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Hindi

अर्धनारीश्वर पाठ का सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या | Ardhnarishwar Class 12 Hindi Objective and Subjective Solutions

September 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ चार ‘अर्धनारीश्वर (Ardhnarishwar Class 12 Hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Ardhnarishwar Class 12 Hindi

4. अर्धनारीश्वर
(रामधारी सिंह दिनकर)

लेखक परिचय

जन्‍म : 23 सितम्बर 1908 निधन : 24 अप्रैल 1974
जन्म स्थान : सिमरिया, बेगूसराय, बिहार
माता-पिता : मनरूप देवी और रवि सिंह
शिक्षा : आरंभिक शिक्षा गाँव में, 1928 में मोकामा घाट रेल्वे हाई स्कूल से मैट्रिक,1932 में पटना कॉलेज से बी.ए.(इतिहास)
साहित्यिक अभिरुचि : 1925 में छात्र सहोदर पहली कविता प्रकाशित, छात्र जीवन में देश, प्रकाश, प्रतिमा जैसे अनेक रचनाएँ प्रकाशित हुई।

कृतियाँ—

प्रमुख काव्य : प्रणभंग (1929), रेणुका (1935), हुंकार (1938), रसवंती (1940), कुरुक्षेत्र (1946), रश्मिरथी (1952), नीलकसम (1954), उर्वशी (1961), परशुराम की प्रतीक्षा (1963), कोमलता और कवित्‍व (1964), हारे को हरिनाम (1970) आदि।

प्रमुख गद्य रचनाएँ : मिट्टी की ओर (1946), अर्द्धनारीश्‍वर (1952), संस्कृति के चार अध्याय (1956), काव्य की भूमिका (1958), वट पीपल (1961), शुद्ध कविता की खोज (1966), दिनकर की डायरी (1973) आदि।

सम्मान : संस्कृति के चार अध्याय के लिए साहित्य अकादमी पुरस्‍कार और उर्वशी के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्मभूषण से सम्मानित।

रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रकवि के नाम से विख्यात हैं।

रामधारी सिंह दिनकर जितने बड़े कवि थे, उतने बड़े गद्यकार थे। यह छायावादोत्तर युग के प्रमुख कवि हैं।

4. अर्धनारीश्वर का सारांश

प्रस्तुत निबंध ‘अर्धनारीश्वर’ पाठ के निबंधकार रामधारी सिंह दिनकर हैं। इनका जन्म 23 सितम्बर 1908 ई० को बिहार के सिमरिया गाँव में हुआ था। दिनकर जी को ‘राष्ट्रकवि‘ कहा जाता है।

इस पाठ में निबंधकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कहते हैं कि अर्धनारीश्वर शंकर और पार्वती की कल्पित रूप का वर्णन किया गया हैं। जिनमें आधा अंग पुरूष और आधा नारी का होता है। एक ही मूर्ति के दो आँखें, एक ममतामयी और दूसरी विकराल यानी शिव की आँख विकराल है और पार्वती की आँखें ममतामयी है। एक ही मूर्ति की दो हाथ, एक हाथ से त्रिशूल उठाए, तो दूसरी में चूड़ियाँ हैं, एक ही मूर्ति के दो पाँव एक जड़ीदार साड़ी से ढ़का हुआ और दूसरा बाघ की खाल से ढ़का हुआ है।

अर्धनारीश्वर की कल्पना से कुछ इस बात का भी पता चलता है कि नर-नारी पुरी तरह समान है और एक साथ ही एक गुण दूसरे का दोष नहीं हो सकता। यानी नर में नारीयों का गुण आए तो उनकी मरियादा बुरी नही होती या नारी में नर का गुण आए, तो नारी की मरियादा धूमिल नहीं होती। बल्कि उनकी मरियादा में वृद्धि होती है।

नारी समझती है कि उसके अंदर अगर पुरूष के गुण आ जाए तो वह स्त्री नहीं रहेगी बल्कि वह नर बन जाएगी। ठीक उसी तरह नर समझता है कि नारी का गुण अगर उसके अंदर आ जाए तो वह नारी बन जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं है। नारी के अंदर नर का गुण और नर के अंदर थोड़ा नारी होना जरूरी है। महिलाओं का गुण जैसे- दया, ममता, रोना आदि अगर  पुरूष के अंदर आ जाता है। तो उसे खराब नहीं, बल्कि उनके लिए और अच्छा हो जाता है। उसी तरह प्रत्येक स्त्री में पुरूष का गुण होता है लेकिन सिर्फ वह कोमल शरीर वाली पुरूष को आनंद देने वाली है।

लेखक मानते हैं कि जब गुणों का बँटवारा किया गया, तो पुरूषों ने नारीयों से राय नहीं पूछा। अपने मन से उसने जहाँ चाहा, नारी को बिठा दिया। नर ने स्‍वयं वृक्ष बन गया और नारी को लता बना दिया। अपने को नर ने वृंत बना लिया और नारी को लता बना दिया। उसी समय से धूप पुरूष और चाँदनी नारी है, ग्रीष्‍म नर और वर्षा मादा है।

लेखक कहते हैं कि जहाँ भी अधिकार की कोई भूमि हो, कर्म का कोई क्षेत्र या सत्ता पर अधिकार हो। उस पर नारी का नहीं, नर का कब्‍जा माना जाता है।

निबंधकार कहते हैं कि अगर आदि मानव आज मौजुद होते तो उन्हें भी आज आश्चर्य होता। उस समय पुरूष और नारी में कोई बँटवारा नहीं था। उस समय जब कोई जानवर उन पर हमला करता तो दोनों एक साथ उसका सामना करते थे। धूप-वर्षा में एक साथ घूमते थे। भोजन भी एक साथ इकट्ठा करते थे। लेकिन कृषि के खोज से पुरूष बाहर का कार्य करने लगा और महिलाएँ घर के अंदर चारदिवारी में रहने लगी। घर का जीवन सीमित हो गया और बाहर का जीवन असीमित हो गया।  यहीं से पुरूष और स्त्रियों में विभाजन शुरू हो गया। जिंदगी दो टूकड़ों में बँट गई। नारी की जिंदगी पूरूषों के अधीन हो गई।

कवि आगे कहते हैं कि पशु-पक्षीयों में भी ऐसा बँटवारा नहीं होता है। उसमें भी नर और मादा दोनों एक साथ हर काम को करते हैं। आज हर आदमी अपनी पत्नी को फूलों को आनंद की वस्तु समझता है। नारीयों का पुरूषों के गुलामी के कारण उसके सुख और दुख, प्रतिष्‍ठा और अप्रतिष्‍ठा, यहाँ तक कि जीवन और मरण पुरूषों की मर्जी पर टिकने लगा। सारा मुल्‍य इस बात पर रूका कि पुरूषों को नारीयों की आवश्‍यकत है या नहीं। नारी को अपने जीवने में रखने या नहीं रखने का अधिकार पुरूषों पर निर्भर करने लगा।

भगवान बुद्ध और महावीर  स्‍वामी ने नारीयों को कुछ अधिकार दिया। लेकिन जैन धर्म में दिगम्बर संप्रदाय निकला जिसने नए नियम बनाया कि नारीयों को मुक्ति मिल नहीं सकती है। बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनंद के कहने पर नारियों को बौद्ध धर्म में प्रवेश की अनुमति दिया। लेकिन कहा कि मैंने सोचा था कि यह मेरा चलाया गया धर्म पाँच हजार वर्ष तक चलेगा पर नारी के प्रवेश आ जाने से अब केवल पाँच सौ वर्ष ही चलेगा। इस प्रकाश बुद्ध ने भी नारीयों का अपमान किया।

महात्मा और साधु नारियों से डरते थे। कई महात्माओं ने नारीयों से शादी भी किया और बाद में उसकी बुराई भी की। कबीर भी नारी को महाविकार कहा है।

अपनी कमजोरी छिपाने के लिए पुरूष नारी को ‘नागीन’ या ‘जादूगरनी’ कहता है लेकिन यह बात सच है कि पुरूष में जादूगर और नाग का गुण नारी से कहीं ज्यादा होता है।

नारी की बुराई करते हुए कलम के सिपाही प्रेमचन्द कहते हैं कि पुरूष नारी का रूप लेता है तो वह देवता बन जाता है लेकिन वहीं जब पुरूष का रूप नारी ग्रहण करती है तो राक्षसी बन जाती है।

रवीन्द्रनाथ मानते हैं कि नारी पढ़-लिखकर क्या करेगी। नारी का मतलब सुंदर दिखना, पृथ्वी की शोभा बढ़ाना और प्रेम की प्रतिमा बनने में है।

लेखक कहते हैं कि नारीयों की इतनी अवहेलना यानी बेइज्जती के बावजूद भी वह कभी बुरा नहीं मानतीं। नारीयों को यह भी सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि नारी सपना है, नारी सुगंध है, नारी पुरूष की बाँहों पर झूलती हुई जुही की माला है, नारी नर के वक्षस्‍थल पर मंदार फूल का हार है। नर नारीयों के अंदर उठने वाले स्‍वतंत्रता को धीमा रखना चाहते हैं।

अब नारीयों को विकार और पुरूषों की बाधा नहीं मानी जाती है। वह प्रेरणा का उद्गम और शक्ति का स्‍त्रोत है। नारी भी अब सभी प्रकार के कार्य करने लगी है। लेखक का मानना है कि फिर भी, नारी अपनी सही जगह पर नहीं पहुँची है।

दिनकर जी यह भी कहते हैं कि प्रत्येक नर एक हद तक नारी है और नारी बनना अधिक जरूरी है। वह कहते हैं कि पुरुष इतना कर्कश औश्र क्‍ठोर हो उठा है कि युद्धों में रक्‍त बहाते समय यह ध्‍यान नहीं रहता कि रक्‍त के पीछे किसका सिंदूर बहनेवाला है, उन सिंदूरवालीयों का क्‍या हाल होगा। लेखक कहते हैं कि कौरवों की सभा में अगर संधि कृष्‍ण और दुर्योधन के बीच न होकर कुंती और गंधारी के बीच हुई होती, तो बहुत संभव था कि महाभारत का युद्ध नहीं होता।

नारी कोमलता का आरधना करते-करते इतनी कोमल हो गई कि उसे कमजोर कहा जाने लगा। लेखक कहते हैं कि नर में भी कोमलता का विकास करना चाहिए।

मार्क्‍स और गाँधी इस ओर संकेत करते हैं कि नारी से दूर भागना मूर्खता है। नारी केवल नर को रिझाने या उसे प्रेरणा देने के लिए नहीं बनी है। नर जिसे अपना कर्मक्षेत्र मानता है, नारी का भी कर्मक्षेत्र वहीं हैं।

गाँधीजी ने नारीत्व की भी साधना अपने जीवन में की थी। उनकी पोती जो पुस्तक लिखी उसका नाम ‘बापू मेरी माँ’ है। जिसमें पुरूषों में उपस्थित नारीयों के गुण जैसे दया, क्षमा इत्यादि को बतलाया गया है।

