इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ छ: ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ (Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।
मेरी वियतनाम यात्रा
लेखक – भोला पासवान शास्त्री
इस पाठ के माध्यम से बिहार के लेखक भोला पासवान शास्त्री जी अपने वियतनाम यात्रा के दौड़ान ‘‘हो-ची मिन्ह’’ जी का वर्णन विस्तार रूप से किया गया है। लेखक कहतें हैं कि लगभग 40 से 42 वर्ष पहले एक हिन्दी के पात्रीका के एक पन्ने को उलट-पलट रहा था तो मुझे पेन्सील से बनी एक स्केल तस्वीर दिखाई पड़ी। ये तस्वीर वियतनाम के एक महान व्यक्ति ‘‘हो-ची मिन्ह’’ की है लेखक कहते है लगभग 90 वर्ष पहले जब वियतनाम विदेशियों के द्वारा अंधकारो से 6 का हुआ यानी की गुलाम था तो उसने भूमी पर हो-ची मिन्ह का जन्म हुआ और ये वियतनाम के लोगो को अजाद कराया और उन्हे सही रास्ता चलने की सीख दी। लेखक भोला पासवान शास्त्री जी ने बताया की जब मेरी पहली विदेशी यात्रा करनी थी तो मुझे बहुत खुशी महसुस हुआ। जब मैं बिहार से दिल्ली के लिए रवाना हुआ या जब मुझे कही जाने का होता तो मैं जल्द तैयार हो कर चला जाता। इसी तरह वियतनाम लगभग दिन बित गए। मैंने गाँव वियतनाम के लिए रवाना हुआ तो एयर इंडिया के बोरिंग विमान 10 मे सवार हुए। इस विमाने को विना रोके बैंकॉक की ओर जाता था। वहाँ पहुँचने के बाद उन्होंने होटल में ठहरा और भोजन ग्रहण की साथ ही रात उसी होटल रह कर विश्राम किया। और सुबह फिर उठे और अपना यात्रा करने के लिए बैंकॉक के हवाई अड्डा पहुँचे और वहाँ से वियतनाम की राज्यधानी हानोई के लिए विमान खाना हुई इन दोनो बैंकॉक एवं हानोई के बिच एक नदी थी जिसे मौकांग नदी के नाम से जाना जाता है। देखते ही देखते विमान वेंचियन पहुँचा और यात्रा वेंचियन उतरे और अपना भोजन ग्रहण किया फिर से विमान में सवार हो गए लगभग उन्हे डेढ़ घंटे लगे जिलायम पहुँचे गए यहाँ से हानाई नजदीक है। वियतानामी कामेटी ऑफ ऑल कंटीगा पदाधिकारी एवं उनका सहयोगी हाथों में गुलदस्ता का फुल लिए स्वागत सत्कार किया। लेखक भोला पासवान शास्त्री जी हवाई अड्डा से जब बाहर निकले तो वहाँ के सरकार द्वारा भेजी गई मोटरगाड़ी पर सवार होकर हानोई के ओर चल पड़े। और अतिथीशाला पहुँचे और वहाँ पर भी उनका स्वागत बहुत अच्छे तरह से की गई। वहाँ के सड़क पर दोनो तरफ हाथो में गुलदस्ता के फुल लिए स्वागत गीत के साथ अपनी राष्ट्रीय गाना गाकर हमारे स्वागत किया गया। साथ ही भारत एवं वियतनाम के मित्रता इसी तरह बना रहें उसके लिए नारा लगाया। फिर सब से मिलने के बाद जुलूस निकाला और राजकिय अतिथी शाला (जहाँ लोगो का ठहराव) पहुँचे। लेखक कहते हैं कि वहाँ बिना दुध वाला चाय पिना पड़ा जो बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। फिर वहाँ पर अपना भोजन ग्रहण किया और ठिक पाँच बजे शहर की ओर निकल पड़े लेखक का मानना है कि वियतनाम में विशेषरूप से दो बातें बहुत ज्यादा उल्लेखनिय है। पहला जो हानोई शहर चार-पाँच झील है। जिसके वजह से उस शहर को झील का शहर कहा जाता है। और दुसरा वहाँ सबसे ज्यादा साईकिल की सवारी कि जाती है तो इसे साईकिलों का शहर भी कहाँ जाता है। दुसरे दिन लेखक बहुत ही सवरे जगते हैं और साढ़े छ; बजे शहर के ओर निकल पड़ते है। उसी दिन उन्होंने मलाशियम जाकर उस महान नेता को हो-चि मिन्ह को श्रृद्धांजली दी और गलायार्पण किया और दुसरी तरफ बाहर निकल गया। लेखक कहते हैं कि इसके पहले हमने कभी नही देखा था। इन्हे सिर्फ हमने पेन्सील से बनी तस्वीर को ही देखा था। उसके बाद लेखक शाही महल को देखने जाते है यानी की हो-चि मिन्ह जिस भी साधारण मकान में रहते थें उसको देखने लेखक गए। उसके बाद फिर लेखक उस महल के पास हो चि-मिन्ह राष्ट्रपति बनने से पहले जहाँ रहते थे। लेकिन अभी यहाँ कोई नहीं रहता उस राष्ट्र संरक्षण प्राप्त है। लेखक कहते हैं कि वास्तव में हो चि-मिन्ह वियतनाम के लोक प्रिय नेता है। और इनके बारे मे अधिक जनकारी बियतनाम जाकर ही पता किया जा सकता है।
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Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi