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Kavitt class 12 bhawarth & Objective | कवित्त का व्‍याख्‍या तथा भावार्थ

October 11, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ पाँच ‘छप्‍पय (Kavitt class 12 bhawarth & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक भूषण हैं।

5. कवित्त
कवि – भूषण

लेखक-परिचय
जीवनकाल : (1613-1715)
जन्मस्थान : टिकवापुर, कानपुर, उत्तरप्रदेश
पिता : रत्नाकर त्रिपाठी
उपनाम : कवि भूषण (चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्रसाह द्वारा इन्‍हें ‘कवि भूषण’ की उपाधि‍ प्राप्‍त)
आश्रयदाता : छत्रपति शिवाजी, शिवाजी के पुत्र शाहजी और पन्ना के बुंदेला राजा छत्रसाल
विशेष : रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि चिंतामणि त्रिपाठी और मतिराम भूषण के भाई के भाई के रूप में जाने जाते हैं।
कृतियाँ : शिवराज भूषण, शिवा बावनी, छत्रसाल दशक, भूषण हजारा, भूषण उल्लास, दूषण उल्लास आदि।
यह रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि हैं इनका हिंदी जनता में बहुत सम्मान है। यह एक वीर रस के कवि हैं।

कवित्त (1)
इन्द्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर,
रावन सदंभ पर रघुकुल राज है |

प्रस्तुत पंक्तियाँ में कवि भूषण शिवाजी के शौर्य का बखान करते हुएकहते हैं कि शिवाजी का मलेच्छ पर उसी प्रकार राज है जिस प्रकार इंद्र का यम पर, समुन्द्र की अग्नि का पानी पर और राम का दंभ से भरे रावण पर है। इन पंक्तियों में भूषण ने शिवाजी के शौर्य की तुलना इंद्र समुन्द्र, अग्नि और राम के साथ की है।

पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाहू पर राम द्विज राज है |

प्रस्तत पंक्तियाँ में कवि भूषण शिवाजी के शौर्य का बखान करते हैं कि शिवाजी का मलेच्छ पर उसी प्रकार राज है जिस प्रकार हवाओं का बादल पर भगवान शिव का रति के पति पर (कामदेव पर) और परशुराम का सहस्रबाहु पर है। इन पंक्तियों में भूषण ने शिवाजी के शौर्य की तुलना हवाओं, शिव और परशुराम के साथ की है।

दावा द्रुम-दंड पर चीता मृग-झुंड पर,
भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है |

Kavitt class 12 bhawarth & Objective

प्रस्तत पंक्तियाँ में कवि भूषण शिवाजी के शौर्य का बखान करते हए कहते हैं कि शिवाजी का मलेच्छ पर उसी प्रकार राज है जिस प्रकार जंगल की आग का वृक्ष की डालों पर, चीता का हिरणों के झूंड पर और हाथी पर सिंह का राज है। इन पंक्तियों में भूषण ने शिवाजी के शौर्य की तुलना जंगल की आग, चीता और सिंह के साथ की है।

तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
यौ मलेच्छ बंस पर सेर सिवराज है |

प्रस्तुत पंक्तियाँ में कवि भूषण शिवाजी के शौर्य का बखान करते हए कहते हैं कि शिवाजी का मलेच्छ पर उसी प्रकार राज हैं जिस प्रकार उजाले का अंधेरे पर, कृष्ण का कंस पर राज है। इन पंक्तियों में भूषण ने शिवाजी के शौर्य की तुलना उजाले और कृष्ण के साथ की है।

कवित्त (2)
निकसत म्यान ते मयूखैं, प्रलै-भानु कैसी
फारै तम-तोम से गयंदन के जाल को।

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर भूषण द्वारा रचित ‘कवित्त’ शीर्षक पाठ से अवतरित है जिनमें कवि भूषण ने छत्रसाल की वीरता, धीरता और पौरुष का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि छत्रसाल की तलवार म्यान से इस प्रकार निकलती है जैसे प्रलयंकारी सूर्य से उसकी किरणें निकलती है तथा वह गयंद अर्थात हाथियों के जाल को इस प्रकार तितर-बितर कर देती है जैसे सूर्य की किरणें अंधेरे को।

लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी
रुद्रहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को |

प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि भूषण द्वारा रचित कवित्त शीर्षक पाठ से अवतरित है जिनमें कवि भूषण ने छत्रसाल की वीरता, धीरता और पौरुष का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि हे राजन ! आपकी तलवार शत्रुओं के गर्दन से नागिन की तरह लिपट जाती है और रुद्र (शिव) को प्रसन्न करने के लिए उन्हे मुंडो (सिर) की माला अर्पित कर रही है।

लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली,
कहाँ लौं बखान करौ तेरी करवाल को।

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर भूषण द्वारा रचित ‘कवित्त’ शीर्षक पाठ से अवतरित है जिनमें कवि भूषण ने छत्रसाल की वीरता, धीरता और पौरुष का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि हे बलिष्ठ और विशाल भुजावाले महाराज छत्रसाल ! मैं आपकी तलवार का कहाँ तक बखान करूँ ? आपकी तलवार अत्यंत प्रलयंकारी है जो शत्रुओं के समूह को नष्ट कर रही है।

प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को

प्रस्तुत पंक्तियाँ कविवर भूषण द्वारा रचित ‘कवित्त’ शीर्षक पाठ से अवतरित है जिनमें कवि भूषण ने छत्रसाल की वीरता, धीरता और पौरुष का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि हे राजन ! आपकी तलवार अत्यंत प्रलयंकारी है जो शत्रुओं के दल का संहार करती है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे काली को प्रसन्न करने के लिए प्रसाद देती हो।

5. कवित्त : भूषण

प्रश्न 1. ‘भूषण‘ का कब जन्‍म हुआ था?
(क)   1612
(ख)   1613
(ग)   1614
(घ)   1615

उत्तर- (ख)   1613    

प्रश्न 2. भूषण के पिता का नाम क्‍या था?
(क)   मधुकर त्रिपाठी
(ख)   श्‍याम तिवारी
(ग)   गणपति झा
(घ)   रत्‍नाकर त्रिपाठी

उत्तर-  (घ)   रत्‍नाकर त्रिपाठी 

Kavitt class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 3. ‘भूषण‘ का मृत्‍यु कब हुआ था?
(क)   1713 
(ख)   1714
(ग)   1715
(घ)   1716

उत्तर- (घ)   1716   

प्रश्न 4. ‘कवित्त‘ शीर्षक पाठ के रचयिता कौन है?
(क)   भूषण
(ख)   बिहारी
(ग)   चिंतामणि त्रिपाठी
(घ)   घनानन्‍द

उत्तर- (क)   भूषण   

प्रश्न 5. भूषण की भाषा कौन-सी थी?
(क)   ब्रजभाषा
(ख)   अवधी
(ग)   मागधी
(घ)   छत्तीसगढ़ी

उत्तर- (क)   ब्रजभाषा   

प्रश्न 6. भूषण को ‘भूषण‘ की उपाधि किसने दी थी?
(क)   छत्रपति शिवाजी ने
(ख)   महाराज छत्रसाल ने
(ग)   राजा रूद्रशाह ने
(घ)   औरंगजेब ने

उत्तर- (ग)   राजा रूद्रशाह ने   

प्रश्न 7. ‘छत्रसाल दशक‘ के रचनाकार हैं-
(क)   तुलसीदास
(ख)   जायसी
(ग)   भूषण
(घ)   नाभादास

उत्तर- (ग)   भूषण   

प्रश्न 8. शिवाजी के पुत्र का क्‍या नाम था?
(क)   शेरा जी
(ख)   वीरा जी
(ग)   शाहू जी
(घ)   भानू जी

उत्तर- (ग)   शाहू जी   

Kavitt class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 9. भूषण की कृतियाँ कौन-कौन है?
(क)   छत्रपति शिवाजी
(ख)   शिवाजी के पुत्र शाहूजी
(ग)   पन्‍ना के बुंदेला राजा छत्रसाल
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 10. भूषण की कृतियाँ कौन-कौन है?
(क)   शिवराज भूषण
(ख)   शिवा बावनी
(ग)   छत्रसाल दशक
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 11. भूषण की अप्राप्‍य कृतियाँ कौन-कौन है?
(क)   भूषण हजारा
(ख)   भूषण उल्‍लास
(ग)   दूषण उल्‍लास
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-  (घ)   उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 12. अपनी कविता में भूषण ने किनका गुणगान किया है?
(क)   महाराणा प्रताप
(ख)   छत्रपति शिवाजी
(ग)   छत्रसाल
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-(घ)   उपर्युक्‍त सभी

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Chhappay class 12 bhawarth & Objective | छप्‍पय के पद का व्‍याख्‍या तथा भावार्थ

October 11, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ चार ‘छप्‍पय (Chhappay class 12 bhawarth & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक नाभादास हैं।

4. छप्‍पय

कवि-परिचय
लेखक- नाभादास
जन्म : 1570-1600 (अनुमानित)जन्मस्थान : दक्षिण भारत में
माता-पिता : शैशव में पिता की मृत्यु और अकाल के कारण माता के साथ जयपुर (राजस्थान) में प्रवास
दीक्षा गुरु : स्वामी अग्रदास (अग्रअली)
शिक्षा : गुरु की देख-रेख में स्वाध्याय, सत्संग द्वारा ज्ञानार्जन।
कृतियाँ : भक्तमाल, अष्टयाम (ब्रजभाषा गद्य में)
गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन – वैष्णव संप्रदाय में दीक्षित

कबीर
भगति विमुख जे धर्म सो सब अधर्म करि गाए |
योग यज्ञ व्रत दान भजन बिन तुच्छ दिखाए ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ नाभादास द्वारा रचित भक्तमाल से उद्धृत है जिसके माध्यम से नाभदास ने कबीरवाणी की विशेषता पर प्रकाश डाला है

कवि कहते हैं कि जो व्यक्ति भक्ति से विमुख हो जाता है वह अधर्म में लिप्त व्यक्तियों की तरह कार्य करता है। कबीर ने भक्ति के अतिरिक्त अन्य सभी क्रियाओं जैसे योग, यज्ञ, व्रत, दान, भजन सभी को तुच्छ कहा है।

हिंदू तुरक प्रमान रमैनी सबदी साखी |
पक्षपात नहिं बचन सबहिके हितकी भाषी ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ नाभादास द्वारा रचित भक्तमाल से उद्धृत है जिसके माध्यम से नाभदास ने कबीरवाणी की विशेषता पर प्रकाश डाला है।

नाभादास कहते हैं कि कबीर ने हमेशा हिन्दू और मुसलमान को प्रमाण और सिद्धांत की बात कही है। कबीर ने कभी भी पक्षपात नहीं किया है उन्होंने हमेशा सबके हित की बात कही है।

आरूढ़ दशा ह्वै जगत पै, मुख देखी नाही भनी |
कबीर कानि राखी नहीं, वर्णोश्रम षट् दर्शनी ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ नाभादास द्वारा रचित भक्तमाल से उद्धृत है जिसके माध्यम से नाभदास ने कबीरवाणी की विशेषता पर प्रकाश डाला है।

नाभादास कहते हैं कि कबीर ने कभी भी मुख देखी बात नहीं कही अर्थात कभी भी पक्षपातपूर्ण बात नहीं कही। कबीर ने कभी भी कही सुनाई बातों को महत्व नहीं दिया। उन्होंने हमेशा आंखों देखी बातों को ही कहा है। कबीर ने चार वर्ण, चार आश्रम और छ: दर्शन किसी की आनि-कानी नहीं की अर्थात् किसी को भी महत्व नहीं दिया।

Chhappay class 12 bhawarth & Objective

सूरदास
उक्ति चौज अनुप्रास वर्ण अस्थिति अतिभारी |
वचन प्रीति निर्वेही अर्थ अद्भुत तुकधारी ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ नाभादास द्वारा रचित भक्तमाल से उदधृत है जिसके माध्यम से नाभदास ने सूरदास के विशेषताओं को बताया है। नाभादास कहते हैं कि सुरदास कि कविताएँ युक्ति, चमत्कार अनुप्रास वर्ण से भरी हई होती है। सूरदास की कविताएँ लयबद्ध और संगीतात्मक होती है। सूरदास अपनी कविता की शुरुआत जिन प्रेम भरी वचनों से करते है उसका अंत भी उन्ही वचनों से करते है।

पद प्रतिबिंबित दिवि दृष्टि हृदय हरि लीला भासी |
जन्म कर्म गुन रूप सबहि रसना परकासी ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ नाभादास द्वारा रचित भक्तमाल से उद्धृत है जिसके माध्यम से नाभदास ने सूरदास के विशेषताओं को बताया है। नाभदास कहते हैं कि सुरदास की दृष्टि दिव्य है। सूरदास ने अपनी कविताओं मे श्री कृष्ण की लीला का वर्णन किया है। सूरदास ने प्रभु के जन्म, कर्म, गुण, रूप सभी को अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर अपने वचनों से प्रकाशित किया।

विमल बुद्धि हो तासुकी, जो यह गुन श्रवननि धरै |
सूर कवित सुनि कौन कवि, जो नहिं शिरचालन करै ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ नाभादास द्वारा रचित ‘भक्तमाल’ से उद्धृत है जिसके माध्यम से नाभदास ने सूरदास के विशेषताओं को बताया है। नाभदास कहते हैं कि जो भी व्यक्ति सूरदास द्वारा कही गई भगवान के गुणों को सुनता है उसकी बुद्धि विमल हो जाती है। नाभादास कहते हैं कि ऐसा कोई कवि नहीं हैं जो सूरदास की कविताओं को सुनकर सिर चालन ना करें अर्थात उनकी बातों में हामी ना भरें।

