से बाहर होते तब भी काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते। काशी से बाहर रहने पर वे उस दिशा में मुँह करके थोड़ी देर तक शहनाई अवश्य बजाते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता एवं समन्वयता की सीख मिलती है। हमें धर्म को लेकर किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं रखना चाहिए।

प्रश्न 4. डुमराँव की महत्ता किस कारण से है? (पाठ्य पुस्तक, 2012A, 2015A)

उत्तर- डुमराँव की महत्ता शहनाई के कारण है। प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए जिस ’रीड’ का प्रयोग होता है, जो एक विशेष प्रकार की घास ’नरकट’ से बनाई जाती है, वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है।

प्रश्न 5. बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है? (पाठ्य पुस्तक)

उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ जब कभी काशी से बाहर होते तब भी काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते। काशी से बाहर रहने पर वे उस दिशा में मुँह करके थोड़ी देर तक शहनाई अवश्य बजाते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता एवं समन्वयता की सीख मिलती है। हमें धर्म को लेकर किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं रखना चाहिए।

प्रश्न 6. पठित पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन करें। (Text Book)

उत्तर- कमरुद्दीन यानी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ चार साल की उम्र में ही नाना की शहनाई को सुनते और शहनाई को ढूँढते थे। उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी बचपन में शहनाईवादन की कौशल विकास में लाभान्वित किया। 14 साल की उम्र में वे बालाजी के मंदिर में रियाज़ करने के क्रम में संगीत साधना करते और आगे चलकर महान कलाकार हुए।

प्रश्न 8. पठित पाठ के आधार पर मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय दें। (Text Book)

उत्तर- मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ का अत्यधिक जुड़ाव था । मुहर्रम के महीने में वे न तो शहनाई बजाते थे और न ही किसी संगीत-कार्यक्रम में सम्मिलित होते थे। मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर ही शहनाई बजाते थे। वे दालमंडी में फातमान के लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तक रोते हुए नौहा बजाते पैदल ही जाते थे।

Naubatkhane me Ibadat Summary

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15. स्त्री-शिक्षा के विरोधी कक्षा 10 हिंदी | cbse class 10 Hindi Stri shiksha ke virodhi

November 20, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी के पद्य भाग के पाठ पंद्रह ‘स्त्री-शिक्षा के विरोधी कक्षा 10 हिंदी’ (cbse class 10 Hindi Stri shiksha ke virodhi)  के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। cbse class 10 Hindi Stri shiksha ke virodhi Chapter 15

Stri shiksha ke virodhi

15.स्त्री-शिक्षा के विरोधी

कुतर्को का खंडन (महावीर प्रसाद द्विवेदी)

जब बहुत से पढ़े लिखे लोगो द्वारा ये सुना जाता है कि स्त्री को शिक्षा नही देनी चाहिए तो लेखक दुःखी हो जाता है। इन पढे-लिखे लोगो मे वो शामिल हैं जो धर्म-शास्त्रो के ज्ञाता, शिक्षक, विचारक, समार्गगामी, पथप्रदर्शक, (यानी जो धर्म और शास्त्रो को जानता हो किसी को पढा़ता हो किसी लोगो को समझाता हो अच्छे रास्ते पर चलना काम करना बताता हो तथा अच्छे काम के साथ पढे-लोगो का उदाहरण देते हा) हैं।

ये लोगो का मानना है कि स्त्रियो को शिक्षा नहीं देनी चाहिए जिससे द्विवेदी जी को बहुत बुरा लगता है। लेखक का कहना है कि संस्कृत के नाटक (सिरियल) में पढ़ी-लिखी स्त्रियों को गँवारो की भाषा का प्रयोग करते देखा गया है। (पुराने सिरियल) स्त्रियों को शिक्षा देना अनर्थ मानते थे इसलिए कि जब वह घर से बाहर निकलेगी तो बिगड़ जाएगी। इसी कारण से संकुतला को दुष्यंत कठोर शब्द कहे हैं। पढ़े लिखे विद्वानो का मानना है स्त्रियों को शिक्षा नही देना चाहिए। ये विद्वानों का कहना गलत हैं। क्या पढ़ी लिखी नारी क्या वो प्राचीन भाषा नहीं बोल सकती। भगवान बु़द्ध से लेकर भगवान महावीर तक सभी ने अपने-अपने उपदेश प्राकृत भाषा में ही दिए (गँवार भाषा) तो क्या वे अनपढ़ और गँवार थे। इतने सारे साहित्य के रचयिता लोग क्या गँवार ही थे।

आज भी अलग-अलग देशो के शिक्षिण व्यक्ति अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषा मराठी, बांग्ला, पंजाबी आदि में बात करता है तो क्या वह गँवार है इस सबका उत्तर नहीं है। जिस समय नाट्य-शस्त्रियों को लिखा गया था उस समय सभी लोग संस्कृ भाषा में ही बोलते थे। इसलिए सामान्य लोगो की भाषा प्राकृत रखी और पढ़े-लिखे विद्वानों की भाषा संस्कृत रखी। शास्त्रो ने बड़े-बड़े विद्वानों की चर्चा की है पर क्या उनके सीखने से जुड़े कोई किताब या पांडुलिपिं पढ़ा है जिसमें ऐसा लिखा हो कि स्त्रियों को शिक्षा नही दी जाए? ऐसा तो कही नही लिखा। क्या पहले के समय में कोई भी स्त्री (नारी) को विद्यालय की जानकारी नही मिलती तो क्या इसका मतलब यह तो नही ये गँवार थी। लेखक ने इसी कारण को जानकर बौ़द्ध कालीन स्त्रियों के बहुत से उदाहरण देकर उनके शिक्षित होने की बात करता है। कवि कहते है कि पहले के समय में स्त्रियों को नाच, गाना, फूल, चुनने, हार बनाने तक की पुरी आजादी मिली थी, तो यह बात पर विश्वास

थी लोगों को लेकिन जब बात शिक्षा की आती है तो लोगों का विश्वास कहा चला जाता है, तब भी विश्वास होना चाहिए। लेखक कहते है माना की प्राचीन काल में सभी स्त्रियों अनपढ़ थी। हो सकता है उस समय उनका पढ़ने-लिखने की जरूरत नही रही हो लेकिन आने वाले समय में तो उन्हे शिक्षा देना चाहिए। लेकिन जब आने वाले समय में कुछ समय बितने के बाद ही उन्हे शिक्षा मिली होती तो श्री मद्धगवत, दशमस्कध के उत्तरार्ध का तिरिपनवाँ अध्याय पढ़ना ये सब तो पढ़ ही पाती क्योंकि उसमें रूकिमणी-हरण की कथा है। उसमें रूकिमणी ने एक लंबा चौड़ा पत्र एकांत मे लिखकर श्री कृष्ण को भेजा था, वह तो प्राकृत में नही था। लेखक कहते है कि अनर्थ कभी नहीं पढ़ना चाहिए। क्योंकि वे सीता, शंकुतला के उन बातों के उदाहरण देते हैं, जो उन्होंने अपने-अपने पतियों को कहे थे। वो ये बाते तब ही कह पाई क्योंकि वो शिक्षित थी उस समय भी शिक्षा दिया जाता था। स्त्रियों को बिच में कुछ लोगो ने विरोध किया कि स्त्रियों को शिक्षा नहीं देनी चाहिए। लेकिन फिर आने वाले वर्तमान में स्त्रियों को शिक्षा मिलने लगी। लेकिन फिर भी आज भी कुछ लोग ऐसे है जो प्राचिन काल की बातो को याद करके स्त्रीयों को शिक्षा नहीं देना चाहते है। लेकिन स्त्रियों के शिक्षा देना चाहिए उन्हे शिक्षा प्राप्त करने के प्रति प्रेरित करें ना कि शिक्षा न प्राप्त करने के भ्रम में। cbse class 10 Hindi Stri shiksha ke virodhi

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4. आत्मकथ (जयशंकर प्रसाद) कक्षा 10 हिंदी | cbse Atmakatha class 10 bhavarth

November 20, 2022 by Raja Shahin 1 Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी के पद्य भाग के पाठ एक ‘आत्मकथ कक्षा 10 हिंदी’ (cbse Atmakatha class 10 bhavarth)  के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। cbse Atmakatha class 10 bhavarth Chapter 4

cbse Atmakatha class 10 bhavarth

4. आत्मकथ (जयशंकर प्रसाद)

मधुप गुन-गुन कर कह जाता कौन क हानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी।
इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास

अर्थ- आत्मकथ कविता मे कवि अपनी आत्मकथा नहीं लिखने के कारणों (वजह) को बताया है। सभी व्यक्ति के मन की तुलना भौरे से की गई है। क्योंकि भौरा गुनगुणाकर हर जगह अपनी कहता रहता है गिरते हुए पत्तियों की ओर बताकर कवि कहते हैं कि आज पेड़ो पर सारी पत्तियाँ खिली हुई दिखाई दे रही है और कुछ ही देर में मुरझाकर गिर रही है यानी कि उनका जिवन समाप्त हो रहा है। ये सारे संसार में इसी तरह अंतहृीन नील आकाश के नीचे हरपल जीवन का इतिहास बन भी रहा है और बिगड़ भी रहा हैं।

यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती।

अर्थ- कवि कहते है कि इस दुनिया में सब कुछ चंचल है, कुछ भी रूका हुआ नहीं है यहाँ के सभी लोग एक दूसरे के मजाक बनाने में लगे है, सभी लोगो को एक दूसरे के अंदर कमी नजर आती है लेकिन खुद के अंदर झांक के नही देखता कि मेरे अंदर क्या कमी है। सब जानते हुए भी लोग मेरा आत्मकथा सुनना, पढ़ना चाहते है जानना चाहते है पर मैं क्यों लिखु क्यों बताऊँ क्योंकि आपलोगों को हमारी कहानी सुनकर मजा आएगा। लेकिन जब ये जानोगे मेरे पास दुःख है कभी सुख मिला ही नहीं।

किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले-
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।
यह विडंबना! अरी सरलते मेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
भूले अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं

कवि कहते है कि उनका जिवन एक सपना की तरह छलावा है क्योंकि जो वह पाना चाहते है वो चीज उनके पास आकर भी उनकों नहीं मिल पाता है उनसे दूर चला जाता हैं। इसलिए वह अपनी जिवन की बातो को बताकर संसार में अपना मजाक नहीं बनाना चाहते हैं। इसलिए कवि वह अपनी जिवन की बातो को नहीं बताना चाहते हैं।

उज्जवल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।
अरे खिल-खिला कर हँसते होने वाली उन बातो की।
मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।

अर्थ- जैसे सपने में लोगो को अपनी मन के हिसाब से चीजे मिल जाने से वह खुश हो जाता है उसी तरह कवि के जिवन में भी एक बार प्रेम आया था लेकिन वह सपनों की तरह चला गया। और उनकी प्रेम को पाना उम्मीद बन कर ही रह गई। और वह सुखी होने का सपना देखते ही रह गए। इसलिए कवि कहते है अगर तुम मेरे एहसासो से जीवन का घड़ा भरने जा रहे हो तो मैं अपनी जीवन की गाथा कैसे सुना सकता हूँ।

जिसके अरूण-कोपोलों की  मतवाली सुंदर छाया में।
अनुरागी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?
छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ?

अर्थ- कवि अपने प्रेयसी के सुंदर लाल गालों को बताते हुए कहते है मानो कि जाती रात और आती सुबह की जो लाली आसमान में दिखाई पड़ती है वही लाली मेरी प्रेयसी के सुंदर गालों पे झलकती थी। लेकिन मेरी असली जीवन में वो आने से पहले ही चली। कवि को मिलने से पहले ही उसकी प्रेयसी उससे दूर चली गई। इसलिए कवि कहते है तुम मेरे जीवन के कथा को सुनकर क्या करोगे इसलिए वह अपने जीवन को छोटा समझकर अपनी कहानी नहीं सुनाना चाहते हैं।

क्या यह अच्छा नहीं कि औरो की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथ
अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।   

अर्थ- इसमें कवि की सादरी का प्रमाण मिलता है। कवि दूसरों के जीवन की कथाओं को सुनने और जानने में ही अपनी भलाई समझते है। कवि कहते हैं कि उनका जीवन का कहानी सुनने का समय नहीं आया है। कवि ये भी कहते है कि मेरे अतितों को मत कुरेदो, उन्हे मौन (मन) में ही रहने दों।cbse Atmakatha class 10 bhavarth

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3. सवैया (देव) कक्षा 10 हिंदी | Savaiye class 10 bhavarth cbse Hindi

November 20, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी के पद्य भाग के पाठ तीन ‘सवैया (देव) कक्षा 10 हिंदी’ (Savaiye class 10 bhavarth cbse Hindi)  के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। Savaiye class 10 bhavarth cbse Hindi Chapter 3

Savaiye class 10 bhavarth cbse Hindi

पाठ-3 सवैया (देव)
पाँयनि नूपुर मंजु बज, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।

अर्थ- बालकृष्ण के रूप को देखते हुए कहते हैं कि उनकी पैरो की पायल और कमर में करधनी है वह भी बज रही है। और जब वह चल रहे हैं तो उनके छोटे पैरो से घुँघरू की मधुर आवाजे आ रही है। उनके साँवले शरीर पर पिले रंग के सुंदर कपड़े भी है और वह अपने गर्दन में फूलो की माला है जो छाती पर बनफूलो की माला बहुत अच्छी लग रही है।

माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई।
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह ‘देव‘ सहाई।।

