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Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective | सिपाही की माँ एकांकी का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 3, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ आठ ‘सिपाही की माँ (Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक मोहन राकेश हैं।

Sipahi ki Maa Saransh Notes

8. सिपाही की माँ
लेखक – मोहन राकेश

सिपाही की माँ यह एक एकांकी (एक अंकवाला नाटक) है। जिसे एकांकीकार मोहन राकेश के द्वारा लिखा गया है। यह एकांकी मोहन राकेश की पुस्तक ‘अण्डे के छिलके‘ से लिखा गया है। यह रचना द्वितिय विश्व युद्ध के समय को आधार बनाकर लिखी गई है। इस एकांकी में दो दृश्य हैं। इस एकांकी पाठ में सिपाही की माँ के भावनाओं को बताया गया है। इस पाठ में एक माँ जिनका नाम विशनी है। एक बेटी (मुन्नी) और एक मात्र बेटा जिनका नाम मानक होता है।

इस एकांकी में विशनी नें अपने समाज को बहुत अच्छे संदेश देती हैं। एक सच्चे तथा इमानदार देशभक्त की माँ होने के साथ-साथ वह मुश्किलों का सामना किया करती है और वह अपने परिवार का पालन पोषण करती है। विशनी का बेटा मानक वह अपनी बहन की शादी के पैसा के लिए बर्मा की फौज बनकर लड़ने गया है। वह अपनी माँ का इकलौता बेटा है। मानक बर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से जापान से लड़ने गया है।

मानक अपने परिवार का इकलौता बेटा तथा अपनी बहन का एकलौता भाई है। उसी पर सारी आशाएँ टिकी हुई है। बिशनी की पड़ोसन कुंती थी। जब मानक युद्ध में चला जाता है। तो हमेशा उसकी माँ बिशनी अपने बेटे के बारे में ही सोचते रहते है कि कहीं मेरा बेटा युद्ध में मरा तो नहीं गया है। कुंती मानक के युद्ध में चले जाने पर संतोष दिलाती है। वो कहती है कि बिशनी मुन्नी बिटिया तो अब सयानी हो गई है। कोई अच्छा-सा घर-वर देखकर उसका हाथ पिला कर दो। तो विशनी कहती है कि मानक को तो आने दो। अच्छा सा घर-वर देखकर वह विवाह कर देगा।

दो लड़कियाँ वर्मा के रंगुन शहर की रहनेवाली है। वह विशनी के गाँव में आती है। वह वहाँ के लोगों से कहती है कि बर्मा और जापान में युद्ध शुरू हो चुकी है। वह बहुत ही भयानक लड़ाई शुरू हुई है। वह दोनों लड़कियाँ तेरह दिन जंगल के रास्तें में पैदल चलकर अपनी जान बचाने के लिए बिशनी के गाँव आई और उसके घर चावल दाल माँगने लगी। कुंती बोलती है कि इन लड़कीयों का लक्षण मुझे ठीक नहीं लग रहा है। इस पर दोनों लड़कियाँ बोली। आपलोग तो यहाँ ठीक-ठाक रह लेती है, लेकिन जहाँ से हमलोग जान बचाकर आएं हैं तो रोज गोलियाँ और खुनों की बहाव होती है। लड़ाई की वजह से मेरा मुल्क तो तबाह हो गया है। वहाँ फौज के अलावा अब कोई नहीं रह रहा है

मुन्नी अपने माँ से बोली कि माँ इनके मुल्क में रोज लड़ाई होती है। तो माँ के कहने पर मुन्नी ने उनदोनों लड़कियों से पूछा कि वर्मा तुम्हारे मुल्क से कितना दूर है। लड़की बोली कि मेरे मुल्क का नाम ही वर्मा है। उसके बाद वाली रात में सपने में विशनी को मानक दिखाई देता है। और वह उससे बात-चीत करती है। और मानक बहुत बुरी तरह से घायल है और वह बताता है। दुश्मन उसके पिछे लगा हुआ है। विशनी कहती है मानक-मानक कुछ ऐसा शब्द सुनाई देता है। दूर आँधी चल रही है। वह घबराकर बोलती है। तु सचमुच मानक ही है न बाहर की किसी कि आवाज माँ को सुनाई देती है।

