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Raja Shahin

6. मेरी वियतनाम यात्रा कक्षा 11 हिंदी व्‍याख्‍या | Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi

September 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ छ: ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ (Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्‍पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।

Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi

मेरी वियतनाम यात्रा
लेखक – भोला पासवान शास्त्री

इस पाठ के माध्यम से बिहार के लेखक भोला पासवान शास्त्री जी अपने वियतनाम यात्रा के दौड़ान ‘‘हो-ची मिन्ह’’ जी का वर्णन विस्तार रूप से किया गया है। लेखक कहतें हैं कि लगभग 40 से 42 वर्ष पहले एक हिन्दी के पात्रीका के एक पन्ने को उलट-पलट रहा था तो मुझे पेन्सील से बनी एक स्केल तस्वीर दिखाई पड़ी। ये तस्वीर वियतनाम के एक महान व्यक्ति ‘‘हो-ची मिन्ह’’ की है लेखक कहते है लगभग 90 वर्ष पहले जब वियतनाम विदेशियों के द्वारा अंधकारो से 6 का हुआ यानी की गुलाम था तो उसने भूमी पर हो-ची मिन्ह का जन्म हुआ और ये वियतनाम के लोगो को अजाद कराया और उन्हे सही रास्ता चलने की सीख दी। लेखक भोला पासवान शास्त्री जी ने बताया की जब मेरी पहली विदेशी यात्रा करनी थी तो मुझे बहुत खुशी महसुस हुआ। जब मैं बिहार से दिल्ली के लिए रवाना हुआ या जब मुझे कही जाने का होता तो मैं जल्द तैयार हो कर चला जाता। इसी तरह वियतनाम लगभग दिन बित गए। मैंने गाँव वियतनाम के लिए रवाना हुआ तो एयर इंडिया के बोरिंग विमान 10 मे सवार हुए। इस विमाने को विना रोके बैंकॉक की ओर जाता था। वहाँ पहुँचने के बाद उन्होंने होटल में ठहरा और भोजन ग्रहण की साथ ही रात उसी होटल रह कर विश्राम किया। और सुबह फिर उठे और अपना यात्रा करने के लिए बैंकॉक के हवाई अड्डा पहुँचे और वहाँ से वियतनाम की राज्यधानी हानोई के लिए विमान खाना हुई इन दोनो बैंकॉक एवं हानोई के बिच एक नदी थी जिसे मौकांग नदी के नाम से जाना जाता है। देखते ही देखते विमान वेंचियन पहुँचा और यात्रा वेंचियन उतरे और अपना भोजन ग्रहण किया फिर से विमान में सवार हो गए लगभग उन्हे डेढ़ घंटे लगे जिलायम पहुँचे गए यहाँ से हानाई नजदीक है। वियतानामी कामेटी ऑफ ऑल कंटीगा पदाधिकारी एवं उनका सहयोगी हाथों में गुलदस्ता का फुल लिए स्वागत सत्कार किया। लेखक भोला पासवान शास्त्री जी हवाई अड्डा से जब बाहर निकले तो वहाँ के सरकार द्वारा भेजी गई मोटरगाड़ी पर सवार होकर हानोई के ओर चल पड़े। और अतिथीशाला पहुँचे और वहाँ पर भी उनका स्वागत बहुत अच्छे तरह से की गई। वहाँ के सड़क पर दोनो तरफ हाथो में गुलदस्ता के फुल लिए स्वागत गीत के साथ अपनी राष्ट्रीय गाना गाकर हमारे स्वागत किया गया। साथ ही भारत एवं वियतनाम के मित्रता इसी तरह बना रहें उसके लिए नारा लगाया। फिर सब से मिलने के बाद जुलूस निकाला और राजकिय अतिथी शाला (जहाँ लोगो का ठहराव) पहुँचे। लेखक कहते हैं कि वहाँ बिना दुध वाला चाय पिना पड़ा जो बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। फिर वहाँ पर अपना भोजन ग्रहण किया और ठिक पाँच बजे शहर की ओर निकल पड़े लेखक का मानना है कि वियतनाम में विशेषरूप से दो बातें बहुत ज्यादा उल्लेखनिय है। पहला जो हानोई शहर चार-पाँच झील है। जिसके वजह से उस शहर को झील का शहर कहा जाता है। और दुसरा वहाँ सबसे ज्यादा साईकिल की सवारी कि जाती है तो इसे साईकिलों का शहर भी कहाँ जाता है। दुसरे दिन लेखक बहुत ही सवरे जगते हैं और साढ़े छ; बजे शहर के ओर निकल पड़ते है। उसी दिन उन्होंने मलाशियम जाकर उस महान नेता को हो-चि मिन्ह को श्रृद्धांजली दी और गलायार्पण किया और दुसरी तरफ बाहर निकल गया। लेखक कहते हैं कि इसके पहले हमने कभी नही देखा था। इन्हे सिर्फ हमने पेन्सील से बनी तस्वीर को ही देखा था। उसके बाद लेखक शाही महल को देखने जाते है यानी की हो-चि मिन्ह जिस भी साधारण मकान में रहते थें उसको देखने लेखक गए। उसके बाद फिर लेखक उस महल के पास हो चि-मिन्ह राष्ट्रपति बनने से पहले जहाँ रहते थे। लेकिन अभी यहाँ कोई नहीं रहता उस राष्ट्र संरक्षण प्राप्त है। लेखक कहते हैं कि वास्तव में हो चि-मिन्ह वियतनाम के लोक प्रिय नेता है। और इनके बारे मे अधिक जनकारी बियतनाम जाकर ही पता किया जा सकता है।

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8. उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति कक्षा 11 हिंदी व्‍याख्‍या | Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ आठ ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ (Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्‍पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।

Utri swapna pari hari kranti

उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति
लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु

लेखक फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखे गए इस कहानी के माध्यम से कोसी नदी के प्रति अपना भाव व्यक्त किया है और कहते हैं कि जब मैं कोसी नदी के बारे में लिखना प्रारंभ करता हुँ तो इससे मुझे लगाव सा महसुस होता है। यह हमारे लिए नदी हीं नहीं बल्कि माँ के समान है। Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

यह पाठ फनीश्वरनाथ रेणु की पुस्तक ‘श्रुत-अश्रुत पूर्व‘ से संकलित है। इस रचना में संस्मरण और रिपोर्ताज के मिले-जुले गुण है। यह पाठ एक रिपोर्ताज है। इस पाठ में फनीश्वरनाथ रेणु ने कोसी अंचल का वास्तविक चित्रण किया है। लेखक का जन्म स्थान कोशी होने के कारण वह इस पाठ के माध्यम से कोशी अंचल का यर्थाथ चित्रण किया है। कोशी नदी को ‘बिहार का शोक‘ कहा जाता है। यह नदी लागातार अपना प्रवाह बदलती रहती है।
लेखक कहते हैं कि कोसी जिधर से गुजरती है वहाँ की काली मिट्टी सफेद बालूचरों में बदल जाती है। वे कहते हैं कि दक्षिण गंगा के किनारे फैली परती के नक्से को यह कोसी नदी दो भागों में बाँटती है।

Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

लेखक का मानना है कि मैं इस मनहुस बादामी रंग एवं उदासीनता को बचपन से देखता आ रहा हुँ। लेखक कहते हैं कि जब बारिश होती है तो चारों ओर हरियाली छा जाती है। नहीं तो बारहों महीना इस मिट्टी पर निवास करने वाले लोग हमेशा कालाजार एवं मलेरिया से मरते रहते हैं। यानी उनका शरीर हमेशा बिमारियों से जुझता रहता है। उनके चेहरे पर कभी हँसना, मुस्कुराना देखा हीं नहीं। ऐसे लोगों के आँखों में सुहाने सपनें कैसे ला सकते हैं।

लेखक कहते हैं कि जब हम बच्चे थे तो उस वक्त ये यादें जो प्रत्येक साल एक दर्जन हमारे साथियों से हमेंशा के लिए अलग हो जाते हैं। हमें भी लगता है कि अगली बारी मेरी होगी। लेकिन विधाता जानते हैं कि मानव हीं सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।
लेखक एक रिपोर्ट लिखा था जो लोगों में बहुत ज्यादा प्रकाशित हुआ। जिसमें लेखक एक आशापूर्ण भाव से यह व्यक्त किया था कि परती के दिन फिरेंगे और हमारे प्राणों में घुले हुए रंग फिर धरती पर मिल जाऐगें। इसी बात पर लखक के दोस्त लेखक को चिढ़ाया करते कि प्राणों में घुले रंग धरती पर कब फैलेंगें। लेखक का जवाब आता कि आजादी के बाद।

लेखक का मानना है कि मलेरिया एवं कालाजार से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी। लेखक अपने इलाके के प्रियजनों को एक पत्र लिखता है जिसमें कोसी में उपस्थित लाखों लोगों के अरमानों एवं सपनों को बटोरकर यहाँ के प्राणीयों के जीवकोष में भर दिया जाए। उसे लगता है कि यहाँ पर एक बहुत बड़ा डैम तैयार किया जाएगा जिसमें लाखों एकड़ बंध्या धरती, कोसी-कवलित, भरी हुई मिट्टी शास्य-श्यामला हो उठेगी और चारों तरफ खेती की जाएगी। फिर एक दिन कोसी में एक योजना का आरंभ हुआ और वहाँ फिर से अपना दुसरा उपन्यास प्रति परिकथा में हाथ लगा दिया और उसे पुरा करने के लिए पहाड़ों के कंदारो में काम कर रहे देवगणों से मिलतें हैं। वहाँ बड़े-बड़े टनेल में पहाड़ काटने वाले जवानों से मिलकर धन्य हो जाता हैं। लेखक उनलोगों को बड़ी श्रद्धा से प्रणाम कर लौट आता है और इसी तरह उनका दूसरा उपन्यास भी समाप्त हो जाता है और वह उपन्यास प्रकाशित कर दी जाती है और फिर उनके मित्रों ने लेखक का मजाक हीं नहीं बल्कि बहस भी करने लगें। धिरे-धिरे कोसी की भूमि बिराल रूप धारण करने लगी। जिस तरह से एक कफन की तरह फैली हुई बालूचरों की पंक्तियाँ थी। ठिक उसी तरह अब खेतों में फसलें लग रही है।

Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

लेखक अब महसुस करतें हैं कि शायद मैंने कुछ ज्यादा ही बातें कह दी है अभी कोसी का ‘क’ प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हुआ और खेतों में हम हरे-भरे फसलें देखने लग गए। लेखक कहते हैं कि मुझे तो ऐसा लगता है कि ‘डैम’ बनवाने के बावजुद हम खेती नहीं कर सकतें हैं। देखतें हीं देखते चारों ओर खेती शुरू हो जाती है और फसल भी अच्छे होने लगतें हैं। गाँव के हीं एक व्यक्ति जो दस-बारह साल पहले अपने गाँव छोड़कर बंगाल की ओर कमाने जाते हैं लेकिन वह व्यक्ति बंगाल में हीं रहने के उम्मीद से अपने गाँव कोसी आता है जहाँ उसका लगभग एक डेढ़ बिगहा जमीन है जिसे बेंचकर वह बंगाल वापस जाना चाहता है लेकिन गाँव में आते हीं आश्चर्य चकित हो जाता है कि ये मैं कहाँ आ गया। मेरा गाँव कहाँ गया। वह कुछ लोगों से पुछता है कि कोसी कहाँ है लोगों ने बताया कि कोसी यही है उसके बाद लोग उसे सुदामा कहनें लगें कि सुदामा मंदिर देखी डरियो। सुदामा जी अपनी जमीन बेंचने की इरादा बदल लेतें हैं और अपनी पुरी परिवार को कोसी बुला लेते है और यहीं पर खेती गृहस्ती करतें है।

लेखक कहतें हैं जहाँ दुभ हरा नहीं हो सकता था वहाँ आज सभी फसलें और खेतों में ट्रैक्टर चल रहें हैं। लेखक के प्राणों में घुले हुए रंग किस तरह फैल रहें है और फैलतें हीं जा रहें है। Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

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3. सम्पूर्ण क्रांति पाठ का सारांश और व्‍याख्‍या | Sampoorna kranti class 12 Hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ तीन ‘सम्पूर्ण क्रांति (Sampoorna kranti class 12 Hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

3. सम्पूर्ण क्रांति

यह भाषण 5 जून 1974 को पटना के गाँधी मैदान में दिए गए। जयप्रकाश नारायण के ऐतिहासिक भाषण का एक अंश है। संम्पूर्ण भाषण एक पुस्तिका (किताब) के रूप में प्रकाशित हो चूका है। यह भाषण छात्र आंदोलन के दौरान दिया गया था। पटना गाँधी मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने उसी समय जात-पात, तिलक-दहेज और भेद-भाव छोड़ने का विचार किया। हजारों लोगों ने अपने जेनऊ को तोड़ दिया था। सम्पूर्ण क्रांति का नारा जोर-जोर से गुँजने लगा। जात-पात छोड़ दो तिलक-दहेज छोड़ दो समाज के प्रभाव को नई दिशा में मोड़ दो। यहीं नारा गुँज उठा था।

सम्पूर्ण क्रांति का मुख्य कारण देश में बेरोजगारी और महँगाई थी। 1974 में बिहार से शुरू हुए छात्र आंदोलन का उद्देश्य बढ़ता गया और भाषण के दौराण नेहरू जी का उदाहरण दिया गया था। नेहरू जी कहते थे कि देश को विकसित बनाने के लिए जनता को अभी कोसों दूर जाना होगा। वह आगे कहते हैं कि मेरे भाषण में क्रांति के बिगुल होंगे। जिनपर आपको अमल करना होगा। लाठियाँ खानी होंगी। यह सम्पूर्ण क्राति है और वैसी ही जो हमारे भगत सिंह लाना चाहते थे। स्वराज से जनता कह रही थी- भूखमरी, महँगाई और भ्रष्टचार यहीं आज फैला हुआ है। वह अपने भाषण में कहते हैं कि काँग्रेस गरीबी हटाओ का नारा लगाती है, लेकिन गरीबों पर जुल्म ढाहती है। वह कहते हैं कि हमें इंदिरा गाँधी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मुझे उनकी गलत नीतिओं के खिलाफ लड़ना है।

जेपी अपने भाषण में कहते हैं कि मैं केवल नाम का नेता नहीं बनुँगा। वह कहते हैं कि मुझे छात्र आंदोलन का जो नेतृत्व मिला है। उसका नेतृत्व मैं करूँगा। मैं सबकी राय सुनुँगा, लेकिन अंतिम फैसला मेरा होगा।

वे अपने भाषण में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ को याद करते हैं, जिनका हाल ही में निधन हुआ था। वह कहते हैं कि अगर वह जिंदा होते होते, तो इस नविन क्रांति पर साहित्य की रचना करते। वह साहित्य उनकी अमर बन जाती थी। लेकिन अफसोस की बात वह अब इस दूनिया में नहीं हैं।

वह आगे कहते हैं कि शिक्षा पाकर व्यक्ति ठोकर खाता फिर रहा है। यहाँ नारे तो लगते है पर गरीबी हटती नही, बढ़ती हीं चली जा रही है जयप्रकाश नारायण का यह भी कहना था कि जब वो नौजवान थे तो बापू जब कोई बात कहते थे और वो बात जेपी के विचार से नहीं मिलते थे यानी जेपी को वो बात अच्छी नहीं लगती थी, तो वो सीधे बापू से कह देते थे। बापू में इतने महानता थी कि वो बुरा नही मानते थे। जेपी जी कहते हैं कि मै जवाहरलाल नेहरू को हमेशा भाई कहता था (बड़ा भाई) वो भी मुझे बहुत मानते थें। मै उनका बड़ा आदर और उनसे प्रेम करता था।

नेहरू जी का बड़ा ही स्नेह था मुझपर। मैं भी उनकी आलोचना करता था लेकिन बड़प्पन था कि वो कभी बुरा नही माने। संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण का यहीं उपेक्षाएँ थी कि उनका काम केवल शासन से संघर्ष करना नहीं बल्कि उनका काम तो समाज के हर अन्याय और अनीति के विरूद्ध लड़ना होगा और इस प्रकार से इन समितियों के लिए बराबर एक महत्वपूर्ण काम रहेगी। वह कहते हैं कि मैं जब अमेरिका में था, तो घोर कम्यूनिस्ट था। 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद मैं मार्क्सवादी बना।
वे भारत लोटे तो भी घोर मार्क्सवादी थे। और काँग्रेस में दाखिल हुए। वे कम्युनिस्ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि लेनिन द्वारा कही गई बात उनको अच्छी तरह याद थी कि लेनिन यह बताया था कि जो देश गुलाम हो, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं, उनको हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपनें को अलग नहीं रखना चाहिए। उस लड़ाई का नेतृत्व, ‘बुर्जुआ क्लास‘ के हाथ में हो या पूँजीपतियों के हाथ में हो। फिर भी कम्युनिस्टों को अलग नहीं रहना चाहिए।

जयप्रकाश नारायण कहते हैं कि अन्य देशों ने प्रेस तथा पत्रिकाएँ पर अंकुश लगाती है। लेकिन इसक चलन हमारे देश में बहुत ही ज्यादा है। वह कहते हैं कि हमारे देश में समाचारपत्रों और विरोधीयों के आवाजों को दबाया जाता है।

अंत में. जेपी कहते हैं कि जो भी सरकार के नीतिओं के खिलाफ संघर्ष कर रहा है, उसका काम केवल शासन से संघर्ष नहीं करना है, बल्कि उनका काम समाज के हर अन्याय और अनीति के खिलाफ संघर्ष करना है। जहाँ भी अन्याय और घूसखोरी चलती है, उसके खिलाफ संघर्ष करना हैं। हमलोग केवल लोकतंत्र के लिए हिं नहीं, बल्कि समाजिक, आर्थिक, नैतिक क्रांति के लिए अथवा संपूर्ण क्रांति के तैयार रहेंगे। सभी लोगों को न्याय दिलाऐंगें।

3. संपूर्ण क्रान्ति : लेखक जयप्रकाश नारायण

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प्रश्न 1.जयप्रकाश नारायण की पत्‍नी का क्‍या नाम था ?
(क) विद्यावती देवी
(ख) मनरूप देवी
(ग) व्‍यंती देवी
(घ) प्रभावती देवी

उत्तर- (घ) प्रभावती देवी

प्रश्न 2. जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम क्‍या था ?
(क) फूलरानी एवं हरसूदयाल
(ख) मनरूप देवी एवं रवि सिंह
(ग) विद्यावती देवी एवं सरदार किशन सिंह
(घ) पार्वती देवी एवं बेनी प्रसाद भट्ट

उत्तर- (क) फूलरानी एवं हरसूदयाल

प्रश्न 3. जयप्रकाश नारायण का जन्‍म कब हुआ था ?
(क) 11 अक्‍टूबर, 1902 ई.
(ख) 12 अक्‍टू‍बर, 1903 ई.
(ग) 13 अक्‍टूबर, 1904 ई.
(घ) 14 अक्‍टूबर, 1905 ई.

उत्तर-(क) 11 अक्‍टूबर, 1902 ई.

प्रश्न 4. जयप्रकाश नारायण का निधन कब हुआ था ?
(क) 07 अक्‍टूबर, 1978 ई.
(ख) 08 अक्‍टूबर, 1979 ई.
(ग) 09 अक्‍टूबर, 1980 ई.
(घ) 10 अक्‍टूबर, 1981 ई.

उत्तर- (ख) 08 अक्‍टूबर, 1979 ई.

प्रश्न 5. जयप्रकाश नारायण का जन्‍म स्‍थान कहाँ हैं ?  
(क) इलाहाबाद , उतर प्रदेश
(ख) इटारसी , मध्‍य प्रदेश
(ग) सिताब दियारा (उतर प्रदेश के बलिया और बिहार के सारण जिले में फैला)
(घ) लमही , वाराणसी

उत्तर- (ग) सिताब दियारा (उतर प्रदेश के बलिया और बिहार के सारण जिले में फैला)

प्रश्न 6. जयप्रकाश नारायण को लोग क्‍या क‍हने लगे ?
(क) लोकनायक
(ख) जननायक
(ग) नरनायक
(घ) देशनायक

उत्तर- (क) लोकनायक

प्रश्न 7. जयप्रकाश नारायण को कौन–सा पुरस्‍कार मिला था ?
(क) राजेन्‍द्र प्रसाद शिखर सम्‍मान
(ख) साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार
(ग) भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
(घ) मैग्‍सेस सम्‍मान एवं भारत रत्‍न

उत्तर- (घ) मैग्‍सेस सम्‍मान एवं भारत रत्‍न

प्रश्न 8. जयप्रकाश नारायण को कौन–सा पुरस्‍कार मिला था ?
(क)  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
(ख) साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार
(ग) राजेन्‍द्र प्रसाद शिखर पुरस्‍कार
(घ) भारत रत्‍न

उत्तर- (घ) भारत रत्‍न

प्रश्न 9. ‘संपूर्ण क्रान्ति’ वाला पाठ भाषण के रूप में गाँधी मैदान में जेपी ने कब दिया था ?
(क) 05 जून, 1974
(ख) 06 जून , 1975
(ग) 07 जून , 1976
(घ) 08 जून , 1977

उत्तर- (क) 05 जून, 1974

प्रश्न 10. किस पाठ में आया हैं – ‘अगर कोई डिमाक्रेसी का दुश्‍मन हैं, तो वे लोग दुश्‍मन हैं, जो जनता के शांतिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं, उनकी गिरफ्तारीयाँ करते है, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियाँ चलाते हैं।
(क) शिक्षा
(ख) संपूर्ण क्रान्ति
(ग) हँसते हुए मेरा अकेलापन
(घ) प्रगीत और समाज

