इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 9 ‘गालिब कविता का व्याख्या (Galib class 11 Hindi)’ के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
9. गालिब
लेखक- त्रिलोचन
गालिब गैर नहीं हैं, अपनों से अपने हैं,
गालिब की बोली ही आज हमारी बोली
है । नवीन आँखों में जो नवीन सपने हैं
वे गालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली
गाँठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली
नपीतुली थी, हलकेपन का नाम नहीं था ।
सुख की आँखों ने दुख देखा और ठिठोली
की, यों जी बहलाया । बेशक दाम नहीं था ।
उन की अंटी में, दुनिया से काम नहीं था
लेकिन उस को साँस-साँस पर तोल रहे थे।
अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था,
सत्य बोलता था जब जब मुँह खोल रहे थे।
गालिब हो कर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी,
कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी ।
भावार्थ- पाठ एक सोनेट (14 पंक्ति की कविता को सोनेट कहा जाता है।) है, जिसे त्रिलोचन के द्वारा संकलित किया गया है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि अपने क्या है और पराये क्या है के बारे में बताया है।
कवि यहाँ कहते हैं कि गालिब कोई बाहरी व्यक्ति नहीं है। वह हमारे अपने हैं। गालिब जो बोलते थे, वहीं हमारी बोलीं है। हमारी बोली में गालिब का बहुत बड़ा योगदान है। आज हमारी नये आँखों में जो नये सपने हैं, वह गालिब के सपने हैं। यानी देश के लिए गालिब जो सपने देखते थे, वहीं सपने हम भी देखते हैं। गालिब कठिन जीवने को भी आसान किए। गालिब जो भी बोलते थे, उनकी हर बात नपी-तौली होती थी। उनकी बातों में हलकेपन नहीं था। उनकी बातें प्रभावशाली हुआ करती थी। उनके जीवन में सुख और दु:ख आया। वह दु:ख में भी कभी उदास नहीं होते थे। वह दु:ख में भी मन को अच्छा से बहला लेते थे। उनका जीवन दु:ख में बीता, लेकिन वह हमेशा खुश रहे और हर किसी का मन बहलाया। उनके पास पैसे नहीं होते थे। वह गरीबी में अपना जीवन बिताया, लेकिन वह दुनिया के सामने गिड़गिड़ाया नहीं। उन्हें दुनिया से कोई मतलब नहीं था। लेकिन वह दुनिया को कदम-कदम पर तौल रहे थे। उनके पास कुछ भी नहीं था। खाने को भी कुछ नहीं था। फिर भी वह जब भी मुँह खोलते थे, तो सच बोलते थे। गालिब दुनिया को जीत कर इस दुनिया से अलविदा हुए। वह सभी को साथ लेकर चलने वाले कवि थे। वह अक्षर में अक्षर जोड़ने वाले कवि थे। वह सभी भाषाओं के अक्षर को जोड़कर काव्य की महिमा बढ़ा देते थे। गालिब महान शायर और कवि थे।
इस प्रकार, इस सोनेट में गालिब की विशेषता को बताया गया है। गालिब कभी किसी के पास हाथ नहीं फैलाया ना किसी से नफरत किए। वह दुनिया को एक साथ चलने की प्रेरणा देकर चले।
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