4. छप्‍पय : नाभादास

प्रश्न 1. ‘नाभादास‘ का काव्‍य-रचना क्षेत्र था-
(क)   हरिद्वार
(ख)   काशी
(ग)   वृन्‍दावन
(घ)   मथुरा

उत्तर- (ग)   वृन्‍दावन   

प्रश्न 2. ‘भक्‍तमाल‘ किस‍की रचना है?
(क)   नाभादास
(ख)   सूरदास
(ग)   कबीरदास
(घ)   तुलसीदास

उत्तर(क)   नाभादास

Chhappay class 12 bhawarth & Objective

पश्र 3.‘छप्‍पय‘ शीर्षक कविता के रचयिता का नाम बतावें-
(क)   नाभादास
(ख)   सूरदास
(ग)   कबीरदास
(घ)   तुलसीदास

उत्तर-  (क)   नाभादास 

प्रश्न 4. नाभादास का कब जन्‍म हुआ था?
(क)   1569 (अनुमानित)
(ख)   1570 (अनुमानित)
(ग)   1571 (अनुमानित)
(घ)   1572 (अनुमानित)

उत्तर- (ख)   1570 (अनुमानित)   

प्रश्न 5. नाभादास का स्‍थायी निवास कहाँ था?
(क)   काशी
(ख)   बरसाने
(ग)   मथुरा
(घ)   वृन्‍दावन

उत्तर- (घ)   वृन्‍दावन   

प्रश्न 6. नाभादास की कृतियों का नाम बताएँ-
(क)   भक्‍तमाल
(ख)   अष्‍टयाम
(ग)   प्रकीर्णपद
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 7. नाभादास के दीक्षा-गुरू कौन थे?
(क)   स्‍वामी रामानन्‍दाचार्य
(ख)   स्‍वामी रामानंद
(ग)   स्‍वामी अग्रदास
(घ)   स्‍वामी तुलसीदास

उत्तर-   (ग)   स्‍वामी अग्रदास

प्रश्न 8. नाभादस किस युग के भक्‍त कवि थे?
(क)   आधुनिक काल
(ख)   श्रृंगार काल
(ग)   वीरगाथा काल
(घ)   भक्ति काल

उत्तर- (घ)   भक्ति काल   

प्रश्न 9. ‘भक्‍तमाल‘ में कितने चरित वर्णित हैं?
(क)   201 भक्‍तों का चरित
(ख)   202 भक्‍तों का चरित
(ग)   203 भक्‍तों का चरित
(घ)   200 भक्‍तों का चरित

उत्तर-(ख)   202 भक्‍तों का चरित    

Chhappay class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 10. आपके पाठ्यक्रम में किन पर लिखे गए छप्‍पय संकलित है?
(क)   कबीर, सूर
(ख)   सूर, तुलसी
(ग)   तुलसी, अग्रदास
(घ)   अग्रदास, छीतस्‍वामी

उत्तर- (ग)   तुलसी, अग्रदास   

प्रश्न 11. नाभादास ने भक्‍तों के परिचय में किस शैली का परिचय दिया है?
(क)   सन्धि-शैली
(ख)   समास-शैली
(ग)   उपसर्ग-शैली
(घ)   प्रत्‍यय-शैली

उत्तर-  (घ)   प्रत्‍यय-शैली  

प्रश्न 12. ‘भक्‍तमाल‘ कैसी माला है?
(क)   314
(ख)   315
(ग)   316
(घ)   317

उत्तर- (ख)   315   

प्रश्न 13. ‘भक्‍तमाल” कैसी माला है?
(क)   भक्‍त चरित्रों की माला
(ख)   भक्ति भाव की माला
(ग)   कवि भाव की माला
(घ)   अकवि भाव की माला

उत्तर- (क)   भक्‍त चरित्रों की माला   

प्रश्न 14. नाभादस किस प्रकार के भक्‍त कवि थे?
(क)   सगुणोपासक रामभक्‍त
(ख)   सगुणोपासक कृष्‍णभक्‍त
(ग) निर्गुणोपासक प्रेममार्गी
(घ)   निर्गुणोपासक ज्ञानमार्गी

उत्तर-(क)   सगुणोपासक रामभक्‍त    

प्रश्न 15. किसकी लिखी प्रक्ति है?-
(क)   सूरदास
(ख)   तुलसीदास
(ग)   मीराबाई
(घ)   नाभादास

उत्तर- (घ)   नाभादास   

प्रश्न 16. किसने कहा है?-‘भगति विमुख जे धर्म सो सब अधर्म करि गए ।‘
(क)   नाभादास
(ख)   सूरदास
(ग)   तुलसीदास
(घ)   मीराबाई

उत्तर-  (क)   नाभादास 

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Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective | तुलसीदास के पद का व्‍याख्‍या तथा भावार्थ

October 11, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ तीन ‘तुलसीदास (Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक तुलसीदास हैं।

 

3. तुलसीदास

कवि-परिचय
कवि का नाम – तुलसीदास
जन्म : 1543 निधन : 1623
जन्मस्थान : राजापुर, बाँदा, उत्तरप्रदेश
मूल-नाम : रामबोला
माता-पिता : हुलसी और आत्माराम दुबे
दीक्षा गुरु : नरहरि दास, सुकरखेत के वासी, गुरू ने विद्यारंभ करवाया।
शिक्षा गुरु : शेष सनातन, काशी के विद्वान।
शिक्षा : चारों वेद, षड्दर्शन, इतिहास, पुराण, स्मृतियाँ, काव्य आदि की शिक्षा काशी में पंद्रह वर्षों तक प्राप्‍त की।
स्थाई निवास : काशी
मित्र : अब्‍दुर्रहीम खानखाना, महाराजा मानसिंह, नाभादास, टोडरमल, मधुसूदन सरस्वती।
कृतियाँ : रामलला नहछू, वैराग्य संदीपिनी, बरवै रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामज्ञाप्रश्न, दोहावली कवितावली, गीतावली, श्री कृष्ण गीतावली, विनय पत्रिका, रामचरित मानस।
गोस्वामी तुलसीदास हिन्दी के मध्यकालीन उत्तर भारत भक्ति काव्य की सगुण भक्तिधारा की रामभक्ति शाखा के प्रधान कवि हैं।

पद
कबहुँक अंब अवसर पाइ |
मेरिओ सुधि द्याइबी कछु करून-कथा चलाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे माँ कभी उचित अवसर पा के आप प्रभु से कोई कारुणिक प्रसंग छेड़ कर मेरी भी याद प्रभु को दिला देना।

दीन, सब अंगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ |
नाम लै भरै उदर एक प्रभु-दासी-दास कहाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हए कहते है कि हे माँ ! प्रभू को कहना कि आपकी दासी का दास बहुत ही दीन (गरीब) दशा में हैं। उसके अंग भी अब ठीक से काम नहीं कर रहे है। वह बहत दुर्बल है तथा स्वच्छ भी नहीं रहता। वह पूर्णतः पापों में लिप्त है और आपके नाम का स्मरण करता हुआ किसी प्रकार से अपनी उदर पूर्ति करता है।

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

बझिहैं “सो है कौन” कहिबी नाम दसा जनाइ |
सुनत रामकृपालु के मेरी बिगारिऔ बनि जाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हए कहते है कि हे माँ जब आप मेरी बात प्रभु से करेंगी तो वो पूछेंगे कि आप किसकी बात कर रही है। आप प्रभू को मेरा नाम और मेरी दशा बता देना क्योंकि अगर मेरी स्थिति प्रभू को पता चल गई तो मेरे बिगड़े हुए काम भी बन जाएंगे।

जानकी जगजननि जन की किए बचन-सहाइ |
तरै तुलसीदास भव तव-नाथ-गुन-गन गाइ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका के सीता स्तुति खंड से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास सीता को माँ कहकर संबोधित करते हए कहते है कि हे माँ ! वैसे तो आप पूरे संसार की माँ है। आप अपनी कृपा पूरे संसार पर बरसाती है लेकिन इसके बावजूद अगर आप मेरी सहायता करेंगी तो मैं आपके नाथ का गुण-गान करके भवसागर को पार कर जाऊंगा।

(2)
दवार हौं भोर ही को आज | रटत रिरिहा आरि और न, कौर ही तें काजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते है कि हे प्रभू ! मैं आपके द्वार पर भोर से (सुबह से) ही बैठा हूँ और भीख मांगने वाले की तरह रिरिहा (गिरगिड़ा) रहा हूँ। हे प्रभु ! मुझे आपसे बहुत कुछ नहीं चाहिए। मैं आपकी कृपा का एक कौर (निवाला) ही मांग रहा हूँ।

कलि कराल दुकाल दारुन, सब कुभांति कुसाजु |
नीच जन, मन ऊंच, जैसी कोढ़ में की खाजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते हैं कि हे प्रभू ! इस कलयुग मे भयंकर अकाल पड़ा है और जो भी मोक्ष को प्राप्त करने का मार्ग है वो पापों से भरा हुआ है। प्रत्येक चीज मे दुर्व्यस्थता ही दिखाई पड़ रही है । हे प्रभु ! मैं एक नीच जीव हैं जिसकी अभिलाषाएं ऊंची है जो मुझे उसी प्रकार कष्ट देती है जैसे कोंढ़ में खाज दुख दिया करती है। अतः हे प्रभु मेरी विनती स्वीकार करें और मुझे अपनी कृपा का मात्र एक निवाला प्रदान करें।

हहरि हिय में सदय बूझयो जाइ साधु-समाजु ||
मोहुसे कहुँ कतहुँ कोउ, तिन्ह कहयो कोसलराजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते हैं कि हे प्रभु ! हृदय में अत्यंत पीड़ा के साथ मैंने दयाशील साधू समाज से यह बात पूछा कि क्या मेरे जैसे पापी, दरिद्र के लिए कोई शरण है और उन्होंने कृपा के सागर श्रीराम का नाम बताया।

दीनता-दारिद दलै को कृपाबारिधि बाज |
दानि दसरथरायके, तू बानइत सिरताजु ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हए कहते हैं कि हे कृपासिंधु ! आपके अतिरिक्त कौन मेरी दीनता और दरिद्रता को दूर कर सकता है। हे दशरथ पुत्र श्रीराम ! आपके द्वारा ही मेरी बात बन सकती है।

जनमको भूखो भिखारी हौं गरीबनिवाजु |
पेट भरि तलसिहि जेंवाइय भगति-सुधा सुनाजु ||

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

प्रस्तुत पंक्तियाँ विनय पत्रिका से ली गई है जिसमें महाकवि तुलसीदास अपनी दीन-हीन अवस्था का वर्णन करते हुए कहते है कि हे कृपासिन्धु ! हे गरीबों का दुख दूर करने वाले मैं जन्म से ही भूखा भिखारी हूँ और आप दीनों के नाथ है। तुलसी जैसा भूखा भक्त आपके द्वार पर बैठा है मुझे अपनी भक्तिरूपी पिलाकर मेरे ज्ञानरूपी भूख को शांत करें।

3. पद : तुलसीदास

प्रश्न1. ‘बरवै रामायण‘ किस‍की रचना है?
(क)   नंददास
(ख)   सूरदास
(ग)   तुलसीदास
(घ)   कबीरदास

उत्तर-  (ग)   तुलसीदास 

प्रश्न 2. कवितावली के रचनाकार है-
(क) जायसी  
(ख)   तुलसीदास
(ग)   कबीरदास
(घ)   सूरदास

उत्तर- (ख)   तुलसीदास   

प्रश्न 3. तुलसीदास का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)   राजापुर, बंगाल
(ख)   राजापुर, बेलीरोड, पटना, बिहार
(ग)   राजापुर, बाँदा, उतर प्रदेश
(घ)   राजापुर, मध्‍यप्रदेश

उत्तर- (ग)   राजापुर, बाँदा, उतर प्रदेश   

प्रश्न 4. तुलसीदास का कब जन्‍म हुआ था?
(क)   1542
(ख)   1543
(ग)   1544
(घ)   1545

उत्तर-  (ख)   1543 

प्रश्न 5. तुलसीदास के माता-पिता का नाम क्‍या था?
(क)   हुलसी एवं आत्‍माराम दुबे
(ख)   लसी एवं आत्‍मा दुबे
(ग)   कुलफी एवं परमात्‍मा दुबे
(घ)   राबड़ी एवं परमात्‍मा दुबे

उत्तर-(क)   हुलसी एवं आत्‍माराम दुबे    

प्रश्न 6. तुलसीदास का मूल नाम क्‍या था?
(क)   राधाबोला
(ख)   कृष्‍णबोला
(ग)   सीताबोला
(घ)   रामबोला

उत्तर- (घ)   रामबोला  

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 7. तुलसीदास के शिक्षा गुरू कौन थे?
(क)   रामानन्‍दाचार्य
(ख)   तुलसी के दुश्‍मन, तत्‍कालीन पंडित
(ग)   तुलसी की पत्‍नी
(घ)   शेष सनातन, काशी के विद्वान

उत्तर- (घ)   शेष सनातन, काशी के विद्वान 

प्रश्न 8. तुलसीदास के दीक्षा -गुरू कौन थे?
(क)   रामानन्‍दाचार्य
(ख)   वल्‍लभाचार्य
(ग)   नरहरिदास
(घ)   रामानन्‍द

उत्तर- (ग)   नरहरिदास   

प्रश्न 9. तुलसीदास की पत्‍नी का नाम क्‍या था?
(क)   स्‍वर्णावली
(ख)   रत्‍नावली
(ग)   अलंकारवाली
(घ)   कनकवाली