उत्तर- (ख) संपूर्ण क्रान्ति

प्रश्न 11. ‘रिकंस्‍ट्क्‍शन ऑफ इंडियन पॉलिटी’ नामक पुस्‍तक किसने लिखी ?
(क) भगत सिंह
(ख) महात्‍मा गाँधी
(ग) जयप्रकाश नारायण
(घ) लोकमान्‍य तिलक

उत्तर- (ग) जयप्रकाश नारायण

प्रश्न 12. ‘संपूर्ण क्रांति’ शीर्षक भाषण किसने दिया था ?
(क) जयप्रकाश नारायण
(ख) इन्दिरा गाँधी
(ग) भगत सिंह
(घ) सुभाष चन्‍द्र बोस

उत्तर- (क) जयप्रकाश नारायण  

प्रश्न 13. 1965 में समाज सेवा के लिए मैग्‍सेसे सम्‍मान किसे मिला था ?
(क) नामवर सिंह
(ख) रामविलाश शर्मा
(ग) जयप्रकाश नारायण
(घ) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

उत्तर-(ग) जयप्रकाश नारायण  

प्रश्न 14. किसने लिखा ?- ”है जयप्रकाश वह नाम जिसे, इतिहास समादर देता है बढ़कर जिसके पदचिन्‍हों को, उर पर अंकित कर लेता हैं।”
(क) राष्‍ट्रकवि गुप्‍त
(ख) राष्‍ट्रकवि दिनकर
(ग) माखनलाल चतुर्वेदी
(घ) भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द

उत्तर- (ख) राष्‍ट्रकवि दिनकर

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2. उसने कहा था कहानी का व्‍याख्‍या | Usne kaha tha class 12th hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ दो ‘उसने कहा था (Usne kaha tha class 12th hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक चनद्रधर शर्मा गुलेरी हैं।

Usne kaha tha class 12th hindi

2. उसने कहा था

लेखक परिचय

‘उसने कहा था’ कहानी का लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी हैं। यह कहानी लेखक की अमर रचना है, जो हिन्‍दी कहानी के विकास में मील का पत्‍थर मानी जाती है।

इनका जन्‍म 7 जुलाई, 1883 में जयपुर, राजस्‍थान में हुआ था तथा मृत्‍यु 12 स‍ितंबर, 1922 ई० को हुई थी।

इनका मूल निवास गुलेर नामक गाँव (हिमाचल प्रदेश) है। बचपन में यह संस्‍कृत से शिक्षा ग्रहण किए और 1903 में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय से बी०ए० किए। यह बाद में प्रोफेसर के रूप में कार्य किए। यह काशी नगरी और काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका का संपादन भी किया।

इनकी प्रमुख कहानीयाँ ‘सुखमय जीवन’, ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘उसने कहा था’ है। इन्‍हीं तीन कहानीयों के बल पर यह हिंदी कहानीकार के रूप में अमर हो गए।

पाठ परिचय- प्रस्‍तुत कहानी ‘उसने कहा था’ चंद्रधर शर्मा गुलेरी की अमर रचना है। यह हिंदी कहानी के विकास में ‘मील का पत्‍थर’ मानी जाती है। इस कहानी में लहना सिंह के त्‍याग और बलिदान की कहानी को बताया गया है। लहना सिंह, जो वादा करता है उसे पूरा करने में अपने जान तक गंवा देता है।

2. उसने कहा था कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘उसने कहा था‘ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के द्वारा लिखा गया है। इस पाठ का नायक ‘लहना सिंह’ है। इस पाठ में लहना सिंह के सच्चा प्रेम तथा उसके वीरता को बताया गया है। जिसमें आठ वर्ष की लड़की जिसका नाम होराँ होता है और बारह वर्ष का लड़का लहना सिंह होता है। वे दोनों अपने-अपने मामा के घर रहते हैं।

इस कहानी की शुरूआत अमृतसर के भीड़-भरे बाजार से होती है। लहना सिंह और होराँ की मुलाकात अमृतसर के बाजार में होती है। एक अपने मामा के केश धोने के लिए दही लेने आया था और एक रसोई के लिए बड़ियाँ लेने आयी थी।

लड़का, लड़की को टांगे के नीचे आने से बचा लेता है। दोनों समान लेकर अपना परिचय करते हुए चल देते हैं। लड़का कुछ दूर जाकर मुस्‍कुराते हुए लड़की से पूछता है कि क्‍या तेरी कुड़माई हो गई है। लड़की आँखें चढ़कार धत् कहकर दौड़ जाती है और लड़का मुँह देखता रहता है। उसके बाद दूसरे-तीसरे दिन सब्‍जीवाले के यहाँ, दूधवाले के यहाँ अचानक मिल जाते। लड़का हमेशा यहीं पूछता है कि क्‍या तेरी कुड़माई हो गई है। लड़की हमेशा की तरह धत् कहकर चली जाती है।

एक दिन लड़का चिढ़ाने के लिए पूछा तब लड़की, लड़का के संभावना के खिलाफ बोली कि हाँ हो गई।

यह सुनकर लहना सिंह का दिल टूट जाता है। साथ ही साथ वह अपना शुद्ध-बुद्ध खो बैठता है। इसलिए घर वापस आते समय एक लड़के को नाले में ढकेल दिया। एक कुत्ता को पत्थर मारा और शब्जी वाले पर दूध उड़ेल दिया। एक औरत टकराकर अंधे की उपाधि पाया अर्थात् एक औरत से टकरा गया। तब कहीं घर पहुँचा।

लहना सिंह उस लड़की से बहुत प्यार करता था, लेकिन ये बात सच थी कि लहना सिंह को उसका प्रेम नहीं मिल सका। फिर भी वे अपने हृदय में उसे बसाए रखा। लड़की का विवाह सुबेदार हजारा सिंह से हो गया था।

उसके बाद लहना सिंह फौज में भर्ती हो जाता है। लहना सिंह प्रथम विश्‍व युद्ध के मोर्चे पर भारत की तरफ से जर्मनी से युद्ध लड़ने के लिए जाता है। वहाँ उसकी मुलाकात सुबेदार हजारा सिंह, बोधा सिंह और वजिरा सिंह से होता है।

एक समय लहना सिंह एक जमीन के मुकदमे के सिलसिले में घर आता है, इतना में लाम पर जाने के लिए पत्र भेजा जाता है। हजारा सिंह पत्र भेजता है कि लाम पर जाते समय मेरे घर से होते हुए चलना क्‍योंकि सुबेदार हजारा सिंह का घर रास्‍ते में पड़ता था।

सुबेदार के घर जाने पर हजारा सिंह की पत्नी सुबादारीन होराँ लहना सिंह को देखकर पहचान जाती है। सुबेदार कहता है कि मेरी पत्‍नी तुमको जानती है जाकर उससे मिल लो, वह बुला रही है।

सुबेदारनी वहीं लड़की थी, जिससे लहना सिंह बचपन में बार-बार पूछा करता था कि क्या तुम्हारी कुड़माई (सगाई) हो गयी है। वह लहना सिंह को बुलाकर कहती है कि मेरा पति और एक ही बेटा है। मेरे बेटे के फौज में शामिल हुए एक वर्ष ही हुए हैं। वह आगे कहती है कि जिस तरह तुमने बचपन में मेरी जान बचायी थी उसी तरह मेरे पति और बेटे की रक्षा करना। उसके बाद सुबेदारनी होराँ रोने लगती है। सुबेदारीन के पति का नाम हजारा सिंह तथा बेटा का नाम बोधा सिंह था।

लहना सिंह ने इमान्दारी से उस वचन को निभाने का कसम खाया। प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चे पर इंगलैंड की ओर से लहना सिंह, उसका दोस्त वजिरा सिंह, सुबेदार हजारा सिंह तथा बोधा सिंह युद्ध लड़ने के लिए जाते हैं। जर्मनी की सेना उनलोगों पर हमला कर देती है। लहना सिंह अपने जान पर खेलकर जर्मन सैनिक से बहादुरी से लड़कर उसे हरा देता है और इनलोगों की रक्षा करता है। लहना सिंह बुरी तरह घायल हो जाता है। युद्ध के दौरान हजारा सिंह और बोधा सिंह भी घायल हो जाते हैं।

एम्बुलेंस इनलोगों को लेने आती है। एम्बुलेंस में कम सीटें होने के कारण लहना सिंह घायल अवस्था में एम्बुलेंस पर खुद न बैठकर बोधा सिंह और हजारा सिंह को बैठा देता है। जब सुबेदार हजारा सिंह एम्बुलेंस में अपने बेटा के साथ जाने लगे, तो उनसे कहा कि सुबेदारनी को पत्र लिखकर कह देना कि ‘उसने जो कहा था’, वह मैंने पूरा कर दिया।

गाड़ी के जाते ही लहना सिंह लेट गया और अपने दोस्‍त को पानी पिलाने तथा कमर बंद खोलने को कहा। पच्‍चीस वर्ष बीत गए। लहना सिंह न०77 राइफल्‍स में जमादार हो गया है। लहना सिंह अपने अंतिम क्षण में आता है, उसको अपने बारह वर्ष की अवस्था की याद आने लगती है। कैसे एक लड़की से पूछा करता था कि क्‍या तुम्‍हारी कुड़माई हो गई है, बदले में वह धत् कहकर भाग जाती थी। मृत्यु नजदिक आने पर लहना सिंह को सबकुछ याद आ रही थी। वह वजिरा सिंह से बार-बार पानी पिलाने के लिए कहता है। लहना सिंह की त्‍याग की भावना देखकर वजिरा के आँसु टप्-टप् टपक रहे थे।

अगले दिन अखबार से पता चला कि फ्रांस और बेल्जियम- 68वीं सूची- मैदान में सिख राइफल्‍स नं० 77 जमादार लहना सिंह धावों से मर गया। इस तरह से लहना सिंह अपनी जान गँवाकर अपना वादा निभाया।

उसने कहा था : चनद्रधर शर्मा गुलेरी Objective Questions

प्रश्न 1. हिन्‍दी कहानी के विकास में मील का पत्‍थर कौन-सी कहानी मानी जाती हैं ?
(क) उसने कहा था
(ख) पंच परमेश्‍वर
(ग) पुरस्‍कार
(घ) मंगर

उत्तर- (क) उसने कहा था

 प्रश्न 2. ‘तेरी  कुड़माई  हो गई’ का किस कहानी से संबंध हैं ?
(क) रोज
(ख) उसने कहा था
(ग) तिरिछ
(घ) जूठन

उत्तर- (ख) उसने कहा

प्रश्न 3. ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी के रचयिता का क्‍या नाम हैं ?   
(क) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(ख) अज्ञेय
(ग) मोहन राकेश
(घ) उदय प्रकाश

उत्तर- (क) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

प्रश्न 4. ‘उसने कहा था’ किस वर्ष की रचना हैं ?
(क) 1915
(ख) 1920
(ग) 1922
(घ) 1925

उत्तर- (क) 1915

प्रश्न 6. चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्‍म कब हुआ था ?
(क) जबलपुर, मध्‍य प्रदेश
(ख) इटारसी, मध्‍य प्रदेश
(ग) जयपुर, राजस्‍थान
(घ) लमही, वाराणसी

उत्तर- (क) जयपुर, राजस्‍थान

प्रश्न 7. चनद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन कब हुआ था ?
(क) 11 सितम्‍बर, 1921 ई.
(ख) 12 सितम्‍बर, 1922 ई.
(ग) 13 सितम्‍बर, 1923 ई.
(घ) 14 सितम्‍बर, 1924 ई.