विशनी चारपाई से उठ जाती है। वह घबराकर बोलती तो सच में मानक ही है न तु कहाँ है बेटा मानक बोलता है। मैं घायल हूँ माँ मुझे बहुत गोलियाँ लगी है। और दुश्मन अभी भी मेरे पिछे लगा है। विशनी बोलती है तेरा कौन दुश्मन है। मानक बोला मैने उसे बहुत गोलियाँ मारी मगर वह मरा नही है। वह जिन्दा है। उसने मेरा सारा शरीर जख्मी कर दिया है। विशनी बोलती उठ कर चारपाई पर बैठ मैं दूध लाती हूँ मानक बोला दूध नहीं पानी चाहिए। वह अभी यहाँ आ जाएगा देख माँ वह आ गया। तभी वहाँ एक सिपाही आता है और वह उसे मरा हुआ बताता है। यह सुनकर विशनी और घबरा जाती है। वह सिपाही बोला-तुझे नहीं दिखता यह मरा हुआ है। मानक बोला नहीं माँ मैं मरा नहीं हूँ मैं हिल-डोल सकता हूँ। सिपाही बोला तु इसे बचाना क्यूँ चाहती हो ? तु क्या लगती हो, इसका ? विशनी बोली मैं माँ हूँ। सिपानी ने विशनी से बोला कि यह इंसान नहीं जानवर है। क्या तु नहीं जानती इसने कितने सिपाहियों कि जान ली है। लेकिन विशनी विश्वास नहीं करती है। सिपाही कि बात को और सिपाही मानक को मारने तथा बोटी-बोटी करने का बात कहते हैं। तभी विशनी मानक-मानक चिल्लाने लगती है। इसी बची मुन्नी विशनी को जगाते हुए कहती है कि तु तो रोज भैया के सपने देखती है। जबकि मैंने तुमसे कहा था कि भैया जल्दी आऐंगे। विशनी मुन्नी की माथा चुमकर सो जाने को कहती है।

अतः सेना एक-दूसरे का दुश्मन होते है। क्योंकि वह अपने-अपने देश की प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही एक-दूसरे का दुश्मन समझतें हैं। इसलिए एक दूसरे को मारना चाहतें हैं। इस प्रकार इस नाटक में एक माँ की भावनाओं को दर्शाया गया है।

BSEB Class 12th Hindi Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective

प्रश्न 1. ‘सिपाही की माँ‘ के रचयिता कौन हैं?
(क)  मोहन राकेश
(ख)  रामकुमार वर्मा
(ग)  अज्ञेय
(घ)  जगदीश चन्‍द्र माथुर

उत्तर-  (क)  मोहन राकेश

प्रश्न 2. मोहन राकेश के बचपन का नाम क्‍या था?
(क)  मदन मोहन गुगलानी
(ख)  कृष्‍ण मोहन मुगलानी
(ग)  राधाकृष्‍ण मुगलानी
(घ)  रामकृष्‍ण मुगलानी

उत्तर-  (क)  मदन मोहन गुगलानी

प्रश्न 3. मोहन राकेश का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  कबीर चौरा गली, अमृतसर, पंजाब
(ख)  गोरखनाथ गली, अमृतसर, पंजाब
(ग)  रसगुल्‍ला गली, अमृतसर, पंजाब
(घ)  जंड़ीवाली गली, अमृतसर, पंजाब

उत्तर-  (घ)  जंड़ीवाली गली, अमृतसर, पंजाब

प्रश्न 4. मोहन राकश का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  7 जनवरी, 1924 ई.
(ख)  8 जनवरी, 1925 ई.
(ग)  9 जनवरी, 1926 ई.
(घ)  10 जनवरी, 1927 ई.

उत्तर- (ख)  8 जनवरी, 1925 ई. 

प्रश्न 5. मोहन राकेश का कब निधन हुआ था?
(क)  01 दिसम्‍बर, 1970 ई.
(ख)  02 दिसम्‍बर, 1971 ई.
(ग)  03 दिसम्‍बर, 1972 ई.
(घ)  04 दिसम्‍बर, 1973 ई.

उत्तर- (ग)  03 दिसम्‍बर, 1972 ई. 

प्रश्न 6. मोहन राकेश रचित नाटक संग्रह है
(क)  उतर प्रियदर्शी
(ख)  पहला राजा
(ग)  सत्‍य हरिश्‍चन्‍द्र
(घ)  आषाढ़ का एक दिन

उत्तर-  (घ)  आषाढ़ का एक दिन

प्रश्न 7. मोहन राकेश रचित एकांकियों के नाम बताएँ ।
(क)  आषाढ़ का एक दिन
(ख)  पैर तले की जमीन, अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी
(ग)  कोणार्क
(घ)  भोर का तारा

उत्तर- (ख)  पैर तले की जमीन, अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी 

प्रश्न 8. मोहन राकेश के कहानी-संग्रहों के नाम लिखें ।
(क)  इंसान के खंडहर, नए बादल
(ख)  जानवर औेर जानवर, एक और जिंदगी
(ग)  फौलाद का आकाश, वारिस
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-(घ)  उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 9. ‘ आखिरी चट्टान तक‘ नामक यात्रा-वृतान्‍त किसने लिखा है?
(क)  मोहन राकेश
(ख)  उषा किरण खान
(ग)  राम कुमार वर्मा
(घ)  रामेश्‍वर सिंह ‘कश्‍यप’

