इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ आठ ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ (Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।
उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति
लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखे गए इस कहानी के माध्यम से कोसी नदी के प्रति अपना भाव व्यक्त किया है और कहते हैं कि जब मैं कोसी नदी के बारे में लिखना प्रारंभ करता हुँ तो इससे मुझे लगाव सा महसुस होता है। यह हमारे लिए नदी हीं नहीं बल्कि माँ के समान है। Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi
यह पाठ फनीश्वरनाथ रेणु की पुस्तक ‘श्रुत-अश्रुत पूर्व‘ से संकलित है। इस रचना में संस्मरण और रिपोर्ताज के मिले-जुले गुण है। यह पाठ एक रिपोर्ताज है। इस पाठ में फनीश्वरनाथ रेणु ने कोसी अंचल का वास्तविक चित्रण किया है। लेखक का जन्म स्थान कोशी होने के कारण वह इस पाठ के माध्यम से कोशी अंचल का यर्थाथ चित्रण किया है। कोशी नदी को ‘बिहार का शोक‘ कहा जाता है। यह नदी लागातार अपना प्रवाह बदलती रहती है।
लेखक कहते हैं कि कोसी जिधर से गुजरती है वहाँ की काली मिट्टी सफेद बालूचरों में बदल जाती है। वे कहते हैं कि दक्षिण गंगा के किनारे फैली परती के नक्से को यह कोसी नदी दो भागों में बाँटती है।
Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi
लेखक का मानना है कि मैं इस मनहुस बादामी रंग एवं उदासीनता को बचपन से देखता आ रहा हुँ। लेखक कहते हैं कि जब बारिश होती है तो चारों ओर हरियाली छा जाती है। नहीं तो बारहों महीना इस मिट्टी पर निवास करने वाले लोग हमेशा कालाजार एवं मलेरिया से मरते रहते हैं। यानी उनका शरीर हमेशा बिमारियों से जुझता रहता है। उनके चेहरे पर कभी हँसना, मुस्कुराना देखा हीं नहीं। ऐसे लोगों के आँखों में सुहाने सपनें कैसे ला सकते हैं।
लेखक कहते हैं कि जब हम बच्चे थे तो उस वक्त ये यादें जो प्रत्येक साल एक दर्जन हमारे साथियों से हमेंशा के लिए अलग हो जाते हैं। हमें भी लगता है कि अगली बारी मेरी होगी। लेकिन विधाता जानते हैं कि मानव हीं सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।
लेखक एक रिपोर्ट लिखा था जो लोगों में बहुत ज्यादा प्रकाशित हुआ। जिसमें लेखक एक आशापूर्ण भाव से यह व्यक्त किया था कि परती के दिन फिरेंगे और हमारे प्राणों में घुले हुए रंग फिर धरती पर मिल जाऐगें। इसी बात पर लखक के दोस्त लेखक को चिढ़ाया करते कि प्राणों में घुले रंग धरती पर कब फैलेंगें। लेखक का जवाब आता कि आजादी के बाद।
लेखक का मानना है कि मलेरिया एवं कालाजार से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी। लेखक अपने इलाके के प्रियजनों को एक पत्र लिखता है जिसमें कोसी में उपस्थित लाखों लोगों के अरमानों एवं सपनों को बटोरकर यहाँ के प्राणीयों के जीवकोष में भर दिया जाए। उसे लगता है कि यहाँ पर एक बहुत बड़ा डैम तैयार किया जाएगा जिसमें लाखों एकड़ बंध्या धरती, कोसी-कवलित, भरी हुई मिट्टी शास्य-श्यामला हो उठेगी और चारों तरफ खेती की जाएगी। फिर एक दिन कोसी में एक योजना का आरंभ हुआ और वहाँ फिर से अपना दुसरा उपन्यास प्रति परिकथा में हाथ लगा दिया और उसे पुरा करने के लिए पहाड़ों के कंदारो में काम कर रहे देवगणों से मिलतें हैं। वहाँ बड़े-बड़े टनेल में पहाड़ काटने वाले जवानों से मिलकर धन्य हो जाता हैं। लेखक उनलोगों को बड़ी श्रद्धा से प्रणाम कर लौट आता है और इसी तरह उनका दूसरा उपन्यास भी समाप्त हो जाता है और वह उपन्यास प्रकाशित कर दी जाती है और फिर उनके मित्रों ने लेखक का मजाक हीं नहीं बल्कि बहस भी करने लगें। धिरे-धिरे कोसी की भूमि बिराल रूप धारण करने लगी। जिस तरह से एक कफन की तरह फैली हुई बालूचरों की पंक्तियाँ थी। ठिक उसी तरह अब खेतों में फसलें लग रही है।
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लेखक अब महसुस करतें हैं कि शायद मैंने कुछ ज्यादा ही बातें कह दी है अभी कोसी का ‘क’ प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हुआ और खेतों में हम हरे-भरे फसलें देखने लग गए। लेखक कहते हैं कि मुझे तो ऐसा लगता है कि ‘डैम’ बनवाने के बावजुद हम खेती नहीं कर सकतें हैं। देखतें हीं देखते चारों ओर खेती शुरू हो जाती है और फसल भी अच्छे होने लगतें हैं। गाँव के हीं एक व्यक्ति जो दस-बारह साल पहले अपने गाँव छोड़कर बंगाल की ओर कमाने जाते हैं लेकिन वह व्यक्ति बंगाल में हीं रहने के उम्मीद से अपने गाँव कोसी आता है जहाँ उसका लगभग एक डेढ़ बिगहा जमीन है जिसे बेंचकर वह बंगाल वापस जाना चाहता है लेकिन गाँव में आते हीं आश्चर्य चकित हो जाता है कि ये मैं कहाँ आ गया। मेरा गाँव कहाँ गया। वह कुछ लोगों से पुछता है कि कोसी कहाँ है लोगों ने बताया कि कोसी यही है उसके बाद लोग उसे सुदामा कहनें लगें कि सुदामा मंदिर देखी डरियो। सुदामा जी अपनी जमीन बेंचने की इरादा बदल लेतें हैं और अपनी पुरी परिवार को कोसी बुला लेते है और यहीं पर खेती गृहस्ती करतें है।
लेखक कहतें हैं जहाँ दुभ हरा नहीं हो सकता था वहाँ आज सभी फसलें और खेतों में ट्रैक्टर चल रहें हैं। लेखक के प्राणों में घुले हुए रंग किस तरह फैल रहें है और फैलतें हीं जा रहें है। Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi
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