उत्तर-(ख) 12 सितम्‍बर, 1922 ई.

प्रश्न 8. चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी का मूल निवास स्‍थल कहाँ था ?
(क) लमही, वाराणसी
(ख) कदमकुआँ, पटना
(ग) सिमरिया, बेगूसराय बिहार
(घ) गुलेर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

उत्तर- (घ) गुलेर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

प्रश्न 9. ‘उसने कहा था’ कहानी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी  द्वारा संपादित पत्रिका ‘सरस्‍वती’ में कब प्रकाशित हुई थी ?
(क) अप्रैल , 1915
(ख) मई, 1915
(ग) जून, 1915
(घ) जुलाई, 1915

उत्तर- (ग) जून, 1915

प्रश्न 10. गुलेरी जी की प्रमुख कहानियों का नाम बताएँ-
(क) सुखमय जीवन
(ख) बुद्ध  का काँटा
(ग) उसने कहा था
(घ) उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर-(घ) उपर्युक्‍त तीनों  

प्रश्न 11. किन विषयों पर गुलेरी जी ने लेखन किया ?
(क) प्राच्‍यविद्या, इतिहास
(ख) पुरातत्‍व, भाषाविज्ञान
(ग) समसामयिक विषय
(घ) उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर- (घ) उपर्युक्‍त तीनों

प्रश्न 12. गुलेरी जी के प्रमुख निबंधों के नाम बताएँ-  
(क) कछुआ धरम, डिंगल, संस्‍कृत की टिपरारी
(ख) मारेसि मोहिं कुठाँव, पुरानी हिन्‍दी
(ग) देवानां प्रिय
(घ) उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ) उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 13. किस पाठ में यह उक्ति आयी हैं- ‘मृत्‍यु के कुछ समय पहले स्‍मृति बहुत साफ हो जाती हैं।’  
(क) उसने कहा था
(ख) सुखमय जीवन
(ग) बुद्ध का काँटा
(घ) भोगे हुए दिन

उत्तर- (क) उसने कहा था

प्रश्न 14. ‘उसने कहा था’ कहानी की क्‍या विशेषता है ?
(क) दिव्‍य प्रेम कहानी
(ख) युद्ध कहानी
(ग) प्रेम पर बलिदान की कहानी
(घ) उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर- (घ) उपर्युक्‍त तीनों

प्रश्न 15. ‘उसने कहा था’ किस प्रकार की कहानी है ?
(क) कर्मप्रधान
(ख) भाव प्रधान
(ग) चरित्र प्रधान
(घ) धर्म प्रधान

उत्तर- (ग) चरित्र प्रधान

प्रश्न 16. गुलेरी जी ने किन पत्रिकाओं का सम्‍पादन किया ?
(क) समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका
(ख) धर्मयुग
(ग) साप्‍ताहिक हिन्‍दुस्‍तान
(घ) वागर्थ

उत्तर-(क) समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका

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1. बातचीत पाठ का व्‍याख्‍या : बालकृष्‍ण भट्ट | Batchit Class 12 Hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ एक ‘बातचीत (Batchit Class 12 Hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक बालकृष्‍ण भट्ट हैं।

1. बातचीत

लेखक परिचय

लेखक- बालकृष्‍ण भट्ट
जन्म- 23 जून 1844
निधन- 20 जुलाई 1914
निवास- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

प्रमुख रचनाएँ:

प्रमुख उपन्यास : रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान, गुप्त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा, हमारी घड़ी, सदभाव का अभाव आदि बालकृष्‍ण भट्ट की प्रमुख उपन्‍यास हैं।।

प्रमुख नाटक : पद्मावती, किरातर्जुनीय, वेणी संहार, शिशुपाल वध, नल दमयंती या दमयंती स्‍वयंवर, शिक्षा दान, चंद्रसेन, सीता वनवास, पतित पंचम, मेघनाथ वध, कट्टर सूम की एक नकल, वहन्नला, इंग्लैंडेश्वरी और भारत जननी, भारतवर्ष और कलि, दो दूरदेशी, एक रोगी और एक वैध, रेल का विकेट खेल, बालविवाह, आदि बालकृष्‍ण भट्ट की प्रमुख नाटक हैं।

प्रहसन- जैसा काम वैसा परिणाम, नई रौशनी का विष, आचार विडंबन इत्यादि ।

निबंध- लगभग 1000 निबंध जिनमें सौ से ऊपर बहुत महत्त्वपूर्ण। ‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में एक संग्रह प्रकाशित।

बालकृष्‍ण भट्ट आधुनिक काल के भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार में से एक हैं। यह तेजस्‍वी लेखन के द्वारा साहित्‍य सेवा करते रहने वाले समर्पित साहित्‍यकार थे।

बातचीत निबंध का सारांश

‘बातचीत’ शीर्षक निबंध आधुनिक काल के प्रसिद्ध निबंधकार बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखा गया है जिसमें वाक्शक्ति को लेखक ने ईश्वर का वरदान बताया है। बालकृष्ण जी कहते हैं कि वाकशक्ति अगर मनुष्य में ना होती तो ना जाने इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता। वे कहते हैं कि बातचीत में वक्ता को स्पीच की तरह नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता।

स्‍पीच में वक्‍तृता (भाषण) और बातचीत दोनों है। भाषण में मानव पहले संभल-संभल कर बोलता है और फिर कोई चुटीली बात करता है ताकि ताली-ध्‍वनि से कमरा गूँज उठे। इसमें अपने भाषण में ऐसा मौका लाना पड़ता है जिससे ताली बजे।

लेखक कहते हैं कि ताली बजाने का कोई मौका बातचीत में नहीं होता है। और न लोगों के ठहाके लगाने की कोई बात ही रहती है। बातचीत में कोई चुटीली बात कभी आ जाने पर थोड़ी हँसी आ जाती है। मुसकराहट से होठों का फड़क उठना इस हँसी का अंतिम सीमा है। स्‍पीच का उद्देश्‍य सुननेवाले के मन में जोश और उत्‍साह पैदा करना होता है।है। बातचीत मन बहलाने का तरिका है।

वे कहते हैं कि जैसे आदमी को जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने, पीने, चलने, फिरने इत्यादि की जरूरत है वैसे ही बातचीत भी अति आवश्यक है | इससे मन हल्का और स्वच्छ हो जाता है तथा अति आनंद प्राप्‍त होता है। गंदगी तथा धुँआ, जो दिल में जमा रहता है वो भाप बनकर उड़ जाता है। लेखक कहते हैं कि जिनको बातचीत करने की आदत लग जाती है वह खाना-पीना भी छोड़ देते हैं। लेकिन बातचीत का मजा नहीं खोना चाहते हैं।

लेखक ने रॉबिंसन क्रूसो के बारे में कहा है कि वह 16 वर्षों तक आदमी का मुख नहीं देखा था। 16 वर्षों तक कुत्ता, बिल्‍ली आदि जानवरों के बीच रहने के बाद उसने फ्राइडे के मुख से एक बात सुनी। उस समय रॉबिंसन को ऐसा आनंद हुआ मानो उसने नए सिरे से फिर से आदमी का चोला (कपड़ा) पाया। वे कहते हैं कि मनुष्‍य की बोलने की शक्ति में लुभा लेने की ताकत होती है।

बेन जॉनसन कहते हैं कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है।

लेखक ने बातचीत के प्रकार को भी बताया है। बातचीत की सीमा दो से लेकर वहाँ तक हो सकती है, जहाँ तक उनकी जमात या मीटिंग या सभा न समझ ली जाए।

एडीसन मानते हैं कि असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है अर्थात जब दो लोग होते है तभी अपना दिल एक दूसरे के सामने खोल पाते हैं। तीन लोगों के बीच दो की बात कोसों दूर हो जाती है। छ: कानों में पड़ी बात खुल जाती है। दो व्‍यक्ति के बातचीत में अगर कोई तिसरा आ जाता है, तो वे दोनों अपने बातचीत को बंद कर देते हैं।

लेखक के अनुसार तीन लोगों के बीच बातचीत अंगूठी में जुड़ी नग जैसी होती है। तीनों लोगों की बातचीत त्रिकोण बन जाता है।

चार लोगों के बीच की बातचीत केवल फ़ार्मेलिटी होती है। इसमें खुलकर बाते नहीं होती है। वह ‘फॉर्मैलिटी’ गौरव और संजीदगी वाली बात होती है। चार से अधिक के बातचीत में राम-रमौवल होती है अर्थात हँसी-मजाक होता है।

दो बुढ़े के बातचीत में अक्सर जमाने की शिकायत होती है। वे बाबा आदम के समय के दास्‍तान शुरू करते हैं, जिसमें चार सच तो दस झूठ होता है। एक बार उनके बातचीत का घोड़ा जब छूट जाता है, तो पहरों बीत जाते पर भी अंत नहीं होता है।

लेखक कहते हैं कि दो सहेलियों के बीच की बातचीत का जायका निराला होता है। भाग्य से ही दो सहेलियों के बीच का बातचीत को सुनने का मौका मिलता है। इनकी बातचीत रसों से भरा होता है।

दो बुढियों की बातचीत बहु-बेटी से संबंधित होती है। वह अपनी बहुओं या बेटों का शिकवा-शिकायत करती है। या बिरादरी की ऐसी बात शुरू कर देती है जिससे अंत में झगड़ा होने लगता है। स्‍कूल के लड़कों के बातचीत में अपने उस्‍ताद की शिकायत या तारीफ या अपने सहपाठियों में किसी के गुण-अवगुण की होती है। इसके अलावा लेखक ने बातचीत के अनेकों प्रकार बताया है। जिसमें राजकाज की बात, व्‍यापार संबंधी बातचीत, दो मित्रों में प्रेमालाप आदि।

लेखक कहते हैं कि हमारे देश में अशिक्षित लोगों में बतकही होती है। लड़की लड़केवालों की ओर से एक-एक आदमी बिचवई होकर दोनों में विवाह संबं‍ध की कुछ बातचीत करते हैं। उस दिन से बिरादरीवाले को जाहिर कर दिया जाता है कि विवाह पक्‍का हो गया। और यह रस्‍म बड़े उत्‍सव से मनाया जाता है। चंडूखाने (गांजे और शराब के अड्डे) की बातचीत भी निराली होती है।

लेखक कहते हैं कि यूरोप के लोगों मे बातचीत का हुनर है जिसे ‘आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ कहते हैं | इनके प्रसंग को सुनके कान को अत्यंत सुख मिलता है | इसे सुहृद गोष्ठी कहते हैं | पच्‍चीस वर्ष से उपर के उम्रवालों की बातचीत में गौरव और अनुभव पाया जाता है। जबकि इससे कम उम्र के लोगों के बातचीत में गौरव नहीं झलकता है, पर मिठास दस गुनी बढ़ जाती है।

अंत में, लेखक बालकृष्ण भट्ट कहते है कि हमें अपने अंदर ऐसी शक्ति पैदा करनी चाहिए, जिससे हम अपने आप बातचीत कर लें और बातचीत का यही उत्तम तरीका है। अर्थात् लेखक ने बातचीत का उत्तम तरिका अपने आप से बातचीत को बताया है।

1. बातचीत : लेखक- बालकृष्‍ण भट्ट

प्रश्न 1. बालकृष्‍ण भट्ट किस युग के रचनाकार है ?
(क) भारतेन्‍दु युग
(ख) प्रेमचंद युग
(ग) द्विवेदी युग
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (क) भारतेन्‍दु युग

प्रश्न 2. , बातचीत , शीर्षक निबंधकार का नाम बताएँ-                                                                                                                                                                                                                                      
(क) बालकृष्‍ण भट्ट
(ख) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(ग) रामधारी सिंह दिनकर
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (क) बालकृष्‍ण भट्ट

प्रश्न 3. बालकृष्‍ण भट्ट का जन्‍म कब हुआ था ?
(क) 23 जून,  1843 ई .
(ख) 23 जून,  1844 ई
(ग) 23 जून, 1845 ई .
(घ) 23 जून, 1846 ई .

उत्तर-   (ख) 23 जून,  1844 ई

प्रश्न 4. बालकृष्‍ण भट्ट का निवास स्‍थान कहाँ है ?
(क) समस्‍तीपुर, बिहार
(ख) पटना, बिहार
(ग) वाराणसी, उतर प्रदेश
(घ) इलाहाबाद, उतर प्रदेश

उत्तर- (घ) इलाहाबाद, उतर प्रदेश

प्रश्न 5. बालकृष्‍ण भट्ट ने लगभग कितने निबंध लिखे थे ?
(क) 1000
(ख) 1001
(ग) 1002
(घ) 100

उत्तर- (क) 1000

प्रश्न 6. बालकृष्‍ण भट्ट किस काल के लेखक हैं ?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) आधुनिक काल

उत्तर- (घ) आधुनिक काल

प्रश्न 7. बालकृष्‍ण  भट्ट की रचना ‘बातचीत‘ क्‍या है ?
(क) एकांकी
(ख) कहानी
(ग) यात्रा-संस्‍मरण
(घ) ललित निबंध

उत्तर- (घ) ललित निबंध

प्रश्न 8. बालकृष्‍ण के प्रहसन का नाम बताएँ-
(क) ‘ जैसा काम, वैसा परिणाम’
(ख) ये तीनों
(ग) ‘नई रोशनी का विष’
(घ) ‘आचार विडम्‍बन’

उत्तर- (ख) ये तीनों

प्रश्न 9. बाल कृष्‍ण भटृ के पिता का क्‍या नाम था ?
(क) देनी प्रसाद भट्ट
(ख) बेनी प्रसाद भट्ट
(ग) टेनी प्रसाद भट्ट
(घ) खैनी प्रसाद भट्ट

उत्तर- (ख) बेनी प्रसाद भट्ट

प्रश्न 10. बालकृष्‍ण  भट्ट का निधन कब हुआ था ?
(क) 20 जुलाई , 1912 ई .
(ख) 20 जुलाई , 1913 ई .
(ग) 20 जुलाई , 1914 ई .
(घ) 20 जुलाई , 1915 ई .

उत्तर- (ग) 20 जुलाई , 1914 ई .

प्रश्न 11. बेन जॉनसन ने क्‍या कहा था  ?
(क) बोलने से ही मनुष्‍य के रूप का साक्षात्‍कार होता हैं।
(ख) सुनने से ही मनुष्‍य को जाना जा सकता हैं।
(ग) चिल्‍लाने से ही दबंगों की आवाज को दबाया जा सकता हैं ।
(घ) विनम्रता से ही अपनी बात हमें कहनी चाहिए ।

उत्तर- (क) बोलने से ही मनुष्‍य के रूप का साक्षात्‍कार होता हैं।

प्रश्न 12. एडीसन का मत क्‍या हैं  ?
(क) सच्‍ची बातचीत तीन व्‍यक्तियों में भी हो सकती हैं ।
(ख) असल बातचीत सिर्फ दो व्‍यक्तियों में हो सकती हैं ।
(ग) झूठी बातचीत चार व्‍यक्तियों में होती हैं ।
(घ) सच्‍ची बातचीत पाँच व्‍यक्तियों में भी हो सकती हैं ।

उत्तर- (ख) असल बातचीत सिर्फ दो व्‍यक्तियों में हो सकती हैं ।

प्रश्न 13. ‘ शक्ति ‘ शब्‍द कौन लिंग हैं  ?
(क) पुंलिंग
(ख) स्‍त्रीलिंग
(ग) उभयलिंग
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ख) स्‍त्रीलिंग

प्रश्न 14. ‘शेक्‍सपियर’ शब्‍द संज्ञा के किस भेद के अंतर्गत आता हैं  ?
(क) जातिवाचक संज्ञा
(ख) भाववाचक संज्ञा
(ग) व्‍यक्तिवाचक संज्ञा
(घ) द्रव्‍यवाचक संज्ञा

उत्तर- (ग) व्‍यक्तिवाचक संज्ञा

प्रश्न 15. कौन-सा उपन्‍यास बालकृष्‍ण भट्ट ने नहीं लिखा था ?  
(क) रहस्‍य कथा, नूतन ब्रह्राचारी, सौ अजान एक सुजान
(ख) अजातशत्रु
(ग) गुप्‍त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा
(घ) हमारी घड़ी, सद्भाव का अभाव

उत्तर- (ख) अजातशत्रु

प्रश्न 16. खाली जगह को भरे – ‘अनेक प्रकार की शक्तियाँ जो वरदान की भाँति ईश्‍वर ने मनुष्‍य को दी है , उनमें …….. भी एक हैं ।’
(क) स्‍पर्श शक्ति
(ख) श्रवण शक्ति
(ग) वाक् शक्ति
(घ) घ्राण शक्ति

उत्तर- (ग) वाक् शक्ति

प्रश्न 17. वाक् शक्ति  के अनेक फायदों में कौन दो हैं ?
(क) बकबक एवं भाषण
(ख) घ्राण एवं दृष्टि
(ग) श्रवण एवं स्‍पर्श
(घ) ‘स्‍पीच’ वक्‍तृता और बातचीत

उत्तर- (घ) ‘ स्‍पीच ‘ वक्‍तृता और बातचीत

प्रश्न 18. ‘दमयंती स्‍वयंवर’ किस लेखक की रचना हैं ?
(क) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(ख) मलयज
(ग) बालकृष्‍ण भट्ट
(घ) भगत सिंह

उत्तर- (ग) बालकृष्‍ण भट्ट

प्रश्न 19. बालकृष्‍ण  भट्ट के मन में अध्‍ययन की रूची  एवं लालसा किसने जगाई ?
(क) माता सीता देवी
(ख) माता उर्मिला देवी
(ग) माता अहिल्‍या देवी
(घ) माता पार्वती देवी

उत्तर- (घ) माता पार्वती देवी    

प्रश्न 20. बालकृष्‍ण भट्ट क्‍या नहीं थे ?
(क) पत्र‍कार
(ख) महाकाव्‍यकार
(ग) निबंधकार
(घ) आलोचनाकार     

उतर – (ख) महाकाव्‍यकार

प्रश्न 21. किसने लिखा हैं ? – ‘गद्य लिखना भाषा को सार्वजनिक करते जाना हैं ।’
(क) अशोक वाजपेयी
(ख) नामवर सिंह
(ग) रघुवीर सहाय
(घ) शमशेर बहादुर सिंह

उतर – (ग) रघुवीर सहाय

प्रश्न 22. बालकृष्‍ण  भट्ट के समय के कौन- कौन साथी साहित्‍यकार थे ?
(क) भारतेन्‍दु  हरिश्‍चन्‍द्र, राधाचरण गोस्‍वामी
(ख) प्रताप नारायण मिश्र
(ग) ‘प्रेमघन’
(घ) उपर्युक्‍त सभी

उतर –  (घ) उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 23.  आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल ने बालकृष्‍ण भट्ट की तुलना किन अंग्रेजी साहित्‍य के लेखकों से की हैं ?
(क) एडीसन और स्‍टील
(ख) विलियम वडर्सवर्थ और विलियम शेक्‍सपियर
(ग) हडसन और स्विफट
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-  (क) एडीसन और स्‍टील 

प्रश्न 24. चंडूखाने ‘ शब्‍द का क्‍या अर्थ हैं  ?
(क) बाल मुड़वाना की जगह
(ख) सैलून
(ग) अफीम खानेवाले लोगों की मंडली के लिए सुरक्षित स्‍थान
(घ) चांडालों के रहने का स्‍थान

उतर – (ग) अफीम खानेवाले लोगों की मंडली के लिए सुरक्षित स्‍थान  

प्रश्न  25.  ‘ चमस्तिान ‘ शब्‍द  का क्‍या अर्थ  हैं ?
(क) हरे – भरे बागों  का इलाका
(ख) एक देश का नाम
(ग) चिमनी
(घ) राज्‍य

उतर- (क) हरे–भरे बागों  का इलाका

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5. बेजोड़ गायिका लता मंगेश्कर | लेखक – कुमार गंधर्व | Bejor Gayika Lata Mangeshkar Summary Notes

August 27, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ चार ‘बेजोड़ गायिका लता मंगेश्कर’ (Bejor Gayika Lata Mangeshkar Summary Notes Class 11 Hindi) निबंध का सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगेंं।

Bejor Gayika Lata Mangeshkar

4. बेजोड़ गायिका लता मंगेश्कर
लेखक-कुमार गंधर्व

लेखक कुमार गुधर्व इस पाठ के माध्यम से लतामंगेशकर की सुरिली एवं मिठापन सा अवाज और उनकी संगीत के बारे में वर्णन किया है। लेखक को गायिका लता मंगेशकर के बारे में एक रेडियो के माध्यम से पता चलता है और ये गायक दिनानाथ की पुत्री है। लेखक कहते हैं कि मैने जब से रेडियो में उनका गाना सुना तब से अभितक उनका गाना सुन रहा हूँ।