उत्तर- (क)  मोहन राकेश 

प्रश्न 10. मोहन राकेश द्वारा अनूदित पुस्‍तकों के नाम लिखें ।
(क)  मृच्‍छकटिकम्
(ख)  अभिज्ञानशाकुंतलम
(ग)  एक औरत का चेहरा
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-  (घ)  उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 11. ‘सिपाही की माँ‘ शीर्षक एकांकी किस संग्रह से ली गयी है?
(क)  अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी
(ख)  पैर तले की जमीन
(ग)  आषाढ़ का एक दिन
(घ)  लहरों के राजहंस

उत्तर- (क)  अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी 

प्रश्न 12. किस पाठ से उद्धृत है-‘ यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है ।‘
(क)  हँसते हुए मेरा अकेलापन
(ख)  सिपाही की माँ
(ग)  तिरिछ
(घ)  शिक्षा

उत्तर- (ख)  सिपाही की माँ

Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective

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O Sadanira ka saransh notes & Objective | ओ सदानीरा कक्षा 12 हिंदी

October 3, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ सात ‘ओ सदानीरा (O Sadanira ka saransh notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक जगदीश चन्द्रमाथुर हैं।

O Sadanira ka saransh notes

7. ओ सदानीरा
लेखक- जगदीश चन्द्रमाथुर

‘ओ सदानीरा’ निबंध के निबंधकार जगदीश चन्द्रमाथुर हैं। 1973 में यह पाठ प्रकाशित हुआ। यह पाठ निबंध संग्रह ‘बोलते क्षण’ से लिया गया है। सदानीरा का अर्थ है जल से हमेशा भरा हुआ नदी।

इस पाठ में जगदीश चन्द्रमाथुर बताना चाहतें हैं कि ‘ओ सदानीरा’ बिहार के एक नदी का नाम है, जो गंडक नदी है। यह नदी मुख्‍य रूप से चम्पारण में बहती है। इसके किनारे बहुत से नगर बसा हुआ है।

वो कहते हैं कि नदियों में बाढ़ आना वह मनुष्य के स्वार्थ का कारण है। इस नदी के तट पर विशाल वन फैला हुआ था। जब से वनों की कटाई का सिलसिला चालू हुआ तब से ही यह नदी बाढ़ का कहर लाती है। लेखक ये भी कहतें हैं कि आज जो बहुत धार्मिक लोग स्नान करने आते हैं। पूजा-पाठ करके सड़ा-गला चीजें इसी नदी में फेंक देते हैं। जिसके कारण नदी का दुर्दशा हो गया है।

जगदीश चन्द्र माथुर मध्‍ययुगीन समाज के सच्चाई बताते हैं की लड़ाई झगड़ा के कारण तृरिट के लिए मुसल्मान शासकों ने आधाधुध जंगलों की कटाई की वसुंधरा भोगी मनव को अर्थ हैं।

पृथ्वी पर सुख भोगने वाला मानव और धर्माधमानव का अर्थ हैं धर्म के अधे कि तरह अनुकरण करके भाव रखने वाला मानव जिस प्रकार विशाल जंगलों को काट दिया उसी प्रकार मूर्तियों को भी नष्ट कर दिया। साथ में ही कई धर्म स्थलों को भी तोड़ दिया। यानी जिसमें मानव को सुख मिलता है वो को नष्ट कर रहा हैं। वसुंधरा भोगी मानव और धर्माधमानव एक ही सिक्के के दो पहल हैं। जगदिश चन्द्र माथुर इस पाठ के महायन से गुणगान किया है । उन्होंने कहा कि यह भूमि महान हैं। यहाँ अनेक बाहरी व्यक्ति आए और कई आक्रमण कारी भी आये। उन्होंने आकर या तो बस गयें या तो क्षति पहूँचाकर लेविन धन्य है। इस भूमि कि सहनता और उदारता जी कि इतने अत्याचार होते हुए भी सब को क्षमा कर दिया। लेखक ने इस पाठ में विभिन्न स्थानों से आकर चंपारण और उसके आस पास बसने का जिक्र किया और वो लोग विजय यात्रा पर आये नान्ददेव चालुक्य  नृपति विक्रमदित्य के सेनापति चंपार कि भूमि पर आयें और उसके बाद अंग्रेज देकेदार भी पूर्वी, बंगाल, दक्षिणी बिहार के विभिन्न वर्ग के लोग यहाँ आकर बस गयें। अंग्रेज का मकसद था कि खेजी से मोनाफा कमाना और किसानों से जबरदस्ती खेती करवाते थें। और जब चंपारण में बाढ़ आती थी तो उपजाऊ भिती टूट जाती थी। क्योंकि नदी अपना रास्ता बदल देती थी। तो उसी प्रकार उन्हे यौर और मन कहा गया है और उसे कहते हैं जिसमें पानी जाड़े या गर्मी में कम हो जाती है। और इसमें खेती आसानी से होती है। मन गहरे और विशाल खाल होते है। इसमें आसानी से खेती नहीं होती है। अंत में लेखक कहते हैं। ओ सदानीरा ओ चकरा, ओ नारायणी, ओ महागण्डक आदी युगों से दीन-हीन जनता तुम्हें इन पलों से संबोधित करती हैं। लेकिन तेरी चंचल धारा में अराधना के कसुमों को ठुकरा दिया लेकिन अब जो मंदिर बना रहा है उसकी नीव बहुत गहरी है तु ठकरा नही पाएगी।