इस निबंध में लेखक रामधारी सिंह दिनकर ने स्त्रियों के सम्मान को बढ़ाने पर बल दिया है । उन्होने गाँधी और मार्क्स के विचारों की वकालत की है जिन्होंने नारी जाति के सम्मान की बात कही है।

4. अर्द्धनाश्‍वर : रामधारी सिंह ‘दिनकर‘

Ardhnarishwar Class 12 Hindi Objecitve Question

प्रश्न 1. ‘दिनकर’ किस युग के कवि थे ?
(क) द्वि‍वेदी युग
(ख) छायावादी युग
(ग) छायावादोतर युग
(घ) भारतेन्‍दु युग

उत्तर- (ग) छायावादोतर युग

प्रश्न 2. रामधारी सिंह दिनकर का जन्‍म कहाँ हुआ था ?
(क) इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(ख) ढाका, बंगाल
(ग) लमही, वाराणसी
(घ) सिमरिया, बेगूसराय, बिहार

उत्तर- (घ) सिमरिया, बेगूसराय, बिहार

प्रश्न 3.  रामधारी सिंह दिनकर का जन्‍म कहाँ हुआ था ?
(क) 22 सितम्‍बर, 1907
(ख) 23 सितम्‍बर, 1908
(ग) 24 सितम्‍बर, 1909
(घ) 25 सितम्‍बर, 1910

उत्तर- (ख) 23 सितम्‍बर, 1908

प्रश्न 4.  रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का निधन कब हुआ था ?
(क) 22 अप्रैल, 1972
(ख) 23 अप्रैल, 1973
(ग) 24 अप्रैल, 1974
(घ) 25 अप्रैल, 1975

उत्तर- (ग) 24 अप्रैल, 1974

प्रश्न 5. किसने कहा हैं- ‘नारी की पराधीनता तब आरम्‍भ हुए जब मानव जाति ने कृ‍षि का आविष्‍कार किया जिसके चलते नारी घर में और पुरूष बाहर रहने लगा ।’
(क) प्रेमचंद
(ख) दिनकर
(ग) रवीन्‍द्रनाथ
(घ) बनार्ड शा

उत्तर- (ख) दिनकर

प्रश्न 6.  किस रचनाकार की पंक्तियाँ हैं ? ‘नारी सुगंध हैं, नारी पुरूष की बाँह पर झूलती हुई, जूही की माला हैं।’
(क) प्रेमचंद
(ख) अज्ञेय
(ग) मोहन राकेश
(घ) रामधारी सिंह दिन‍कर

उत्तर- (घ) रामधारी सिंह दिन‍कर

प्रश्न 7. नर और नारी के क्‍या काम हैं ?
(क) नर-नारी और नारी नर हो गयी है ।
(ख) नर कुदाल चलाने वाला बलशाली किसान और नारी का काम अछोरना – पछोरना हैं ।
(ग) नर चाय बनाता हैं , नारी खाना पकाती हैं ।
(घ) नारी नौकरी करती है , नर खाना बनाता हैं ।

उत्तर- (ख) नर कुदाल चलाने वाला बलशाली किसान और नारी का काम अछोरना–पछोरना हैं ।

प्रश्न 8. कामिनी तो अपने साथ ……… की शांति लाती हैं । खाली जगह को भरें ।   
(क) दामिनी
(ख) गामिनी
(ग) यामिनी
(घ) शायनी

उत्तर- (ग) यामिनी

प्रश्न 9. दिनकर को किस गद्य–पुस्‍तक पर साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार मिला था ?
(क) अर्धनारीश्‍वर
(ख) शुद्ध कविता की खोज
(ग) संस्‍कृति के चार अध्‍याय
(घ) दिनकर की डायरी

उत्तर- (ग) संस्‍कृति के चार अध्‍याय

 प्रश्न 10. दिनकर को किस काव्‍य–पुस्‍तक पर भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्‍कार मिला था ?
(क) हुंकार
(ख) रश्मिरथी
(ग) कुरूक्षेत्र
(घ) उर्वशी

उत्तर- (घ) उर्वशी

प्रश्न 11. ‘दिनकर’ की कविता का कौन–सा गुण नहीं था ?
(क) ओज गुण
(ख) मसृणता
(ग) पौरूष
(घ) प्रभावपूर्ण वाग्मिता

उत्तर- (ख) मसृणता

प्रश्न 12. अर्द्धनारीश्रर कल्पित रूप हैं  
(क) राधा–कृष्‍ण का
(ख) शंकर और पार्वती का
(ग) राम और सीता का
(घ) गणेश और लक्ष्‍मी का

उत्तर- (ख) शंकर और पार्वती का

प्रश्न 13. दिनकर के माता–पिता  का क्‍या नाम था ?
(क) गंगा देवी और प्रेम कुमार सिंह
(ख) संजीव और नारायण जिद
(ग) विद्यावति देवी एवं कला प्रसाद सिंह
(घ) मनरूप देवी एवं रवि सिंह

उत्तर- (घ) मनरूप देवी एवं रवि सिंह

प्रश्न 14. दिनकर जी की पत्‍नी का नाम क्‍या था ?
(क) श्‍यामवति देवी
(ख) प्रभावति देवी
(ग) मनरूप देवी
(घ) प्रमरूपावति देवी

उत्तर- (क) श्‍यामवति देवी

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कक्षा 11 हिंदी पाठ 11 भोगे हुए दिन | Bhoge hue din class 11th hindi

September 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी पाठ 11 ‘भोगे हुए दिन (Bhoge hue din Class 11 Hindi) ‘ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Bhoge hue din

11. भोगे हुए दिन
लेखक-मेहरून्निसा परवेज

लेखिका इस पाठ के माध्यम से हमें संदेश देना चाहतें हैं कि जो शांदा साहब है वह एक शायर है जो पहले कहीं भी शायरो मशवेरा होता तो वहाँ शांदा साहब को बुलाया जाता लेकिन अब नहीं। सामीम पुराने शायर शांदा साहब के घर आते हीं शांदा साहब बहुत खुशी महसुस करतें हैं। और कहते तो बरखुरदार इस बुड्ढ़े की याद आ गई। शांदा साहब अपने दस साल के एक लड़के को सुटकेश अपने कमरे में रखने के लिए बुलाते है। लड़का आता है और सुटकेश लेकर चला जाता है|

लेखिका कहती है कि समीम देखते हैं कि वहाँ पर एक आम के पेड़ के पीचे छाया में बैठी ऐ लड़की जो लकड़ी बेंचने के लिए बैठी है जिसका कपड़ा बहुत हीं ज्यादा गंदा है। और उनके घर उदास सा मालुम पड़ता था। संदा साहब की बुड्ढ़ी औरत जो कुँए के पास कपड़ा धोती हुई नजर आती है। समीम उनसे सलाम करते हैं। शांदा साहब परिचय देते हुए कहते हैं कि अरे बेगम यह तो अपना जगदलकुर वाला समीम है। जब शांदा साहब बाहर जाते हैं तो समीम अपना सुटकेश से कपड़ निकालता है और फ्रेस होकर अपना कपड़ा बदलते है। समीम देखता है कि शांदा साहब अपने हाथों में आठ आने वाली चाय की एक पुरिया लिए आ रहे हैं और तराजू के पास बैठी वह लड़की लकड़ी तौल-तौल कर दे रही है। जावेद सोफिया के पास जाता है और कहता है आठ आने दे नानी बोली है। फिर सोफिया वो आठ आने अपने जेब से निकालकर दे देती है।

लेखिका कहती है कि जब समीम सोफिया के पास आता है तो वह देखता है कि अच्छे-अच्छे घराने के भी औरतें यहाँ पर बिड़ी बनाती है। शांदा साहब की एक बेटी जो प्राइमरी स्कूल की टिचर है जिसके दो बच्चे जावेद एवं सोफिया है। सोफिया कि अम्मा उसे घर पर हीं पढ़ाती है। वह जावेद अभी तीसरी स्कूल में पढ़ता है लेखिका कहती है कि इसके पहले जावेद गर्मियों में माशयरा रखा गया था तो संदा साहब को एक अध्यक्ष के रूप में बुलाया था। जावेद, समीम को बुलाकर घर के अंदर ले जाता है जहाँ शांदा साहब बैठे हैं। और अच्छे तरह से नाश्ता करते हैं। संदा साहब ज्यादा बुड्ढ़ा हो जाने के कारण इन्हें कहीं भी मुशायरा में नहीं बुलाया जाता है। किसी तरह इनकी लड़की स्कूल में पढ़ाकर एवं लकड़ी की धंधा कर अपना खर्चा चला रहें है। शांदा साहब की लड़की स्कूल से छुट्टी होते हीं फातमा घर को आ जाती है और थकान होनें के कारण वह खाट पर लेट जाती है।

लेखिका कहती है कि समीम सोंच ही रहा था कि कल सुबह घर के लिए निकलेंगे लेकिन उनका लगाव घर वालों से कुछ ज्यादा ही हो गया था। शांदा साहब अपने बारे में कुछ विशेष बिते बातों का जिक्र करते हैं कि एक दिन था जो मेरा शायरी सुनने के लिए लोग दौड़े भागे आते थें। और आज कोई पुछता तक नहीं। सब ने मुझे भुला दिया। शांदा साहब एक फाइल लोते और उसमें से सभी कागजात निकालतें हैं और समीम को पढ़ने के लिए देते हैं। वह सब खत पुरानी सायरो का है जो शांदा साहब से उन सभी सायरों ने कहा था। जो इन्हें अच्छे तरह से जानते हैं। शांदा साहब कहते हैं जब किसी शायरो की शायरी में कुछ भी गलती होता तो मैं उसे सुधारता लेकिन आज हमें कोई नहीं पुछता है। संदा साहब निराश मालुम पड़ते है किसी भी शायर को उस समय मर जाना चाहिए था जब लोग उन्हें चाहने लगें।

लेखिका कहती है कि समीम जब शाम के समय सामान खरीदकर लोटता तो सबकुछ शांत मालुम पड़ता है फिर वह उसी कमरे में जाता है और वहाँ शांदा साहब और उनकी नतनी सोफिया काम कर रहे होते हैं। फिर समीम वापस बाहर आ जाता है। इधर जावेद लकड़ियाँ तौल रहा था समीम को अपने घर जाने का वक्त नजदीक आ जाता हैं जावेद, समीम से हाथ मिलाकर स्कूल चला जाता है। सोफिया फिर से उसी तरह बाल बिखराए बैठ जाती है। समीम को जाते देख शांदा साहब निराश मालुम पड़ते हैं और इसी तरह समीम अपने घर को चला जाता है।

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कक्षा 11 हिंदी पाठ 10 सूर्य का व्‍याख्‍या | Surya Class 11 Hindi Solutions

September 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी पाठ 10 ‘सूर्य (Surya Class 11 Hindi) ‘ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

surya class 11 hindi

10. सूर्य
लेखक-ओदोलेन स्मेकल

लेखक ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखा गया ‘‘सूर्य’’ के इस पाठ सूर्य के बारे में अधिक जानकारी ली गई है।
लेखक कहते हैं आखिर सूर्य क्या है? क्या यह एक पहिए वाला सुनहरा रथ है क्या, यह वह देखता है? जो पुरे संसार के गतिविधियों पर नजर रखता है, आखिर ये है क्या?