उत्तर-  (ख)   रत्‍नावली 

प्रश्न 10. तुलसीदास की भाषा कौन-सी है?
(क)   अवधी, ब्रजभाषा
(ख)   संस्‍कृत
(ग)   हिन्‍दी
(घ)   अपभ्रंश

उत्तर-  (क)   अवधी, ब्रजभाषा 

प्रश्न 11. ‘साहित्‍य लहरी‘ किनकी रचना है?
(क)   जायसी
(ख)   सूरदास
(ग)   कबीर
(घ)   तुलसीदास

उत्तर- (ख)   सूरदास

प्रश्न 12. खाली जगह को भरें-‘पेट भरि तुलसीहि जेंवाइय ………. सुधा सुनाजु ।,
(क)   भागति
(ख)   भक्ति
(ग)   भगति
(घ)   आवति

उत्तर-  (ग)   भगति 

प्रश्न 13. तुलसीदास के शिक्षा कहाँ से मिली?
(क)   चारों वेद, षड्दर्शन
(ख)   इतिहास, पुराण
(ग)   स्‍मृतिया, काव्‍य
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 14. तुलसीदास ने घर का परित्‍याग क्‍यों किया?
(क) पत्‍नी की फटकार से 
(ख)   पत्‍नी के प्रेम से
(ग)   पत्‍नी के साथ प्रगाढ़ प्रेम से
(घ)   पत्‍नी में आसक्ति से

उत्तर- (क) पत्‍नी की फटकार से     

प्रश्न 15. तुलसीदास का स्‍वामी निवास किस जगह था?
(क)  मथुरा में
(ख)  काशी में
(ग)  वृन्‍दावन में 
(घ)  इनमें से कोई नहीं

उत्तर-(ख)  काशी में    

Tulsidas ke pad class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 16. तुलसीदास का व्‍यक्तित्‍व कैसा था?
(क) विनम्र 
(ख)  मृदुभाषी
(ग)   गंभीर और शांत स्‍वभाव
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-  (घ)  उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 17. तुलसीदास के मित्र एवं स्‍नेही का नाम बताएँ-
(क)  अब्‍दुर्रहीम खानखाना, महाराजा मानसिंह
(ख)  नाभादास, दार्शनिक मधुसूदन सरस्‍वती
(ग)   टोडरमल
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-(घ)  उपर्युक्‍त सभी      

प्रश्न 18.  हिन्‍दी का समन्‍यवयवादी कवि किसे माना जाता है?
(क) सूरदास 
(ख) जायसी
(ग) तुलसीदास 
(घ)  मीरा

उत्तर- (ग) तुलसीदास     

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Surdas ke pad class 12 bhawarth & Objective | सूरदास के पद का व्‍याख्‍या तथा भावार्थ

October 11, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ दो ‘सूरदास (Surdas ke pad class 12 bhawarth & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक सूरदास हैं।

2. सूरदास
कवि परिचय
सूरदास का जन्म सन् 1478 ई० के आसपास माना जाता है।
वे दिल्ली के निकट ‘सीही’ नामक गाँव के रहनेवाले थे।
उनके गुरु का नाम महाप्रभु वल्लभाचार्य था।
वे पर्यटन, सत्संग, कृष्णभक्ति, और वैराग्य में रुचि लेते थे।
जन्म से अंधे थे अथवा बड़े होने पर दोनों आंखे जाती रही।
उनकी प्रमुख रचनाओं मे सुरसागर, साहित्यलहरी, राधारसकेलि, सुरसारावाली इत्यादि प्रमुख है।
उनकी मृत्यु 1583 मे हुई।

पाठ परिचय: प्रस्‍तुत पाठ के दोनों पद सुरदास रचित ‘सूरगार’ से लिया गया है। इन पदों में सूर की काव्‍य और कला से संबंधित विशिष्‍ट प्रतिभा की अपूर्व झलक मिलती है। प्रथम पद में दुलार भरे कोमल-मधुर स्‍वर में सोए हुए बालक कृष्‍ण को भोर होने की सूचना देते हुए जगाया जा रहा है। द्वितीय पद में पिता नंद की गोद में बैठकर बालक श्रीकृष्‍ण को भोजन करते दिखाया गया है।

पद
( 1 )
जागिए ब्रजराज कुंवर कंवल-कुसुम फूले।
कुमुद -वृंद संकुचित भए भुंग लॅता भूले॥

प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है। वह कहती हैं कि हे ब्रज के राजकुमार! अब जाग जाओ। कमल पुष्प खिल गए हैं तथा कुमुद भी बंद हो गए हैं। (कुमुद रात्रि में ही खिलते हैं, क्योंकि इनका संबंध चंद्रमा से हैं) भ्रमर कमल-पुष्पों पर मंडाराने लगे हैं।

तमचूर खग रोर सुनह बोलत बनराई।
रांभति गो खरिकनि में, बछरा हित धाई॥

प्रस्तत पद वात्सल्य भाव के हैं और सूरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है। वह कहती हैं कि हे ब्रज के राजकुमार! अब जाग जाओ। सवेरा होने के प्रतीक मुर्गे बांग देने लगे हैं और पक्षियों व चिड़ियों का कलरव प्रारंभ हो गया है। गोशाला में गाएं बछड़ों के लिए रंभा रही हैं।

विधु मलीन रवि प्रकास गावत नर नारी।
सूर स्याम प्रात उठौ, अंबुज-कर-धारी ||

प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है। वह कहती हैं कि हे ब्रज के राजकुमार! अब जाग जाओ। चंद्रमा का प्रकाश मलिन हो गया है अर्थात चाँद चुप गया है तथा सूर्य निकल आया है। नर नारियां प्रात:कालीन गीत गा रहे हैं। अत: हे श्यामसुंदर! अब तुम उठ जाओ। सूरदास कहते हैं कि यशोदा बड़ी मनुहार करके श्रीगोपाल को जगा रही हैं वे कहती है हे हाथों मे कमल धारण करने वाले कृष्ण उठो।

( 2 )
जेवत स्याम नंद की कनियाँ |
कछुक खात, कछु धरनि गिरावत, छबि निरखति नंद-रनियाँ |

प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे हैं। वे कुछ खाते हैं कुछ धरती पर गिराते हैं तथा इस मनोरम दृश्य को नंद की रानी (माँ यशोदा) देख रही है।

बरी, बरा बेसन, बहु भाँतिनि, व्यंजन बिविध, अंगनियाँ।
डारत, खात, लेत, अपनैं कर, रुचि मानत दधि दोनियाँ।

प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सूरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है। उनके खाने के लिए अनगिनत प्रकार के व्यंजन जैसे बेसन के बाड़े, बरियाँ इत्यादि बने हए है | वे अपनी हाथों से कुछ खाते हैं और कुछ गिराते हैं लेकिन उनकी रुचि केवल दही के पात्र में अत्यधिक होती है।

मिस्री,दधि माखन मिस्रीत करि, मुख नावत छबि धनियाँ |
आपुन खात, नंद-मुख नावत, सो छबि कहत न बानियाँ |

प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सुरसागर से संकलित है जिसमे सुरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है। उन्हे दही अधिक पसंद है। वे मिश्री, दही और मक्खन को मिलाकर अपने मुख में डालते हैं। यह मनोरम दृश्य देखकर माँ यशोदा धन्य हो जाती है। वे खुद भी खाते हैं और कुछ नंद जी के मुंह में भी डालते हैं ये मनोरम छवि का वर्णन करते नहीं बनता।

जो रस नंद-जसोदा बिलसत, सो नहि तिहू भुवनियाँ |
भोजन करि नंद अचमन लीन्हौ, मांगत सूर जुठनियाँ ||

प्रस्तुत पद वात्सल्य भाव के हैं और सूरसागर से संकलित है जिसमें सूरदास जी मातृ-पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे हैं। इस दिव्य क्षण का जो आनंद नंद और यशोदा को मिल रहा है यह तीनों लोको में किसी को प्राप्त नहीं हो सकता। भोजन करने के बाद नंद और श्री कृष्ण कुल्ला करते है और सूरदास उनका जूठन मांग रहे है।

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2. पद : सूरदास

प्रश्न 1. ‘सूरदास‘ किस भाषा के कवि है?
(क)  संस्‍कृत
(ख)  ब्रजभाषा
(ग)  अवधी
(घ)  मैथिली

उत्तर- (ख)  ब्रजभाषा 

प्रश्न 2. सूरदास किस भक्तिधारा के कवि थे?
(क)  रामभक्ति धारा
(ख)  कृष्‍णभक्ति धारा
(ग)  प्रेममार्गी शाखा
(घ)  संतकाव्‍य परम्‍परा

उत्तर-(ख)  कृष्‍णभक्ति धारा 

प्रश्न 3. सूरदास का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  बनारस के निकट ‘पीटी’ नामक ग्राम
(ख)  पंजाब के निकट ‘सीटी’ नामक ग्राम
(ग)  हरियाणा के निकट ‘पीही’ नामक ग्राम
(घ)  दिल्‍ली के निकट ‘सीही’ नामक ग्राम

उत्तर-  (घ)  दिल्‍ली के निकट ‘सीही’ नामक ग्राम

प्रश्न 4. सूरदास का निवास-स्‍थान कहाँ-कहाँ रहा? 
(क)  मथुरा
(ख)  ब्रजक्षेत्र में क्रमश: ‘मउघाट’, मथुरा एवं वृन्‍दावन
(ग)  ब्रजक्षेत्र में क्रमश: ‘मउघाट’, वृन्‍दावन एवं पारसोली ग्राम
(घ)  वृन्‍दावन

उत्तर- (ग)  ब्रजक्षेत्र में क्रमश: ‘मउघाट’, वृन्‍दावन एवं पारसोली ग्राम 

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प्रश्न 5. सूरदास का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  1477 (अनुमानित)
(ख)  1478 (अनुमानित)
(ग)  1479 (अनुमानित)
(घ)  1480 (अनुमानित)

उत्तर- (ख)  1478 (अनुमानित) 

प्रश्न 6. सूरदास का मृत्‍यु कब हुआ था?
(क)   1581
(ख)   1582
(ग)   1583
(घ)   1584

उत्तर- (ग)   1583   

प्रश्न 7. सूरदास क दीक्षागुरू कौन थे?
(क)   महाप्रभु वल्‍लभाचार्य
(ख)   महाप्रभु रामानन्‍दचार्य
(ग)   रामानन्‍द
(घ)   विट्ठलनाथ

उत्तर-(क)   महाप्रभु वल्‍लभाचार्य    

प्रश्न 8. सूरदास किस काल के कवि थे?
(क)   मध्‍यकाल
(ख)   आधुनिक काल
(ग)   आदिकाल
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (क)   मध्‍यकाल 

प्रश्न 9. सूरदास किन कवियों के मध्‍य श्रेष्‍ठ माने जाते है?
(क)   तुलसीदास
(ख)   वल्‍लभाचार्य के पुष्टिमार्गीय भक्ति में ‘अष्‍टछाप के आठ कवियों के मध्‍य’

(ग)   कबीरदास
(घ)   मीराबाई

उत्तर-  (ख)   वल्‍लभाचार्य के पुष्टिमार्गीय भक्ति में ‘अष्‍टछाप के आठ कवियों के मध्‍य’   

प्रश्न 10. सूर के पदों में मध्‍यकालीन कैसी कला शिखर पर पहुँच जाती है?
(क)   गीतिकला
(ख)   महाकाव्‍यकला
(ग)   प्रबंध काव्‍यकला
(घ)   इनमें से कोई नहीं

उत्तर-   (क)   गीतिकला

प्रश्न 11. हिन्‍दी साहित्‍य का ‘सूर्य‘ किसे कहा जाता है?
(क)   विद्यापति
(ख)   सूरदास
(ग)   तुलसीदास
(घ)   कबीरदास

उत्तर- (ख)   सूरदास   

प्रश्न 12. ब्रजभाषा की विशेषता क्‍या थी?
(क)   कोमलता
(ख)   लालित्‍य
(ग)   माधुर्य
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

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प्रश्न 13. सूर के काव्‍य के तीन प्रधान विषय क्‍या है?
(क)   विनय-भक्ति
(ख)   वात्‍सल्‍य
(ग)   प्रेम-श्रृगांर
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 14. सूरदास के ‘पद‘ किस पुस्‍तक से लिए गए हैं?
(क) सूरसागर  
(ख)   साहित्‍यलहरी
(ग)   राधारसकेलि
(घ)   सूर सारावली

उत्तर- (क) सूरसागर      

प्रश्न 15. सूरदास ने शिक्षा कैसे ग्रहण की?
(क) 
(ख)   स्‍वाध्‍याय द्वारा ज्ञानार्जन
(ग)   काव्‍य रचना एवं संगीत का विशद ज्ञान एवं अभ्‍यास
(घ)   विशाल लोकज्ञान

उत्तर-   उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 16. किसने लिखा है?‘भोजन करि नंद अचमन नावत सो छवि कहत न बनियाँ ।‘
(क)   तुलसीदास
(ख)   कबीरदास
(ग)   मीराबाई
(घ)   सूरदास

उत्तर-(घ)   सूरदास    

प्रश्न 17. सूरदास की अभिरूचि किस काम में थी?
(क)   पर्यटन
(ख)   सत्‍संग
(ग)   कृष्‍णभक्ति एवं वैराग्‍य
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-  (घ)   उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 18. सूरदास का व्‍यक्तित्‍व कैसा था?
(क) जन्‍म से अंधे या बड़े होने पर दोनों आँखें जाती रही
(ख)   मृदुल, विनम्र निरभिमानी, महात्‍मा
(ग)   अन्‍तर्मुखी स्‍वभाव के विरक्‍त महात्‍मा
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 19. सूरदास की कृतियों के नाम बताएँ-
(क)   सूरसागर
(ख)   साहित्‍य लहरी
(ग)   राधारसकेलि, सूरसारावली
(घ)   उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)   उपर्युक्‍त सभी   

