इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 6 ‘झंकार कविता का व्याख्या (Jhankar class 11 Hindi Vyakhya)’ के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
6. झंकार
लेखक-मैथिलीशरण गुप्त
इस शरीर की सकल शिराएँ
हों तेरी तंत्री के तार,
आघातों की क्या चिंता है,
उठने दे ऊँची झंकार ।
नाचे नियति, प्रकृति सुर साधे
सब सुर हों सजीव, साकार
देश देश में, काल काल में
उठे गमक गहरी गुंजार ।
कर प्रहार, हाँ, कर प्रहार तू
भार नहीं, यह तो है प्यार,
प्यारे और कहूँ क्या तुझसे
प्रस्तुत हूँ मैं, हूँ तैयार ।
मेरे तार तार से तेरी
तान तान का हो विस्तार
अपनी अंगुली के धक्के से
खोल अखिल श्रुतियों के द्वार ।
ताल ताल पर भाल झुका कर
मोहित हों सब बारंबार
लय बँध जाय और क्रम क्रम से
सम में समा जाय संसार ||
भावार्थ- इस पाठ के माध्यम से अपने प्रमात्मा से कहते हैं कि हे मेरे प्रमात्मा मेरे इस शरीर के सभी सिराए यानी की शरीर के सम्पूर्ण भाग तुम्हारी वाध्य यंत्र के तार के जैसा है हमें कितनी चोट लगी हैं इसकी कोई चिंता नही है और कवि कहते हैं कि जितनी झनकार निकलती है निकलने दो अब कवि कहते है कि भाग्य जो सबको नचाता है और प्रकृती स्वय् सुर साधती है। और कवि कहते हैं कि उसे संगीतमय ध्वनी से यानी की उस झंकार की अवाज सम्पुर्ण देश में वर्तमान भुत एवं भविष्य मे भी इसकी गुंज आती रहें। कवि कहते हैं कि तुम हम पर प्रहार करों मै इसे आपका प्यार ही मानता हुँ इसे हमे कोई आपती नही है। कवि कहते है कि और मैं आप से क्या कहुँ मै आपके द्वारा दिए जाने वाला प्रत्येक प्रहार को सहन करने के लिए आपके समझ हुँ। कवि अपने शरिर के नस-नस प्रमात्मा का वाध्य यंत्र का तार बताया जाता हैं कवि चाहते है इनके शरीर के प्रत्येक शिराए से प्रमात्मा का संगीत का उत्पन्न हो। और लेखक कहते हैं कि प्रत्येक ताल को सम्पुर्ण संसार इस ताल पर मोहित हो जाए और सर झुकाए आपका नमन करें। और एक-एक धुन मे सभी संसार उस संगीत के अन्दर समा जाए। Jhankar class 11 hindi
Bihar Board Class 11th Book Solution पद्य Chapter 6 Jhankar by Maithli Saran Gupta
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