लेखक के अनुसार जो भारतीय पौराणि कथाओं के अनुसार सूर्य के माता एवं पिता अदिति एवं कश्यप जिसके आठ बच्चे हैं। जिसमें बताया गया है कि सूर्य उन में से आठवाँ बच्चा जो एक अंडे की आकार के है। जिससे उनका माता-पिता उन्हें परित्याग कर देते हैं। दुसरा किस्सा के मुताबिक अदिति के सात पत्र बताया गया है। जिसे ब्रहमांड की सृजन करने को कहा जाता है। लेकिन इसमें वे सब असमर्थ रहें। क्योंकि वे सिर्फ जन्म को हीं जानतें है मृत्यु को नहीं। वे दिन-रात कि सृजन करते हैं। सूर्य को जीवन एवं मृत्यु की प्रतिक माने जाते हैं। इनकी विवाह विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से होती है। जिससे उनके तीन बच्चे भी हुए। 1. वैवस्वत 2. यम एवं यमुना।

लेकिन यहाँ पर सूर्य का तेज संज्ञा नहीं कर पाता और वह अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ घोड़ी के रूप ग्रहण तप करने चली जाती है। छाया से शनि, सावर्णि मनु एवं तपति नाम के तीन पुत्र जन्म लिए। सूर्य के सारथी का नाम अरूण है सूर्य संज्ञा को ढ़ुढ़ने के लिए पुरे ब्रहमांड को ढ़ुढ़ते है संज्ञा के दो बच्चे जिनका नाम नासत्य एवं दस जिन्हें अश्चिनी कुमार कहा जाता है। रामजी का जन्म भी सूर्यवंश में हुआ था। जो विष्णु के सातवं अवतार बताए गए हैं। सूर्य की पुजा प्रत्येक महिने अलग-अलग नाम से की जाती है। साथ सूर्य के अलग-अलग कार्य के अनुसार नाम भी दिया गया है। लेखक कहते हैं कि ज्ञानवय ऋषि वेदों की शिक्षा सूय से ही की है। गरूड़ को भी सूर्य का प्रतिक माना जाता है। क्योंकि जिस तरह सूर्य अंधकार को खा जाता है ठीक उसी तरह साँप रूपी अंधार गरूड़ खा लेती है। भारत में कोणार्क का सूर्य मंदिर सबसे ज्यादा प्रचलित है।

फ्रांस के लोग तो सूर्य को मिथरा कहते है जो सभी दुःख को हरता है होमर द्वारा सूर्य देवता को देवताओं का हाईप्रियन पिता कहा गया है। सूर्य को अहुरमज्दा की आँख और तेज घोड़ा कहा जाता है मिथराई के अनुसार सूर्य का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ है। जिसे क्रिसमस के रूप में माना जाता है। ऋगवेद में सूर्य को ईश्वर की सबसे खुबशुरत कहा गया है। प्रचीन भारत में भी सूर्य के मंदिर को आदित्य गृह कहा जाता है। लेखक का मानना है कि सूर्य का पूजा सिर्फ बिहार में ही बहुत बड़े स्तर पर की जाती है जैसे छठ पूजा बड़े हीं लोकप्रियता से मनाई जाती है। काफिरिस्तान जो अफ्गानिस्तान एवं पाकिस्तान के सीमा पर है। वहाँ पर भी सूर्य की पूजा की जाती है।

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9. एक दीक्षांत भाषण कक्षा 11 हिंदी व्‍याख्‍या | Ek Dikshant Bhashan class 11 Hindi

September 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ नौ ‘एक दीक्षांत भाषण’ (Ek Dikshant Bhashan class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्‍पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।

Ek Dikshant Bhashan class 11 Hindi

 

9. एक दीक्षांत भाषण
लेखक हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई द्वारा रचित यह ‘एक दीक्षांत भाषण’ जिसमें वर्तमान में हो रहे भष्टचार का उचित विवेचना किया गया है। एक विश्वविद्यालय में बुलवाए जाते हैं नेताजी मंच पर और देखें की छात्र से ज्यादा पुलिस कर्मी है। यहाँ पर सरकारी कर्मी एवं सरकार कि भी विशेष रूप से बात की जा रही है। छात्र हल्ला-गुल्ला एवं हुटिंग करते हैं नेता जी छात्रां को अश्वासण दिलाते हुए कहते हैं छात्रो आप सब शांत हो जाओ मै आप सबो के हुटिंग के लिए और भी योजना बनाई गई है। यहाँ पर थोड़ा सा छात्रो के भविष्य के बारे मे भी बात की गई है। नेताजी का कहना है कि मैं अनपढ़ जनता की हुटिंग में उब चुका हूँ। लेकिन यहाँ छात्रो द्वारा किए गए हुटिंग से नेता जी के लिए तो गौरव की बात कही गई है। यहाँ स्टेज पर नेताजी द्वारा बृहस्पति जी को खुद से तुलना करते हैं। और कहते जो ज्ञानी है वह कायर होता है मैं तो साहजी हुँ। इसी तरह नेताजी की भाषण चलती रहती है छात्रों का उग्र रूप सामने मालुम पड़ता है छात्र नेताजी को कंकड़ मारने लगते हैं फिर भी नेताजी की भाषण जारी रहता है। मंत्रीजी द्वारा कंकड़ के बदले अंडे फेंकने की बात कही गई है आज-कल के नौजवान छात्र एवं छात्राओ की चरित्र का भी वर्णन किया गया हैं। नेताजी द्वारा सभी नवयुवक छात्र, छात्राओं को डिग्री लेने के लिए नकल, पेपर आउट एंट शिक्षकों से मारपीट करने को कहा गया है। मंत्री सभी छात्र-छात्राओं से अप्पील करते हैं कि आपलोग राजनीतिक में मत आइएगा। ताकी हमारा सरकार रह सके, यहाँ समारोह में बिना पास किए हुए डिग्री लेने की भी चर्चा की गई है। नेताजी कहते हैं मैं कानूनी तौर पर नहीं होता तो आज मुझे कोई डॉक्टर, कम्पाउडर भी नहीं बनाता। Ek Dikshant Bhashan class 11 Hindi

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6. मेरी वियतनाम यात्रा कक्षा 11 हिंदी व्‍याख्‍या | Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi

September 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ छ: ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ (Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्‍पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।

Meri Vietnam Yatra class 11 Hindi

मेरी वियतनाम यात्रा
लेखक – भोला पासवान शास्त्री

इस पाठ के माध्यम से बिहार के लेखक भोला पासवान शास्त्री जी अपने वियतनाम यात्रा के दौड़ान ‘‘हो-ची मिन्ह’’ जी का वर्णन विस्तार रूप से किया गया है। लेखक कहतें हैं कि लगभग 40 से 42 वर्ष पहले एक हिन्दी के पात्रीका के एक पन्ने को उलट-पलट रहा था तो मुझे पेन्सील से बनी एक स्केल तस्वीर दिखाई पड़ी। ये तस्वीर वियतनाम के एक महान व्यक्ति ‘‘हो-ची मिन्ह’’ की है लेखक कहते है लगभग 90 वर्ष पहले जब वियतनाम विदेशियों के द्वारा अंधकारो से 6 का हुआ यानी की गुलाम था तो उसने भूमी पर हो-ची मिन्ह का जन्म हुआ और ये वियतनाम के लोगो को अजाद कराया और उन्हे सही रास्ता चलने की सीख दी। लेखक भोला पासवान शास्त्री जी ने बताया की जब मेरी पहली विदेशी यात्रा करनी थी तो मुझे बहुत खुशी महसुस हुआ। जब मैं बिहार से दिल्ली के लिए रवाना हुआ या जब मुझे कही जाने का होता तो मैं जल्द तैयार हो कर चला जाता। इसी तरह वियतनाम लगभग दिन बित गए। मैंने गाँव वियतनाम के लिए रवाना हुआ तो एयर इंडिया के बोरिंग विमान 10 मे सवार हुए। इस विमाने को विना रोके बैंकॉक की ओर जाता था। वहाँ पहुँचने के बाद उन्होंने होटल में ठहरा और भोजन ग्रहण की साथ ही रात उसी होटल रह कर विश्राम किया। और सुबह फिर उठे और अपना यात्रा करने के लिए बैंकॉक के हवाई अड्डा पहुँचे और वहाँ से वियतनाम की राज्यधानी हानोई के लिए विमान खाना हुई इन दोनो बैंकॉक एवं हानोई के बिच एक नदी थी जिसे मौकांग नदी के नाम से जाना जाता है। देखते ही देखते विमान वेंचियन पहुँचा और यात्रा वेंचियन उतरे और अपना भोजन ग्रहण किया फिर से विमान में सवार हो गए लगभग उन्हे डेढ़ घंटे लगे जिलायम पहुँचे गए यहाँ से हानाई नजदीक है। वियतानामी कामेटी ऑफ ऑल कंटीगा पदाधिकारी एवं उनका सहयोगी हाथों में गुलदस्ता का फुल लिए स्वागत सत्कार किया। लेखक भोला पासवान शास्त्री जी हवाई अड्डा से जब बाहर निकले तो वहाँ के सरकार द्वारा भेजी गई मोटरगाड़ी पर सवार होकर हानोई के ओर चल पड़े। और अतिथीशाला पहुँचे और वहाँ पर भी उनका स्वागत बहुत अच्छे तरह से की गई। वहाँ के सड़क पर दोनो तरफ हाथो में गुलदस्ता के फुल लिए स्वागत गीत के साथ अपनी राष्ट्रीय गाना गाकर हमारे स्वागत किया गया। साथ ही भारत एवं वियतनाम के मित्रता इसी तरह बना रहें उसके लिए नारा लगाया। फिर सब से मिलने के बाद जुलूस निकाला और राजकिय अतिथी शाला (जहाँ लोगो का ठहराव) पहुँचे। लेखक कहते हैं कि वहाँ बिना दुध वाला चाय पिना पड़ा जो बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। फिर वहाँ पर अपना भोजन ग्रहण किया और ठिक पाँच बजे शहर की ओर निकल पड़े लेखक का मानना है कि वियतनाम में विशेषरूप से दो बातें बहुत ज्यादा उल्लेखनिय है। पहला जो हानोई शहर चार-पाँच झील है। जिसके वजह से उस शहर को झील का शहर कहा जाता है। और दुसरा वहाँ सबसे ज्यादा साईकिल की सवारी कि जाती है तो इसे साईकिलों का शहर भी कहाँ जाता है। दुसरे दिन लेखक बहुत ही सवरे जगते हैं और साढ़े छ; बजे शहर के ओर निकल पड़ते है। उसी दिन उन्होंने मलाशियम जाकर उस महान नेता को हो-चि मिन्ह को श्रृद्धांजली दी और गलायार्पण किया और दुसरी तरफ बाहर निकल गया। लेखक कहते हैं कि इसके पहले हमने कभी नही देखा था। इन्हे सिर्फ हमने पेन्सील से बनी तस्वीर को ही देखा था। उसके बाद लेखक शाही महल को देखने जाते है यानी की हो-चि मिन्ह जिस भी साधारण मकान में रहते थें उसको देखने लेखक गए। उसके बाद फिर लेखक उस महल के पास हो चि-मिन्ह राष्ट्रपति बनने से पहले जहाँ रहते थे। लेकिन अभी यहाँ कोई नहीं रहता उस राष्ट्र संरक्षण प्राप्त है। लेखक कहते हैं कि वास्तव में हो चि-मिन्ह वियतनाम के लोक प्रिय नेता है। और इनके बारे मे अधिक जनकारी बियतनाम जाकर ही पता किया जा सकता है।