लता जी के पहले गायिका नुरजहाँ थी जिसका चित्रपट संगीत में अपना जमाना था। लोग इसे अच्छे तरह से जानते थें। लेकिन लेखक का मानना है कि जब से गायिका लता मंगेश्का आयी है तब से गायिका नुरजहाँ को पिछा छोड़ दिया है। गायक कहते हैं कि पहले भी घरों में बच्चे गाना गाया करते थें। लेकिन आज-कल के गानों में तो बहुत अंतर हो गया है।

लेखक का मनना है के आज कल जो लोगों के मन में सुरिलापन क्या है और उनके स्वर की ज्ञान बढ़ने का सबसे ज्यादा योगदान लता जी को देते हैं। लेखक कहते हैं कि अगर श्रोता से यह चुनाव कराया जाय कि लता की ध्वनि मुद्रिका और शास्त्रीय गायिकी ध्वनिमुद्रिका में कौन सबसे अच्छा है तो श्रोता लता जी की ध्वनि मुद्रिका को सपोर्ट करेंगें क्योंकि लता जी की संगीत में गनपन सत-प्रतिशत मौजुद है। क्योंकि जिस तरह मनुष्य होनें के लिए उसके अंदर मनुष्यता का होना आवश्यक है ठिक उसी प्रकार संगीत में गनपन का होना अनिवार्य है।

लेखक कहतें हैं इसके पहले भी एक प्रसिद्ध गायिका नुरजहाँ थी लेकिन उनके गानों में मादक उतान दिखता था। और लता जी के संगीत में तो सुन्दरता एवं मुग्धता दिखाई देती है। लेखक कहते हैं कि लता जी की तो संगीत समान्यतः ऊँची पट्टी में रहती है। लेकिन जो संगीत सुनने वाले होते है वह बिना मतलब आवाज ज्यादा कर चिलवाते रहते हैं।

लेखक कहते है कि चित्रपट संगीत एवं शास्त्रीय संगीत में चित्रपट संगीत आसान होता है। लेखक कहते हैं जिसे चित्रपट संगीत आता है उसे शास्त्रीय संगीत भी मालुम होना चाहिए। जो लता जी को अच्छी तरह से मालुम है।

लेखक का मानना है कि जो तीन साढ़े तीन घंटो का संगीत का आनंद एक समान होगा। क्योंकि लता जी की एक-एक गाना सम्पूर्ण कलाकृति होती है। संगीत की दुनिया मे लता जी का स्थान अव्वल पर आता है। क्योंकि कोई ऐसा गायक/गायिका नहीं है जो अपने पहले संगीत को इतनी कुशलता और रसोत्कटता से गा सकें।

चित्रपट संगीत के खिलाफ लोग कहतें हैं कि चित्रपट संगीत लोगों की सिर्फ कान खराब करता है बाकि कुछ नहीं। संगीत सुरीली एवं भावपूर्व गाना चाहिए। ये सब चित्रपट संगीत से हीं मुमकिन हो पाया है। यह संगीत समाज में अधिक अभिरूची लाया है। इसका उपयोग राजस्थानी, बंगाली, पंजाबी, प्रदेश के लोकगीतों के भंडार को भी उन्होंने खुब लुटा। कहे तो प्रत्येक परिस्थति में संगीत का उपयोग किया। अगर मैं कहुँ तो संगीत का क्षेत्र बहुत बड़ा है। और ऐसा देखा जा रहा है की दिन-प्रतिदिन संगीत अधिक से अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है।

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5. चलचित्र निबंध का व्‍याख्‍या और सारांश | Chalchitra Class 11 Hindi

August 25, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ पॉंच ‘चलचित्र’ (Chalchitra Class 11 Hindi) निबंध का सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगेंं।

Chalchitra Class 11 Hindi

5; चलचित्र
लेखक – सत्‍यजीत राय

सत्यजित द्वारा रचित चलचित्र जिसमें विशेष रूप से फिल्मों के बारे में बताया जाता है। अभी भी लोग आपस में वाद-विवाद करते हैं कि चलचित्र शिल्प यानी ‘‘कलाकृती’’ नहीं है बल्कि ये पाँच तरह के कलाकृतियों (शिल्प) से बना एक बेदस वस्तु है। सत्यजित राय शिल्प यानी की कलाकृति कि जो वाद-विवाद थी उसे खत्म करने के लिए ‘शिल्प’ को ‘शब्द’ का प्रयोग किया है। सत्यजित राय के अनुसार बिम्ब (तस्वीर) एवं शब्द (ेवनदक) के संयोग से जिस भाषा का निर्माण होता है। उसी से ही चलचित्र की निर्माण होती है। यदि इस भाषा का उपयोग यदि फिल्म में न हो तो अच्छे-अच्छे फिल्म भी बेकार हो जाता है। सत्यजित राय का मानना है कि ये कोई पंचमेल और बेदस नहीं है।

लेखक के अनुसार नाटक द्वंद्व, उपन्यास का कयानक ंएवं परिवेश वर्णन संगीत की गति एवं द्वंद, पेन्टींग की प्रकाश छाया की व्यंजना इन सभी का चल-चित्र में भी स्थान मिल गया है। लेकिन बिम्ब एवं ध्वनि एक पूर्ण रूप से भाषा है। बिम्ब एवं ध्वनि बिम्ब यहाँ मात्र चित्र ही नहीं बल्कि वाडं्मय चित्र भी है। यानी की शब्द एवं अर्थ से युक्त है जब यहाँ पर समस्त चित्र मिलते है एक कथ्य पुरा होता है।

जब अवाक फिल्म बनाते थे तो वह चित्र ही अर्थ व्यक्त करता था। उसे देखकर तस्वीर की अर्थ मालुम पड़ता था। ध्वनि तो बिम्ब का परिपूरक होता है और जब दोनों मिलते हैं तो एक कथ्य का निर्माण करते हैं। अगर इसमें से किसी एक को हटा दिया जाए तो चलचित्र की भाषा समझ नहीं आएगी। चलचित्र निर्माण को मुख्यतह तीन भागों में बाँटा गया है।
1. नाट्य रचना (सिनेरियो)
2. परिवेश का चुनसव (लुकेशन)
3. निर्माण (सेट्स) सुटिंग

अब इसमें रूची रखने वाले लोगों को उनके चरित्र के अनुसार उनको अभिनय कराकर उनकी तस्वीर ली जाती है और अब खण्ड-खण्ड में लिए गई तस्वीरे को एडिट करना, और उनके सुचीद्ध के अनुसार सजाना, ऐसा कहा जा सकता है कि कैमरा नहीं होता तो चलचित्र का तो सृजन ही नहीं होता। कैमरे से सुटिंग के बाद जो फिल्म ली जाती है उसे अच्छे तरह से एडिट की जाती है। जब फिल्म को एक ही सीन अलग-अलग दृष्टिकोण तोड़-तोड़कर दिखाया जाता है उसे शर्टकट कहा जाता है। ये चलचित्र कि सबसे निजी भिती है।

लेखक कहते हैं कि चलचित्र को कोई निश्चित सिद्धांत एवं फॉर्मूला नहीं है। ये सब र्निदेशक के सुझबुझ के अनुसार अलग-अलग रूपो में अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करता है। और कुछ ऐसे चमत्कारी का उपयोग किया जाता हैं। के दर्शकों को पता न चल सके। सत्यजित राय ने चलचित्र से सम्बन्धित बारिकी से जिन तत्वो एवं विशेषताओं का उल्लेख किया है वह सब सत्यजित राय जी ने अपने प्रसिद्ध फिल्म ‘पयेर पंयाली’ के माध्यम से समझाया। इसमें उनकी प्रतिभा छाप प्रसिद्ध है और यह एक न्याय र्निदेश के लिए एक मार्गदर्शक भी है यदि जो व्यक्ति चलचित्र र्निमाण से संबंधित जानकारी लेने के प्रति उत्साहित होंगे वह इस चलचित्र के लेखक सत्यजित राय से समझ सकते हैं। Chalchitra Class 11 Hindi

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7. सिक्का बदल गया कहानी का सारांश | Sikka Badal Gaya Kahani Krishna Sobti class 11th Hindi

August 25, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ सात ‘सिक्का बदल गया ‘ (Sikka Badal Gaya Kahani Krishna Sobti class 11th Hindi) कहानी का सारांश और सम्‍पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।

Sikka Badal Gaya Kahani

7. सिक्का बदल गया
लेखिका-कृष्णा सोबती

इस कहानी के लेखिका कृष्णा सोबती है, जब सुबह एक खादी के चादर ओढ़ एक झील नदी के किनारे जाती है और उसे वहाँ अकेलापन सा महसुस होता है फिर भी अपने हाथां में जल लिए सूर्य देवता का नमस्कार करती है। उसे उसके आस-पास कोई नजर नहीं आता है। लेखिका कहती है की शाहनी पच्चास सालों से यहाँ नहाती रही है और साथ दुलहन बन कर सबसे पहले यहीं आयी थी। लेकिन आज वह अकेली है। उसका पढ़ा-लिखा बेटा उसके साथ नहीं है। और साहनी जी लम्बी-सी सांस लेती है और राम-राम कहते हुए अपने घर की ओर रवाना हो जाती है।

शेरा की मम्मी की मृत्यु होने के बाद शाहनी शेरा को पालती-पोसती है। उसका बहुत ज्यादा ख्याल रखती है। लेकिन जैसे ही शाहनी ने उसे पुकारा तो उस समय वह शाहनी को उसी हवेली के काल कोठरी में पड़े सोने-चांदी को लुट लेना चाहता है। शाहनी जब शेरा को बुलाती है। वह गुस्सा हो उठता है। ये सब साहनी को अच्छा नहीं लगता। शाहनी सांचती है कि अगर आज शाह जी होते, तो जो आज हो रहा है वो नहीं हो पाता। शेरा के आँखो में शाह जी के प्रति गुस्सा दिखाई मालुम पड़ता है और शेरा बोलता है की शाह जी ने तो हमारे हीं भाईयों से सूद ब्याज लेकर शाह जी सोने की बोरिया तौला करते हैं।

शाहनी कहती है कि अभी तक शेरा के तरफ से लगभग कत्ल हो चुका है। लेखिका का मानना है की शेरा शाह जी के डाँट खाकर चुप-चाप हवेली पड़ा रहता था। शाह जी शेरा-शेरा कह कर पुकारती है की उठ शेरा दुध पिले फिर शेरा उठता है और सोंचता है की शाहनी आखिर हमारा क्या बिगाड़ा है। शाह जी के पास शेरा सोंचता है कि अब जो हुआ सो हुआ। अब रात कुछ ठीक हो जाएगा।

शाह जी को शेरा उसके घर छोड़ने जाते हैं। और जो उसके पलान किया गया था। उसे बताना चाहता है और कहता है आपके ऊपर आने वाली खतरे को कुछ मैं भी संभाल लुँगा। शाहनी को सब पता था कि ये सब क्या चल रहा है। शेरा शाहनी को उसके घर पर छोड़कर पता नहीं कब वापस लौट आया पता ही नहीं चलता है। शाहनी अपनी बिस्तर पर दिनभर सोई हुई मालुम पड़ती है और मन ही मन सोंच रही कि हम इस घर के मालकिन लेकिन आज सबकुछ बिखर रहा है।