अर्थ- उनके सीर पर मुकुट है और इनकी बड़ी आँखे बहुत ही चंचल दीख रही है उनके चेहरे पर हँसी (मुस्कान) है कवि उनके चेहरे को चाँद की तरह सुंदर कहते है और उनका चेहरा इतना चमक रहा है (चाँदनी के समान) श्री कृष्ण का मुस्कान मन को मोहने वाली मुस्कान है जैसे मानो मंदीर में जल रहे दीपक (दीया) के समान है वो ब्रज के दूल्हा बने है और उनकी सभी लोग मान सम्मान कर रहे है

डार द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
पवन झूलावै, केकी-कीर बतरावै ‘देव‘,
कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।।  

अर्थ- कवि प्रकृति के विभिन्न उपादानो के भावना के संबंध मे है कुछ कहते है बसंत को बच्चा बताते हुए कहते है बच्चा का झूला पेड़ो की टहनियाँ है और नई नई निकली पत्तियो का मुलायम और आरामदेह बिछौबना है। बसंत की तरह बच्चा के शरीर पर फूलो से बना झबला (कपड़े की तरह) बहुत ही सुंदर दिख रही है हवा बहने से जब पेड़ की डालियाँ हिलने लगती है तो ऐसा लगता है हवा पालने को झुला झुला रही है मोर और तोता आपस मे बाते कर रहे है और कोयल अपनी मिठी बोली से गाना सुनाकर ताली बजा रही है

पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।।

अर्थ- अब चारो तरफ फूलो के बीच के पराग के कण गिरे पड़े मिलते है इसे देखकर कवि कहते है मानो कोई बच्चा बसंत को किसी नजर से बचाने के लिए उसकी नजर उतारकर चारो तरह फैला दिया हो कमल की काली को नायिका कहते है इसलिए कि वह लताओं की साड़ी पहनकर बहुत ही अच्छी दिख रही है तब आई है हवा को काम का पुत्र कहते है यानी वसंत को कामदेव का पुत्र कहते है और वसंत सुबह मे गुलाब चुटकारी (चुटकी ) देकर जगाता है।

फटिक सिलानि सौं सुधारौं सुधा मंदिर,
उदधि दधि को सो अधिकाइ उमगे अमंद।
वाहर ते भीतर लौं भीति न झिए ‘देव‘,
दूध को सो फेन फैल्यो आँगन फरसबंद।

अर्थ- कवि चाँदनी रात को दुध से नहाई रात को अमृत के रूप में मानते है। और इस रात मे जीस भी चीज पर चाँद की रौशनी पर रही है वह दुध की तरह से चमक रहा है चारो तरह चाँदनी बिखरी हुई है देव भी कहते है इस चाँद की प्रकार सारे जगहो पर ही नही बल्कि हमारे ह्रदय तक भी फैला हुआ है आगन मे भी चाँदनी ऐसे फैला है जैसे दुध में झाग फैली है।

तारा सी तरुनि तामें ठाढ़ी झिलमिली होति,
मोतिन की जोति मिल्यो मल्लिका को मकरंद।
आरसी से अंबर में आभा सी उजारी लगै,
प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद।।

अर्थ- तारे जो आसमान में टिमटिमाते है मानो जमीन पर उतर आए है वो ऐसे आए है जैसे किसी सुंदरी को सजकर खड़ी है वो बहुत से आभूषण (जेवर मोती गहना) पहने हुई है। और इधर उधर धुम रही है सभी चाँदनी रात में यह सब इतना सुंदर दीखाई दे रहा है जैसे आइना में दीखाई देता है और कवि इसकी तुलना राधा के सुंदर मुखड़े (चेहरे) से की है।Savaiye class 10 bhavarth cbse Hindi

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2. राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद (सूरदास के पद) | cbse class 10 Hindi Ram laxman parshuram samvad (tulsidas ke pad)

November 20, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी के पद्य भाग के पाठ दो ‘तुलसीदास के पद (राम लक्ष्‍मण परशुराम संवाद) कक्षा 10 हिंदी’ (cbse class 10 Hindi Ram laxman parshuram samvad (tulsidas ke pad class 10)  के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। cbse class 10 Hindi Ram laxman parshuram samvad

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राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद
नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा!।
आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरिकरनी करि करिअ लराई।।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा!।
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा।।

अर्थ- परशुराम के गुस्सा को देखकर श्री राम बोलते है-हे नाथ। शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा, क्या आज्ञा है। यह सुनकर मुनी गुस्सा होकर बोलते है सेवक वह होगा है जो सेवा करे। दुश्मन से तो लड़ाई ही होगी। हे राम सुनो जो भी शिवजी के धनुष को तोड़ा है वह मेरा दुश्मन (शत्रु) है जिस तरह सहस्त्र बाहु मेरा दुश्मन था वो कहते है जिसने भी धनुष तोड़ा है वह सामने आ जाए नहीं तो सभी राजा को मार दिया जाएगा।

सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अवमाने।।
बहु धनुही तोरी लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस कीन्हि गझाई।।
येहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू।।
रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार।
धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार।।

अर्थ- परशुराम के इस वचन को सुनकर लक्ष्मण जी मुस्कुराते हुए उनका अपमान करते हुए कहते हैं कि हमने बचपन से बहुत सी धनुहियाँ तोड़ डाली है ,लेकिन आपने ऐसा गुस्सा कभी नहीं किया आपका इसी धनुष पर इतनी ममता क्यों है ? यह सुनकर परशुराम जी क्रोधित (गुस्सा) होकर कहते है ओ रे राजपत्रु ,काल के वश में होकर भी तुम्हे बोलने कुछ होश है कि नहीं। सारे संसार मे विख्यात शिवजी का यह धनुष क्या धनुहीं के समान है।

लखन कहा हँसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।।
का छति लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भोरें।।
छ अत टूट रघुपतिहु न दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू।।
बोले चितै परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा।।

अर्थ- लक्ष्मणजी हँसकर कहते है हे देव। सुनिए हम तो जानते थे कि सभी धनुष तो एक ही जैसे है इसमे से पुराने धनुष को तोड़ने में क्या हानि लाभ। श्री रामचन्द्र जी ने तो इसे सिर्फ इसे उठाया लेकिन यह तो श्रीराम के छुते ही टुट गया इसमे इनका कोई दोष नहीं है । इसलिए  मुनी आप बिना कारण क्यों गुस्सा हो रहें है ? परशुरामजी अपने फरसे की ओर देखते हुए कहते है ओरे दुष्ट तुने स्वभाव नहीं देखा है ।

बालक बोलि बधौं नहि तोही। केवल मुनि जड़ जानहि मोही।।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
भजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।

अर्थ- मैं तुम्हे बालक समझकर नहीं मारता हुँ। ओरे मूर्ख। क्या तुम मेरा गुस्सा नहीं जनता हैं मै बाल ब्रह्राचारी और बहुत ही गुस्सा में हुँ/ बहुत गुस्सा वाला हुँ। मै तो क्षत्रियकुल का शत्रु हूँ मैनें अपने भुजाओ के बल पर सारे राजाओ को मार दिया था। मैनेज पृथ्वी के सारे राजाओ को मारकर ऋषियों यानी उसके बाद पृथ्वी पर ब्रहामणेां का राज हुआ करता था। मैने उसे भी मार डाला जिसके हजार बाँहे थी। मेरे पास जो फरसा है उसी फरसे से मैने सभी को मार डाला। हे राजकुमार तुम अपने माता-पिता के बारे में सोंचो वो इस दुःख को नहीं झेल पाऐंगे कि मेरा पुत्र मारा गया मेरा फरसा इतना भयानक है कि माँ के पेट में पल रहे बच्चा भी मर जाता है।

बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।।
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी।।
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।।

अर्थ- लक्ष्‍मणजी हँसकर बोलते हैं मुनी जी आप अपने आप को बहुत बड़ा योद्धा बता रहे हैं। हमे बार-बार अपना कुल्‍हारी दिखा रहे हैं। आप फूँक से पहाड़ को उड़ाना चाह रहे हैं। यहाँ पर कोई भी कुम्‍हड़े की फूल की बतिया नहीं है जो बिचली उंगली को देखकर मर जाता है।
मैं आपके धनुष, कटाल, कुल्हारी से नहीं डरता जो आप बार-बार इसे हमें दिखा रहे हैं। मैने आपका धनुषबान ये सब देखकर ही बोला है। आपको भृगवंशी समझकर और जनेउ धारण कर आपने किया है। इसलिए हमने अपने क्रोध को रोककर रखा है। हमारे वंश में सूर,असूर हरिजन और गायें पर वार नहीं करे। ऐसा करने पे हमारे कुल की बदनामी होती है।

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बधे पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारें।।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।।
जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर।
सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर।।

अर्थ- क्योंकि इन्हे मारने से पाप लगता है। और इनसे हार जाने पर ही भला है। अगर वो मारे भी, तो भी अपमान होगा। उनका एक-एक वचन ही कड़ो विशाल शक्तियों के समान है। धनुष-वाण तो आप बिना कारण ही पकड़ते है। और इन्हे देखकर मैने कुछ कह ही दिया तो क्या हुआ। कृप्या मझे महामुनी! माफ कर दीजीए। यह सुनकर भृगुवंशमणि परशुराम गुस्सा होने के साथ गंभीर वाणी में बोले।