अंततः हम यह कह सकतें है। कि ओ सदानीरा जगदीशचन्द्र माथुर के सबसे अच्छे निबंधों में से एक है। और इस निबंध के माध्यम से उन्होंने अपने विचारों का काफी अच्छे तरह से प्रस्तुत किये हैं।

BSEB Class 12th Hindi O sadanira ka Saransh Notes & Objective

ओ सदानीरा : जगदीशचन्‍द्र माथुर

प्रश्र 1. ‘ओ सदानीरा किस विधा के अन्‍तर्गत है?
(क)  नाटक
(ख)  निबंध
(ग)  आत्‍मकथा
(घ)  कहानी

उत्तर- (ख)  निबंध 

प्रश्न 2. ‘ओ सदानीरा‘ निबंध के निबंधकार का नाम बताएँ-
(क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर
(ख)  हजारी प्रसाद द्वि‍वेदी
(ग)  रामधारी सिंह दिनकर
(घ)  नामवर सिंह

उत्तर-(क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर   

प्रश्न 3. जगदीशचन्‍द्र माथुर का जन्‍म कब हुआ था?
(क)  15 जुलाई, 1916
(ख)  16 जुलाई, 1917
(ग)  17 जुलाई, 1918
(घ)  18 जुलाई, 1919

उत्तर-  (ख)  16 जुलाई, 1917

प्रश्न 4. जगदीशचन्‍द्र माथुर का कहाँ जन्‍म हुआ था?                                                                        
(क)  जबलपुर, मध्‍यप्रदेश
(ख)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(ग)  सिमरिया, बिहार
(घ)  शाहजहाँपुर, उतर प्रदेश

उत्तर- (घ)  शाहजहाँपुर, उतर प्रदेश  

प्रश्न 5. जगदीशचन्‍द्र माथुर का कब निधन हुआ था?
(क)  12 मई, 1976 ई.
(ख)  13 मई, 1977 ई.
(ग)  14 मई, 1978 ई.
(घ)  15 मई, 1979 ई.

उत्तर-  (ग)  14 मई, 1978 ई.

प्रश्न 6. ‘बहुजन-सम्‍प्रेषण के माध्‍यम‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  जयप्रकाश नारायण
(ख)  जगदीशचन्‍द्र माथुर
(ग)  मलयज
(घ)  मोहन राकेश

उत्तर-  (ख)  जगदीशचन्‍द्र माथुर

प्रश्न 7. ‘ मन‘ कैसे ताल है?
(क)  गहरे
(ख)  छोटे और विशाल
(ग)  उथले और छिछले
(घ)  गहरे और विशाल

उत्तर-  (घ)  गहरे और विशाल

प्रश्न 8. ‘ चौर‘ कैसे ताल है?
(क)  उथले
(ख)  चौड़े
(ग)  गहरे
(घ)  लबालब

उत्तर- (क)  उथले 

प्रश्न 9. जगदीशचन्‍द्र माथुर को कौन-सा पुरस्‍कार नहीं मिला था?
(क)  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
(ख)  विद्या वारिधि की उपाधि
(ग)  कालिदास अवार्ड
(घ)  बिहार राजभाषा पुरस्‍कार

उत्तर-  (क)  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार

प्रश्न 10. कौन-सी एकांकी जगदीश चन्‍द्र माथुर ने नहीं लिखी थी?
(क)  ‘ मेरी बाँसुरी’ , पहला राजा,  दशरथनंदन
(ख)  आषाढ़ का एक दिन, लोहा सिंह
(ग)  भोर का तारा, कोणार्क, बंदी शारदीया
(घ)  ‘ ओ मेरे सपने’, ‘मेरे श्रेष्‍ठ रंग एकांकी’, ‘कुँवर सिंह की टेक’, ‘गगन सवारी’

उत्तर- (ख)  आषाढ़ का एक दिन, लोहा सिंह 

प्रश्न 11. ‘परम्‍पराशील नाट्य‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  रामेश्‍वर सिंह ‘कश्‍यप’
(ख)  जितेन्‍द्र सहाय
(ग)  मोहन राकेश
(घ)  जगदीशचन्‍द्र माथुर