Sikka Badal Gaya Kahani Krishna Sobti class 11th Hindi

शाहनी सोंचती है कि जो लोग कल शाह जी के इसारे पर नाचते थें। उनके खेत कमाते थे वो आज बदल गए हैं। शाहनी अकेली है बेगु जो शाहनी को जानता पर शाहनी की ओर नजर उठाकर देखता तक नहीं। शाहनी बेहोश हो जाती है और बेगु कहता है कि सिक्का बदल गया। शाहजी द्वारा बनवाई गई हवेली में ही हवेली लुटने की मसवेरा की गई है। शाहनी सबकुछ जानती थी पर फिर भी अंजान बनी रहती थी। साथ ही थानेदार दाऊद खाँ भी आते है और शाह जी के बिते कुछ बाते याद करते हैं।

थानेदार दाऊद खाँ शाहनी से कहते हैं, कुछ नगद लेना चाहो तो ले लो। शेरा दूर खड़ा दाऊद खाँ को शाहनी के पास देखता है तो शेरा को किसी प्रकार से शक होता है।
शाहनी सोंचती है जिस घर की मैं रानी थी उसी घर से जा रही हूँ। शाहनी कहती है मैं इस घर से रोकर नहीं शान से निकलूँगी। और घर से निकलती है फिर पिछे मुड़कर अपने घर को देखते हुए ट्रक में बैठ जाती है, सभी को आर्शिवाद देती है। शाहनी को तो कुछ पता चलता हीं नहीं कि ट्रक चल रहा है या नहीं। हवेली का एक-एक हिस्सा शाहनी के आँखों में घुमता नजर आता है।

शाहनी सबकुछ समझ रही है कि राज बदल गया। सिक्का बदल गया।

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Hamare aas paas ke padarth notes | हमारे आस-पास के पदार्थ नोट्स | Class 9th Science

August 25, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग कक्षा 9 विज्ञान के पाठ एक हमारे आस-पास के पदार्थ नोट्स (Hamare aas paas ke padarth notes) के प्रत्‍येक टॉपिक के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Hamare aas paas ke padarth notes

अध्याय 1
हमारे आस-पास के पदार्थ

पूरे विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस चीज से बनी है, उसे वैज्ञानिकों के द्वारा पदार्थ नाम दिया गया है।
कोई भी वस्तु जो स्थान घेरे, जिसमें द्रव्यमान एवं आयतन हो, और जो रूकावट उत्पन्न करे, उसे पदार्थ कहते हैं। जैसे- हवा, पत्थर, बादल, तारे, पौधे एवं पशु, रेत के एक कण से लेकर जल की एक बूँद तक पदार्थ हैं।

प्राचीन भारतीय दार्शनिकों ने पदार्थ को पाँच मूल तत्वों में बाँटा, जिसे ‘पंचतत्व’ कहा गया। वे पंचतत्व— वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश है। उनके अनुसार इन्हीं पंचतत्वों से सभी वस्तुएँ बनी हुई है।

आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को भौतिक गुणों और रासायनिक प्रकृति के आधार पर दो तरिके से वर्गीकृत किया। इस पाठ में भौतिक गुणों के आधार पर पदार्थ के बारे में अध्ययन करेंगे तथा अगले पाठ में रासायनिक गुणों के आधार पर पदार्थों का अध्ययन करेंगे।

विसरण- दो विभिन्न पदार्थों के कणों का अपने-आप मिलना ही विसरण कहलाता है।

पदार्थ के भौतिक गुण-

  1. पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है।
  2. पदार्थ के कणों के बीच खाली स्थान होता है। जिसे अंतराणुक स्थान कहते हैं।
  3. पदार्थ के कण अति सूक्ष्म होते हैं।
  4. पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं।
  5. पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं, जिसे अंतरा-अणुक आकर्षण बल कहते हैं।

पदार्थ के भौतिक गुणों के आधार पर पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती है-

  1. ठोस, 2. द्रव और 3. गैस

ठोस पदार्थों के सामान्य गुण

  1. ठोस के आकृति और आयतन निश्चित होते हैं।
  2. ठोस पदार्थ का घनत्व उच्च होता है।
  3. इसका आकार निश्चित होता है तथा आयतन भी निश्चित होता है।
  4. इसके द्रवणांक और क्वथनांक प्रायः उच्च होते हैं।
  5. ये कठोर और दृढ़ (बल लगाने पर यह टूट सकते हैं लेकिन इसका आकार नहीं बदलता है) होते हैं।
  6. इसकी संपीड्यता नगण्य होती है।
  7. इसमें बहाव की प्रवृति नहीं पाई जाती है।

द्रव- जिसकी आकार निश्चित नहीं लेकिन आयतन निश्चित होता है, उसे द्रव कहते हैं। जिस बर्तन में द्रव को रखा जाता है, वे उसी का आकार ले लेते हैं।

द्रव की विशेषताएँ-

  1. द्रव की आकार निश्चित नहीं होती है और न हीं आयतन निश्चित होती है।
  2. द्रव का घनत्व ठोस की तुलना में कम होता है।
  3. द्रव प्रायः असंपीड्य होते हैं अर्थात इस पर दाब बढ़ाकर या दाब घटाकर इसके आयतन को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता है।
  4. इसके द्रवनांक और क्वथनांक ठोस पदार्थों की तुलना में प्रायः कम होते हैं।
  5. द्रव पदार्थों में बहने की प्रवृति पाई जाती है।
  6. द्रव अवस्था में पदार्थ के कण स्वतंत्र रूप से गति करते हैं।
  7. ठोस की अपेक्षा द्रव के कणों में रिक्त स्थान अधिक होता है।
  8. ठोस की अपेक्षा द्रव में विसरण की दर अधिक होती है। अर्थात यह ठोस की तुलना में अधिक फैल जाता है।

Hamare aas paas ke padarth class 9 science notes

पदार्थ की गैसीय अवस्था

पदार्थ की वह अवस्था जिसकी आकृति और आयतन दोनों निश्चित नहीं होते हैं, उसे गैसीय अवस्था कहा जाता है। गैसों के कण स्वतंत्र रूप में इधर-उधर गमन करते हैं। इनके अणुओं के बीच का स्थान अधिक होता है।

गैसों के सामान्य गुण-

  1. गैसों का आकार और आयतन दोनों निश्चित नहीं होता है।
  2. ठोस और द्रव की तुलना में गैसों का घनत्व बहुत कम होता है।
  3. गैसों के द्रवनांक और क्वथनांक सामान्य वायुमंडीलय दाब पर कमरे के ताप से कम होते हैं।
  4. गैसों की संपीयड्यता बहुत अधिक होती है अर्थात गैस का दाब बढ़ाकर उसके आयतन को कम किया जा सकता है तथा दाब घटाकर उसके आयतन को बढ़ाया जा सकता है।
  5. गैसों में विसरण की दर ठोस और द्रव की तुलना में अत्यधिक तीव्र होती है। इसके कण बहुत तेजी से गमन करते हैं।
  6. गैस को गर्म करने पर इसका प्रसार तथा ठंडा करने पर सिकुड़ता है।

रसोइगैस के रूप में द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (liquefied petroleum gas, LPG) होती है। जिसे उच्च दाब पर द्रवीभूत कर सिलिंडरों में भरा जाता है।
स्वचालित वाहनों में ईंधन के रूप में संपीडित प्राकृतिक गैस (compressed natural gas, CNG) का उपयोग किया जाता है। जो बहुत कम प्रदुषण मुक्त करता है।
तापमान बढ़ने से पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
जिस न्यूनतम ताप पर कोई ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, उस तापमान को उस पदार्थ का गलनांक कहते हैं।
बर्फ का गलनांक 273.15 केल्विन या 0 डिग्री सेल्सियस होता है।
किसी पदार्थ को ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में बदलने की प्रक्रिया को संगलन कहते हैं।
वायुमंडलीय दाब पर 1 किलोग्राम ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते हैं, अर्थात् 0० सेल्सियस पर जल के कणों की ऊर्जा उसी तापमान पर बर्फ के कणों की ऊर्जा से अधिक होती है।

वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा ताप की वह मात्रा है जो 1 किलोग्राम द्रव को वायुमंडलीय दाब और द्रव के क्वथनांक पर गैसीय अवस्था में परिवर्तन कने के लिए प्रयोग होती है।
जल को जब हम ऊष्मीय ऊर्जा देते हैं, तो कण अधिक तेजी से गति करते हैं। एक निश्चित तापमान पर पहुँचकर कणों में इतनी ऊर्जा आ जाती है कि वे परस्पर आकर्षण बल को तोड़कर स्वतंत्र हो जाते हैं। इस तापमान पर द्रव गैस में बदलने लगता है।

क्वथनांक- वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, उसे उस पदार्थ का क्वथनांक कहते हैं। अर्थात् वह तापमान जिस पर कोई पदार्थ, द्रव से गैस में परिवर्तित होने लगता है, उस तापमान को उस पदार्थ का क्वथनांक कहते हैं। क्वथनांक में द्रव के सभी कणों को उतनी ऊर्जा मिल जाती है कि वे वाष्प में बदलने लगते हैं।
जल का क्वथनांक 373 केल्विन या 100० सेल्सियस होता है।

वाष्पण की गुप्त ऊष्मा, ऊर्जा की वह मात्रा है, जो द्रव के इकाई मात्रा को गैस में बदलने के लिए आवश्यक है। अर्थात वह ऊष्मा जिसे प्राप्त कर कोई द्रव गैस में परिवर्तित हो जाता है, उसे वाष्पण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

373 केल्विन या 100० सेल्सियस तापमान पर भाप अर्थात वाष्प के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भाप के कणों ने वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा के रूप में अतिरिक्त ऊष्मा अवशोषित कर ली है।
किसी पदार्थ को ठोस अवस्था से द्रव में परिवर्तित हुए बिना सीधे गैस में बदलने की प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
जैसे- कपूर को गर्म करने पर वह द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना सीधा गैस अवस्था में बदल जाता है।, आयोडिन, ईथर और एल्कोहल भी द्रव में बदले बिना सिधे गैस में परिवर्तित हो जाते हैं।

निक्षेपण- किसी पदार्थ को गैस से सीधे ठोस बनने की प्रक्रिया को निक्षेपण कहते हैं।

द्रव का हिमांक- जिस ताप पर कोई पदार्थ द्रव की अवस्था से ठोस की अवस्था में परिवर्तित होता है, द्रव का हिमांक कहलाता है, और यह प्रक्रिया द्रव का जमना कहलाती है।

पृथ्वी पर एकमात्र जल है, जो तीनों अवस्थाओं ठोस, द्रव और गैस के रूप में पाई जाती है।