कौसिक सुनहु मंद येहु बालकु। कुटिलु कालबस निज कुल घालकु।।
भानुबंस राकेस कलंकू। निपट निरंकुसु अबुधु असंकू।।
कालकवलु होइहि छन माहीं। कहौं पुकारि खोरि मोहि नाहीं।।
तुम्ह हटकहु जौ चहहु उबारा। कहि प्रतापु बलु रोषु हमारा।।
लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा। तुम्हहि अछत को बरनै पारा।।

अर्थ- हे विश्वामित्र! सुनो, यह बच्चा को अकल नहीं है। ये अपने बुद्धी न होने के कारण अपने ऊपर काल को बुला रहा है यह अपने वंश का भी नाश करेगा। ये सुशंखी होते हुए चंदा में लगे दाग के समान है। यह बिल्कुल शरारती, मुर्ख और निडर है। यह  क्षण भर में मारा जाएगा हमसे, मैं पुकारकर कह देता हुँ कि ये इतना बोल रहा है तो मैं इसे क्षण भर में मार दुँगा तो मुझे दोष मत देना। अगर तुम इसे बचाना चाहते हो तो तुम इसको बताओ कि मेरा प्रताप, बल (शक्ति) और गुस्सा कितना है। लक्ष्मणजी बोलते है हे मुनि आपके अलावा आपके बारे में कोई बता नहीं सकता आपके यश को कोई और नहीं बता सकता आपके अलावा।

अपने मुह तुम्ह आपनि करनी। बार अनेक भाँति बहु बरनी।।
नहि संतोषु त पुनि कछु कहहू। जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू।।
बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा। गारी देत न पावहु सोभा।।
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।

अर्थ- परशुरामजी से लक्ष्मणजी कहते हैं आप अपने मुँह से अपनी हीं बड़ाई कर रहे हैं। बार-बार अपने कर्म अपनी करनी को बता रहे है। इतने पर भी आपको संतोष नही मिल पा रहा है तो आप और कहिए जितना भी कहना है वो कह डालिए। मैं आपका क्रोध को जान रहा हूँ। आप अपने क्रोध को मत रोकिए अपने अंदर ही अंदर मन में दुःख मत सहिए। आप विरता का व्रत धारण करते है। लेकिन आप किसी को माफ भी तो नहीं करते। आपको गाली देना शोभा नहीं देता है। शुरवीर को शुरता युद्ध के मैदान में शोभा देती है। आप शुरवीर है तो युद्ध के मैदान में जाइए और वहाँ वीरता दिखाइए। शत्रु को युद्ध के के मैदान में देखकर कायर ही अपना बखान करता है। मै आपसे युद्ध करने के लिए तैयार हुँ और आप अपना बखान करने के लिए तैयार है जब शत्रु सामने है तो लडाई करिए ये बात लखन जी बोलते हैं। शत्रु जब सामने हो तो युद्ध करिए लेकिन आप तो यहाँ बाते कर रहे हैं।

तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा।।
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालकु बधजोग।।
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।।
कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल दोष गुन गनहिं न साध।।

अर्थ- आप तो मानो बार बार काल को हाँककर मेरे पास बुला रहे है के आओ और उसके पिछे लगो लक्ष्मणजी के कठोर वचन को सुनकर परशुरामजी ने फरसे को सुधारकर अपने हाथ में ले लिया अब लोग मुझे दोष दे इस कड़वे बोलने वालक को अगर मैने मार दिया तो लोग मुझे दोष नही देना इस बच्चा को देखकर मैने बहुत बचाया मै बच्चा समझक इसे छोड़ता जा रहा हूँ लेकिन ये तो सचसुच मरने के लिए आ गया है विश्वामित्र जी कहते है अपराध क्षमा किजिए साधु लोग छोटे बच्चो के दोष और गुण यानी अच्छे काम और गलतियों को नहीं गिनतें। और साधु उसे राजा (दंड) नहीं देते है।

खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगे अपराधी गुरुद्रोही।।
उतर देत छोडौं बिनु मारे। केवल कौसिक सील तुम्हारे।।
न त येहि काटि कुठार कठोरे। गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे।।
गाधिसूनु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।।

अर्थ- परशुरामजी बोलते है तीखी धार का कुठार दिखाते हुए मैं दयारहित और क्रोधी यह गुरूद्रोही और अपराधी मेरे सामने जवाब दे रहा है। इतना सब करने पर भी मैं इसे बिना मारे ही छोड़ दे रहा हुँ। हे विश्रृमित्र सिर्फ तुम्हारे प्रेम (प्यारे) से, नही तो इसे इस कठोर (मजबुत) कुठार से काटकर थोड़े परिश्रम से गुरू से उक्रण हो जाता। फिर विश्रृमित्रजी हँसकर कहते है और क्षमा माँगते हैं। ये जो बच्चा है अब ये बेसमझ बच्चा है इसके कही बात से आप इतना गुस्सा मत होइए।

कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।
माता पितहि उरिन भये नीकें। गुररिनु रहा सोचु बड़ जी के।।
सो जनु हमरेहि माथें काढ़ा। दिन चलि गये ब्याज बड़ बाढ़ा।।
अब आनिअ ब्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली।।
सुनि कटु बचन कुठार सुधारा। हाय हाय सब सभा पुकारा।।

अर्थ- लक्ष्मणजी कहते है, हे मुनी आपके प्रेम प्यार को सभी जानते है कौन नहीं जानता है ये तो दुनियाभर में मशहुर है। आप अपनी माता-पिता के सभी अच्छे कामो को करके उक्रण (उनके ऋण को चुका दिए है ) हो गए है। अब आपके पास गुरू का ऋण चुकाना बाकि है। जिसके बारे में आप सोंच रहे है वो आपके माथे पर चढ़ा हुआ है कि कैसे चुकाए। जैसे-जैसे दिन बढ़ रहा है वैसे-वैसे ब्याज भी बढ़त ही जा रहा है। अब आप हिसाब-किताब पर आ गए है। आप अभी हिसाब किजिए मै अभी थैली खोलकर दे देता हूँ। लक्ष्मणजी के कड़वे शब्द मे वचन सुनकर परशुरामजी अपने कुठार को संभाल लेते है। यह सुनकर सभा के सभी लोग हाय-हाय पुकारने लगते है।

भृगुबर परसु देखाबहु मोही। बिप्र बिचारि बचौं नृपद्रोही।।
मिले न कबहूँ सुभट रन गाढ़े। द्विजदेवता घरहि के बाढ़े।।
अनुचित कहि सबु लोगु पुकारे। रघुपति सयनहि लखनु नेवारे।।
लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु।।

अर्थ- लक्ष्मणजी कहते है-हे भृगुश्रेष्ट आप मुझे अपना फरसा (वार करने का सामान) दिखा रहे है पर हे राजाओं के दुश्मन। मैं आपको व्राह्ममण समझकर बचा रहा हूँ। आपको आजतक कभी भी कोई वीर नहीं मिला है। ब्रह्ममण देवता आप घर के बड़े होंगे। यह सुनकर सभी अनुचित है, कह कहकर सब लोग पुकारने लगते हैं। तब श्री रघुनाथजी इशारे से लक्ष्मणजी को रोक देते है। लक्ष्मणजी के जवाब से जो आहुति के तरह, परशुरामजी के गुस्सा के रूप में बढ़ते देखकर रघुकुल के सूर्य श्री रामचंद्रजी पानी के समान शांत करने वाले एक वचन बोले।cbse class 10 Hindi Ram laxman parshuram samvad

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Class 10 Hindi Ek Kahani Yah bhi Summary Notes Solutions | एक कहानी यह भी का हिंदी व्‍याख्‍या और सारांश

October 31, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी के गद्य भाग के पाठ चौदह ‘एक कहानी यह भी’ (cbse class 10 Hindi Ek Kahani Yah bhi Summary Notes Solutions)  के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Ek Kahani Yah bhi Summary

पाठ-12
एक कहानी यह भी
लेखक – मन्‍नू भंडारी

पाठ का सारांश

लेखिक ने अपने जन्म स्थान भानपुरा गाँव, जिला मध्यप्रदेश के राजस्थान में अजमेर के ब्रहमपुरी मोहल्ले के दो मंजिले मकान से जुड़ी हर बातों को याद किया है। इन्हीं मकानों में किताबों और अखबारों के बीच उनके पिता कुछ लिखते रहते थे या डिक्टेशन देते रहते थे। और बाकी के नीचे की कमरे में उनकी माँ, भाई-बहन बाकि घर के और लोग रहते थे।

लेखिका के पिता अजमेर आने से पहले मघ्य प्रदेश के इंदौर में रहते थे। वह बहुत से सामाजिक संगठनों से भी जुड़े थे। उन्होंने शिक्षा का केवल उपदेश ही नहीं दिया बल्कि बहुत से बच्चों को अपने घर पर बुलाकर पढ़ाया लिखाया भी। जिसमें से कई बच्चें ऊँचे-ऊँचे पद पर पहुँचे। लेखिका ने यह सब बाते तब सुनी थी जब उनके खुशी के दिनों की बात है।

लेखिका का यह मानना था कि उनके पिताजी एक अंदर से टूटे हुए व्यक्ति थे। जो कि बड़े आर्थिक झटके की वजह से इंदौर से अजमेर आ गए। उन्होंने अपने बलबुते पर अधुरे अंग्रेजी शब्दकोश को पुरा कर रहे थे। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।