उत्तर- (घ)  जगदीशचन्‍द्र माथुर 

प्रश्न 12. वसुधरा भोगी मानव और धर्माध मानव-एक ही सिक्‍के के दो पहलू है ।-किस पाठ में आया है?
(क) ओ सदानीरा
(ख) हँसते हुए मेरा अकेलापन
(ग)  संपूर्ण क्रांति
(घ) अर्धनारीश्‍वर

उत्तर-  (क) ओ सदानीरा

 प्रश्न 13. ‘ ओ सदानीरा‘ जगदीश चन्‍द्र माथुर रचित किस पुस्‍तक से संकलित निबंध है?
(क)  ‘बोलते क्षण’
(ख)  दस तस्‍वीरें
(ग)  जिन्‍होंने जीना सीखा
(घ)  गगन सवारी

उत्तर- (क)  ‘बोलते क्षण’  

प्रश्न 14. ‘सदानीरा‘ किस नदी को निमित बनाकर लिखा गया है?
(क)  गंगा
(ख)  गंडक
(ग)  यमुना
(घ)  नर्मदा

उत्तर- (ख)  गंडक 

प्रश्न 15. ‘ धाँगड़ शब्‍द का अर्थ ओराँव भाषा में क्‍या है?
(क)  भारी शरीर की आदमी
(ख)  भाड़े का मजदूर
(ग)  हल्‍के शरीर का आदमी
(घ)  लँगड़े शरीर का आदमी

उत्तर-  (ख)  भाड़े का मजदूर

प्रश्न 16. चम्‍पारण में गाँधीजी के चमत्‍कार की कथा किसने लिखी है?
(क)  महात्‍मा गाँधी
(ख)  जवाहरलाल नेहरू
(ग)  राजेन्‍द्र प्रसाद
(घ)  राधाकृष्‍णन

उत्तर-  (ग)  राजेन्‍द्र प्रसाद

प्रश्न 17. ‘वैशाली महोत्‍सव‘ का प्रतिवर्ष आयोजन किसने प्रारंभ करवाया
(क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर
(ख)  रामधारी सिंह दिनकर
(ग)  नागार्जुन
(घ)  रामवृक्ष बेनीपुरी

उत्तर- (क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर

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Ek Lekh aur Ek Patra Saransh Notes & Objective | एक लेख और एक पत्र कक्षा 12 हिंदी नोट्स

October 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ छ: ‘एक लेख और एक पत्र (Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक भगत सिंह हैं।

Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes

6. एक लेख और एक पत्र
(भगत सिंह)

प्रस्तुत लेख भगत सिंह के द्वारा लिख गया है। भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और विचारक थे। उनका जन्म 1907 ई. में लायलपुर (पाकिस्तान) में हुआ था। क्योंकि जन्म के पहले देश का बँटवारा नही हुआ था। वीर क्रांतिकारी माँ भारती के सपूत भगत सिंह देश की आजादी के लिए जंग लड़े थे और अपनी जान की कुर्बानी दी थी। उनकी पुरा परिवार स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। सब कोई देश के सेवा मे लगे हुए थे। उनके चाचा भी अजित सिंह, लाल लाजपत राय के सहयोगी थे। इस तरह से उन सभी लोगों को जेल हुआ था। सभी को अंग्रेजों ने कष्ट दिया था और भगत सिंह को फाँसी की सजा दिया गया। लाहौर षड्यंत्र के केश में भगत सिंह को फांसी दिया गया था। विद्यार्थी और राजनिति के माध्यम से भगत सिंह बताते हैं कि विद्यार्थी को पढ़ने के साथ-साथ राजनीति में भी भाग लेना चाहिए। यदि कोई इसे मना कर रहा है तो समझना चाहिए कि उसको राजनीति के पिछे विरोध करने का विचार है। क्योंकि विद्यार्थी युवा होते है। उन्ही के हाथ में देश का बागडोर होता है।

भगत सिंह कहते हैं कि देश को आजाद करने में तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए। विद्यार्थी अलग-अलग रहते हुए भी अपने देश की अस्‍तित्व की रक्षा करना चाहिए। पढ़ने के साथ-साथ राजनीति का भी ज्ञान जरूर रखना चाहिए और जब जरूरत पड़े तो देश के लिए के मैदान में भी कूद पड़ना चाहिए। भगत सिंह के अनुसार ये व्‍यक्ति सही है जो कष्ट सहकर भी सेवा कर सकता है। देश के गुलामी की स्थिति भगत सिंह को बहुत ज्यादा डरा देती थी। वे क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिए लोगों को जागरूक करने के लिए लेख लिखे और संगठन बनाएं। वे जेल भी गए। ऐसे देशभक्त को आज फिर से सलामी देते है। जो हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे पर झूल गएं। उनकी यह कुर्बानी भारतीय मानव को झकझोर दिया और आगे चलकर देश आजाद हुआ। भगत सिंह ने कहा है कि आजादी के लिए संघर्ष करते हुए मृत्‍यु दंड के रूप में मिलने वाली मृत्यु से सुंदर कोई मृत्यु नही हो सकता। क्योंकि यह मृत्यु आगे आनेवाली पीढ़ी में आजादी के लड़ाई के लिए एक जुनून पैदा करेगी।