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8. उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति कक्षा 11 हिंदी व्‍याख्‍या | Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ आठ ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ (Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi) कहानी का सारांश और सम्‍पूर्ण कहानी को पढ़ेंगेंं।

Utri swapna pari hari kranti

उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति
लेखक-फणीश्वरनाथ रेणु

लेखक फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखे गए इस कहानी के माध्यम से कोसी नदी के प्रति अपना भाव व्यक्त किया है और कहते हैं कि जब मैं कोसी नदी के बारे में लिखना प्रारंभ करता हुँ तो इससे मुझे लगाव सा महसुस होता है। यह हमारे लिए नदी हीं नहीं बल्कि माँ के समान है। Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

यह पाठ फनीश्वरनाथ रेणु की पुस्तक ‘श्रुत-अश्रुत पूर्व‘ से संकलित है। इस रचना में संस्मरण और रिपोर्ताज के मिले-जुले गुण है। यह पाठ एक रिपोर्ताज है। इस पाठ में फनीश्वरनाथ रेणु ने कोसी अंचल का वास्तविक चित्रण किया है। लेखक का जन्म स्थान कोशी होने के कारण वह इस पाठ के माध्यम से कोशी अंचल का यर्थाथ चित्रण किया है। कोशी नदी को ‘बिहार का शोक‘ कहा जाता है। यह नदी लागातार अपना प्रवाह बदलती रहती है।
लेखक कहते हैं कि कोसी जिधर से गुजरती है वहाँ की काली मिट्टी सफेद बालूचरों में बदल जाती है। वे कहते हैं कि दक्षिण गंगा के किनारे फैली परती के नक्से को यह कोसी नदी दो भागों में बाँटती है।

Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

लेखक का मानना है कि मैं इस मनहुस बादामी रंग एवं उदासीनता को बचपन से देखता आ रहा हुँ। लेखक कहते हैं कि जब बारिश होती है तो चारों ओर हरियाली छा जाती है। नहीं तो बारहों महीना इस मिट्टी पर निवास करने वाले लोग हमेशा कालाजार एवं मलेरिया से मरते रहते हैं। यानी उनका शरीर हमेशा बिमारियों से जुझता रहता है। उनके चेहरे पर कभी हँसना, मुस्कुराना देखा हीं नहीं। ऐसे लोगों के आँखों में सुहाने सपनें कैसे ला सकते हैं।

लेखक कहते हैं कि जब हम बच्चे थे तो उस वक्त ये यादें जो प्रत्येक साल एक दर्जन हमारे साथियों से हमेंशा के लिए अलग हो जाते हैं। हमें भी लगता है कि अगली बारी मेरी होगी। लेकिन विधाता जानते हैं कि मानव हीं सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।
लेखक एक रिपोर्ट लिखा था जो लोगों में बहुत ज्यादा प्रकाशित हुआ। जिसमें लेखक एक आशापूर्ण भाव से यह व्यक्त किया था कि परती के दिन फिरेंगे और हमारे प्राणों में घुले हुए रंग फिर धरती पर मिल जाऐगें। इसी बात पर लखक के दोस्त लेखक को चिढ़ाया करते कि प्राणों में घुले रंग धरती पर कब फैलेंगें। लेखक का जवाब आता कि आजादी के बाद।

लेखक का मानना है कि मलेरिया एवं कालाजार से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी। लेखक अपने इलाके के प्रियजनों को एक पत्र लिखता है जिसमें कोसी में उपस्थित लाखों लोगों के अरमानों एवं सपनों को बटोरकर यहाँ के प्राणीयों के जीवकोष में भर दिया जाए। उसे लगता है कि यहाँ पर एक बहुत बड़ा डैम तैयार किया जाएगा जिसमें लाखों एकड़ बंध्या धरती, कोसी-कवलित, भरी हुई मिट्टी शास्य-श्यामला हो उठेगी और चारों तरफ खेती की जाएगी। फिर एक दिन कोसी में एक योजना का आरंभ हुआ और वहाँ फिर से अपना दुसरा उपन्यास प्रति परिकथा में हाथ लगा दिया और उसे पुरा करने के लिए पहाड़ों के कंदारो में काम कर रहे देवगणों से मिलतें हैं। वहाँ बड़े-बड़े टनेल में पहाड़ काटने वाले जवानों से मिलकर धन्य हो जाता हैं। लेखक उनलोगों को बड़ी श्रद्धा से प्रणाम कर लौट आता है और इसी तरह उनका दूसरा उपन्यास भी समाप्त हो जाता है और वह उपन्यास प्रकाशित कर दी जाती है और फिर उनके मित्रों ने लेखक का मजाक हीं नहीं बल्कि बहस भी करने लगें। धिरे-धिरे कोसी की भूमि बिराल रूप धारण करने लगी। जिस तरह से एक कफन की तरह फैली हुई बालूचरों की पंक्तियाँ थी। ठिक उसी तरह अब खेतों में फसलें लग रही है।

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लेखक अब महसुस करतें हैं कि शायद मैंने कुछ ज्यादा ही बातें कह दी है अभी कोसी का ‘क’ प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हुआ और खेतों में हम हरे-भरे फसलें देखने लग गए। लेखक कहते हैं कि मुझे तो ऐसा लगता है कि ‘डैम’ बनवाने के बावजुद हम खेती नहीं कर सकतें हैं। देखतें हीं देखते चारों ओर खेती शुरू हो जाती है और फसल भी अच्छे होने लगतें हैं। गाँव के हीं एक व्यक्ति जो दस-बारह साल पहले अपने गाँव छोड़कर बंगाल की ओर कमाने जाते हैं लेकिन वह व्यक्ति बंगाल में हीं रहने के उम्मीद से अपने गाँव कोसी आता है जहाँ उसका लगभग एक डेढ़ बिगहा जमीन है जिसे बेंचकर वह बंगाल वापस जाना चाहता है लेकिन गाँव में आते हीं आश्चर्य चकित हो जाता है कि ये मैं कहाँ आ गया। मेरा गाँव कहाँ गया। वह कुछ लोगों से पुछता है कि कोसी कहाँ है लोगों ने बताया कि कोसी यही है उसके बाद लोग उसे सुदामा कहनें लगें कि सुदामा मंदिर देखी डरियो। सुदामा जी अपनी जमीन बेंचने की इरादा बदल लेतें हैं और अपनी पुरी परिवार को कोसी बुला लेते है और यहीं पर खेती गृहस्ती करतें है।

लेखक कहतें हैं जहाँ दुभ हरा नहीं हो सकता था वहाँ आज सभी फसलें और खेतों में ट्रैक्टर चल रहें हैं। लेखक के प्राणों में घुले हुए रंग किस तरह फैल रहें है और फैलतें हीं जा रहें है। Utri swapna pari hari kranti class 11 Hindi

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3. सम्पूर्ण क्रांति पाठ का सारांश और व्‍याख्‍या | Sampoorna kranti class 12 Hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ तीन ‘सम्पूर्ण क्रांति (Sampoorna kranti class 12 Hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

3. सम्पूर्ण क्रांति

यह भाषण 5 जून 1974 को पटना के गाँधी मैदान में दिए गए। जयप्रकाश नारायण के ऐतिहासिक भाषण का एक अंश है। संम्पूर्ण भाषण एक पुस्तिका (किताब) के रूप में प्रकाशित हो चूका है। यह भाषण छात्र आंदोलन के दौरान दिया गया था। पटना गाँधी मैदान में उपस्थित लाखों लोगों ने उसी समय जात-पात, तिलक-दहेज और भेद-भाव छोड़ने का विचार किया। हजारों लोगों ने अपने जेनऊ को तोड़ दिया था। सम्पूर्ण क्रांति का नारा जोर-जोर से गुँजने लगा। जात-पात छोड़ दो तिलक-दहेज छोड़ दो समाज के प्रभाव को नई दिशा में मोड़ दो। यहीं नारा गुँज उठा था।

सम्पूर्ण क्रांति का मुख्य कारण देश में बेरोजगारी और महँगाई थी। 1974 में बिहार से शुरू हुए छात्र आंदोलन का उद्देश्य बढ़ता गया और भाषण के दौराण नेहरू जी का उदाहरण दिया गया था। नेहरू जी कहते थे कि देश को विकसित बनाने के लिए जनता को अभी कोसों दूर जाना होगा। वह आगे कहते हैं कि मेरे भाषण में क्रांति के बिगुल होंगे। जिनपर आपको अमल करना होगा। लाठियाँ खानी होंगी। यह सम्पूर्ण क्राति है और वैसी ही जो हमारे भगत सिंह लाना चाहते थे। स्वराज से जनता कह रही थी- भूखमरी, महँगाई और भ्रष्टचार यहीं आज फैला हुआ है। वह अपने भाषण में कहते हैं कि काँग्रेस गरीबी हटाओ का नारा लगाती है, लेकिन गरीबों पर जुल्म ढाहती है। वह कहते हैं कि हमें इंदिरा गाँधी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मुझे उनकी गलत नीतिओं के खिलाफ लड़ना है।

जेपी अपने भाषण में कहते हैं कि मैं केवल नाम का नेता नहीं बनुँगा। वह कहते हैं कि मुझे छात्र आंदोलन का जो नेतृत्व मिला है। उसका नेतृत्व मैं करूँगा। मैं सबकी राय सुनुँगा, लेकिन अंतिम फैसला मेरा होगा।