NCERT/CBSE Class 10th Hindi Ek Kahani Yah bhi Summary Notes

लेखिका को यह पता चलता है कि उनकी व्यक्तित्व में उनकी पिता कि कुछ कमियाँ ओर खुबियाँ तो जरूर आ गई होंगी। लेखिका का रंग काला है और बचपन में वह दुबली और मरियली सी थी। उनके पिता को गोरा रंग बहुत पसंद था। इसी के वजह से लेखिका से दो की बड़ी उसकी बहन थी जिसके साथ उसका तुलना किया जाता था। जिस वजह से लेखिका के मन में हीन भावना उत्पन्न हो गई जा आज तक है। उसी कारण आज जब भी लेखिका की प्रसंसा होती है, उनको मान सम्मान प्रतिष्ठा मिलती है तो लेखिका संकोच से सिमटने और गड़ने लगती है।

लेखिका की माँ एक अनपढ़ महिला थी। लेखिका की माँ का स्वभाव अपने पति जैसा नहीं था। वो अपने पति के क्रोध को चुपचान सहते हुए खुद को घर के कामों में व्यस्थ रखती थी। अनपढ़ होने के बाद भी लेखिका की माँ बहुत ही सहनशील थी। इसलिए वह अपने पति के हर अत्याचार को अपना भाग्य समझकर सहती थी। उन्होंने अपने परिवार से कभी कुछ नहीं माँगा, बल्कि जहाँ तक हो सके सिर्फ दिया हीं दिया है। उसी कारण से लेखिका आज तक उन्हें आदर्श के रूप में स्वीेकार न कर सकी।

लेखिका पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी थी। जब उनकी बड़ी बहन सुशीला की शादी हुई तो लेखिका लगभग सात साल की थी। उन्होंने अपनी बड़ी बहन के साथ लड़कियों के सारे खेल खेले, उन्होंने लड़को के भी कुछ खेल खेले है। घर पर भाईयों के रहने के वजह से वह ज्यादा लड़को वाले खेल नहीं खेल पाई। उस समय आज की तरह पास-पड़ोस की दायरा आज की तरह नहीं थी। आज तो हर व्यक्ति अपने आप में ही सिमट के रह जाते है। पास-पड़ोस की कई यादे कई बार पात्रों के रूप में लेखिका की आरंभिक रचनाओं में आ गई हैं।

1944 में लेखिका की बड़ी बहन की शादी हो गई और वह कोलकŸाा चली गई। उसके दोनों भाई भी पढ़ने के लिए कोलकता चले गए। उसके बाद लेखिका के पिताजी का ध्यान लेखिका पर गया।

लेखिका के पिताजी ने उनसे घर के काम-काज में दूर रहने को कहा जाता है। क्योंकि वह मानते थे कि रसोई के काम का अर्थ अपनी प्रतिभा को भट्टी में झोकना था। इनके पिताजी के पास कई लोग मिलने के लिए आते थे। लेखिका जब चाय लेकर जाती थी तो उनके पिताजी उन्हें अपने पास बैठा लेते थे ताकि उन्हें भी पता चले कि देश दुनिया में क्या हो रहा है।

NCERT/CBSE Class 10th Hindi Ek Kahani Yah bhi Summary Notes

1945 में लेखिका हाई स्कुल पास करके सावित्री गल्र्स हाईस्कूल में फस्र्ट इयर में प्रवेश लिया। वहाँ उनका परिचय शीला अग्रवाल से हुआ। जो काॅलेज की प्राध्यापिका थी। प्राध्यापिका ने उन्हें साहित्य से परिचय कराया तथा साहित्य में रूचि जगाई। लेखिका ने साहित्य के माध्यम से देश की स्थितियों को जानने-समझने लगी। जिस कारण वह स्वाधीनता आंदोलन में भी हिस्सा लेने लगी।

1947 के मई माह में प्राध्यापिका शीला अग्रवाल को काॅलेज प्रशासन ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर नोटिस दिया, जिनमें लड़कीयों को भड़काने और अनुशासन भंग करने में सहयोग करने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा थर्ड ईयर की क्लासेज बंद करके लेखिका और एक दो अन्य लड़कीयों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। इस को लेकर लड़कीयों ने काॅलेज के बाहर खुब प्रदर्शन किया। बाद में काॅलेज को थर्ड ईयर की क्लासेज फिर से शुरू करनी पड़ी। उस समय इस खुशी से भी बड़ी खुशी लेखिका को देश को स्वाधीनता मिल जाने की हुई थी।

NCERT/CBSE Class 10th Hindi Ek Kahani Yah bhi Summary Notes

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