वह कहते हैं कि बूढ़े व्‍यक्ति तथा परिवार और दुनियादारी में फंसा व्‍यक्ति देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी नहीं दे सकता है। अगर इस देश के लिए अगर कोई कुर्बानी दे सकता है, तो वह इस देश का नौजवान है। इसलिए नौजवान को राजनीति में भाग लेना चाहिए।

अंततः भगत सिंह कहना चाहते है कि विद्यार्थी परिश्रम से पढ़ाई करते हुए देश की राजनीति में भी हाथ बटाएँ। वे कहते हैं कि जिस प्रकार इंग्लैंड के छात्र कॉलेज छोड़कर जर्मनी के खिलाफ लड़ने के लिए निकल पड़े उसी प्रकार भारतीय छात्रों को भी पॉलिटिक्स में हिस्सा लेने की जरूरत है। Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes & Objective

सुखदेव के नाम पत्र का सारांश

पूर्व के वर्ष में सुखदेव आत्महत्या को अत्यंत नीच और बेकार कृत्य मानते थे। जबकि भगतसिंह आत्महत्या को कायरता, निरास और सफलता से घबराया हुआ मानसिकता का परिणाम मानते हैं। जबकि सुखदेव कुछ अवस्थाओं में आत्महत्या को अनिवार्य और आवश्यक मानने लगे हैं।

लेखक कहते हैं कि जब वे देश की आजादी के लिए काम कर रहे थे तो उस समय अलग-अलग प्रकार की कठिनाइयाँ सामने आया करती थी और अगर हम उस कठिनाइयों से डरकर अपना कार्य करना बंद कर दें तो ये मानव के शरीर व्यर्थ है। हमें अपनी विश्वासों पर खड़ा होकर प्रयास करना चाहिए।

भगत सिंह कहते हैं कि जब यह आंदोलन अपना चरम सिमा पर पहूँचे तो हमें फाँसी दे दी जाए। मेरी इच्‍छा है कि यदि कोई सम्मानपूर्ण और उचित समझौता होना कभी संभव हो जाए, तो हमारे जैसे व्यक्तियों का मामला उसके मार्ग में कोई रूकावट या कठिनाई उत्‍पन्‍न का कारण न बनेा क्योंकि देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूरी तरह भूला देना चाहिए।

भगत सिंह ने क्रांतिकारी साथी सुखदेव द्वारा मिल रही यातनाओं दुखी होकर लिखे गए पत्र के जवाब में लिखा था। सुखदेव ने बहुत कमजोर ढंग से कहा था कि उनकी आजादी की लड़ाई का कोई भविष्य नहीं दिखाई देता है। सुखदेव जी कहते हैं कि अब लगता है कि पूरा जीवन जेल में ही काटना पड़ेगा। भगत सिंह लिखते हैं कि क्रांति व्यक्तिगत सुख-दुःख के लिए न तो शुरू होती है और न खत्म।

BSEB Class 12 Hindi गद्य Chapter 6 Ek Lekh Aur Ek Patra Objective Questions

प्रश्न 1. ‘एक लेख और एक पत्र‘ में भगत सिंह ने किसको पत्र लिखा था?
(क)  सुखदेव
(ख)  राजगुरू
(ग)  बिस्मिल
(घ)  अशफाक खाँ

उत्तर-  (क)  सुखदेव

प्रश्न 2. ‘एक लेख और एक पत्र‘ शीर्षक पाठ के लेखक कौन है?
(क)  भगत सिंह
(ख)  चन्‍द्रशेखर आजाद
(ग)  भगवती चरण बोहरा
(घ)  चंद्रमा सिंह

उत्तर-  (क)  भगत सिंह

प्रश्न 3. भगत सिंह का जन्‍म कहाँ हुआ था?
(क)  गंगा चक्‍क, नं. 102, घमैला ब्राँच, निहालपुर, भारत
(ख)  बंगा चक्‍क, नं. 103, गुरैरा ब्राँच, लायलपुर, पाकिस्‍तान
(ग)  बंगा चक्‍क, नं. 104, गुगैरा ब्राँच, लायलपुर, भारत
(घ)  बंगा चक्‍क नं. 105, गुगैरा ब्राँच, लायलपुर, पाकिस्‍तान