वे अपने भाषण में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर‘ को याद करते हैं, जिनका हाल ही में निधन हुआ था। वह कहते हैं कि अगर वह जिंदा होते होते, तो इस नविन क्रांति पर साहित्य की रचना करते। वह साहित्य उनकी अमर बन जाती थी। लेकिन अफसोस की बात वह अब इस दूनिया में नहीं हैं।

वह आगे कहते हैं कि शिक्षा पाकर व्यक्ति ठोकर खाता फिर रहा है। यहाँ नारे तो लगते है पर गरीबी हटती नही, बढ़ती हीं चली जा रही है जयप्रकाश नारायण का यह भी कहना था कि जब वो नौजवान थे तो बापू जब कोई बात कहते थे और वो बात जेपी के विचार से नहीं मिलते थे यानी जेपी को वो बात अच्छी नहीं लगती थी, तो वो सीधे बापू से कह देते थे। बापू में इतने महानता थी कि वो बुरा नही मानते थे। जेपी जी कहते हैं कि मै जवाहरलाल नेहरू को हमेशा भाई कहता था (बड़ा भाई) वो भी मुझे बहुत मानते थें। मै उनका बड़ा आदर और उनसे प्रेम करता था।

नेहरू जी का बड़ा ही स्नेह था मुझपर। मैं भी उनकी आलोचना करता था लेकिन बड़प्पन था कि वो कभी बुरा नही माने। संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण का यहीं उपेक्षाएँ थी कि उनका काम केवल शासन से संघर्ष करना नहीं बल्कि उनका काम तो समाज के हर अन्याय और अनीति के विरूद्ध लड़ना होगा और इस प्रकार से इन समितियों के लिए बराबर एक महत्वपूर्ण काम रहेगी। वह कहते हैं कि मैं जब अमेरिका में था, तो घोर कम्यूनिस्ट था। 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद मैं मार्क्सवादी बना।
वे भारत लोटे तो भी घोर मार्क्सवादी थे। और काँग्रेस में दाखिल हुए। वे कम्युनिस्ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि लेनिन द्वारा कही गई बात उनको अच्छी तरह याद थी कि लेनिन यह बताया था कि जो देश गुलाम हो, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं, उनको हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपनें को अलग नहीं रखना चाहिए। उस लड़ाई का नेतृत्व, ‘बुर्जुआ क्लास‘ के हाथ में हो या पूँजीपतियों के हाथ में हो। फिर भी कम्युनिस्टों को अलग नहीं रहना चाहिए।

जयप्रकाश नारायण कहते हैं कि अन्य देशों ने प्रेस तथा पत्रिकाएँ पर अंकुश लगाती है। लेकिन इसक चलन हमारे देश में बहुत ही ज्यादा है। वह कहते हैं कि हमारे देश में समाचारपत्रों और विरोधीयों के आवाजों को दबाया जाता है।

अंत में. जेपी कहते हैं कि जो भी सरकार के नीतिओं के खिलाफ संघर्ष कर रहा है, उसका काम केवल शासन से संघर्ष नहीं करना है, बल्कि उनका काम समाज के हर अन्याय और अनीति के खिलाफ संघर्ष करना है। जहाँ भी अन्याय और घूसखोरी चलती है, उसके खिलाफ संघर्ष करना हैं। हमलोग केवल लोकतंत्र के लिए हिं नहीं, बल्कि समाजिक, आर्थिक, नैतिक क्रांति के लिए अथवा संपूर्ण क्रांति के तैयार रहेंगे। सभी लोगों को न्याय दिलाऐंगें।

3. संपूर्ण क्रान्ति : लेखक जयप्रकाश नारायण

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प्रश्न 1.जयप्रकाश नारायण की पत्‍नी का क्‍या नाम था ?
(क) विद्यावती देवी
(ख) मनरूप देवी
(ग) व्‍यंती देवी
(घ) प्रभावती देवी

उत्तर- (घ) प्रभावती देवी

प्रश्न 2. जयप्रकाश नारायण के माता-पिता का नाम क्‍या था ?
(क) फूलरानी एवं हरसूदयाल
(ख) मनरूप देवी एवं रवि सिंह
(ग) विद्यावती देवी एवं सरदार किशन सिंह
(घ) पार्वती देवी एवं बेनी प्रसाद भट्ट

उत्तर- (क) फूलरानी एवं हरसूदयाल

प्रश्न 3. जयप्रकाश नारायण का जन्‍म कब हुआ था ?
(क) 11 अक्‍टूबर, 1902 ई.
(ख) 12 अक्‍टू‍बर, 1903 ई.
(ग) 13 अक्‍टूबर, 1904 ई.
(घ) 14 अक्‍टूबर, 1905 ई.

उत्तर-(क) 11 अक्‍टूबर, 1902 ई.

प्रश्न 4. जयप्रकाश नारायण का निधन कब हुआ था ?
(क) 07 अक्‍टूबर, 1978 ई.
(ख) 08 अक्‍टूबर, 1979 ई.
(ग) 09 अक्‍टूबर, 1980 ई.
(घ) 10 अक्‍टूबर, 1981 ई.

उत्तर- (ख) 08 अक्‍टूबर, 1979 ई.

प्रश्न 5. जयप्रकाश नारायण का जन्‍म स्‍थान कहाँ हैं ?  
(क) इलाहाबाद , उतर प्रदेश
(ख) इटारसी , मध्‍य प्रदेश
(ग) सिताब दियारा (उतर प्रदेश के बलिया और बिहार के सारण जिले में फैला)
(घ) लमही , वाराणसी

उत्तर- (ग) सिताब दियारा (उतर प्रदेश के बलिया और बिहार के सारण जिले में फैला)

प्रश्न 6. जयप्रकाश नारायण को लोग क्‍या क‍हने लगे ?
(क) लोकनायक
(ख) जननायक
(ग) नरनायक
(घ) देशनायक

उत्तर- (क) लोकनायक

प्रश्न 7. जयप्रकाश नारायण को कौन–सा पुरस्‍कार मिला था ?
(क) राजेन्‍द्र प्रसाद शिखर सम्‍मान
(ख) साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार
(ग) भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
(घ) मैग्‍सेस सम्‍मान एवं भारत रत्‍न

उत्तर- (घ) मैग्‍सेस सम्‍मान एवं भारत रत्‍न

प्रश्न 8. जयप्रकाश नारायण को कौन–सा पुरस्‍कार मिला था ?
(क)  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
(ख) साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार
(ग) राजेन्‍द्र प्रसाद शिखर पुरस्‍कार
(घ) भारत रत्‍न

उत्तर- (घ) भारत रत्‍न

प्रश्न 9. ‘संपूर्ण क्रान्ति’ वाला पाठ भाषण के रूप में गाँधी मैदान में जेपी ने कब दिया था ?
(क) 05 जून, 1974
(ख) 06 जून , 1975
(ग) 07 जून , 1976
(घ) 08 जून , 1977

उत्तर- (क) 05 जून, 1974

प्रश्न 10. किस पाठ में आया हैं – ‘अगर कोई डिमाक्रेसी का दुश्‍मन हैं, तो वे लोग दुश्‍मन हैं, जो जनता के शांतिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं, उनकी गिरफ्तारीयाँ करते है, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियाँ चलाते हैं।
(क) शिक्षा
(ख) संपूर्ण क्रान्ति
(ग) हँसते हुए मेरा अकेलापन
(घ) प्रगीत और समाज

उत्तर- (ख) संपूर्ण क्रान्ति

प्रश्न 11. ‘रिकंस्‍ट्क्‍शन ऑफ इंडियन पॉलिटी’ नामक पुस्‍तक किसने लिखी ?
(क) भगत सिंह
(ख) महात्‍मा गाँधी
(ग) जयप्रकाश नारायण
(घ) लोकमान्‍य तिलक

उत्तर- (ग) जयप्रकाश नारायण

प्रश्न 12. ‘संपूर्ण क्रांति’ शीर्षक भाषण किसने दिया था ?
(क) जयप्रकाश नारायण
(ख) इन्दिरा गाँधी
(ग) भगत सिंह
(घ) सुभाष चन्‍द्र बोस

उत्तर- (क) जयप्रकाश नारायण  

प्रश्न 13. 1965 में समाज सेवा के लिए मैग्‍सेसे सम्‍मान किसे मिला था ?
(क) नामवर सिंह
(ख) रामविलाश शर्मा
(ग) जयप्रकाश नारायण
(घ) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

उत्तर-(ग) जयप्रकाश नारायण  

प्रश्न 14. किसने लिखा ?- ”है जयप्रकाश वह नाम जिसे, इतिहास समादर देता है बढ़कर जिसके पदचिन्‍हों को, उर पर अंकित कर लेता हैं।”
(क) राष्‍ट्रकवि गुप्‍त
(ख) राष्‍ट्रकवि दिनकर
(ग) माखनलाल चतुर्वेदी
(घ) भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द

उत्तर- (ख) राष्‍ट्रकवि दिनकर

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2. उसने कहा था कहानी का व्‍याख्‍या | Usne kaha tha class 12th hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ दो ‘उसने कहा था (Usne kaha tha class 12th hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक चनद्रधर शर्मा गुलेरी हैं।

Usne kaha tha class 12th hindi

2. उसने कहा था

लेखक परिचय

‘उसने कहा था’ कहानी का लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी हैं। यह कहानी लेखक की अमर रचना है, जो हिन्‍दी कहानी के विकास में मील का पत्‍थर मानी जाती है।

इनका जन्‍म 7 जुलाई, 1883 में जयपुर, राजस्‍थान में हुआ था तथा मृत्‍यु 12 स‍ितंबर, 1922 ई० को हुई थी।

इनका मूल निवास गुलेर नामक गाँव (हिमाचल प्रदेश) है। बचपन में यह संस्‍कृत से शिक्षा ग्रहण किए और 1903 में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय से बी०ए० किए। यह बाद में प्रोफेसर के रूप में कार्य किए। यह काशी नगरी और काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका का संपादन भी किया।

इनकी प्रमुख कहानीयाँ ‘सुखमय जीवन’, ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘उसने कहा था’ है। इन्‍हीं तीन कहानीयों के बल पर यह हिंदी कहानीकार के रूप में अमर हो गए।

पाठ परिचय- प्रस्‍तुत कहानी ‘उसने कहा था’ चंद्रधर शर्मा गुलेरी की अमर रचना है। यह हिंदी कहानी के विकास में ‘मील का पत्‍थर’ मानी जाती है। इस कहानी में लहना सिंह के त्‍याग और बलिदान की कहानी को बताया गया है। लहना सिंह, जो वादा करता है उसे पूरा करने में अपने जान तक गंवा देता है।

2. उसने कहा था कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘उसने कहा था‘ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के द्वारा लिखा गया है। इस पाठ का नायक ‘लहना सिंह’ है। इस पाठ में लहना सिंह के सच्चा प्रेम तथा उसके वीरता को बताया गया है। जिसमें आठ वर्ष की लड़की जिसका नाम होराँ होता है और बारह वर्ष का लड़का लहना सिंह होता है। वे दोनों अपने-अपने मामा के घर रहते हैं।

