इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ पॉंच ‘चलचित्र’ (Chalchitra Class 11 Hindi) निबंध का सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगेंं।
5; चलचित्र
लेखक – सत्यजीत राय
सत्यजित द्वारा रचित चलचित्र जिसमें विशेष रूप से फिल्मों के बारे में बताया जाता है। अभी भी लोग आपस में वाद-विवाद करते हैं कि चलचित्र शिल्प यानी ‘‘कलाकृती’’ नहीं है बल्कि ये पाँच तरह के कलाकृतियों (शिल्प) से बना एक बेदस वस्तु है। सत्यजित राय शिल्प यानी की कलाकृति कि जो वाद-विवाद थी उसे खत्म करने के लिए ‘शिल्प’ को ‘शब्द’ का प्रयोग किया है। सत्यजित राय के अनुसार बिम्ब (तस्वीर) एवं शब्द (ेवनदक) के संयोग से जिस भाषा का निर्माण होता है। उसी से ही चलचित्र की निर्माण होती है। यदि इस भाषा का उपयोग यदि फिल्म में न हो तो अच्छे-अच्छे फिल्म भी बेकार हो जाता है। सत्यजित राय का मानना है कि ये कोई पंचमेल और बेदस नहीं है।
लेखक के अनुसार नाटक द्वंद्व, उपन्यास का कयानक ंएवं परिवेश वर्णन संगीत की गति एवं द्वंद, पेन्टींग की प्रकाश छाया की व्यंजना इन सभी का चल-चित्र में भी स्थान मिल गया है। लेकिन बिम्ब एवं ध्वनि एक पूर्ण रूप से भाषा है। बिम्ब एवं ध्वनि बिम्ब यहाँ मात्र चित्र ही नहीं बल्कि वाडं्मय चित्र भी है। यानी की शब्द एवं अर्थ से युक्त है जब यहाँ पर समस्त चित्र मिलते है एक कथ्य पुरा होता है।
जब अवाक फिल्म बनाते थे तो वह चित्र ही अर्थ व्यक्त करता था। उसे देखकर तस्वीर की अर्थ मालुम पड़ता था। ध्वनि तो बिम्ब का परिपूरक होता है और जब दोनों मिलते हैं तो एक कथ्य का निर्माण करते हैं। अगर इसमें से किसी एक को हटा दिया जाए तो चलचित्र की भाषा समझ नहीं आएगी। चलचित्र निर्माण को मुख्यतह तीन भागों में बाँटा गया है।
1. नाट्य रचना (सिनेरियो)
2. परिवेश का चुनसव (लुकेशन)
3. निर्माण (सेट्स) सुटिंग
अब इसमें रूची रखने वाले लोगों को उनके चरित्र के अनुसार उनको अभिनय कराकर उनकी तस्वीर ली जाती है और अब खण्ड-खण्ड में लिए गई तस्वीरे को एडिट करना, और उनके सुचीद्ध के अनुसार सजाना, ऐसा कहा जा सकता है कि कैमरा नहीं होता तो चलचित्र का तो सृजन ही नहीं होता। कैमरे से सुटिंग के बाद जो फिल्म ली जाती है उसे अच्छे तरह से एडिट की जाती है। जब फिल्म को एक ही सीन अलग-अलग दृष्टिकोण तोड़-तोड़कर दिखाया जाता है उसे शर्टकट कहा जाता है। ये चलचित्र कि सबसे निजी भिती है।
लेखक कहते हैं कि चलचित्र को कोई निश्चित सिद्धांत एवं फॉर्मूला नहीं है। ये सब र्निदेशक के सुझबुझ के अनुसार अलग-अलग रूपो में अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करता है। और कुछ ऐसे चमत्कारी का उपयोग किया जाता हैं। के दर्शकों को पता न चल सके। सत्यजित राय ने चलचित्र से सम्बन्धित बारिकी से जिन तत्वो एवं विशेषताओं का उल्लेख किया है वह सब सत्यजित राय जी ने अपने प्रसिद्ध फिल्म ‘पयेर पंयाली’ के माध्यम से समझाया। इसमें उनकी प्रतिभा छाप प्रसिद्ध है और यह एक न्याय र्निदेश के लिए एक मार्गदर्शक भी है यदि जो व्यक्ति चलचित्र र्निमाण से संबंधित जानकारी लेने के प्रति उत्साहित होंगे वह इस चलचित्र के लेखक सत्यजित राय से समझ सकते हैं। Chalchitra Class 11 Hindi
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