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Karbak class 12 bhawarth & Objective | कड़‍बक का व्‍याख्‍या तथा भावार्थ

October 10, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी पद्य भाग के पाठ एक ‘कड़‍बक (Karbak class 12 bhawarth & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक मलिक मुहम्‍मद जायसी हैं।

पद्य भाग
कड़‍बक कविता का अर्थ | Karbak Class 12
1.कड़‍बक
कवि – मलिक मुहम्‍मद जायसी

जायसी निर्गुण भक्ति धारा के प्रेममार्गी शाखा के प्रमुख कवि है।
जायसी का जन्म सन् 1492 ई० के आसपास माना जाता है। वे उत्तर प्रदेश के जायस नामक स्थान के रहनेवाले थे।
उनके पिता का नाम मलिक शेख ममरेज (मलिक राजे अशरफ) था ।
जायसी कुरुप व काने थे।
चेचक के कारण उनका चेहरा रूपहीन हो गया था तथा बाईं आँख और कान से वंचित थे।
उनकी 21 रचनाओं के उल्लेख मिलते हैं जिसमें पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम, कहरनामा, चित्ररेखा, कान्हावत आदि प्रमुख हैं।
उनकी प्रसिद्ध रचना पद्मावत में चितौड़ राजकुमार रतनसेन, सिंहल द्विप की राजकुमारी पद्मावती और दिल्‍ली सलतनत के सुल्‍तान अलाउद्दीन खिलजी की कहानी है।
जायसी की मृत्यु 1548 के करीब हुई।
मलिक मुहम्‍मद जायसी ‘प्रेम के पीर’ के कवि हैं। इस पाठ में दो कड़बक प्रस्तुत किया गया है। पहला कड़बक पद्मावत के प्रारंभिक छंद तथा दूसरा कड़बक पद्मावत के अंतिम छंद से लिया गया है। प्रथम कड़बक में कवि अपने रूपहीनता और एक आंख के अंधेपन के बारे में कहते हैं। वह रूप से अधिक अपने गुणों की ओर अपना ध्‍यान खींचते हैं।

द्वितीय कड़बक में कवि अपने काव्‍य और उसकी कथासृष्टि के बारे में हमें बताते हैं। वह कहते हैं कि मनुष्‍य मर जाता हैं पर उसकी कीर्ति सुगंध की तरह पीछे रह जाती है।

कड़बक
(1)
एक नैन कबि मुहमद गुनी | सोई बिमोहा जेइँ कबि सुनी |

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि एक नैन के होते हुए भी जायसी गुणी (गुणवान) है। जो भी उनकी काव्य को सुनता है वो मोहित हो जाता है।

चाँद जईस जग विधि औतारा | दीन्ह कलंक कीन्ह उजिआरा |
जग सूझा एकइ नैनाहाँ | उवा सूक अस नखतन्ह माहाँ ।

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पदमावत के अंश है जिसमें कवि कहते है ईश्वर ने उन्हें चंद्रमा की तरह इस धरती पर उतारा लेकिन जैसे चंद्रमा में कमी है वैसे ही कवि मे भी फिर भी कवि चंद्रमा की तरह अपने काव्य की प्रकाश पूरे संसार में फैला रहे है |

जिस प्रकार अकेला शुक्र नक्षत्रों के बीच उदित है। उसी प्रकार कवि ने भी अपनी एक ही ऑख से इस दुनिया को भली-भांति समझ लिया है।

जौ लहि अंबहि डाभ न होई | तौ लहि सुगन्ध बसाइ न सोई।

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पदमावत के अंश है जिसमे कवि कहते हैं कि जबतक आम मे नुकीली डाभ (मंजरी) नहीं होती तबतक उसमे सुगंध नहीं आती।

कीन्ह समुन्द्र पानि जौ खारा | तौ अति भएउ असुझ अपारा |

प्रस्तुत पंक्तियों मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पदमावत के अंश है जिसमे कवि कहते हैं कि समुन्द्र को पानी खारा है इसलिए ही वह असूझ और अपार है।

जौ सुमेरु तिरसूल बिनासा | भा कंचनगिरि आग अकासा |

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पदमावत के अंश है जिसमे कवि कहते है कि जबतक सुमेरु पर्वत को त्रिशूल से नष्ट नहीं किया गया तबतक वो सोने का नहीं हआ।

जौ लहि घरी कलंक न परा | कॉच होई नहिं कंचन करा |

प्रस्तुत पंक्तियों मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमे कवि कहते हैं कि जबतक घेरिया (सोना गलाने वाला पात्र) में सोने को गलाया नहीं जाता तबतक वह कच्ची धातु सोना नहीं होती | Karbak class 12 bhawarth & Objective

एक नैन जस दरपन औ तेहि निरमल भाउ |
सब रूपवंत गहि मुख जोवहि कइ चाउ ||

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पदमावत के अंश है जिसमें कवि कहते हैं कि वे एक नैन के होते हए भी दर्पण की तरह निर्मल और स्वच्छ भाव वाले है और उनकी इसी गुण की वजह से बड़े-बड़े रूपवान लोग उनके चरण पकड़ कर कुछ पाने की इच्छा लिए उनके मुख की तरफ ताका करते हैं।

( 2 )
मुहमद कबि यह जोरि सुनावा | सुना जो पेम पीर गा पावा॥
जोरी लाइ रकत कै लेई । गाढ़ी प्रीति नयनन्ह जल भेई॥

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि अपने काव्य के बारे में बताते हए कहते हैं कि मैंने (मुहम्मद) यह काव्य रचकर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ | मैंने इस काव्य को रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है तथा गाढ़ी प्रीति को आँसुओं के जल मे भिंगोया है।

औ मन जानि कबित अस कीन्हा। मक यह रहै जगत महँ चीन्हा॥
कहाँ सो रतनसेन अस राजा | कहाँ सुवा असि बुधि उपराजा॥
कहाँ अलाउदीन सुलतानू । कहँ राघौ जेई कीन्ह बखानू॥
कहँ सुरूप पदुमावति रानी | कोइ न रहा, जग रही कहानी॥

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश हैं जिसमें कवि कहते हैं कि मैंने इसका काव्य की रचना यह जानकार की कि मेरे ना रहने के बाद इस संसार मे मेरी आखिरी निशानी यही हो । अब न वह रत्नसेन है और न वह रूपवती पद्मावती, न वह बुद्धिमान सुआ है और न राघवचेतन या अलाउद्दीन है। आज इनमें से कोई भी नहीं लेकिन यश के रूप में इनकी कहानी रह गई है।

धानि सोई जस कीरति जासू । फूल मरै, पै मरै न बासू॥

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते है कि वह पुरुष धन्य है जिसकी कीर्ति और प्रतिष्ठा इस संसार में है उसी तरह रह जाती है जिस प्रकार पुष्प के मुरझा जाने पर भी उसका सुगंध रह जाता है।

केइँ न जगत जस बेंचा, केइ न लीन्ह जस मोल |
जो यह पढ़ कहानी, हम सँवरै दुइ बोल॥

प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिसमें कवि कहते हैं इस संसार मे यश न तो किसी ने बेचा है और न ही किसी ने खरीदा है। कवि कहते हैं कि जो मेरे कलेजे के खून से रचित कहानी को पढ़ेगा वह हमे दो शब्दों मे याद रखेगा।

पद्य-खण्‍ड
1. कड़बक : मलिक मुहम्‍मद जायसी

प्रश्न 1. कवि मलिक मुहम्‍मद जायसी का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  15वीं शती उतरार्ध, अनुमानता: 1490
(ख)  15वीं शती उतरार्ध, अनुमानता: 1491
(ग)  15वीं शती उतरार्ध, अनुमानता: 1492
(घ)  15वीं शती उतरार्ध, अनुमानता: 1493

उत्तर-  (ग)  15वीं शती उतरार्ध, अनुमानता: 1492

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प्रश्न 2. कवि मुहम्‍मद जायसी के पिता का नाम क्‍या था?
(क)  मलिक शेख ममरेज (मलिक राजे अशरफ)
(ख)  मलिक ममरेज शेख
(ग)  शेख मलिक ममरेज
(घ)  राजे मलिक ममरेज

उत्तर- (क)  मलिक शेख ममरेज (मलिक राजे अशरफ) 

प्रश्न 3. मलिक मुहम्‍मद जायसी का घर कहाँ था?
(क)  जायस, कब्र अमेठी, लाहौर
(ख)  जायस, कब्र अमेठी, हरियाणा
(ग)  जायस, कब्र अमेठी, मध्‍यप्रदेश
(घ)  जायस, कब्र अमेठी, उतरप्रदेश

उत्तर- (घ)  जायस, कब्र अमेठी, उतरप्रदेश 

प्रश्न 4. ‘कड़बक‘ शीर्षक कविता किसने लिखी है?
(क)  मलिक मुहम्‍मद जायसी
(ख)  तुलसीदास
(ग)  सूरदास
(घ)  कबीरदास

उत्तर- (क)  मलिक मुहम्‍मद जायसी 

प्रश्न 5. जायसी की भाषा कौन-सी थी?
(क)  अवधी
(ख)  अपभ्रंश
(ग)  प्राकृत
(घ)  पालि

उत्तर- (क)  अवधी 

प्रश्न 6.कवि मलिक मुहम्‍मद जायसी की वृति क्‍या थी?
(क)  आरम्‍भ में जायस में रहते हुए किसानी
(ख)  बाद में शेष जीवन फकीरी में
(ग)  बचपन में ही अनाथ, साधु-फकीरों के साथ भटकते हुए जीवन बीता
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 7. कवि मलिक मुहम्‍मद जायसी की कृतियों के नाम बताएँ ।
(क)  पद्वमावत, अखरावट
(ख)  आखिरी कलाम, चित्ररेखा
(ग)  कहरानामा (महरी बाईसी), मसला या मसलानामा
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 8. ‘कड़कब‘ जायसी की किस रचना से लिया गया है?
(क)  आखिरी कलाम
(ख)  चित्ररेखा
(ग)  मसला
(घ)  पद्वमावत

उत्तर- (घ)  पद्वमावत 

Karbak class 12 bhawarth & Objective

प्रश्न 9. पद्वमावत किस भाषा में लिखा गया है?
(क)  अवधी
(ख)  ब्रजभाषा
(ग)  पुरानी हिन्‍दी
(घ)  इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (क)  अवधी 

प्रश्न 10. जायसी के काव्‍य का मुख्‍य रस कौन-सा है?
(क) श्रृंगार
(ख)  भक्ति
(ग) वीभत्‍स
(घ)  करूण

उत्तर- (क) श्रृंगार 

प्रश्न 11. जायसी किस शाखा के कवि है?
(क)  ज्ञानमार्गी
(ख)  प्रेममार्गी
(ग)  राममार्गी
(घ)  कृष्‍णमार्गी

उत्तर- (ख)  प्रेममार्गी

प्रश्न 12. खाली जगह को भरें- ‘जौ लहि अंबहि डांभ न होई । तौ ल‍हि …….. बसाई न सोई।‘
(क)  दुर्गध
(ख)  सुगंध
(ग)  सुन्‍दरता
(घ)  मिठास

उत्तर- (ख)  सुगंध 

प्रश्न 13. खाली जगह को भरें-‘धनि सो ……… जस कीरति जासू । फूल मरै पै मरै न बासू ।।
(क)  नर
(ख)  पुरूष
(ग)  पुरूख
(घ)  मनुष्‍य

उत्तर-(ग)  पुरूख   

प्रश्न 14. ‘आखिरी कलाम‘ के रचयिता कौन है?
(क)  जयशंकर प्रसाद
(ख)  निराला
(ग)  जायसी
(घ)  कबीरदास

उत्तर- (ग)  जायसी

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Shiksha Kahani ka Saransh Notes & Objective | शिक्षा का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 8, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ तेरह ‘शिक्षा (Shiksha Kahani ka Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक जे. कृष्णमूर्ति हैं।

Shiksha Kahani ka Saransh Notes & Objective

13. शिक्षा
लेखक- जे. कृष्णमूर्ति

लेखक परिचय
जन्‍म- 12 मई 1895 ई०, मृत्‍यु- 17 फरवरी 1986 ई०
जन्‍म स्‍थान- मदनपल्‍ली, चित्तूर, आंध्र प्रदेश।
पूरा नाम- जिद्दू कृष्‍णमूर्ति।
माता-पिता : संजीवम्‍मा एवं नारायणा जिद्दू।

बचपन- दस वर्ष की अवस्‍था में ही माँ की मृत्‍यु। स्‍कूलों में शिक्षकों और घर पर पिता के द्वारा बहुत पीटे गए। बचपन से ही विलक्षण मानसिक अनुभव।

कृतियाँ- द फर्स्‍ट एंड लास्‍ट फ्रीडम, द ऑनली रिवॉल्‍यूशन और कृष्‍णमूर्तिज नोट बुक आदि।

प्रस्तुत पाठ जे. कृष्णमूर्ति का एक संभाषण है। वह प्रायः लिखते नहीं थे। वे बोलते थे, संभाषण करते थे, प्रश्नकर्ताओं का उत्तर देते थे।

इस पाठ में उसने शिक्षा के अर्थ को बताया है। लेखक कहते हैं कि शिक्षा का अर्थ कुछ परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर लेना और गणित, रसायणशास्त्र अथवा अन्य किसी विषय में प्रवीणता प्राप्त कर लेना नहीं है, बल्कि जीवन को अच्छी तरह से समझना ही शिक्षा है।