इस कहानी की शुरूआत अमृतसर के भीड़-भरे बाजार से होती है। लहना सिंह और होराँ की मुलाकात अमृतसर के बाजार में होती है। एक अपने मामा के केश धोने के लिए दही लेने आया था और एक रसोई के लिए बड़ियाँ लेने आयी थी।

लड़का, लड़की को टांगे के नीचे आने से बचा लेता है। दोनों समान लेकर अपना परिचय करते हुए चल देते हैं। लड़का कुछ दूर जाकर मुस्‍कुराते हुए लड़की से पूछता है कि क्‍या तेरी कुड़माई हो गई है। लड़की आँखें चढ़कार धत् कहकर दौड़ जाती है और लड़का मुँह देखता रहता है। उसके बाद दूसरे-तीसरे दिन सब्‍जीवाले के यहाँ, दूधवाले के यहाँ अचानक मिल जाते। लड़का हमेशा यहीं पूछता है कि क्‍या तेरी कुड़माई हो गई है। लड़की हमेशा की तरह धत् कहकर चली जाती है।

एक दिन लड़का चिढ़ाने के लिए पूछा तब लड़की, लड़का के संभावना के खिलाफ बोली कि हाँ हो गई।

यह सुनकर लहना सिंह का दिल टूट जाता है। साथ ही साथ वह अपना शुद्ध-बुद्ध खो बैठता है। इसलिए घर वापस आते समय एक लड़के को नाले में ढकेल दिया। एक कुत्ता को पत्थर मारा और शब्जी वाले पर दूध उड़ेल दिया। एक औरत टकराकर अंधे की उपाधि पाया अर्थात् एक औरत से टकरा गया। तब कहीं घर पहुँचा।

लहना सिंह उस लड़की से बहुत प्यार करता था, लेकिन ये बात सच थी कि लहना सिंह को उसका प्रेम नहीं मिल सका। फिर भी वे अपने हृदय में उसे बसाए रखा। लड़की का विवाह सुबेदार हजारा सिंह से हो गया था।

उसके बाद लहना सिंह फौज में भर्ती हो जाता है। लहना सिंह प्रथम विश्‍व युद्ध के मोर्चे पर भारत की तरफ से जर्मनी से युद्ध लड़ने के लिए जाता है। वहाँ उसकी मुलाकात सुबेदार हजारा सिंह, बोधा सिंह और वजिरा सिंह से होता है।

एक समय लहना सिंह एक जमीन के मुकदमे के सिलसिले में घर आता है, इतना में लाम पर जाने के लिए पत्र भेजा जाता है। हजारा सिंह पत्र भेजता है कि लाम पर जाते समय मेरे घर से होते हुए चलना क्‍योंकि सुबेदार हजारा सिंह का घर रास्‍ते में पड़ता था।

सुबेदार के घर जाने पर हजारा सिंह की पत्नी सुबादारीन होराँ लहना सिंह को देखकर पहचान जाती है। सुबेदार कहता है कि मेरी पत्‍नी तुमको जानती है जाकर उससे मिल लो, वह बुला रही है।

सुबेदारनी वहीं लड़की थी, जिससे लहना सिंह बचपन में बार-बार पूछा करता था कि क्या तुम्हारी कुड़माई (सगाई) हो गयी है। वह लहना सिंह को बुलाकर कहती है कि मेरा पति और एक ही बेटा है। मेरे बेटे के फौज में शामिल हुए एक वर्ष ही हुए हैं। वह आगे कहती है कि जिस तरह तुमने बचपन में मेरी जान बचायी थी उसी तरह मेरे पति और बेटे की रक्षा करना। उसके बाद सुबेदारनी होराँ रोने लगती है। सुबेदारीन के पति का नाम हजारा सिंह तथा बेटा का नाम बोधा सिंह था।

लहना सिंह ने इमान्दारी से उस वचन को निभाने का कसम खाया। प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चे पर इंगलैंड की ओर से लहना सिंह, उसका दोस्त वजिरा सिंह, सुबेदार हजारा सिंह तथा बोधा सिंह युद्ध लड़ने के लिए जाते हैं। जर्मनी की सेना उनलोगों पर हमला कर देती है। लहना सिंह अपने जान पर खेलकर जर्मन सैनिक से बहादुरी से लड़कर उसे हरा देता है और इनलोगों की रक्षा करता है। लहना सिंह बुरी तरह घायल हो जाता है। युद्ध के दौरान हजारा सिंह और बोधा सिंह भी घायल हो जाते हैं।

एम्बुलेंस इनलोगों को लेने आती है। एम्बुलेंस में कम सीटें होने के कारण लहना सिंह घायल अवस्था में एम्बुलेंस पर खुद न बैठकर बोधा सिंह और हजारा सिंह को बैठा देता है। जब सुबेदार हजारा सिंह एम्बुलेंस में अपने बेटा के साथ जाने लगे, तो उनसे कहा कि सुबेदारनी को पत्र लिखकर कह देना कि ‘उसने जो कहा था’, वह मैंने पूरा कर दिया।

गाड़ी के जाते ही लहना सिंह लेट गया और अपने दोस्‍त को पानी पिलाने तथा कमर बंद खोलने को कहा। पच्‍चीस वर्ष बीत गए। लहना सिंह न०77 राइफल्‍स में जमादार हो गया है। लहना सिंह अपने अंतिम क्षण में आता है, उसको अपने बारह वर्ष की अवस्था की याद आने लगती है। कैसे एक लड़की से पूछा करता था कि क्‍या तुम्‍हारी कुड़माई हो गई है, बदले में वह धत् कहकर भाग जाती थी। मृत्यु नजदिक आने पर लहना सिंह को सबकुछ याद आ रही थी। वह वजिरा सिंह से बार-बार पानी पिलाने के लिए कहता है। लहना सिंह की त्‍याग की भावना देखकर वजिरा के आँसु टप्-टप् टपक रहे थे।

अगले दिन अखबार से पता चला कि फ्रांस और बेल्जियम- 68वीं सूची- मैदान में सिख राइफल्‍स नं० 77 जमादार लहना सिंह धावों से मर गया। इस तरह से लहना सिंह अपनी जान गँवाकर अपना वादा निभाया।

उसने कहा था : चनद्रधर शर्मा गुलेरी Objective Questions

प्रश्न 1. हिन्‍दी कहानी के विकास में मील का पत्‍थर कौन-सी कहानी मानी जाती हैं ?
(क) उसने कहा था
(ख) पंच परमेश्‍वर
(ग) पुरस्‍कार
(घ) मंगर

उत्तर- (क) उसने कहा था

 प्रश्न 2. ‘तेरी  कुड़माई  हो गई’ का किस कहानी से संबंध हैं ?
(क) रोज
(ख) उसने कहा था
(ग) तिरिछ
(घ) जूठन

उत्तर- (ख) उसने कहा

प्रश्न 3. ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी के रचयिता का क्‍या नाम हैं ?   
(क) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(ख) अज्ञेय
(ग) मोहन राकेश
(घ) उदय प्रकाश

उत्तर- (क) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी

प्रश्न 4. ‘उसने कहा था’ किस वर्ष की रचना हैं ?
(क) 1915
(ख) 1920
(ग) 1922
(घ) 1925

उत्तर- (क) 1915

प्रश्न 6. चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्‍म कब हुआ था ?
(क) जबलपुर, मध्‍य प्रदेश
(ख) इटारसी, मध्‍य प्रदेश
(ग) जयपुर, राजस्‍थान
(घ) लमही, वाराणसी

उत्तर- (क) जयपुर, राजस्‍थान

प्रश्न 7. चनद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन कब हुआ था ?
(क) 11 सितम्‍बर, 1921 ई.
(ख) 12 सितम्‍बर, 1922 ई.
(ग) 13 सितम्‍बर, 1923 ई.
(घ) 14 सितम्‍बर, 1924 ई.

उत्तर-(ख) 12 सितम्‍बर, 1922 ई.

प्रश्न 8. चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी का मूल निवास स्‍थल कहाँ था ?
(क) लमही, वाराणसी
(ख) कदमकुआँ, पटना
(ग) सिमरिया, बेगूसराय बिहार
(घ) गुलेर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

उत्तर- (घ) गुलेर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

प्रश्न 9. ‘उसने कहा था’ कहानी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी  द्वारा संपादित पत्रिका ‘सरस्‍वती’ में कब प्रकाशित हुई थी ?
(क) अप्रैल , 1915
(ख) मई, 1915
(ग) जून, 1915
(घ) जुलाई, 1915

उत्तर- (ग) जून, 1915

प्रश्न 10. गुलेरी जी की प्रमुख कहानियों का नाम बताएँ-
(क) सुखमय जीवन
(ख) बुद्ध  का काँटा
(ग) उसने कहा था
(घ) उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर-(घ) उपर्युक्‍त तीनों  

प्रश्न 11. किन विषयों पर गुलेरी जी ने लेखन किया ?
(क) प्राच्‍यविद्या, इतिहास
(ख) पुरातत्‍व, भाषाविज्ञान
(ग) समसामयिक विषय
(घ) उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर- (घ) उपर्युक्‍त तीनों

प्रश्न 12. गुलेरी जी के प्रमुख निबंधों के नाम बताएँ-  
(क) कछुआ धरम, डिंगल, संस्‍कृत की टिपरारी
(ख) मारेसि मोहिं कुठाँव, पुरानी हिन्‍दी
(ग) देवानां प्रिय
(घ) उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ) उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 13. किस पाठ में यह उक्ति आयी हैं- ‘मृत्‍यु के कुछ समय पहले स्‍मृति बहुत साफ हो जाती हैं।’  
(क) उसने कहा था
(ख) सुखमय जीवन
(ग) बुद्ध का काँटा
(घ) भोगे हुए दिन

उत्तर- (क) उसने कहा था

प्रश्न 14. ‘उसने कहा था’ कहानी की क्‍या विशेषता है ?
(क) दिव्‍य प्रेम कहानी
(ख) युद्ध कहानी
(ग) प्रेम पर बलिदान की कहानी
(घ) उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर- (घ) उपर्युक्‍त तीनों

प्रश्न 15. ‘उसने कहा था’ किस प्रकार की कहानी है ?
(क) कर्मप्रधान
(ख) भाव प्रधान
(ग) चरित्र प्रधान
(घ) धर्म प्रधान

उत्तर- (ग) चरित्र प्रधान

प्रश्न 16. गुलेरी जी ने किन पत्रिकाओं का सम्‍पादन किया ?
(क) समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका
(ख) धर्मयुग
(ग) साप्‍ताहिक हिन्‍दुस्‍तान
(घ) वागर्थ

उत्तर-(क) समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका

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1. बातचीत पाठ का व्‍याख्‍या : बालकृष्‍ण भट्ट | Batchit Class 12 Hindi

