इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ तीन ‘आँखो देखा गदर’ (Aankho Dekha Gadar Class 11th Hindi) कहानी का सारांश और सम्पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।
3. आँखो देखा गदर
पाठ का सारांश और व्याख्या
झांसी में लड़ाई होने के संभावना को देखकर वहाँ के लोग ग्वालियर चले गए। एक दिन शहर के मैदान में तंबु दिखाई दी चारो तरफ हलचल मच गई। जिसके कारण से शहर के चारो तरफ मोरचे लगाने का प्रत्यंत किया परंतु यहाँ के गोलदाज के चिथड़े उड़ा रखे थे। यहाँ के बुजुर्गो को मालुम था कि मोरचा किले के किस स्थान से किया जाता है। पर अंदर के षड्यंत्र का पता अंग्रेजो को चला और मोरचा बाग दिया गया। किले पर गोले बरसाये गए। लेकिन यहाँ के क्षेत्रो का अधिक नुकसान हुआ। इसी कारण से रोजगार बिल्कुल बंद हो गया। लोग सफर करने से डरते है परंतु बाई ने अंग्रेजो कि जबरदस्त नाकाबंदी शुरू की। अंग्रेजो के तरफ से बहुत लोग मारे गए। इसके सामने गोलंदाल टिक नहीं पाए। पर एक तोप का एक गोला का वजन 50-60 सेर होता है। दिन रात युद्ध होने के बाद शहर बरबरद हो गया। रात में कुशल कारिगरो का बुर्ज पर चढ़ाया गया। Aankho Dekha Gadar Class 11th Hindi
क्योंकि बिना ईट की दिवारो मनुष्य की नशेनी-सी खड़ा करने के लिए। आटवे दिन प्रलय मचा और युद्ध हुआ। बहादुर लोग एक दुसरे को प्रोत्साहित करते थे। नर्सिग नगाड़े बिगुल बज रहे थे। और चारो तरफ धुल और धुआ का बंदूक बारूद, गोले के आवाज से वातावरण भयंकर लगता था। अंग्रेजी फौजी ने अधिक तबाही मचाई। इधर से तात्याटोपे पंद्रह हजार फौजी लेकर झांसी पहुँचे तब अंग्रेजी फौजी और तात्याटोपे की फौजो से अधिक युद्ध हुआ। हिन्दी फौज के नादानी से तात्याटोपे की फौज टूटने लगी। यही देखकर तात्याटोपे 24 पन्ने और 36 पन्ने के टोपो को छोड़कर भाग गया। तथा अंग्रेजो की विजय हुई। और उनकी हिम्मत चारगुणी हो गई सबलोग डर गए। क्योंकि अगर झांसी अंग्रेजो के हाथ लगती है तो वो हमें नहीं छोड़ेंगें। इसलिए स्वयं सरदार लोगो नें बाई साहब के प्रकोटे की दीवार पर मेहनत करने लगे। और अपना कई रात वहीं गुजारा और बाई साहब सबको हिम्मत दे रही थी। उस दिन महल पर शनि दृष्टि हो रही थी।
एस दिन महल पर गोले बरसाए गएँं जिसके कारण सबलोग घबराकर एक कोठरी में घुसने लगे। वे कोठरी तीन मंजीलो के नीचे थी। उसमें दासियाँ भी थी। बाई साहब के गोलंदाजो के टोपो को खाली कर दी तब गोले बरसना बंद हो गई। तब 11 दीन तक लड़ाई चली जिसमें हजारों मजदूर के सर पर घासो के गट्ठर को लादकर दीवार के दीवार के जैसी सिढ़ी बनाए गए। और उन्हीं सिढ़ीयों पर एक एक करके गोरे सिपाही उतरने लगें। दीवर पर बाई साहब घोड़े पर सवार थी। जो सफेद था उसको ढ़ाई हजार में खरीदा गया। जिसे राजरत्न के समान था और अपने पिछे रेशमी दुपट्टे से 12 महीने के दत्ततक पुत्र को बाँधी थी। हलचन में बाई साहब का घोड़ा अंग्रेजो को पता नहीं चला कि बाई का घोड़ा कौन है। बाई ने काल्पि रास्ता के धारा सबको मारते निकल गई। कुछ देर बार पता चला कि चरखारी में पेशवा की हार हुई। परंतु इनके साथ झांसी वाली रानी थी। वो पठानी पोशाक पहनी थी। जब लेखक कुँए से पानी निकाल रहे थे परंतु तभी बाई साहब ने देखा और कहा मैं पानी निकालुँगी तथा बाई ने अंजला बाँधकर पानी पिया। मैं महारानी मै आधाशेर चावल की हकदार हूँ। मै सुख दुःख की आस छोड़कर बैठी हूँ पेशवा की फौज युद्ध में असफल हो गए।