उत्तर-  (घ)  बंगा चक्‍क नं. 105, गुगैरा ब्राँच, लायलपुर, पाकिस्‍तान

प्रश्न 4. भगत सिंह का पैतृक गाँव कहाँ था?
(क)  खटकड़कलाँ, पंजाब
(ख)  खटकड़कलाँ, हरियाणा
(ग)  खटकड़कड़ा, अमृतसर
(घ)  खड़खड़ा, पंजाब

उत्तर- (क)  खटकड़कलाँ, पंजाब  

प्रश्न 5. भगत सिंह के माता पिता का क्‍या नाम है?
(क)  धनवती एवं सरदार विशन सिंह
(ख)  विद्यावती एवं सरदार किशन सिंह
(ग)  कलावती एवं सरदार हरकिशन सिंह
(घ)  वीर जननी एवं सरदार कृष्‍णा सिंह

उत्तर-  (ख)  विद्यावती एवं सरदार किशन सिंह

प्रश्न 6. भगत सिंह के पिता और चाचा किसके सहयोगी थे?
(क)  चन्‍द्रशेखर आजाद
(ख)  बटुकेश्‍वर दत
(ग)  लाला लाजपत राय
(घ)  सुखदेव

उत्तर- (घ)  सुखदेव 

प्रश्न 7. भगत सिंह की कृतियाँ कौन-सी है?
(क)  ‘पंजाब की भाषा तथा लिपि की समस्‍या, विश्‍वप्रेम
(ख)  ‘ युवक’, मैं नास्तिक हुँ’, ‘अछूत समस्‍या’
(ग)  ‘ विद्यार्थी और राजनीति’, ‘सत्‍याग्रह और हड़ताले’, ‘बम का दर्शन’, ‘भारतीय क्रांतिकारी का आदर्श’  
(घ)  उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त तीनों 

BSEB Class 12th Hindi Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes & Objective

प्रश्न 8. भगत सिंह की लिखी पुस्‍तकें जो अप्राप्‍य है-
(क)  समाजवाद का आदर्श
(ख)  आत्‍मकथा, मौत के दनवाजे पर
(ग)  भारत में क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास 
(घ)  उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर-  (घ)  उपर्युक्‍त तीनों

प्रश्न 9. किसने कहा है-‘ जब देश के भाग्‍य का निर्णय हो रहा हो तो व्‍यक्तियों के भाग्‍य को पूर्णतया भुला देना चाहिए ।‘
(क)  भगत सिंह
(ख)  चन्‍द्रमा सिंह
(ग)  सुखदेव सिंह
(घ)  क्रांतिकारी सिंह

उत्तर- (क)  भगत सिंह 

प्रश्न 10. ‘ हस्‍यास्‍पद‘ शब्‍द के प्रत्‍यय को बताएँ ।
(क)  स्‍पद
(ख)  आस्‍पद
(ग)  अस्‍पद
(घ)  स्‍पदा

उत्तर-  (ख)  आस्‍पद

प्रश्न 11. भगत सिंह के पिता जेल कितनी बार गए थे?
(क) एकाधिक बार
(ख)  एक बार
(ग)  अनेक बार
(घ)  अनेकानेक बार

उत्तर-  (ग)  अनेक बार

प्रश्न 12. भगत सिंह की पहली गिरफ्तारी कब हुई
(क) अक्‍टूबर, 1923 ई. 
(ख)  अक्‍टूबर, 1924 ई.
(ग)  अक्‍टूबर, 1925 ई.
(घ)  अक्‍टूबर, 1926 ई.

उत्तर-  (घ)  अक्‍टूबर, 1926 ई.

प्रश्न 13. भगत सिंह को फाँसी की सजा कब मिली थी?
(क)  21 मार्च, 1929 ई.
(ख)  22 मार्च, 1930 ई.
(ग)  23 मार्च, 1931 ई.
(घ)  24 मार्च, 1932 ई.

उत्तर- (ग)  23 मार्च, 1931 ई. 