September 1, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी के पाठ एक ‘बातचीत (Batchit Class 12 Hindi) ‘ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक बालकृष्‍ण भट्ट हैं।

1. बातचीत

लेखक परिचय

लेखक- बालकृष्‍ण भट्ट
जन्म- 23 जून 1844
निधन- 20 जुलाई 1914
निवास- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

प्रमुख रचनाएँ:

प्रमुख उपन्यास : रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान, गुप्त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा, हमारी घड़ी, सदभाव का अभाव आदि बालकृष्‍ण भट्ट की प्रमुख उपन्‍यास हैं।।

प्रमुख नाटक : पद्मावती, किरातर्जुनीय, वेणी संहार, शिशुपाल वध, नल दमयंती या दमयंती स्‍वयंवर, शिक्षा दान, चंद्रसेन, सीता वनवास, पतित पंचम, मेघनाथ वध, कट्टर सूम की एक नकल, वहन्नला, इंग्लैंडेश्वरी और भारत जननी, भारतवर्ष और कलि, दो दूरदेशी, एक रोगी और एक वैध, रेल का विकेट खेल, बालविवाह, आदि बालकृष्‍ण भट्ट की प्रमुख नाटक हैं।

प्रहसन- जैसा काम वैसा परिणाम, नई रौशनी का विष, आचार विडंबन इत्यादि ।

निबंध- लगभग 1000 निबंध जिनमें सौ से ऊपर बहुत महत्त्वपूर्ण। ‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में एक संग्रह प्रकाशित।

बालकृष्‍ण भट्ट आधुनिक काल के भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार में से एक हैं। यह तेजस्‍वी लेखन के द्वारा साहित्‍य सेवा करते रहने वाले समर्पित साहित्‍यकार थे।

बातचीत निबंध का सारांश

‘बातचीत’ शीर्षक निबंध आधुनिक काल के प्रसिद्ध निबंधकार बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखा गया है जिसमें वाक्शक्ति को लेखक ने ईश्वर का वरदान बताया है। बालकृष्ण जी कहते हैं कि वाकशक्ति अगर मनुष्य में ना होती तो ना जाने इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता। वे कहते हैं कि बातचीत में वक्ता को स्पीच की तरह नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता।

स्‍पीच में वक्‍तृता (भाषण) और बातचीत दोनों है। भाषण में मानव पहले संभल-संभल कर बोलता है और फिर कोई चुटीली बात करता है ताकि ताली-ध्‍वनि से कमरा गूँज उठे। इसमें अपने भाषण में ऐसा मौका लाना पड़ता है जिससे ताली बजे।

लेखक कहते हैं कि ताली बजाने का कोई मौका बातचीत में नहीं होता है। और न लोगों के ठहाके लगाने की कोई बात ही रहती है। बातचीत में कोई चुटीली बात कभी आ जाने पर थोड़ी हँसी आ जाती है। मुसकराहट से होठों का फड़क उठना इस हँसी का अंतिम सीमा है। स्‍पीच का उद्देश्‍य सुननेवाले के मन में जोश और उत्‍साह पैदा करना होता है।है। बातचीत मन बहलाने का तरिका है।

वे कहते हैं कि जैसे आदमी को जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने, पीने, चलने, फिरने इत्यादि की जरूरत है वैसे ही बातचीत भी अति आवश्यक है | इससे मन हल्का और स्वच्छ हो जाता है तथा अति आनंद प्राप्‍त होता है। गंदगी तथा धुँआ, जो दिल में जमा रहता है वो भाप बनकर उड़ जाता है। लेखक कहते हैं कि जिनको बातचीत करने की आदत लग जाती है वह खाना-पीना भी छोड़ देते हैं। लेकिन बातचीत का मजा नहीं खोना चाहते हैं।

लेखक ने रॉबिंसन क्रूसो के बारे में कहा है कि वह 16 वर्षों तक आदमी का मुख नहीं देखा था। 16 वर्षों तक कुत्ता, बिल्‍ली आदि जानवरों के बीच रहने के बाद उसने फ्राइडे के मुख से एक बात सुनी। उस समय रॉबिंसन को ऐसा आनंद हुआ मानो उसने नए सिरे से फिर से आदमी का चोला (कपड़ा) पाया। वे कहते हैं कि मनुष्‍य की बोलने की शक्ति में लुभा लेने की ताकत होती है।

बेन जॉनसन कहते हैं कि बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है।

लेखक ने बातचीत के प्रकार को भी बताया है। बातचीत की सीमा दो से लेकर वहाँ तक हो सकती है, जहाँ तक उनकी जमात या मीटिंग या सभा न समझ ली जाए।

एडीसन मानते हैं कि असल बातचीत सिर्फ दो व्यक्तियों में हो सकती है अर्थात जब दो लोग होते है तभी अपना दिल एक दूसरे के सामने खोल पाते हैं। तीन लोगों के बीच दो की बात कोसों दूर हो जाती है। छ: कानों में पड़ी बात खुल जाती है। दो व्‍यक्ति के बातचीत में अगर कोई तिसरा आ जाता है, तो वे दोनों अपने बातचीत को बंद कर देते हैं।

लेखक के अनुसार तीन लोगों के बीच बातचीत अंगूठी में जुड़ी नग जैसी होती है। तीनों लोगों की बातचीत त्रिकोण बन जाता है।

चार लोगों के बीच की बातचीत केवल फ़ार्मेलिटी होती है। इसमें खुलकर बाते नहीं होती है। वह ‘फॉर्मैलिटी’ गौरव और संजीदगी वाली बात होती है। चार से अधिक के बातचीत में राम-रमौवल होती है अर्थात हँसी-मजाक होता है।

दो बुढ़े के बातचीत में अक्सर जमाने की शिकायत होती है। वे बाबा आदम के समय के दास्‍तान शुरू करते हैं, जिसमें चार सच तो दस झूठ होता है। एक बार उनके बातचीत का घोड़ा जब छूट जाता है, तो पहरों बीत जाते पर भी अंत नहीं होता है।

लेखक कहते हैं कि दो सहेलियों के बीच की बातचीत का जायका निराला होता है। भाग्य से ही दो सहेलियों के बीच का बातचीत को सुनने का मौका मिलता है। इनकी बातचीत रसों से भरा होता है।

दो बुढियों की बातचीत बहु-बेटी से संबंधित होती है। वह अपनी बहुओं या बेटों का शिकवा-शिकायत करती है। या बिरादरी की ऐसी बात शुरू कर देती है जिससे अंत में झगड़ा होने लगता है। स्‍कूल के लड़कों के बातचीत में अपने उस्‍ताद की शिकायत या तारीफ या अपने सहपाठियों में किसी के गुण-अवगुण की होती है। इसके अलावा लेखक ने बातचीत के अनेकों प्रकार बताया है। जिसमें राजकाज की बात, व्‍यापार संबंधी बातचीत, दो मित्रों में प्रेमालाप आदि।

लेखक कहते हैं कि हमारे देश में अशिक्षित लोगों में बतकही होती है। लड़की लड़केवालों की ओर से एक-एक आदमी बिचवई होकर दोनों में विवाह संबं‍ध की कुछ बातचीत करते हैं। उस दिन से बिरादरीवाले को जाहिर कर दिया जाता है कि विवाह पक्‍का हो गया। और यह रस्‍म बड़े उत्‍सव से मनाया जाता है। चंडूखाने (गांजे और शराब के अड्डे) की बातचीत भी निराली होती है।

लेखक कहते हैं कि यूरोप के लोगों मे बातचीत का हुनर है जिसे ‘आर्ट ऑफ कनवरसेशन’ कहते हैं | इनके प्रसंग को सुनके कान को अत्यंत सुख मिलता है | इसे सुहृद गोष्ठी कहते हैं | पच्‍चीस वर्ष से उपर के उम्रवालों की बातचीत में गौरव और अनुभव पाया जाता है। जबकि इससे कम उम्र के लोगों के बातचीत में गौरव नहीं झलकता है, पर मिठास दस गुनी बढ़ जाती है।

अंत में, लेखक बालकृष्ण भट्ट कहते है कि हमें अपने अंदर ऐसी शक्ति पैदा करनी चाहिए, जिससे हम अपने आप बातचीत कर लें और बातचीत का यही उत्तम तरीका है। अर्थात् लेखक ने बातचीत का उत्तम तरिका अपने आप से बातचीत को बताया है।

1. बातचीत : लेखक- बालकृष्‍ण भट्ट

प्रश्न 1. बालकृष्‍ण भट्ट किस युग के रचनाकार है ?
(क) भारतेन्‍दु युग
(ख) प्रेमचंद युग
(ग) द्विवेदी युग
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (क) भारतेन्‍दु युग

प्रश्न 2. , बातचीत , शीर्षक निबंधकार का नाम बताएँ-                                                                                                                                                                                                                                      
(क) बालकृष्‍ण भट्ट
(ख) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(ग) रामधारी सिंह दिनकर
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (क) बालकृष्‍ण भट्ट

प्रश्न 3. बालकृष्‍ण भट्ट का जन्‍म कब हुआ था ?
(क) 23 जून,  1843 ई .
(ख) 23 जून,  1844 ई
(ग) 23 जून, 1845 ई .
(घ) 23 जून, 1846 ई .

उत्तर-   (ख) 23 जून,  1844 ई

प्रश्न 4. बालकृष्‍ण भट्ट का निवास स्‍थान कहाँ है ?
(क) समस्‍तीपुर, बिहार
(ख) पटना, बिहार
(ग) वाराणसी, उतर प्रदेश
(घ) इलाहाबाद, उतर प्रदेश

उत्तर- (घ) इलाहाबाद, उतर प्रदेश

प्रश्न 5. बालकृष्‍ण भट्ट ने लगभग कितने निबंध लिखे थे ?
(क) 1000
(ख) 1001
(ग) 1002
(घ) 100

उत्तर- (क) 1000

प्रश्न 6. बालकृष्‍ण भट्ट किस काल के लेखक हैं ?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) आधुनिक काल

उत्तर- (घ) आधुनिक काल

प्रश्न 7. बालकृष्‍ण  भट्ट की रचना ‘बातचीत‘ क्‍या है ?
(क) एकांकी
(ख) कहानी
(ग) यात्रा-संस्‍मरण
(घ) ललित निबंध

उत्तर- (घ) ललित निबंध

प्रश्न 8. बालकृष्‍ण के प्रहसन का नाम बताएँ-
(क) ‘ जैसा काम, वैसा परिणाम’
(ख) ये तीनों
(ग) ‘नई रोशनी का विष’
(घ) ‘आचार विडम्‍बन’

उत्तर- (ख) ये तीनों

प्रश्न 9. बाल कृष्‍ण भटृ के पिता का क्‍या नाम था ?
(क) देनी प्रसाद भट्ट
(ख) बेनी प्रसाद भट्ट
(ग) टेनी प्रसाद भट्ट
(घ) खैनी प्रसाद भट्ट

उत्तर- (ख) बेनी प्रसाद भट्ट

प्रश्न 10. बालकृष्‍ण  भट्ट का निधन कब हुआ था ?
(क) 20 जुलाई , 1912 ई .
(ख) 20 जुलाई , 1913 ई .
(ग) 20 जुलाई , 1914 ई .
(घ) 20 जुलाई , 1915 ई .