दिल्ली, लखनऊ, झांसी में अंग्रेजो की वजह से गदर वाले घबराने लगे। इस युद्ध में सैकड़ो की हार हुई। ग्वालियर में सिंदे सरकार के पास रहने वाले लोग तात्याटोपे के साथ चले गए। कलापि में पेशवा की हार हो गई । सब साथी ग्वालियर की तरफ चली गई। सिंदे सरकार फौज छावनी में थी तो वहाँ मोरचा सभा सीदो को कहा था। तो चारलाख खर्चे दो या युद्ध में उतरो। दीनकर राव राजवाने दीवान ने जवाब दिया। हम लड़ाई के लिए तैयार है। लड़ाई तो होगी पर हम पेशवा को नहीं मारेंगें। क्योंकि आपके और हमारे वे मालिक है। इतने में गदर वाली फौज की तरफ से तोप चलने लगी सिंदे राल दीवान दोनो मिलकर तोप में बŸा लगाई। सौ दो सौ आदमी मारे गए। इतने में सिंदे और दीवान कें भाग जाने की खबर चारो तरफ फैल गई । खबर को सुनते सिपाही ने लड़ाई बंद कर दी। Aankho Dekha Gadar Class 11th Hindii
श्रीमंत पेशवा की ओर शहनाई बजी गदर वालो ने सारा पेंड़ उजाड़ डाला बहुत सारे जानवर जैसे हाथी, ऊँट, बंदर आदि छोड़े गए। जिसके कारण पौधो को अधिक नुकसान पहुँचा इसी हानी को देखकर सिंद सरकार ने फूलबाग नामक बाग लगाए। पशुओ के डर से सारे दूकान बंद हो गई। श्रीमंत ने ओडी पिलाकर सारी दूकान खुलवाईं। शहर के राजमहल में किसे भेजे गए। इसपर श्रीमंत राय साहब विचार कर रहे थे। तभी स्वयं झांसी वाली रानी ने वहाँ जाने की विचार आज्ञा मान ली। अब राव साहब ने कहा वह डाकू का शहर है। महलो में अधिक धोखेबाजी होगी। अपना सामान को बंधुबस्त करके जाना। बाई ने अपने साथ हथियार लेकर महल में गई। और खबर भेजी वहाँ के सब चीजें अपने दवा में ले ली। फिर तात्याटोपे और राव साहब को खबर मिली यहाँ सब ठीक है आप यहाँ चले आइये। तब राव साहब शहर की ओर चल पड़े। इसलिए कल से भोजन को प्रबंध कर लड्डू और पकवानों के साथ एक रूपया दक्षिणा के क्रम में बाँटे जाए।
18 दीन बड़ी आराम से बीती अचानक खलबली मची की आगरा से अंग्रेजो पर आकर आगरा पर हल्ला बोल दिया। तभी झांसी वाली बाई तात्याटोपे और राव साहब घोड़े से मुरस की ओर चल पड़े। बाडा युद्ध छिप गया। झांसी वाली को गोली तथा तलवार के चोट लगने के बावजूद भी डटी रही। वो बेहोस होकर गिरने लगी तथा तात्याटोपे उन्हे संभाला। झांसी वाली की शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। जिसमें अंग्रेजो की जीत हुई। गदर वाले इधर उधर भागने लगे। इस तरह मशहूर देवीस्रूपीनी स्त्री ने मृत्यु पाकर स्वर्ग को जीता, लेकिन गदर वालों ने सदा उत्साह और शूरता से चमकने वाली प्रत्यक्ष वीरश्री निस्तेज हो गई। Aankho Dekha Gadar Class 11th Hindi
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Sneha says
TQ for this summary ❤️❣️
Md Irsad Ali says
Hii