इस पोस्ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ तेरह ‘गाँव का घर (Gaon ka Ghar Kavita ka bhavarth & Objective)’ के सम्पूर्ण व्याख्या को पढ़ेंगे।
13. गाँव का घर
कवि- ज्ञानेंद्रपति
लेखक- ज्ञानेंद्रपति
जन्म – 1 जनवरी 1950
जन्म स्थान – पथरगामा, गोड्डा, झारखंड
निवास स्थान- वाराणसी, उत्तर प्रदेश
माता- सरला देवी
पिता- देवेंद्र प्रसाद चौबे
शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल मे ; बी०ए० और एम०ए० अंग्रेजी विषय में पटना विश्वविद्यालय से। फिर हिन्दी मे भी एम०ए० बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से
वृत्ति- बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होकर कारा अधिक्षक के रूप मे कार्य करते हुए कैदियों के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम।
गाँव का घर कविता का भावार्थ
गाँव के घर के
अंत:पुर की वह चौखट
टिकुली साटने के लिए सहजन के पेड़ से छुडाई गई गोंद का गेह वह
वह सीमा
जिसके भीतर आने से पहले खाँस कर आना पडता था बुजुर्गों को
खड़ाऊँ खटकानी पड़ती थी खबरदार की
और प्राय: तो उसके उधर ही रूकना पड़ता था
एक अदृश्य पर्दे के पार से पुकारना पडता था
किसी को, बगैर नाम लिए
जिसकी तर्जनी की नोक धारण किए रहती थी, सारे काम सहज,
शंख के चिन्ह की तरह
गाँव के घर की
उस चौखट की बगल में
गेरू लिपी भीत पर
दूध-डूबे अँगूठे के छापे
उठौना दूध लाने वाले बूढ़े ग्वाला दादा के-
हमारे बचपन के भाल पर दुग्ध-तिलक-
महीने के अंत तक गिने जाते एक-एक कर
Gaon ka Ghar Kavita ka bhavarth & Objective
व्याख्या- प्रस्तुत पाठ ज्ञानेन्द्रपति द्वारा रचित कविता संग्रह ‘संशयात्मा’ से ली गई है। इसमें प्राचीन गाँव की विशेषता को बताया गया है। कवि कहते हैं कि गाँव के घर में महिलाएँ अपनी टिकुली साटने के लिए सहजन के पेड़ की गोद का उपयोग करती थी। जिस घर में महिलाएँ रहती है, वहाँ बुजुर्ग लोग खाँस कर आते थे तथा महिलाओं को अपनी खड़ाऊ की आवाज से खबरदार करते थे तथा चौखट से बाहर ही उनलोगों को रूकना पड़ता था। पर्दे के पीछे से ही महिलाओं को पुकारना पड़ता था। किसी को बगैर नाम लिए पुकारना पड़ता था। शंख की चिन्ह की तरह तर्जनी अंगुली के इशारे पर महिलाएँ घर की सारे काम बहुत आसानी से करनी पड़ती थी। गाँव की घर की चौखट के बगल की दीवार लाल रंग की खड़िया मिट्टी से लिपी हुई है। उस पर दूध में डूबे अँगूठे के छापे बनाए गए हैं। ये छाप उस ग्वाल दादा के हैं जो हमारे बचपन में प्रतिदिन दुध लाया करते थे। ये चिन्ह हमारे बचपन के मस्तक पर दुगध तिलक के होते थे और इन चिन्हों को महिने के अंत में गिने जाते थे। अर्थात कवि के कहने का अर्थ है कि दुध का हिसाब उन चिन्हों से किया जाता था।
गाँव का वह घर अपना गाँव खो चका है
पंचायती राज में जैसे खो गए पंच परमेश्वर
बिजली-बत्ती आ गई कब की, बनी रहने से अधिक गई रहनेवाली
अबके बिटौआ के दहेज मे टी०वी० भी
लालटेनें है अब भी, दिन-भर आलो मे कैलेंडरो से ढंकी-
रात उजाले से अधिक अँधेरा उगलतीं
अँधेरे मे छोड़ दिए जाने के भाव से भरतीं
जबकि चकाचौंध रोशनी मे मदमस्त आर्केस्ट्रा बज रहा है कहीं, बहुत दूर,
पट भिड़काए
कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक, न आवाज की रोशनी,
न रोशनी की आवाज
होरी-चैती बिरहा-आल्हा गुँगे
लोकगीतों की जन्मभूमि में भटकता है
एक शोकगीत अनगाया अनसुना
आकाश और अँधेरे को काटते
दस कोस दूर शहर से आने वाला सर्कस का प्रयास-बुलौआ
तो कब का मर चुका है
कि जैसे गिर गया हो गजदंतो को गँवाकर कोई हाथी
रेते गए उन दाँतो की जरा-सी धवल धूल पर
छीज रहे जंगल मे,
लीलने वाले मुँह खोले, शहर मे बुलाते हैं बस
अदालतों और अस्पतालों क फैले-फैले भी रुँधते-गँधाते अमित्र परिसर
कि जिन बुलौओं से
गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है
