इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 5 ‘भारत दुर्दशा का व्याख्या (Bharat Durdasha Class 11 Hindi Vyakhya)’ के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
3.भारत-दुर्दशा
लेखक-भारतेंदु हरिश्चंद्र
रोवहु सब मिलिकै आवह भारत भाई ।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।
सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो ।
सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ॥
सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो ।
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो ||
अब सबके पीछे सोई परत लखाई ।।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।
जहँ भए शाक्य हरिचंदरु नहष ययाती ।
जहँ राम युधिष्ठिर बासुदेव सर्याती ॥
जहँ भीम करन अर्जन की छटा दिखाती ।
तहँ रही मूढ़ता कलह अविद्या राती ॥
अब जहँ देखहु तहँ दु:खहिं दु:ख दिखाई।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।
लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी ।
करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी ॥
तिन नासी बुधि बल बिद्या धन बहु बारी ।
छाई अब आलस कुमति कलह अँधियारी ॥
भए अंध पंगु सब दीन हीन बिलखाई ।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।
अंगरेजराज सुख साज सजे सब भारी ।।
पै धन बिदेश चलि जात इहै अति ख्वारी ।
ताहू पै महँगी काल रोग बिस्तारी ।
दिन दिन दूने दुःख ईस देत हा हा री ॥
‘सबके ऊपर टिक्कस की आफत आई ।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।
भावार्थ- इस काव्यखंड के माध्यम से कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र भारत के दुर्दशा को देख अपना दुःख व्यक्त करते हैं और कहते हैं हे मेरे भारत के भाईयों आओ हम सब मिलकर रोंए। क्योंकि भारत के दुर्दशा हमसे देखा नहीं जाता है। जिस देश को भगवान ने सबसे पहले बलवान एवं धनवान बनाया। जिसे सबसे पहले सभ्यता का वर्दान मिला। जिस देश को सबसे पहले रूप-रंग-रस यानी कालाकृतियों का ज्ञान दिया। ज्ञान समर्पित किया आज वह देश सबसे पिछा हो गया है। कवि कहते हैं इसी कारण हमारे दुर्दशा देखी नहीं जाती है। अब कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र भारत के बिते भाग्यशाली दिन याद दिलाते हैं। वह कहते हैं कि यहाँ पर तो राम, युधिस्ठीर, वासुदेव कृष्ण, सूयांत, साक्य, बुद्धि दानी हरिश्चंद्र साथ भीम, करण एवं अर्जून जैसे योद्धा जन्म लिए और आज उनकी प्रतिमा दिखाई जाती है और सब रातो रात (अंधकर) में जहाँ देखो तहाँ अब उसी देश में दुःख हीं दुःख छाया हुआ है। कवि इन सभी बातो को जानकर बहुत बुरा महसुस करते हैं।
कवि कहते हैं कि वैदिक ग्रंथो को मानने वालो एवं जैन ग्रंथ वाले लोग हीं सभी ग्रंथो को नष्ट किया है। हमें आपसे लड़ाई को देख जवानों की सेना की आगमन होती है जो हमारे लिए जवानों की सेना भारी पड़ जाती है और इसी तरह सभी बुद्धि विद्या धन एवं बल सबकुछ नष्ट हो जाता है और इसी कारण आज हम सब आलस, कुभ्ती एवं कलह के अंधेरों में है और अंधेरे से जो कुछ खोए हैं उसके लिए मिलाप करते हैं। और कहते हैं के यही दुर्दशा तो हमें देखी नहीं जाती है। कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र कहते हैं कि अंग्रेजो की राज में यानी कि जब हमारा भारत देश अंग्रेजी शासन का पालन कर रहा था उस समय सुख सामानों में भारी वृद्धि हुई लेकिन यहाँ के सभी धन इकट्ठा कर पुनः अपने देश ले जाते हैं और साथ हीं दिन-प्रतिदिन महंगाई भी बढ़ाते रहते हैं। जिसके कारण हमारा दुःख दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। देखते-देखते सबके ऊपर आफत सी आ जाती है और इसी लिए कवि कहते हैं कि भारत की दुर्दशा हमसे नहीं देखा जा रहा है।
Bihar Board Chapter 5 Bharat Durdasha Class 11 Hindi Vyakhya
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