शिक्षा का कार्य है कि वह संपूर्ण जीवन की प्रक्रिया को समझने में हमारी सहायता करें, न कि कुछ व्यवसाय या ऊँची नौकरी के योग्य बनाए।

लेखक कहते हैं कि बच्चों को हमेशा ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जो स्वतंत्रतापूर्ण हो। अधिकांश व्यक्ति त्यों-ज्यों बड़ा होते जाते हैं, त्यों-त्यों ज्यादा भयभीत होते जाते हैं, हम सब जीवन से भयभीत रहते हैं, नौकरी छूटने से, परंपराओं से और इस बात से भयभीत रहते हैं कि पड़ोसी, पत्नी या पति क्या कहेंगे, हम मृत्यु से भयभीत रहते हैं।

हम बचपन से ऐसे वातावरण में रहें जहाँ स्वतंत्रता हो- ऐसे कार्य की स्वतंत्रता जहाँ आप जीवन की संपर्ण प्रक्रिया को समझ सकें। जीवन की ऐश्वर्य की, इसकी अनंत गहराई और इसके अद्भुत सौंदर्य की धन्यता को तभी महसुस कर सकेंगे जब आप प्रत्येक वस्तु के खिलाफ विद्रोह करेंगे-संगठित धर्म के खिला, परंपरा के खिलाफ और इस सड़े हुए समाज के खिलाफ ताकि आप एक मानव की भाँति अपने लिए सत्य की खेज कर सकें।

जिंदगी का अर्थ है अपने लिए सत्य की खोज और यह तभी संभव है जब स्वतंत्रता हो। आज पूरा विश्व अंतहीन युद्धों में जकड़ा हुआ है। यह दुनिया वकीलों, सिपाहीयों और सैनिकों की दुनिया है। यह उन महत्वाकांक्षी स्त्री-पुरूषों की दुनिया है जो प्रतिष्ठा के पीछे दौड़ रहे हैं और इसे पाने के लिए एक दूसरे के साथ संघर्षरत है। प्रत्येक मनुष्य किसी-न-किसी के विरोध में खड़ा है।

Shiksha Kahani ka Saransh Notes & Objective

कवि कहते हैं कि इस सड़े हुए समाज के ढाँचे के बदलने के लिए प्रत्येक मनुष्य को स्वतंत्रतापूर्वक सत्य की खोज करना चाहिए नहीं तो हम नष्ट हो जाऐंगें। बच्चों में ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे एक नूतन भविष्य का निर्माण हो सके।

लेखक कहते हैं कि हम अपना संपूर्ण जीवन सीखते हैं। तब हमारे लिए कोई गुरू नहीं रहता है। प्रत्येक वस्तु हमको कुछ-न-कुछ सिखाती है-एक सुखी पत्ता, एक उड़ती हुई चिड़िया, एक खुशबु, एक आँसु, एक धनी, वे गरीब जो चिल्ला रहे हैं, एक महिला की मुस्कुराहट, किसी का अहंकार। हम प्रत्येक वस्तु से सिखते हैं, उस समय मेरा कोई मार्गदर्शक नहीं, कोई दार्शनिक नहीं, कोई गुरू नहीं होता है। तब मेरा जीवन स्वयं गुरू है और हम सतत् सिखते हैं।

अंत में, लेखक कहते हैं कि हमें ऐसे कार्य करना चाहिए जिससे सचमुच प्रेम हो क्योंकि नूतन समाज के निमार्ण के लिए एकमात्र मार्ग है।

13. शिक्षा : जे. कृष्‍णमूर्ति

प्रश्न 1. जे. कृष्‍णमूर्ति का जन्‍म स्‍थान कहाँ है?
(क)  दनपल्‍ली, चितूर, आंध्रप्रदेश
(ख)  सदनपल्‍ली, चितूर, अरूणाचल प्रदेश
(ग)  दनादनपल्‍ली, चितूर, बंगाल
(घ)  मदनपल्‍ली, चितूर, आंध्र प्रदेश

उत्तर-  (घ)  मदनपल्‍ली, चितूर, आंध्र प्रदेश

प्रश्न 2. जे. कृष्‍णमूर्ति के माता-पिता का नाम क्‍या है?
(क)  संजीवम्‍मा एवं नारायणा जिद्दू
(ख)  संजीव एवं नारायण जिद्दू
(ग)  निर्जीव एवं नर जिद्दू
(घ)  संजीव एवं नरा वा कुंजरो

उत्तर-(क)  संजीवम्‍मा एवं नारायणा जिद्दू   

प्रश्न 3. जे. कृष्‍णमूर्ति का पूरा नाम बताएँ-
(क)  जिद्द कृष्‍णमूर्ति
(ख)  जिद्दू कृष्‍णमूर्ति
(ग)  सज्‍जद कृष्‍णमूर्ति
(घ)  जद कृष्‍णमूर्ति

उत्तर-  (ख)  जिद्दू कृष्‍णमूर्ति

Shiksha Kahani ka Saransh Notes & Objective

प्रश्न 4. जे. कृष्‍णमूर्ति का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  11 मई, 1894
(ख)  12 मई, 1895
(ग)  13 मई, 1896
(घ)  14 मई, 1897

उत्तर- (ख)  12 मई, 1895  

प्रश्न 5. ‘शिक्षा‘ शीर्षकनिबंध किसने लिखा है?  
(क)  जे. कृष्‍णमूर्ति
(ख)  उदय प्रकाश
(ग)  रामधारी सिंह दिनकर
(घ)  अज्ञेय

उत्तर- (क)  जे. कृष्‍णमूर्ति 

प्रश्न 6. जे. कृष्‍णमूर्ति ने किन विषयों पर लेखन कार्य किया है?
(क)  अध्‍याम
(ख)  ये तीनों
(ग)  शिक्षा
(घ)  दर्शन

उत्तर-(ख)  ये तीनों 

प्रश्न 7. जे. कृष्‍णमूर्ति क्‍या थे?
(क)  राज्‍य शिक्षक
(ख)  देश शिक्षक
(ग)  विश्‍व शिक्षक
(घ)  गाँव शिक्षक

उत्तर-  (ग)  विश्‍व शिक्षक

प्रश्न 8. जे. कृष्‍णमूर्ति की पुस्‍तकों के नाम क्‍या है?
(क)  ‘द फर्स्‍ट एंड लास्‍ट, फ्रीडम’
(ख)  ‘द ऑनली रिवाल्‍यूशन’
(ग)  ‘कृष्‍णमूर्तिज नोटबुक’
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 9. जे. कृष्‍णमूर्ति करते क्‍या थे?
(क)  बोलते थे
(ख)  बोलते और लिखते थे
(ग)  लिखते थे
(घ)  कुछ नहीं करते थे

उत्तर- (क)  बोलते थे 

Shiksha Kahani ka Saransh Notes & Objective

प्रश्न 10. जे. कृष्‍णमूर्ति किस रूप में देखे जाते हैं?
(क)  महामनीषी
(ख)  तपस्‍वी
(ग)  दूसरे बुद्ध
(घ)  सुकरात

उत्तर- (ग)  दूसरे बुद्ध 

प्रश्न 11. जे. कृष्‍णमूर्ति का मृत्‍यु कब हो गया-
(क)  15 फरवरी, 1984
(ख)  16 फरवरी, 1985
(ग)  17 फरवरी, 1986
(घ)  18 फरवरी, 1987

उत्तर-(ग)  17 फरवरी, 1986   

प्रश्न 12. किस पाठ में उक्ति आयी है?-‘जहाँ भय है, वहाँ मेधा नहीं हो सकती ।‘
(क)  ओ सदानीरा
(ख)  अर्धनारीश्‍वर
(ग)  सिपाही की माँ
(घ)  शिक्षा

उत्तर- (घ)  शिक्षा 

प्रश्न 13. जे. कृष्‍णमूर्ति की इनमें से कौन-सी रचना है?
(क)  रोज
(ख)  संपूर्ण क्रांति
(ग)  बातचीत
(घ)  शिक्षा

उत्तर- (घ)  शिक्षा

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Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective | तिरिछ का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 8, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ बारह ‘तिरिछ (Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक उदय प्रकाश हैं।

Spanish ribbed newt (Pleurodeles waltl)

12. तिरिछ
लेखक- उदय प्रकाश

लेखक परिचय
जन्‍म- 1 जनवरी 1952
जन्‍म स्‍थान : सीतापुर, अनूपपुर, मध्‍य प्रदेश
माता-पिता : बी. एससी. एम.ए. (हिंदी), सागर विश्‍वविद्यालय, सागर, मध्‍य प्रदेश।
कृतियाँ- दरियाई घोड़ा, तिरिछ, और अंत में प्रार्थना, पॉल गोमरा का स्‍कूटर, पीली छतरी वाली लड़की, दत्तात्रेय के दुख, अरेबा-परेबा, सुनो कारीगर (कविता संग्रह), ईश्‍वर की आँख। (निबंध)
लेखक उदय प्रकाश अनेक धारावाहिकों और टी.वी. फिल्‍मों के स्क्रिप्‍ट लिखे।
तिरिछ क्या है ?
यह एक जहरीला छिपकली की एक प्रजाती है। जिसे काटने पर मनुष्य का बचना नामुमकिन हो जाता है। जब उससे नजर मिलता है तब वह काटने के लिए दौड़ता है।

प्रस्तुत पाठ में कवि एक घटना की जिक्र करते हैं जिसका संबंध लेखक के पिताजी से है। लेखक के सपने और शहर से भी है। शहर के प्रति जो एक जन्मजात भय होता है, उससे भी है।

उस समय इनकी पिता की उम्र 55 साल था। दुबला शरीर। बाल बिल्कुल सफेद जैसे सिर पर सुखी रूई रख दी गई हो। दुनिया उनको जानती थी और उन्हें सम्मान करती थी। कवि को उनके संतान होने का गर्व था।

साल में एकाध बार लेखक को उनके पिताजी टहलाने बाहर ले जाते थे। चलने से पहले वह तंबाकू मुँह में भर लेते थे। तंबाकू के कारण वे कुछ बोल नहीं पाते थे। वे चुप रहते थे।

मेरी और माँ की, दोनों की पूरी कोशिश रहती कि पिजाजी अपनी दुनिया में सुख-चैन से रहें वह दुनिया हमारे लिए बहुत रहस्यपूर्ण थी, लेकिन हमारे घर की और हमारे जीवन की बहुत सी समस्याओं का अंत पिताजी रहतु हुए करते थे।

लेखक अपने पिता पर गर्व करते थे, प्यार करते थे, उनसे डरते थे और उनके होने का अहसास ऐसा थ जैसे हम किसी किले में रह रहे हों।

पिताजी एक मजबूत किला थे। उनके परकोटे पर हम सब कुछ भूलकर खेलते थे, दौड़ते थे। और, रात में खुब  गहरी नींद मुझे आती थी।

लेकिन उस दिन, शाम को, जब पिताजी बाहर से टहलकर आए तो उनके टखने में पट़टी बँधी थी। थोड़ी देर में गाँव के कई लोग वहाँ आ गए। पता चला कि पिताजी को जंगल में तिरिछ (विषखापर, जहरीला लिजार्ड) ने काट लिया है।

Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective

लेखक कहते हैं कि एक बार मैंने भी तिरिछ को देखा है जब वह तालाब के किनारे दोपहर में चट्टानों की दरार से निकलकर वह पानी पीने के लिए तालाब की ओर जा रहा था।

लेखक के साथ थानू था। मोनु के लेखक को बताया कि तिरिछ काले नाग से अधिक खतरनाक होता है। उसी ने बताया कि साँप के ऊपर जब पैर पड़ता है या उसे जब परेशान किया जाता है तब वह काटता है। लेकिन तिरिछ तो नजर मिलते ही दौड़ता है और पिछे पड़ जाता है। थानू ने बताया कि जब तिरिछ पीछे पड़े तो सीधे नहीं भागना चाहिए। टेढ़ा-मेढ़ा चक्कर काटते हुए, गोल-मोल भागना चाहिए।

जब आदमी भागता है तो जमीन पर वह सिर्फ अपने पैरों के निशान ही नहीं छोड़ता, बल्कि साथ-साथ वहाँ की धूल में, अपनी गंध भी छोड़ जाता है। तिरिछ इसी गंध के सहारे दौड़ता है। थानू ने बताया कि तिरिछ को चकमा देने के लिए आदमी को यह करना चाहिए कि पहले तो वह बिलकुल पास-पास कदम रखकर, जल्दी-जल्दी कुछ दूर दौड़े फिर चार-पाँच बार खूब लंबी-लंबी छलाँग दे। तिरिछ सूँघता हुआ दौड़ता आएगा, जहाँ पास-पास पैर के निशान होंगे, वहाँ उसकी रफ्तार खूब तेज हो जाएगी-और जहाँ से आदमी ने छलाँग मारी होगी, वहाँ आकर उलझन में पड़ जाएगा। वह इधर-उधर तब तक भटकता रहेगा जब तक उसे अगले पैर का निशान और उसमें बसी गंध नहीं मिल जाती।

लेखक को तिरिछ के बारे में और दो बातें पता थी। एक तो यह कि जैसी ही वह आदमी को काटता है वैसे ही वहाँ से भागकर पेशाब करता है और उस पेशाब में लोट जाता है। अगर तिरिछ ऐसा कर लिया तो आदमी बच नहीं सकता। अगर उसे बचना है तो तिरिछ के पेशाब करके लोटने से पहले ही खुद को किसी नदी, कुएँ या तालाब में डुबकी लगा लेनी चाहिए या फिर तिरिछ को ऐसा करने से पहले ही मार देना चाहिए।

दूसरी बात है कि तिरिछ काटने के लिए तभी दौड़ता है, जब उससे नजर टकरा जाए। अगर तिरिछ को देखो तो कभी आँख मत मिलाओ।