व्याख्या- प्रस्तुत पाठ में कवि ने ग्रामीण सभ्यता को खो देने से दुखी होकर गाँव की संस्कृति की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हैं, वह प्राचीन गाँव की परंपरा आधुनिक गाँव से करते हैं। वे कहते हैं कि हमलोगों के जमाने का गाँव अब अपना गाँव खो चुका है। पंचायती राज में पंच परमेश्वर अब खो चुके हैं। अर्थात अब लोग पंचों की फैसलों को नहीं मान रहे हैं यानी पंचायती राज में पंचपरमेश्वर की परंपरा समाप्त हो गई है। गाँव में अब बिजली बत्ती आ गई है, लेकिन वह बहुत कम समय तक रहती है। अब बेटों के दहेज में टी.वी भी मिल रही है। घर में लालटेनें भी है, लेकिन वह दिन-भर कहीं अलमीरा के कोनों में कलेंडरों से ढ़की रहती है। रात अब उजाले से अधिक अंधेरा रहती है। अधिकतर समय अंधेरा ही रहता है। जबकि घर से बहुत दूर चकाचौंध रोशनी में कहीं आर्केस्टा बजता है। उसका न आवाज आती है और न ही उसका रौशनी पहुँच पाता है।
अब गाँवों में पुराने लोकगीत होरी, चैती, बिरहा और आल्हा भी कहीं नहीं गाया जाता है। गाँव लोकगीतों की जन्मभूमि होती है, लेकिन यहाँ से लोकगीत खत्म हो गए हैं। लोकगीतों की जगह पर अनगाया अनसुना शोकगीत अँधेरे में कहीं बजता है।
दस कोस दूर से शहर से सर्कस का प्रकाश लोागों को सर्कस दिखाने के लिए आता था, जिस प्रकाश की परंपरा समाप्त हो गई। ऐसा हो गया है जैसे हाथी अपनी दाँतों को गँवाकर कहीं गीर गया है। उनके दाँतों को रेतने से निकलती जो सफेद धुल (दंत के अवशेष) पूरे जंगल मेंनष्ट हो रहें हैं। जंगल को नष्ट करने वाले लोग शहरों की ओर बुला रहे हैं।शहर सिर्फ शोषण करने के लिए बुलाते हैं
अदालतों और अस्पतालों का वातावरण भी बिल्कुल बदल चुका है, जिनके बारे में में सोचकर गाँव की घरों की परंपरा झुरझुरा रही है।
इस कविता में कवि ने गाँवों की परंपरा के बारे में बताए हैं कि कैसे शहर हमारी परंपरा को नष्ट कर रहे हैं।
Gaon ka Ghar Kavita ka bhavarth & Objective
13. गाँव का घर : ज्ञानेन्द्रपति
प्रश्न 1. ज्ञानेन्द्रपति किस प्रशासनिक पद पर थे?
(क) जिलाधिकारी
(ख) पुलिस अधिकारी
(ग) कारा अधीक्षक
(घ) सेना अधिकारी
उत्तर- (ग) कारा अधीक्षक
प्रश्न 2. ‘ज्ञानेन्द्रपति‘ की कविता कौन है?
(क) गाँव का घर
(ख) हार-जीत
(ग) अधिनायक
(घ) प्यारे नन्हें बेटे को
उत्तर- (क) गाँव का घर
प्रश्न 3. ‘पंचायती राज‘ में क्या खो गया है?
(क) ईमान
(ख) धर्म
(ग) पच परमेश्वर
(घ) विश्व बंधुत्व
उत्तर- (ग) पच परमेश्वर
प्रश्न 4. ‘गाँव का घर‘ शीर्षक कविता के कवि का नाम बताएँ ।
(क) ज्ञानेन्द्रपति
(ख) अशोक वाजपेयी
(ग) विनोद कुमार शुक्ल
(घ) रघुवीर सहाय
उत्तर- (क) ज्ञानेन्द्रपति
प्रश्न 5. ज्ञानेन्द्रपति का कब जन्म हुआ था?
(क) 04 जनवरी, 1953
(ख) 01 जनवरी, 1950
(ग) 02 जनवरी, 1951
(घ) 03 जनवरी, 1952
उत्तर- (ख) 01 जनवरी, 1950
प्रश्न 6. कवि ज्ञानेन्द्रपति का कहाँ जन्म हुआ था?
(क) स्वर्णगामा, गोंडा, छत्तीसगढ़
(ख) मिट्टीगामा, गोंडा झारखंड
(ग) पथरगामा, गोड्डा, झारखंड
(घ) लौहगामा, गोंडा, झारखंड
उत्तर- (ग) पथरगामा, गोड्डा, झारखंड
प्रश्न 7. कवि ज्ञानेन्द्रपति का निवास कहाँ है?
(क) वाराणसी, उत्तर प्रदेश
(ख) कदमकुआँ, पटना, बिहार
(ग) इटारसी, मध्यप्रदेश
(घ) लमही, वाराणसी
उत्तर- (क) वाराणसी, उत्तर प्रदेश
प्रश्न 8. ‘कवि ने कहा-क्या है?
(क) कहानी-संग्रह
(ख) नाटय-संग्रह
(ग) कविता-संग्रह
(घ) निबंध-संग्रह
उत्तर- (ग) कविता-संग्रह
Gaon ka Ghar Kavita ka bhavarth & Objective
प्रश्न 9. ‘पहल सम्मान‘ ज्ञानेन्द्रपति को कब दिया गया था?
(क) 2005
(ख) 2006
(ग) 2007
(घ) 2008
उत्तर- (ख) 2006
प्रश्न 10. ‘संशयात्मा‘ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार ज्ञानेन्द्रपति को कब मिला था?
(क) 2004
(ख) 2005
(ग) 2006
(घ) 2007
उत्तर- (ग) 2006
प्रश्न 11. ज्ञानेन्द्रपति की पुस्तकें कौन-कौनन है?
(क) निम्न सभी
(ख) एकचक्रा नगरी (काव्य नाटक)
(ग) पढ़ते-गढ़ते (कथेतर गद्य)
(घ) संशयात्मा (कविता)
उत्तर- (क) निम्न सभी
प्रश्न किस पाठ में आया है-” कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गवाँकर कोई हाथी ।”
(क) अधिनायक
(ख) हार-जीत
(ग) जन-जन का चेहरा एक
(घ) गाँव का घर
उत्तर- (घ) गाँव का घर
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