उत्तर- (ग) 20 जुलाई , 1914 ई .

प्रश्न 11. बेन जॉनसन ने क्‍या कहा था  ?
(क) बोलने से ही मनुष्‍य के रूप का साक्षात्‍कार होता हैं।
(ख) सुनने से ही मनुष्‍य को जाना जा सकता हैं।
(ग) चिल्‍लाने से ही दबंगों की आवाज को दबाया जा सकता हैं ।
(घ) विनम्रता से ही अपनी बात हमें कहनी चाहिए ।

उत्तर- (क) बोलने से ही मनुष्‍य के रूप का साक्षात्‍कार होता हैं।

प्रश्न 12. एडीसन का मत क्‍या हैं  ?
(क) सच्‍ची बातचीत तीन व्‍यक्तियों में भी हो सकती हैं ।
(ख) असल बातचीत सिर्फ दो व्‍यक्तियों में हो सकती हैं ।
(ग) झूठी बातचीत चार व्‍यक्तियों में होती हैं ।
(घ) सच्‍ची बातचीत पाँच व्‍यक्तियों में भी हो सकती हैं ।

उत्तर- (ख) असल बातचीत सिर्फ दो व्‍यक्तियों में हो सकती हैं ।

प्रश्न 13. ‘ शक्ति ‘ शब्‍द कौन लिंग हैं  ?
(क) पुंलिंग
(ख) स्‍त्रीलिंग
(ग) उभयलिंग
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (ख) स्‍त्रीलिंग

प्रश्न 14. ‘शेक्‍सपियर’ शब्‍द संज्ञा के किस भेद के अंतर्गत आता हैं  ?
(क) जातिवाचक संज्ञा
(ख) भाववाचक संज्ञा
(ग) व्‍यक्तिवाचक संज्ञा
(घ) द्रव्‍यवाचक संज्ञा

उत्तर- (ग) व्‍यक्तिवाचक संज्ञा

प्रश्न 15. कौन-सा उपन्‍यास बालकृष्‍ण भट्ट ने नहीं लिखा था ?  
(क) रहस्‍य कथा, नूतन ब्रह्राचारी, सौ अजान एक सुजान
(ख) अजातशत्रु
(ग) गुप्‍त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा
(घ) हमारी घड़ी, सद्भाव का अभाव

उत्तर- (ख) अजातशत्रु

प्रश्न 16. खाली जगह को भरे – ‘अनेक प्रकार की शक्तियाँ जो वरदान की भाँति ईश्‍वर ने मनुष्‍य को दी है , उनमें …….. भी एक हैं ।’
(क) स्‍पर्श शक्ति
(ख) श्रवण शक्ति
(ग) वाक् शक्ति
(घ) घ्राण शक्ति

उत्तर- (ग) वाक् शक्ति

प्रश्न 17. वाक् शक्ति  के अनेक फायदों में कौन दो हैं ?
(क) बकबक एवं भाषण
(ख) घ्राण एवं दृष्टि
(ग) श्रवण एवं स्‍पर्श
(घ) ‘स्‍पीच’ वक्‍तृता और बातचीत

उत्तर- (घ) ‘ स्‍पीच ‘ वक्‍तृता और बातचीत

प्रश्न 18. ‘दमयंती स्‍वयंवर’ किस लेखक की रचना हैं ?
(क) चन्‍द्रधर शर्मा गुलेरी
(ख) मलयज
(ग) बालकृष्‍ण भट्ट
(घ) भगत सिंह

उत्तर- (ग) बालकृष्‍ण भट्ट

प्रश्न 19. बालकृष्‍ण  भट्ट के मन में अध्‍ययन की रूची  एवं लालसा किसने जगाई ?
(क) माता सीता देवी
(ख) माता उर्मिला देवी
(ग) माता अहिल्‍या देवी
(घ) माता पार्वती देवी

उत्तर- (घ) माता पार्वती देवी    

प्रश्न 20. बालकृष्‍ण भट्ट क्‍या नहीं थे ?
(क) पत्र‍कार
(ख) महाकाव्‍यकार
(ग) निबंधकार
(घ) आलोचनाकार     

उतर – (ख) महाकाव्‍यकार

प्रश्न 21. किसने लिखा हैं ? – ‘गद्य लिखना भाषा को सार्वजनिक करते जाना हैं ।’
(क) अशोक वाजपेयी
(ख) नामवर सिंह
(ग) रघुवीर सहाय
(घ) शमशेर बहादुर सिंह

उतर – (ग) रघुवीर सहाय

प्रश्न 22. बालकृष्‍ण  भट्ट के समय के कौन- कौन साथी साहित्‍यकार थे ?
(क) भारतेन्‍दु  हरिश्‍चन्‍द्र, राधाचरण गोस्‍वामी
(ख) प्रताप नारायण मिश्र
(ग) ‘प्रेमघन’
(घ) उपर्युक्‍त सभी

उतर –  (घ) उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 23.  आचार्य रामचंद्र शुक्‍ल ने बालकृष्‍ण भट्ट की तुलना किन अंग्रेजी साहित्‍य के लेखकों से की हैं ?
(क) एडीसन और स्‍टील
(ख) विलियम वडर्सवर्थ और विलियम शेक्‍सपियर
(ग) हडसन और स्विफट
(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर-  (क) एडीसन और स्‍टील 

प्रश्न 24. चंडूखाने ‘ शब्‍द का क्‍या अर्थ हैं  ?
(क) बाल मुड़वाना की जगह
(ख) सैलून
(ग) अफीम खानेवाले लोगों की मंडली के लिए सुरक्षित स्‍थान
(घ) चांडालों के रहने का स्‍थान

उतर – (ग) अफीम खानेवाले लोगों की मंडली के लिए सुरक्षित स्‍थान  

प्रश्न  25.  ‘ चमस्तिान ‘ शब्‍द  का क्‍या अर्थ  हैं ?
(क) हरे – भरे बागों  का इलाका
(ख) एक देश का नाम
(ग) चिमनी
(घ) राज्‍य

उतर- (क) हरे–भरे बागों  का इलाका

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5. बेजोड़ गायिका लता मंगेश्कर | लेखक – कुमार गंधर्व | Bejor Gayika Lata Mangeshkar Summary Notes

August 27, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पाठ चार ‘बेजोड़ गायिका लता मंगेश्कर’ (Bejor Gayika Lata Mangeshkar Summary Notes Class 11 Hindi) निबंध का सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगेंं।

Bejor Gayika Lata Mangeshkar

4. बेजोड़ गायिका लता मंगेश्कर
लेखक-कुमार गंधर्व

लेखक कुमार गुधर्व इस पाठ के माध्यम से लतामंगेशकर की सुरिली एवं मिठापन सा अवाज और उनकी संगीत के बारे में वर्णन किया है। लेखक को गायिका लता मंगेशकर के बारे में एक रेडियो के माध्यम से पता चलता है और ये गायक दिनानाथ की पुत्री है। लेखक कहते हैं कि मैने जब से रेडियो में उनका गाना सुना तब से अभितक उनका गाना सुन रहा हूँ।

लता जी के पहले गायिका नुरजहाँ थी जिसका चित्रपट संगीत में अपना जमाना था। लोग इसे अच्छे तरह से जानते थें। लेकिन लेखक का मानना है कि जब से गायिका लता मंगेश्का आयी है तब से गायिका नुरजहाँ को पिछा छोड़ दिया है। गायक कहते हैं कि पहले भी घरों में बच्चे गाना गाया करते थें। लेकिन आज-कल के गानों में तो बहुत अंतर हो गया है।

लेखक का मनना है के आज कल जो लोगों के मन में सुरिलापन क्या है और उनके स्वर की ज्ञान बढ़ने का सबसे ज्यादा योगदान लता जी को देते हैं। लेखक कहते हैं कि अगर श्रोता से यह चुनाव कराया जाय कि लता की ध्वनि मुद्रिका और शास्त्रीय गायिकी ध्वनिमुद्रिका में कौन सबसे अच्छा है तो श्रोता लता जी की ध्वनि मुद्रिका को सपोर्ट करेंगें क्योंकि लता जी की संगीत में गनपन सत-प्रतिशत मौजुद है। क्योंकि जिस तरह मनुष्य होनें के लिए उसके अंदर मनुष्यता का होना आवश्यक है ठिक उसी प्रकार संगीत में गनपन का होना अनिवार्य है।

लेखक कहतें हैं इसके पहले भी एक प्रसिद्ध गायिका नुरजहाँ थी लेकिन उनके गानों में मादक उतान दिखता था। और लता जी के संगीत में तो सुन्दरता एवं मुग्धता दिखाई देती है। लेखक कहते हैं कि लता जी की तो संगीत समान्यतः ऊँची पट्टी में रहती है। लेकिन जो संगीत सुनने वाले होते है वह बिना मतलब आवाज ज्यादा कर चिलवाते रहते हैं।

लेखक कहते है कि चित्रपट संगीत एवं शास्त्रीय संगीत में चित्रपट संगीत आसान होता है। लेखक कहते हैं जिसे चित्रपट संगीत आता है उसे शास्त्रीय संगीत भी मालुम होना चाहिए। जो लता जी को अच्छी तरह से मालुम है।

लेखक का मानना है कि जो तीन साढ़े तीन घंटो का संगीत का आनंद एक समान होगा। क्योंकि लता जी की एक-एक गाना सम्पूर्ण कलाकृति होती है। संगीत की दुनिया मे लता जी का स्थान अव्वल पर आता है। क्योंकि कोई ऐसा गायक/गायिका नहीं है जो अपने पहले संगीत को इतनी कुशलता और रसोत्कटता से गा सकें।

चित्रपट संगीत के खिलाफ लोग कहतें हैं कि चित्रपट संगीत लोगों की सिर्फ कान खराब करता है बाकि कुछ नहीं। संगीत सुरीली एवं भावपूर्व गाना चाहिए। ये सब चित्रपट संगीत से हीं मुमकिन हो पाया है। यह संगीत समाज में अधिक अभिरूची लाया है। इसका उपयोग राजस्थानी, बंगाली, पंजाबी, प्रदेश के लोकगीतों के भंडार को भी उन्होंने खुब लुटा। कहे तो प्रत्येक परिस्थति में संगीत का उपयोग किया। अगर मैं कहुँ तो संगीत का क्षेत्र बहुत बड़ा है। और ऐसा देखा जा रहा है की दिन-प्रतिदिन संगीत अधिक से अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है।

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