लेखक कहते हैं कि मैं तमाम बच्चों की तरह उस समय तिरिछ से बहुत डरता था। मेरे सपने में दो ही पात्र थे-एक हाथी और दूसरा तिरिछ। हाथी तो फिर भी दौड़ता-दौड़ता थक जाता था और मैं बच जाता था लेकिन तिरिछ कहीं भी मिल जाता है। इसके लिए कोई निश्चित स्थान नहीं था। कवि सपने में उससे बचने की कोशिश करते जब बच नहीं पाते तो जोरों से चिखते, चिल्लाते, रोने लगते। पिताजी को, थानू को या माँ को पूकारता और फिर जान जाता कि यह सपना है।

लेखक की माँ बतलाती कि उन्हें सपने में बोलने और चिखने की आदत है। कई बार लेखक को उनकी माँ ने निंद में रोते हुए देखा था।

Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective

लेखक को शक होता है कि पिताजीको उसी तिरिछ ने काटा था, जिसे मैं पहचानता था और जो मेरे सपने में आता था।

लेकिन एक अच्छी बात यह हुई की जैसे ही वह तिरिछ पिताजी को काटकर भागा, पिताजी ने उसका पीछा करके उसे मार डाला था। तय था कि अगर वे फौरन उसे नहीं मार पाते तो वह पेशाब करके उसमें जरूर लोट जाता। फिर पिताजी किसी हाल में नहीं बचते। कवि निश्चिंत थे कि पिताजी को कुछ नहीं होगा तथा इस बात से भी खुश थे कि जो मेरे सपने में आगर मुझे परेशान करता था, उसे पिताजी ने मार दिया है। अब मैं बिना किसी डर के सपने में सीटी बजाता घूम सकता था।

उस रात देर तक लेखक के घर में भीड़ थी। झाड़फूँक चलती रही और जख्म को काटकर खून भी बाहर निकाला गया तथा जख्म पर दवा भी चढ़ाया गया।

अगली सुबह पिताजी को शहर जाना था। अदालत में पेशी थी। उनके नाम सम्मन आया था। हमारे गाँव से लगभग दो किलोमीटर दूर निकलनेवाली सड़क से शहर के लिए बसें जाती थी। उनकी संख्या दिन भर में दो से तीन ही थी। पिताजी जैसे ही सड़क तक पहुँचे, शहर जानेवाला पास के गाँवका एक टै्रक्टर मिल गया। टै्रक्टर में बैठे हुए लोग पहचान के थे।

रास्ते में तिरिछ वाली बात चली। पिताजी ने अपना टखना उन लोगों को दिखाया। उसी में बैठे पंडित राम औतार ने बताया कि तिरिछ का जहर 24 घंटे बाद असर करती है। इसलिए अभी पिताजी को निश्चिंत नहीं होना चाहिए। कुछ ने कहा कि ठिक किया कि उसे मार दिया लेकिन उसी वक्त उसे जला भी देना चाहिए। उनलोगों का कहना था कि बहुत से कीड़े-मकोड़े रात में चंद्रमा की रोशनी में दुबारा जी उठते हैं। ट्रैक्टर के लोगों को शक था कि कहीं ऐसा न हो कि रात में जी उठने के बाद तिरिछ पेशाब करके उसमें लोट गया हो।

अगर पिताजी उस तिरिछ की लाश को जलाने के लिए ट्रैक्टर से उतरकर, वहीं से, गाँव लौट आतेतो गैर-जमानती वारंट के तहत वे गिरफ्तार कर लिए जाते और हमारा घर हमसे छिन जाता। अदालत हमारे खिलाफ हो जाती।

लेकिन पंडित राम और एक वैद्य भी थे। उसने सुझाया कि एक तरीका है, जिससे वह पेशी में हाजिर भी हो सकते हैं ओर तिरिछ की जहर से बच भी सकते हैं। उसने कहा कि विष ही विष की औषधी होता है। अगर धतूरे के बीज कहीं मिल जाएँ तो वह तिरिछ के जहर की काट तैयार कर सकते हैं।

अगले गाँव सुलतानपुर में ट्रैक्टर रोका गया तथा एक खेत से धतूरे के बीजों को पीसकर उन्हें पिलाया गया। लेखक के पिजाती को चक्कर आने लगा तथा गला सुखने लगा।

ट्रैक्टर ने पिताजी को दस बजकर पाँच-सात मिनट के आस-पास शहर छोड़ा। लेखक के पिताजी को लगातार गला सुख रहा था। रास्ते में एक होटल पड़ता था वहाँ वह पानी नहीं पीये क्योंकि होटल वाले ने पिछली बार उन्हें गाली दिया था। इसलिए वह गाँव के एक लड़का रमेश दत्त के पास गए, जो भूमि विकास सहकारी बैंक में क्लर्क था। कवि कहते हैं कि हो सकता है कि पिताजी के दिमाग में केवल बैंक रहा होगा, इसलिए वह अचानक स्टेट बैंक देखकर रूक गए होंगें। पिताजी ने सोचा होगा कि उससे पानी भी माँग लेंगें और अदालत जाने का रास्ता भी पूछ लेंगें।

पिताजी ने सीधा कैशियर के पास पहुँच गए। उनका चेहरा धतुरा के काढा पीने के कारण डरावना हो गया था। बैंक के कैशियर डर कर चिल्लाया उसी बीच सुरक्षा गार्ड आ गए तथा पिताजी को मारते हुए बाहर निकले तथा उनके पैसे और अदालत के कागज छीन लिए। इसलिए पिताजी ने सोचा कि अब अदालत जाकर क्या होगा। अतः उसने शहर से बाहर निकलने का सोचा।

लगभग सवा एक बजे वह पुलिस थाना पहुँचे थे जो शहर के बाहरी छोर पर पड़ता था। बैंक में गार्ड ने उनका कपड़ा फाड़ दिया था। उनके शरीर पर कमीज नहीं थी, पैंट फटी हुई थी।

पिताजी थाने के एस. एच. ओ. के पास पहुँचे तो उसने पागल समझकर सिपाही से कहकर बाहर फेंकवा दिया। सिपाही ने उन्हें घसीटते हुए बाहर फेंका। बाद में एस. एच. ओ. को कहना था कि हम जानते वह रामस्थरथ प्रसाद भूतपूर्व हेडमास्टर थे तो अपने थाने में दो चार घंटा जरूर बैठा लेते।

सवा दो बजे पिताजी को सबसे संपन्न कोलोनी इतवारी कोलोनी में घसीटते हुए देखे गए। लड़के पागल और बदमास समझकर उन्हें तंग कर रहे थे। इतवारी कोलोनी के लड़कों का कुछ झुंड उनके पीछे पड़ गया था। पिताजी ने एक गलती यह की थी कि उसने एक ढेला उठाकर भीड़ पर चला दी थी जिससे एक 7-8 साल के लड़के को लग गई थी। उसको कई टाँके भी लगे थे। तब से भीड़ और उग्र हो गई थी तथा उनको पत्थरों से मार रही थी।

ढाबा के सामने ही पिताजी को झुंड मार रही थी। ढाबा का मालिक सतनाम सिंह ने पंचनामा और अदालत से बचने के लिए जल्दी ही अपना ढाबा बन्द करके फिल्म देखने चला गया।

Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective

साम लगभग छः बजे थे जब सिविल लाइंस की सड़क की पटरियों पर एक कतार में बनी मोचियों की दुकानों में से एक मोची गणेशवा की गुमटी में पिताजी ने अपना सर घुसेड़ा। उस समय तक उनके शरीर पर चड्डी भी नहीं रही थी, वे घुटनों के बल किसी चौपाये की तरह रेंग रहे थे। शरीर पर कालिख और कीचड़ लगी हुई थी और जगह-जगह चोटें आई थी। गणेशवा लेखक के गाँव के बगल का मोची था। उसने बताया कि मैं बहुत डर गया था और मास्टर साबह को पहचान ही नहीं पाया। उनका चेहरा डरावना हो गया था और चिन्हाई में नहीं आता था। मैं डर कर गुमटी से बाहर निकल आया और शोर मचाने लगा।

लोगों ने जब गणेशवा की गुमटी के अंदर झाँका तो गुमटी के अंद , उसके सबसे अंतरे-कोने में, टूटे-फूटे जूतों, चमड़ों के टुकड़ों, रबर और चिथड़ों के बीच पिताजी दुबके हुए थे। उनकी साँसे थोड़ी-थोड़ी चल रही थीं। उन्हें खींच कर बाहर निकाला गया तभी गणेशवा ने उन्हें पहचान लिया। गणेशवा ने उनके कान में कुछ आवाज लगाई लेकिन कुछ बोल नहीं पा रहे थे। बहुत देर बात उसने ‘राम स्वारथ प्रसाद‘ और ‘बकेली‘ जैसा कुछ कहा था। फिर चुप हो गए थे।

पिताजी की मृत्यु सवा छह बजे के आसपास तारीख 17 मई, 1972 को हुई थी।

पोस्टमार्टम में पता चला कि उनकी हड्डियों में कई जगह फ्रैक्चर था, दाईं आँख पूरी तरह फूट चूकी थी, कॉलर बोन टूटा हुआ था। उनकी मृत्यु मानसिक सदमे और अधिक रक्तस्त्राव के कारण हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार उनका अमाशय खाली था, पेट में कुछ नहीं था। इसका मतलब यही हुआ कि धतूरे के बीजों का काढ़ा उल्टियों द्वारा पहले ही निकल चुका था।

लेखक को तिरिछ का सपना अब नहीं आता है। वह इस सवाल को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं कि आखिककार अब तिरिछ का सपना मुझे क्यों नहीं आता है।

12. तिरिछ : उदय प्रकाश
प्रश्न1. उदय प्रकाश का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  1952
(ख)  1942
(ग)  1930
(घ)  1960

उत्तर- (क)  1952 

प्रश्न 2. उदय प्रकाश के माता-पिता का क्‍या नाम है?
(क)  नर्मदा देवी एवं सुभाष कुमार सिंह
(ख)  सरस्‍वती देवी एवं नेह कुमार सिंह
(ग)  यमुना देवी एवं स्‍नेह कुमार सिंह
(घ)  गंगा देवी एवं प्रेम कुमार सिंह

उत्तर- (घ)  गंगा देवी एवं प्रेम कुमार सिंह 

प्रश्न 3. उदय प्रकाश का जन्‍म-स्‍थल कहाँ है?
(क)  सीताकुंज, सहरसा
(ख)  सीता निवास, वाराणसी
(ग)  सीतापुर, अनूपपुर, म.प्र.
(घ)  सीतामढ़ी, बिहार

उत्तर- (ग)  सीतापुर, अनूपपुर, म.प्र. 

प्रश्न 4. ‘तिरिछ‘ शीर्षक कहानी के कहानीकार का नाम बताएँ-
(क)  उदय प्रकाश
(ख)  स्‍वयं प्रकाश
(ग)  प्रेमचंद
(घ)  अज्ञेय

उत्तर- (ग)  प्रेमचंद 

Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective

प्रश्न 5. तिरिछ कहानी कैसी है?
(क) मनौवैज्ञानिक
(ख)  आदर्शवादी
(ग)  जादुई यथार्थ
(घ)  यथार्थवादी

उत्तर- (ग)  जादुई यथार्थ 

प्रश्न 6. तिरिछ विषखापर, जहरीला लिजार्ड में कितना जहर होता है?
(क)  गेहूँमन साँप से ज्‍यादा
(ख)  काले नाग से सौ गुना ज्‍यादा
(ग)  करैंत साँप से भी ज्‍यादा
(घ)  नागिन से थोड़ा कम

उत्तर-  (ख)  काले नाग से सौ गुना ज्‍यादा

प्रश्न 7. उदय प्रकाश की कृतियाँ कौन-सी नहीं है?
(क)  घासवाली, मानसरोवर, पूस की रात, कफन
(ख)  ‘दरियाई घोड़ा’, ‘तिरिछ’, और ‘अंत में प्रा‍र्थना’
(ग)  ‘पॉल गोमरा का स्‍कूटर’, ‘पीली छतरीवाली लड़की’
(घ)  ‘दतात्रेय के दुख, ‘अरेबा-परेबा’, ‘मोहनदास ‘, ‘मेंगोसिल’।

उत्तर- (क)  घासवाली, मानसरोवर, पूस की रात, कफन 

प्रश्न 8. उदय प्रकाश के कविता-संग्रह का नाम बताएँ-
(क)  ‘सुनो कारीगर’
(ख)  ‘अबूतर-कबूतर’
(ग)  ‘रात में हारमोनियम’
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न9. निम्‍नलिखित आलोचना पुस्‍तक में से कौन-सी पुस्‍तक उदय प्रकाश ने लिखी है?
(क)  ‘ईश्‍वर की आँख’
(ख)  ‘इतिहास और आलोचना’
(ग)  ‘वाद-विवाद संवाद’
(घ)  ‘नयी कविता के प्रतिमान’

उत्तर- (क)  ‘ईश्‍वर की आँख’

Tirichh Kahani ka Saransh Notes & Objective

प्रश्न 10. कौन-सी पुस्‍तक उदय प्रकाश ने अनूदित नहीं की है?
(क)  ‘कला-अनुभव’
(ख)  ‘कलाकार’
(ग)  ‘इंदिरा गाँधी की आखिरी लड़ाई’
(घ)  ‘लाल घास पर नीले घोड़े’, ‘रोम्‍याँ रोलाँ का भारत’ ।

उत्तर-  (ख)  ‘कलाकार’

