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Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective | तुलसीदास के पद का व्‍याख्‍या तथा भावार्थ

October 11, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ तीन ‘तुलसीदास (Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक तुलसीदास हैं।

 

3. तुलसीदास

कवि-परिचय
कवि का नाम – तुलसीदास
जन्म : 1543 निधन : 1623
जन्मस्थान : राजापुर, बाँदा, उत्तरप्रदेश
मूल-नाम : रामबोला
माता-पिता : हुलसी और आत्माराम दुबे
दीक्षा गुरु : नरहरि दास, सुकरखेत के वासी, गुरू ने विद्यारंभ करवाया।
शिक्षा गुरु : शेष सनातन, काशी के विद्वान।
शिक्षा : चारों वेद, षड्दर्शन, इतिहास, पुराण, स्मृतियाँ, काव्य आदि की शिक्षा काशी में पंद्रह वर्षों तक प्राप्‍त की।
स्थाई निवास : काशी
मित्र : अब्‍दुर्रहीम खानखाना, महाराजा मानसिंह, नाभादास, टोडरमल, मधुसूदन सरस्वती।
कृतियाँ : रामलला नहछू, वैराग्य संदीपिनी, बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामज्ञाप्रश्न, दोहावली कवितावली, गीतावली, श्री कृष्ण गीतावली, विनय पत्रिका, रामचरित मानस।
गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी के मध्यकालीन उत्तर भारत भक्ति काव्य की सगुण भक्तिधारा की रामभक्ति शाखा के प्रधान कवि हैं।

पद
कबहुँक अंब अवसर पाइ |
मेरिओ सुधि द्याइबी कछु करून-कथा चलाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे माँ कभी उचित अवसर पा के आप प्रभु से कोई कारुणिक प्रसंग छेड़ कर मेरी भी याद प्रभु को दिला देना।

दीन, सब अंगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ |
नाम लै भरै उदर एक प्रभु-दासी-दास कहाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हए कहते है कि हे माँ ! प्रभू को कहना कि आपकी दासी का दास बहुत ही दीन (गरीब) दशा में हैं। उसके अंग भी अब ठीक से काम नहीं कर रहे है। वह बहत दुर्बल है तथा स्वच्छ भी नहीं रहता। वह पूर्णतः पापों में लिप्त है और आपके नाम का स्मरण करता हुआ किसी प्रकार से अपनी उदर पूर्ति करता है।

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

बझिहैं “सो है कौन” कहिबी नाम दसा जनाइ |
सुनत रामकृपालु के मेरी बिगारिऔ बनि जाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हए कहते है कि हे माँ जब आप मेरी बात प्रभु से करेंगी तो वो पूछेंगे कि आप किसकी बात कर रही है। आप प्रभू को मेरा नाम और मेरी दशा बता देना क्योंकि अगर मेरी स्थिति प्रभू को पता चल गई तो मेरे बिगड़े हुए काम भी बन जाएंगे।

जानकी जगजननि जन की किए बचन-सहाइ |
तरै तुलसीदास भव तव-नाथ-गुन-गन गाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हए कहते है कि हे माँ ! वैसे तो आप पूरे संसार की माँ है। आप अपनी कृपा पूरे संसार पर बरसाती है लेकिन इसके बावजूद अगर आप मेरी सहायता करेंगी तो मैं आपके नाथ का गुण-गान करके भवसागर को पार कर जाऊंगा।

(2)
दवार हौं भोर ही को आज | रटत रिरिहा आरि और न, कौर ही तें काजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते है कि हे प्रभू ! मैं आपके द्वार पर भोर से (सुबह से) ही बैठा हूँ और भीख मांगने वाले की तरह रिरिहा (गिरगिड़ा) रहा हूँ। हे प्रभु ! मुझे आपसे बहुत कुछ नहीं चाहिए। मैं आपकी कृपा का एक कौर (निवाला) ही मांग रहा हूँ।

कलि कराल दुकाल दारुन, सब कुभांति कुसाजु |
नीच जन, मन ऊंच, जैसी कोढ़ में की खाजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते हैं कि हे प्रभू ! इस कलयुग मे भयंकर अकाल पड़ा है और जो भी मोक्ष को प्राप्त करने का मार्ग है वो पापों से भरा हुआ है। प्रत्येक चीज मे दुर्व्यस्थता ही दिखाई पड़ रही है । हे प्रभु ! मैं एक नीच जीव हैं जिसकी अभिलाषाएं ऊंची है जो मुझे उसी प्रकार कष्ट देती है जैसे कोंढ़ में खाज दुख दिया करती है। अतः हे प्रभु मेरी विनती स्वीकार करें और मुझे अपनी कृपा का मात्र एक निवाला प्रदान करें।

हहरि हिय में सदय बूझयो जाइ साधु-समाजु ||
मोहुसे कहुँ कतहुँ कोउ, तिन्ह कहयो कोसलराजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते हैं कि हे प्रभु ! हृदय में अत्यंत पीड़ा के साथ मैंने दयाशील साधू समाज से यह बात पूछा कि क्या मेरे जैसे पापी, दरिद्र के लिए कोई शरण है और उन्होंने कृपा के सागर श्रीराम का नाम बताया।

दीनता-दारिद दलै को कृपाबारिधि बाज |
दानि दसरथरायके, तू बानइत सिरताजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते हैं कि हे कृपासिंधु ! आपके अतिरिक्त कौन मेरी दीनता और दरिद्रता को दूर कर सकता है। हे दशरथ पुत्र श्रीराम ! आपके द्वारा ही मेरी बात बन सकती है।