ठोस कार्बनडाइऑक्साइड से क्या समझते हैं ?
ठोस कार्बनडाइऑक्साइड को उच्च दाब पर संग्रहित किया जाता है। जब एक वायुमंडलीय दाब हो, तो ठोस कार्बनडाइऑक्साइड द्रव अवस्था में आए बिन सिधें गैस में परिवर्तित हो जाताहै। यही कारण है कि ठोस कार्बनडाइऑक्साइड को शुष्क बर्फ कहते हैं।

गैस का द्रव में बदलना संघनन कहलाता है।
वर्षा संघनन के कारण होती है।
द्रव से गैस में परिवर्तित होना वाष्पण कहलाता है।
द्रव से ठोस में बदलने की प्रक्रिया को जमना कहते हैं।
ठोस से द्रव में बदलने की प्रक्रिया को संगलन कहते हैं।
क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।

Hamare aas paas ke padarth class 9 science notes

वाष्पीकरण क्यों होता है ?
जल की ऊपरी सतह का तापमान जब अधिक हो जाता है, तो जल के कणों में गतिज ऊर्जा आ जाती है। जिससे उनका अन्तराण्विक आकर्षण बल कमजोर हो जाता है। जब जल के ऊपरी सतह के कण हवा से टकराते हैं, तो सतही जल के अणु अन्य जल के अणु से टूट जाते है। या ऊपर का सतह अधिक तापमान पड़ने पर उनके अन्तराण्विक आकर्षण बल कमजोर हो जाते हैं। जिससे जल के अणुओं के बीच का अन्तराण्विक आकर्षण बल कमजोर हो जाते हैं। जिससे वह वाष्प के रूप में परिवर्तित हो जाता है।

वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को आर्द्रता कहते हैं।

वाष्पीकरण की दर निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है।
सतह का क्षेत्रफल बढ़ा देने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। जैसे, कपड़े सुखाने के लिए हम उसे फैला देते हैं।
तापमान बढ़ने पर उनके कणों को पर्याप्त गतिज ऊर्जा मिल जाती है, जिससे वे वाष्पीकृत हो जाते हैं।
जब वायु में जल के कणों की मात्रा पहले से अधिक होगी, तो वाष्पीकरण की दर घट जाएगी।
तेज गति की आयु से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।

तेज वायु में कपड़े जल्दी सुख जाते हैं, क्यों?
वायु के तेज होने से जलवाष्प के कण वायु के साथ उड़ जाते हैं जिससे आस-पास के जलवाष्प की मात्रा घट जाती है और वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। इसलिए तेज वायु में कपड़े जल्दी सुख जाते हैं।

तेज धूप वाले गर्म दिन के बाद लोग अपनी छत या खुल स्थान पर जल छिड़कते हैं, क्यों?
तेज धूप वाले गर्म दिन के बाद लोग अपनी छत या खुल स्थान पर जल छिड़कते हैं। क्योंकि जल के वाष्पीकरण के गुप्त ऊष्मा गर्म सतह को शीतल बनाती है।

गर्मियों में हमें सूती कपड़े क्यों पहनने चाहिए?
वाष्पीकरण के दौरान द्रव की सतह के कण हमारे शरीर या आसपास से ऊर्जा प्राप्त करके वाष्प में बदल जाते हैं। वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा के बराबर ऊष्मीय ऊर्जा हमारे शरीर में अवशोषित हो जाती है, जिससे शरीर शीतल हो जाता है। चूँकि सूति कपड़ों में जल का अवशोषण अधिक होता है, इसलिए हमारा पसीना इसमें अवशोषित होकर वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है।

बर्फीले जल से भरे गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूँदें क्यों नजर आती हैं?
वायु में उपस्थित जलवाष्प की ऊर्जा ठंडे पानी के संपर्क में आकर कम हो जाती है और यह द्रव अवस्था में बदल जाता है, जो हमें जल की बूँदों के रूप में नजर आता है। आसान भाषा में कहे तो हवा का जल होता है, जो गिलास या बोतल के बाहर दिखाई देता है।

गर्मी के दिनों में काले कपड़ों की तुलना में सफेद कपड़ों का पोशाक पहना अधिक उतम क्यों माना जाता है?
काली वस्तुएँ ऊष्मा का अवशोषण अधिक मात्रा में करती है। जबकि सफेद वस्तुएँ ऊष्मा का अवशोषण कम करती है। यही कारण है कि गर्मी के दिनों में काले कपड़ों की तुलना में सफेद कपड़ा पहनना उतम माना जाता है।

प्लाज्मा अवस्था- प्लाज्मा को पदार्थ की चौथी अवस्था को कहते हैं प्लाज्मा अवस्था में पदार्थ अत्यधिक आयनिकृत गैस के रूप में रहता है। इस अवस्था में इनके कण अति ऊर्जावान और अति उत्तेजित अवस्था में रहते हैं। इसका उपयोग प्रतिदीप्त ट्यूब और नियॉन संकेत वाले बल्ब के निर्माण में किया जाता है।
सूर्य और तारे प्लाज्मा अवस्था में हैं। प्लाज्मा की उत्पति तारे और सूर्य में उच्च ताप के कारण होती है। अर्थात् उच्च तापमान के कारण प्लाज्मा बनता है।

बोस-आइ्रस्टाइन कंडेन्सेट- यह पदार्थ की पाँचवीं अवस्था है। इसका अवधारणा सर्वप्रथम भारतीय भौतिक वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस ने की थी। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी इसकी भविष्यवाणी की थी।

2001 में अमेरिका के तीन वैज्ञानिक ने इस अवस्था को प्राप्त करने में सफल हुए। सामान्य वायु के घनत्व के एक लाखवें भाग जितने कम घनत्व वाली गैस को बहुत ही कम तापमान पर ठंडा करके (2 × 107 केल्विन ताप पर) इस अवस्था को प्राप्त किया गया। इस अवस्था को बोस-आइंस्टाइन कंडेन्सेट कहते हैं। Hamare aas paas ke padarth class 10 science notes

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मानवीय करूणा की दिव्य चमक कक्षा 10 हिंदी सारांश | Manviya karuna ki divya chamak class 10

August 23, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग सीबीएसई बोर्ड के हिन्‍दी के गद्य भाग के पाठ तेरह ‘मानवीय करूणा की दिव्य चमक पाठ का व्‍याख्‍या कक्षा 10 हिंदी’ (cbse class 10 Hindi Manviya karuna ki divya chamak class 10 summary)  के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Manviya karuna ki divya chamak class 10

13. मानवीय करूणा की दिव्य चमक
पाठ का सारांश

लेखक को ईश्वर से शिकायत है कि जिस फादर की रगों में सभी व्यक्तियों के लिए मिठास भरे अमृत के अलावा और कुछ नहीं था, उसके लिए ईश्वर ने जहरबाद (एक तरह का जहरीला फोड़ा) को क्यों बनाया। फादर ने अपना सारा जीवन प्रभु की आस्था और उपासना में बिताया, लेकिन अंतिम समय में उन्हें बहुत ज्यादा शारीरिक दुःख सहनी पड़ी। लेखक को पादरी के सफेद चोगे से ढ़की आकृति, गोरा रंग, सफेद झाँईं मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखे तथा गले लगाने को आतुर फादर बहुत याद आते हैं।

लेखक को बिते हुए ‘परिमल‘ के वो दिन याद आते हैं जब वे सभी एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे थे, जिसके सबसे बड़े सदस्य फादर थे। जब सभी हँसी मज़ाक करते तो फादर उसमें छिपे अंदाज से शामिल रहते। लेखक तथा उसके मित्रों के घरों में किसी भी उत्सव और संस्कार में वह बड़े भाई या पुरोहित की तरह खड़े होकर उन्हें आशीर्वादों से भर देते थे। लेखक को बीती वो सारी बातें याद आती है जब लेखक को फादर ने उनके मुख में पहली बार अन्न डाला था।

जब फादर बेल्जियम में इंजीनियर के आखरी वर्ष में थे, तब उनके मन में सबकुछ छोड़कर कुछ बनने की इच्छा जागी, लेकिन तब उनके घर में एक बहन, दो भाई, माँ पिता सभी लोग थे। जीस जगह पर रहते थे वो जगह का नाम रेम्पसचैपल था। जब उन्हे माँ की याद आती तो फादर अपने अभ्न्नि मित्र डाफ रघुवंश को अपनी माँ की चिट्ठियाँ दिखाया करते थें उनका एक भाई काम करता था और एक भाई पादरी हो गया था। उनकी बहन जिद्दी और पिता व्यवसायी थे। भारत में बसने के बाद वो अपने परिवार से मिलने दो-तीन बार बेल्जियम भी गए थे।

जब फादर इंजीनियरिंग के आखरी वर्ष में थे, तो वह अपने धर्म गुरू के पास जाकर बोले कि मैं संन्यास लेना चाहता हूँ। वह संन्यास लेने से पहले भारत जाना चाहते थे और वह भारत आ गए। ‘जिसेट संघ’ में दो साल पादरियों के साथ रहकर धर्म के बारे में अध्ययन किया और 9-10 साल तक दार्जिलिंग में पढ़ाई की। उन्होंने कोलकाता में बी. ए. किया और बाद में उन्होंने इलाहाबाद से एम. ए. किया। फादर ने 1950 में प्रयाग विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहकर रामकथा उŸापति और विकास जैसे विषय पर शोध पुरा किया। और भी कई तरह के कार्य करने के बाद सेंट जेवियर्स कॉलेज राँची में हिन्दी और संस्कृत विभाग के अध्यक्ष हो गए। फिर दिल्ली आने के बाद 47 साल देश में रहकर 73 साल का जीवन जीने के बाद पंचतŸव में वीलीन हो गए।

फादर ने हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किया और इन्होंने बाईबिल का अनुवाद भी किया। हिन्दी के विकास और उसे राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की बहुत चिंता थी फादर को। शायद हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रचारित करने का सवाल एक ऐसा सवाल था, जिसपर वह कभी-कभी झुंझला जाते थे। और इस बात का दुःख था कि हिन्दी वाले ही हिन्दी भाषा की उपेक्षा करते हैं।

फादर की मृत्यु 18 अगस्त 1982 में हुआ था। उस दिन सुबह दस बजे जब उनको कब्रगाह के आखरी छोड़ तक ले जाया गया जहाँ उन्हें धरती के गोद में सुलाने के लिए कब्र खुदी थी। वहीं पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। वहाँ पर उपस्थित कई लोग उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि फादर बुल्के इस धरती में जा रहे हैं। इस धरती से ऐसे रत्न और पैदा हों। यह कहने के बाद उनका मृत शरीर कब्र में उतार दिया। फादर को यह पता नहीं था कि उनकी मृत्यु पर कोई रोएगा। लेकिन उस समय उनके लिए रोने वालो कि कमी नहीं थी। लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करूणा की दिव्य चमक’ कहकर पुकारा है। Manviya karuna ki divya chamak class 10

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