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Haste Hue Mera Akelapan ka Saransh Notes & Objective | हँसते हुए मेरा अकेलापन का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 8, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ ग्‍यारह ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन (Haste Hue Mera Akelapan ka Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक मलयज हैं।

Haste Hue Mera Akelapan ka Saransh Notes & Objective

11. हँसते हुए मेरा अकेलापन
लेकख- मलयज

लेखक परिचय
जन्‍म- 1935, मृत्‍यु- 26 अप्रैल 1982
जन्‍म स्‍थान- महूई, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
मूलनाम- भरतजी श्रीवास्‍तव।
माता- प्रभावती और पिता- त्रिलोकी नाथ वर्मा।
शिक्षा- एम. ए. (अंग्रेजी), इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय, उत्तर प्रदेश।
विशेष: छात्र जीवन में क्षयरोग से ग्रसित। ऑपरेशन में एक फेफड़ा काटकर निकालना पड़ा। शेष जीवन में दुर्बल स्‍वास्‍थ्‍य और बार-बार अस्‍वस्‍थता के कारण दवाओं के सहारे जीते रहे।
कृतियाँ- कविता : जख्‍म के धूल, अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ।
आलोचना : कविता से साक्षात्‍कार, संवाद और एकालाप।
सर्जनात्‍मक गद्य : हँसते हुए मेरा अकेलापन।

11. हँसते हुए मेरा अकेलापन

पाठ परिचय- प्रस्‍तुत पाठ हँसते हुए मेरा अकेलापन एक डायरी है, जिसे मलयज के द्वारा लिखा गया है। मलयज अत्यंत आत्‍मसजग किस्‍म के बौध्दिक व्‍यक्ति थे। डायरी लिखना मलयज के लिए जीवन जीने के कर्म के जैसा था। डायरी की शुरूआत 15 जनवरी 1951 से शुरू होती है, जब उनकी आयु केवल 16 वर्ष की थी। डायरी लिखने का यह सिलसिला 9 अप्रैल 1982 तक चलता रहा, जब उन्‍होंने अंतिम साँस ली। अर्थात 47 साल तक के जीवन में 32 साल तक मलयज ने डायरी लिखी है। डायरी के ये पृष्‍ठ कवि-आलोचक मलयज के समय की उथल-पुथल और उनके निजी जीवन की तकलीफों-बेचैनियों के साथ एक गहरा रिश्‍ता बनाते हैं। इस डायरी में एक औसत भारतीय लेखक के परिवेश को आप उसकी समस्‍त जटिलताओं में देख सकते हैं।

मलयज ने डायरी के माध्‍यम से तारिख के माध्‍यम से विभिन्‍न जगहों का यर्थाथ चित्रण किया है। लेखक ने तारिख के साथ अपने जीवन के सभी घटनाओं का चित्रण किया है। यह पाठ में लेखक की डेढ़ हजार पृष्‍ठों में फैली हुई डायरीयों की एक छोटी सी झलक है।

रानीखेत

14 जुलाई 56

सुबह से ही पेड़ काटे जा रहे हैं। मिलिट्री की छावनी के लिए ईंधन-पूरे सीजन और आगे आनेवाले जाड़े के लिए भी।

मौसम एकदम ठंडा हो गया है। बूँदा-बाँदी और हवा। एक कलाकार के लिए यह यह जरूरी है कि उसमें ‘आग’ हो और और वह खुद ठंडा हो।

18 जून 57

एक खेत की मेड़पर बैठी कौआ को देखकर कवि कहते हैं कि-

उम्र की फसल पककर तैयार-सोपानों का सुहाना रंग अब जर्द पड़ चला है। एक मधुर आशापूर्ण फल जिसने अनुभव की तिताई के छिलके उतार फेंके हैं।

4 जुलाई कौसानी

आज भी कोई चिट्ठी नहीं। तबियत किस कदर बेजार हो उठी है। दोपहर तक आशा रहती है कि कोई चिट्ठी आएगी पर भारी-भारी सी दोपहर बीत जाती है और कुछ नहीं होता। अजब सी बेचैनी मन में होती है।

Haste Hue Mera Akelapan ka Saransh Notes & Objective

दिल्ली 30 अगस्त 76

सेब बेचती लड़की उसकी कलाइयों में इतना जोर न था कि वह चाकू से सेब की एक फाँक काटकर ग्राहक को चखाती। दो-चार बार उसने कोशिश की, फिर एक खिसियाई हुई हँसी हँसकर चाकू मेरे हाथ में थमा दिया और कहा खुद ही चख लो मिठे हैं सेब। सेब तो वैसे ही मिठे थे-उनका रेग और खुशबू देखकर उनकी किस्म पहले ही जान चुका था।

9 दिसम्बर 78

जो कुछ लिखता हूँ वह सबका सब रचना नहीं होती । पृष्ठ तो और भी नहीं। जितना कुछ मैं भेगता हूँ उस सबमें रचना के बीज नहीं होते।

25 जुलाई 80

इधर-पता नहीं कितने सालों से-मेरो जीवन का केंद्रीय अनुभव लगता है कि डर हैं मैं भीतर से बेतरह डरा हुआ व्यक्ति हुँ। इस डर के कई रूप हैं।

बुरी-बुरी बीमारीयों का डर-घर का जब भी कोई आदमी बीमार पड़ता है मुझे डर लगता है कि कहीं उसे कोई भयंकर बीमारी न लग गई हो और तब मैं क्या करूँगा-से किस अस्पताल में ले जाऊँगा, इलाज की कैसे व्यवस्था करूँगा।

इस डर से कितने-कितने घंटे मैंने तनाव में गुजारे हैं- एक पत्तों कि तरह काँपते हुए, होठों में प्राथनाएँ बुदबुदाते हुए कि किसी तरह संकट का यह क्षण कटे।

मन इतना कमजोर हो गया है कि उसमें डर बड़ी आसानी से घुस जाता है।

11. हँसते हुए मेरा अकेलापन : मलयज

प्रश्न 1. ‘मलयज‘ का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  सिमरिया, बेगूसराय, बिहार
(ख)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश
(ग)  ‘ महुई’, आजमगढ़, उतर प्रदेश
(घ)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश

उत्तर- (ग)  ‘ महुई’, आजमगढ़, उतर प्रदेश 

प्रश्न 2. मलयज का किस वर्ष जन्‍म हुआ था?
(क)  1934
(ख)  1935
(ग)  1936
(घ)  1937

उत्तर-  (ख)  1935  

प्रश्न  3. मलयज के माता-पिता का नाम बताएँ ।
(क)  प्रभावती एवं त्रिलोकीनाथ वर्मा
(ख)  प्रेमावती एवं चतुर्भुजीनाथ वर्मा
(ग)  प्रभावती एवं द्विभुजीनाथ वर्मा
(घ)  नीति एवं दीपक वर्मा

उत्तर-  (क)  प्रभावती एवं त्रिलोकीनाथ वर्मा 
Haste Hue Mera Akelapan ka Saransh Notes & Objective
प्रश्न 4. ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन‘ के लेखक है- 
(क)  मोहन राकेश
(ख)  मलयज
(ग)  उदय प्रकाश
(घ)  अज्ञेय

उत्तर- (ख)  मलयज 

प्रश्न 5. ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन‘ किस विधा (लेखन-प्रकार) की रचना है?
(क)  डायरी-साहित्‍य
(ख)  कहानी-साहित्‍य
(ग)  यात्रा-साहित्‍य
(घ)  व्‍यंग्‍य-साहित्‍य

उत्तर- (क)  डायरी-साहित्‍य  

प्रश्न 6. ‘मलयज‘ का मूलनाम बताएँ ।
(क)  निर्मल कुमार श्रीवास्‍तव
(ख)  भरतजी श्रीवास्‍तव
(ग)  राजीव कमल श्रीवास्‍तव
(घ)  इनमें से कोई नहीं

उत्तर-  (ख)  भरतजी श्रीवास्‍तव

प्रश्न 7. किस पाठ में आया है-‘ आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं, यथार्थ को रचता भी है ।‘
(क)  अर्द्धनारीश्‍वर
(ख)  हँसते हुए मेरा अकेलापन
(ग)  शिक्षा
(घ)  सिपाही की माँ

उत्तर- (ख)  हँसते हुए मेरा अकेलापन  

प्रश्न 8. मलयज की कृतियों के नाम बताएँ –
(क)  जख्‍म पर धूल, अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ
(ख)  कविता से साक्षात्‍कार, संवाद और ए‍कालाप, रामचंद्र शुक्‍ल
(ग)  हँसते हुए मेरा अकेलापन
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 
Haste Hue Mera Akelapan ka Saransh Notes & Objective
प्रश्न 9. मलयज ने किस विषय में एम. ए. किया था?
(क)  हिन्‍दी
(ख)  अंग्रेजी
(ग)  उर्दू
(घ)  बंगला

उत्तर- (ख)  अंग्रेजी 

प्रश्न 10. ‘मलयज‘ की रचना नहीं है?
(क)  न आनेवाला कल
(ख)  सदियों का संताप
(ग) बकलम खुद
(घ)  इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (घ)  इनमें से कोई नहीं 

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Juthan ka Saransh Notes & Objective | जूठन का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 8, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ दस ‘जूठन (Juthan ka Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक ओमप्रकाश बाल्‍मीकि हैं।

Juthan ka Saransh Notes & Objective

10.जूठन
लेखक- ओमप्रकाश बाल्‍मीकि

लेखक परिचय
जन्म- 30 जून 1950
जन्म स्थान- बरला मुजफरनगर उत्तरप्रदेश
माता-पिता – मकुंदी देवी और छोटनलाल
शिक्षा- अक्षरज्ञान का प्रारम्भ मास्टर सेवक राम मसीही के खुले, बिना कमरे बिना टाट-चटाईवाले स्कूल से। उसके बाद बेसिक प्राथमिक स्कूल से दाखिला। 11वीं की परीक्षा बरला इंटर कॉलेज, बरला से उत्तीर्ण । लेकिन 12वीं की पढ़ाई में अनुतीर्ण।

पाठ परिचय

जूठन नामक आत्मकथा हिन्दी में दलित आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण रचनाकार है।

ओमप्रकाश वाल्मीकि की प्रेरणात्मक रचना है। वास्तविकता का माटी और पानी सरीखा रंग ही इसके रचनात्मक गद्य की विशेषता है। लेखक दलित समाज से है। स्कूल के हेडमास्टर ने उनसे दो दिन तक पूरे स्कूल में झाडू लगवाया। तीसरे दिन वह चुपचाप कक्षा में बैठ गया। स्कूल के हेडमास्टर ने उनकी काफी पिटाई की तथा फिर से झाडू लगाने के लिए भेजा। वह रोते हुए झाडू लगाने लगा। संयोगवश लेखक के पिताजी वहाँ आ गये। वे सारी कहानी सुनने के बाद हेडमास्टर को खड़ी-खोटी सुनाने लगे।

लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। लेखक की माँ, बहने भाई और भाभी दूसरे के घरों में उनके जानवरों के देखभाल का काम करते थे। काम बड़ा ही तकलीफदेह था किन्तु काम के बदले अनाज बड़ा ही कम। शादी-व्याह के अवसर पर मेहमानों के पत्तलों के जूठन ही नसीब होते थे। पत्तलों के जूठन से पूरियों को सुखाकर रखना तथा सर्दियों में उन्हे पानी में भींगोकर नमक-मिर्च मिलाकर खाना यही नसीब होता था। लेखक हमेशा सोचा करता था कि उसे अच्छा खाना क्यों नहीं मिलता है ?

पिछली वर्ष सुखदेव सिंह त्यागी का पोता सुरेन्द्र सिंह किसी इंटरव्यू के सिलसिले शहर आया था तो उनके घर रात में रुका और खाना खाया । खाने की तारीफ भी की। तारीफ सुनकर पत्नी खुश हुई लेकिन लेखक के बचपन की यादें ताजी हो गई। सुखदेव सिंह त्यागी की लड़की की शादी थी। शादी से दस-बारह दिन पहले से ही पूरी तैयारियां चल रही थी। बारात आई। बारात खाना खा रही थी। लेखक की माँ एक टोकरी लिए दरवाजे के बाहर बैठी थी। साथ में लेखक और छोटी बहन भी थी। उस समय सुरेन्द्र पैदा भी नहीं हुआ था यह तब की बात है। लेखक उसकी माँ और बहन इस उम्मीद में बैठे थे कि उन्हे भी खाने को मिलेगा किन्तु मिठाई और पकवान की जगह डांट मिली। उन्हें वहाँ से भगाया गया।

Juthan ka Saransh Notes & Objective

लेखक का अगला संस्मरण से भरा है। लेखक उस समय नौवीं कक्षा में पढ़ता था। घर की आर्थिक स्थिति दयनीय थी। पशुओं के मरने पर उठाकर ले जाना तथा उनके चमड़े उतारना लेखक के परिवार का कार्य था । एक दिन गाँव में एक बैल मर गया। लेखक के पिताजी घर पर नहीं थे। लेखक की माँ ने लेखक को चाचा जी के साथ इस काम के लिए भेजा। चाचा बैल का खाल उतारने लगे पर लेखक को छुरी चलाने का भी ढंग नहीं था । एक छुरी चाचा के पास थी। चाचा ने दूसरी छुरी लेखक को थमा दी । लेखक के हाथ कांपने लगे। चाचा ने छुरी चलाने का ढंग सिखाया । लेखक एक अजीब संकट में फंसा हुआ था। जिन चीजों को वह उतारना चाहता था हालात उसे उसी दलदल में घसीटे जा रहे थे। चाचा के साथ तपती दुपहरी की यह यातना आज भी जख्मों की तरह तन पर ताजा है।