जनमको भूखो भिखारी हौं गरीबनिवाजु |
पेट भरि तलसिहि जेंवाइय भगति-सुधा सुनाजु ||

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है कि हे कृपासिन्धु ! हे गरीबों का दुख दूर करने वाले मैं जन्म से ही भूखा भिखारी हूँ और आप दीनों के नाथ है। तुलसी जैसा भूखा भक्त आपके द्वार पर बैठा है मुझे अपनी भक्तिरूपी पिलाकर मेरे ज्ञानरूपी भूख को शांत करें।

3. पद : तुलसीदास

प्रश्न1. ‘बरवै रामायण‘ किस‍की रचना है?
(क)   नंददास
(ख)   सूरदास
(ग)   तुलसीदास
(घ)   कबीरदास

उत्तर-  (ग)   तुलसीदास 

प्रश्न 2. कवितावली के रचनाकार है-
(क) जायसी  
(ख)   तुलसीदास
(ग)   कबीरदास
(घ)   सूरदास

उत्तर- (ख)   तुलसीदास   

प्रश्न 3. तुलसीदास का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)   राजापुर, बंगाल
(ख)   राजापुर, बेलीरोड, पटना, बिहार
(ग)   राजापुर, बाँदा, उतर प्रदेश
(घ)   राजापुर, मध्‍यप्रदेश

उत्तर- (ग)   राजापुर, बाँदा, उतर प्रदेश   

प्रश्न 4. तुलसीदास का कब जन्‍म हुआ था?
(क)   1542
(ख)   1543
(ग)   1544
(घ)   1545

उत्तर-  (ख)   1543 

प्रश्न 5. तुलसीदास के माता-पिता का नाम क्‍या था?
(क)   हुलसी एवं आत्‍माराम दुबे
(ख)   लसी एवं आत्‍मा दुबे
(ग)   कुलफी एवं परमात्‍मा दुबे
(घ)   राबड़ी एवं परमात्‍मा दुबे

उत्तर-(क)   हुलसी एवं आत्‍माराम दुबे    

प्रश्न 6. तुलसीदास का मूल नाम क्‍या था?
(क)   राधाबोला
(ख)   कृष्‍णबोला
(ग)   सीताबोला
(घ)   रामबोला

उत्तर- (घ)   रामबोला  

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 7. तुलसीदास के शिक्षा गुरू कौन थे?
(क)   रामानन्‍दाचार्य
(ख)   तुलसी के दुश्‍मन, तत्‍कालीन पंडित
(ग)   तुलसी की पत्‍नी
(घ)   शेष सनातन, काशी के विद्वान

उत्तर- (घ)   शेष सनातन, काशी के विद्वान 

प्रश्न 8. तुलसीदास के दीक्षा -गुरू कौन थे?
(क)   रामानन्‍दाचार्य
(ख)   वल्‍लभाचार्य
(ग)   नरहरिदास
(घ)   रामानन्‍द

उत्तर- (ग)   नरहरिदास   

प्रश्न 9. तुलसीदास की पत्‍नी का नाम क्‍या था?
(क)   स्‍वर्णावली
(ख)   रत्‍नावली
(ग)   अलंकारवाली
(घ)   कनकवाली

उत्तर-  (ख)   रत्‍नावली 

प्रश्न 10. तुलसीदास की भाषा कौन-सी है?
(क)   अवधी, ब्रजभाषा
(ख)   संस्‍कृत
(ग)   हिन्‍दी
(घ)   अपभ्रंश

उत्तर-  (क)   अवधी, ब्रजभाषा 

प्रश्न 11. ‘साहित्‍य लहरी‘ किनकी रचना है?
(क)   जायसी
(ख)   सूरदास
(ग)   कबीर
(घ)   तुलसीदास

उत्तर- (ख)   सूरदास

प्रश्न 12. खाली जगह को भरें-‘पेट भरि तुलसीहि जेंवाइय ………. सुधा सुनाजु ।,
(क)   भागति
(ख)   भक्ति
(ग)   भगति
(घ)   आवति

उत्तर-  (ग)   भगति 

प्रश्न 13. तुलसीदास के शिक्षा कहाँ से मिली?
(क)   चारों वेद, षड्दर्शन
(ख)   इतिहास, पुराण
(ग)   स्‍मृतिया, काव्‍य
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 14. तुलसीदास ने घर का परित्‍याग क्‍यों किया?
(क) पत्‍नी की फटकार से 
(ख)   पत्‍नी के प्रेम से
(ग)   पत्‍नी के साथ प्रगाढ़ प्रेम से
(घ)   पत्‍नी में आसक्ति से

उत्तर- (क) पत्‍नी की फटकार से     

प्रश्न 15. तुलसीदास का स्‍वामी निवास किस जगह था?
(क)  मथुरा में
(ख)  काशी में
(ग)  वृन्‍दावन में 
(घ)  इनमें से कोई नहीं

उत्तर-(ख)  काशी में    

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 16. तुलसीदास का व्‍यक्तित्‍व कैसा था?
(क) विनम्र 
(ख)  मृदुभाषी
(ग)   गंभीर और शांत स्‍वभाव
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-  (घ)  उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 17. तुलसीदास के मित्र एवं स्‍नेही का नाम बताएँ-
(क)  अब्‍दुर्रहीम खानखाना, महाराजा मानसिंह
(ख)  नाभादास, दार्शनिक मधुसूदन सरस्‍वती
(ग)   टोडरमल
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-(घ)  उपर्युक्‍त सभी      

प्रश्न 18.  हिन्‍दी का समन्‍यवयवादी कवि किसे माना जाता है?
(क) सूरदास 
(ख) जायसी
(ग) तुलसीदास 
(घ)  मीरा

उत्तर- (ग) तुलसीदास     

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