लेखक इस घटना से पढ़ाई के प्रति संकल्पित हो गया। वह ध्यान लगाकर पढ़ाई करने लगा। जीवन में सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचकर अपनी एक खास ख्याति अर्जित की।

10. जूठन : ओमप्रकाश वाल्‍मीकि

प्रश्न 1. ‘दलित साहित्‍य का सौन्‍दर्यशास्‍त्र‘ नामक आलोचना पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  ओमप्रकाश वाल्‍मीकि
(ख)  मलयज
(ग)  दिनकर
(घ)  नामवर सिंह

उत्तर- (क)  ओमप्रकाश वाल्‍मीकि 

प्रश्न 2. ‘जूठन‘ शीर्षक आत्‍म‍कथा के लेखक कौन है?
(क)  ओमप्रकाश वाल्‍मीकि
(ख)  रामधारी सिंह दिनकर
(ग)  जे. कृष्‍णमूर्ति
(घ)  मलयज

उत्तर- (क)  ओमप्रकाश वाल्‍मीकि 

प्रश्न 3. ओमप्रकाश वाल्‍मीकि का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  करला, मुजफ्फरनगर, उतर प्रदेश
(ख)  सरला, मुजफ्फरपुर, बिहार
(ग)  बरला, मुजफ्फरनगर, उतर  प्रदेश
(घ)  ठरला, मुजफ्फरनगर, उतर प्रदेश

उत्तर- (ग)  बरला, मुजफ्फरनगर, उतर  प्रदेश 

प्रश्न 4. ओमप्रकाश वाल्‍मीकि का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  27 जून, 1947
(ख)  30 जून, 1950
(ग)  29 जून, 1949
(घ)  28 जून, 1948

उत्तर-  (ख)  30 जून, 1950

प्रश्न 5. ओमप्रकाश वाल्‍मीकि के माता-पिता का नाम बताएँ ।
(क)  खखोरनी देवी और चट्टन लाल
(ख)  सस्‍ती देवी और नाटा लाल
(ग)  छुदरी देवी और बौना लाल
(घ)  मुकंदी देवी छोटन लाल

उत्तर- (घ)  मुकंदी देवी छोटन लाल 
Juthan ka Saransh Notes & Objective
प्रश्न 6. ‘जूठन‘ क्‍या है?
(क)  रेखाचित्र
(ख)  शब्‍द-चित्र
(ग)  कहानी
(घ)  आत्‍म-कथा

उत्तर-  (घ)  आत्‍म-कथा

प्रश्न 7. ओमप्रकाश वाल्‍मीकि के कहानी-संग्रह का नाम बताएँ ।
(क)  जूठन (आत्‍मकथा)
(ख)  सलाम
(ग)  घुसपैठिए
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 8. ओमप्रकाश वाल्‍मीकि के कविता-संकलन का नाम बताएँ ।
(क)  सदियों का संताप
(ख)  बस्‍स ! बहुत हो चुका
(ग)  अब और नहीं
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

प्रश्न 9. ‘कुरडियों शब्‍दका अर्थ बताएँ-
(क)  नर्तकी
(ख)  नर्तकियाँ
(ग)  गायिकाएँ
(घ)  कूड़ा फेंकने की जगह, घरा

उत्तर-  (घ)  कूड़ा फेंकने की जगह, घरा

प्रश्न 10. ओमप्रकाश वाल्‍मीकि को कौन-कौन सम्‍मान प्राप्‍त हुआ?
(क)  डॉ. अंबेडकर राष्‍टी्य पुरस्‍कार, 1993, परिवेश सम्‍मान, 1995
(ख)  जयश्री सम्‍मान, 1996
(ग)  कथाक्रम सम्‍मान, 2000
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त सभी 

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Prageet aur Samaj ka Saransh Notes & Objective | प्रगीत और समाज का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 8, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ नौ ‘प्रगीत और समाज (Prageet aur Samaj ka Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक नामवर सिंह हैं।

Prageet aur Samaj ka Saransh Notes & Objective

9. प्रगीत और समाज
लेखक- नामवर सिंह

लेखक परिचय
जन्‍म- 28 जूलाई 1927
जन्‍म-स्‍थान : जीअनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
माता- वागेश्‍वरी देवी, पिता- नागर सिंह (शिक्षक)

शिक्षा- प्राथमिक शिक्षा- उत्तर प्रदेश के आवाजापुर और कमालपुर गाँवों में, हीवेट क्षत्रिय स्‍कूल, बनारस से हाई स्‍कूल, उदय प्रताप कॉलेज बनारस से इंटर, बी.ए. और एम.ए. बनारस हिन्‍दु विश्‍वविद्यालय से किया।

सम्‍मान- 1971 में ‘कविता के नए प्रतिमान’ पर साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार।

कृतियाँ- दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद, कहना न होगा, पृथ्‍वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कविता के नए प्रतिमान।

प्रस्तुत निबंध में नामवर सिंह पर गीत के उदय के ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों की पड़ताल करते हैं। कविता संबंधी प्रश्न कविता पर समाज का दबाव तीव्रता से महसूस किया जा रहा है । प्रगीत काव्य समाज शास्त्रीय विश्लेषण और सामाजिक व्याख्या के लिए सबसे कठिन चुनौती है। लेकिन प्रगीतधर्मी कविताएं सामाजिक अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त नहीं है । स्वयं आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य सिद्धांत के आदर्श भी प्रबंधकाव्य ही थें, क्योंकि प्रबंधकाव्य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्य होता है।

मुक्तिबोध के कविताओं नई कविता के अंदर आत्मपरक कविताओं की एक ऐसी प्रवृत्ति थी जो या तो समाज निरपेक्ष थी या फिर जिसकी सामाजिक अर्थवत्ता सीमित थी। इसलिए व्यापक काव्य सिद्धांत की स्थापना के लिए मुक्तिबोध की कविताओं की आवश्यकता थी। लेकिन मुक्तिबोध ने केवल लंबी कविताएं ही नहीं लिखी बल्कि उनकी अनेक कविताएं छोटी भी है जो की कम सार्थक नहीं है। मुक्तिबोध का समूचा काव्य मूलतः आत्मपरक है। रचना विन्यास में वह कहीं नाट्यधर्मी है, कहीं नाटकीय एकालाप है, कहीं नाट्यकीय प्रगीत है और कहीं शुद्ध प्रगीत भी है। आत्मपरकता तथा भावमयता मुक्तिबोध का शक्ती है जो उनकी प्रत्येक कविता को गति और उर्जा प्रदान करती है।

Prageet aur Samaj ka Saransh

विभिन्न कवियों द्वारा प्रगीतों का निर्माण यद्यपि हमारे साहित्य के मापदंड प्रबंधकाव्यों के आधार पर बने हैं। लेकिन यहां कविता का इतिहास मुख्यत: प्रगीत मुक्तको का है। कबीर, सूर, तुलसी, मीरा, रैदास आदि संतों ने प्राय: गेय काव्य ही लिखें । विद्यापति को इस हिन्‍दी का पहला कवि माना जाए तो हिंदी कविता का उदय ही गीत से हुआ, जिसका विकास आगे चलकर संतों और भक्‍तों की वाणी में हुआ।

समाजिकता पर आधारित काव्य अकेलेपन के बाद कुछ लोगों ने जनता की स्थिति को काव्य-जवार बनाया जिससे कविता नितांत सामाजिक हो गई। फिर कुछ ही समय बाद नयें कवियों ने कविता में हृदयगत स्थितियों का वर्णन करने लगे। इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया जब अनेक कवियों ने अपने हृदय का दरवाजा तोड़कर एकदम से बाहर निकल आए और व्यवस्था के विरोध के जुनून में उन्होंने ढ़ेर सारी सामाजिक कविताएं लिख डाली, लेकिन यह दौर जल्द ही समाप्त हो गया।

नई प्रगीतनात्मक का उभार युवा पीढ़ी के कवियों द्वारा हुआ और कविता के क्षेत्र में कुछ परिवर्तन हुए। आज कवि को अपने अंदर झांकने या बाहरी यथार्थ सामना करने में कोई हिचक नहीं है। उसकी नजर छोटी-छोटी स्थिति वस्तु आदि पर है। इसी प्रकार उसके अंदर छोटी-छोटी उठने वाली लहर को पकड़कर शब्दों में बांध लेने का उत्साह भी है। कवि और समाज के रिश्ते के बीच साधने का कोशिश कर रहा है। लेकिन यह रोमैंटिक गीतों को समाप्त करने या व्यक्तित्व कविता को बढ़ाने का प्रयास नहीं है। अपितु इन कविताओं से इस बात की पुष्टि हो जाती है की मितकथन में अतिकथन से अधिक शक्ति है और कभी-कभी ठंडे स्वर का प्रभाव गर्म भी होता है। यह नए ढंग की प्रगीत के उभार का संकेत है !!!

9. प्रगीत और समाज : नामवर सिंह

प्रश्न1. नामवर सिंह का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  गदौलिया, वाराणसी, उतर प्रदेश
(ख)  दशाश्‍वमेघ घाट, वाराणसी, उतर प्रदेश
(ग)  जीअनपुर, वाराणसी, उतर प्रदेश
(घ)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश
उत्तर-  (ग)  जीअनपुर, वाराणसी, उतर प्रदेश

प्रश्न 2. नामवर सिंह के माता-पिता का नाम बताएँ ।
(क)  लक्ष्‍मीवर्द्धिनी एवं अंधकार सिंह
(ख)  यशवर्द्धिनी एवं दीपक
(ग)  वर्णेश्‍वरी देवी एवं शहरी सिंह
(घ)  वागेश्‍वरी देवी एवं नागर सिंह

उत्तर-(घ)  वागेश्‍वरी देवी एवं नागर सिंह   

प्रश्न 3. नामवर सिंह का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  27 जुलाई, 1926
(ख)  28 जुलाई, 1927
(ग)  29 जुलाई, 1928
(घ)  30 जुलाई, 1929

उत्तर- (ख)  28 जुलाई, 1927  

प्रश्न 4. ‘प्रगीत और समाज‘ शीर्षक निबंध के निबंधकार का नाम बताएँ ।
(क)  नामवर सिंह
(ख)  रामविलास शर्मा
(ग)  नन्‍द किशोर नवल
(घ)  मैनेजर पाण्‍डेय

उत्तर- (क)  नामवर सिंह 

Prageet aur Samaj ka Saransh

प्रश्न 5. ‘प्रगीत और समाज‘ किस विद्या की रचना है?
(क)  आलोचनात्‍मक निबंध
(ख)  जीवनी
(ग)  आत्‍मकथा
(घ)  ललित निबंध

उत्तर-(क)  आलोचनात्‍मक निबंध   

प्रश्न 6. ‘हिन्‍दी के विकास में अपभ्रंश का योग‘ पुस्‍तक किसने लिखा? 
(क) रामविलास शर्मा
(ख)  नामवर सिंह
(ग)  दिनकर
(घ)  मैनेजर पाण्‍डेय

उत्तर- (ख)  नामवर सिंह 

प्रश्न 7. ‘दूसरी परम्‍परा की खोज‘ पुस्‍तक किसने  लिखी है?
(क)  अरूण कमल
(ख)  रामधारी सिंह दिनकर
(ग)  नामवर सिंह
(घ)  कर्मेन्‍दु शिशिर

उत्तर- (ग)  नामवर सिंह 

प्रश्न 8. ‘कविता के नए प्रतिमान‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  रमेश कुन्‍तल मेघ
(ख)  मैनेजर पाण्‍डेय
(ग)  रामविलास शर्मा
(घ)  नामवर सिंह

उत्तर- (घ)  नामवर सिंह

प्रश्न 9. ‘वाद-विवाद-संवाद‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  नामवर सिंह
(ख)  रामविलास शर्मा
(ग)  रमेश कुंतल मेघ
(घ)  मैनेजर पाण्‍डेय

उत्तर-  (क)  नामवर सिंह

Prageet aur Samaj ka Saransh

प्रश्न 10. ‘इन्द्रिय‘ शब्‍द का विशेषण बनाइए ।
(क)  इन्‍द्री
(ख)  ऐन्द्रिक
(ग)  सुख
(घ)  अंग

उत्तर- (ख)  ऐन्द्रिक 

प्रश्न 11. नामवर सिंह ने किस विषय पर पी.एच.डी की उपाधप्राप्‍त की?
(क)  ‘ पृथ्‍वीराज रासो की भाषा’
(ख)  ‘छायावाद’
(ग)  ‘इतिहास औरआलोचना’
(घ)  कहानी:नई कहानी

उत्तर-  (क)  ‘ पृथ्‍वीराज रासो की भाषा’

प्रश्न 12. नामवर सिंह को किस पुस्‍तक पर साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार मिला?
(क)  ‘कविता के नए प्रतिमान’
(ख)  वाद-विवाद-संवाद
(ग)  दूसरी परम्‍परा की खोज
(घ)  आधूनिक साहित्‍य की प्रवृतियाँ

उत्तर-(क)  ‘कविता के नए प्रतिमान’   

प्रश्न 13. ‘प्रगीत और समाज‘ शीर्षक निबंध किस पुस्‍तक से लिया गया है?
(क)  ‘वाद विवाद संवाद’
(ख)  ‘दूसरी परम्‍परा की खोज
(ग)  ‘कविता के नए प्रतिमान
(घ)  ‘इतिहास और आलोचना’

उत्तर-  (क)  ‘वाद विवाद संवाद’

प्रश्न 14. किसने कहा है-”प्रबंधकाव्‍य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्‍य होता है ।”
(क)  नामवर सिंह
(ख)  मोहन राकेश
(ग)  आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल
(घ)  बालकृष्‍ण भट्ट

उत्तर-  (ग)  आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल

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