प्रश्न 14. किस पाठ की उक्ति है?-‘केवल कष्‍ट सहकर ही देश की सेवा की जा सकती है?
(क)  ‘एक लेख और एक पत्र’
(ख)  सिपाही की माँ
(ग)  अर्द्धनारीश्‍वर
(घ)  ओ सदानीरा

उत्तर- (क)  ‘एक लेख और एक पत्र’  

प्रश्न 15. किस पाठ की उक्ति है?- ‘विपतियाँ व्‍यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती है ।‘
(क)  ओ सदानीरा
(ख)  ‘एक लेख और एक पत्र’
(ग)  प्रगीत और समाज
(घ)  अर्द्धनारीश्‍वर

उत्तर- (ख)  ‘एक लेख और एक पत्र’

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Roj Kahani ka Saransh Notes & Objective | रोज कहानी कक्षा 12 हिंदी नोट्स

October 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ पॉंच ‘रोज (Roj Kahani ka Saransh Notes)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक सच्चीदानन्द हिरानन्द वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’ हैं।

Roj Kahani ka Saransh Notes

5. रोज कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘रोज’ हमारे पाठ्यपुस्तक हिन्दी साहित्य से लिया गया है और यह पाठ सच्चीदानन्द हिरानन्द वात्‍स्‍यायन अज्ञेय जी के द्वारा रचित उनके जीवन का एक अंश है।

इस कहानी का प्रमुख पात्र मालती है। जो लेखक के दूर की बहन होती है। यह वहीं लड़की थी जिसके साथ लेखक का बचपन बीता था। लेखक उसे सखी कहना अधिक पसंद करते थे। साथ खेलना, लड़ना, झगड़ना, साथ पढ़ना, लिखना पसंद करते थे। वह बहुत ही चंचल थी। मालती के विवाह के करीब चार साल बाद लेखक उससे मिलने उसके घर जाते हैं। वहाँ लेखक मालती के घर का रंग-ढ़ंग देखकर वह बहुत उदास हो जाते हैं। मालती बहुत सुस्‍त और उदास रहती है। वह बहुत कमजोर हो गई होती है। उसका एक बेटा होता है, जो हमेशा रोता रहता था या हमेशा सोता रहता था। मालती घर में पूरे दिन अकेली रहती थी और अपने पति का इंतजार करते रहती है। उसका जीवन चारदिवारी में कैद हो गया था।

मालती के पति महेश्वर एक पहाड़ी गाँव में एक सरकारी डॉक्टर होते हैं। जिसके कारण वह समय पर अस्पताल जाता था तथा समय पर लौटकर आता । वह  के मरीजों के कभी हाथ तो कभी पैर का इलाज करता था। मालती को अपने पति का इंतजार करना,नल से पानी आने का इंतजार करना और रोज-रोज घर के काम एवं अपने रोते-बिलखते बेटे टिटी कर ख्याल रखना आदि यह सभी कार्य मालती के थे।

एक दिन महेश्वर कुछ आम लाए थे। जो अखबार में लपेटकर लाए थे। महेश्वर उसे धोने को कहते है। मालती उस अखबार के टूकड़े को पढ़ती है। लेखक उसकी पढ़ाई को देखकर मालती के अतित की याद करते हुए सोंचते हैं कि यह मालती पढ़ने से दूर भागती थी। बचपन में खेल-कूद और कहानी पढ़ने के सुदंर एहसास थे। अब वहीं मालती है। जिसके पास अपनी गृहणी दिनचार्य से बाहर देखने का भी समय नहीं है।

अतः इस कहानी से महिलाओं के प्रति लिखा गया है। ऐसी बहुत सारी महिलाएँ है जो अपनी जिंदगी जीती नही हैं बल्कि देती है।

Bihar Board Class 12 Hindi Roj Kahani Objective Questions

प्रश्न 1. निम्‍न में से किस कहानी में ‘गैग्रीन ‘ का उल्‍लेख है?
(क) उसने कहा था 
(ख)  रोज
(ग)  तिरिछ
(घ)  रस्‍सी का टुकड़ा

उत्तर- (ख)  रोज 

प्रश्न 2. ‘ मालती‘ किस कहानी की पात्र है?
(क)  सिपाही की माँ
(ख)  रोज
(ग)  तिरिछ
(घ)  गौरी

उत्तर-  (ख)  रोज

प्रश्न 3. ‘रोज ‘ शीर्षक  कहानी के  कहानीकार  बताएँ ।
(क)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’
(ख)  प्रेमचंद
(ग)  मोहन राकेश
(घ)  जगदीश चन्‍द्र माथुर

उत्तर-  (क)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 4. ‘अज्ञेय ‘ जी का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  06 मार्च, 1910 ई.
(ख)  07 मार्च, 1911 ई.
(ग)  08 मार्च, 1912 ई.
(घ)  09 मार्च, 1913 ई.

उत्तर-  (ख)  07 मार्च, 1911 ई.

प्रश्न 5. ‘अज्ञेय ‘ जी का निधन कब हुआ था?
(क)  02  अप्रैल, 1985 ई.
(ख)  03 अप्रैल, 1986 ई.
(ग)  04 अप्रैल, 1987 ई.
(घ)  05 अप्रैल, 1988 ई.

उत्तर-  (घ)  05 अप्रैल, 1988 ई.

प्रश्न 6. ‘ अज्ञेय‘ जी का जन्‍म कहाँ हुआ था?
(क)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(ख)  सिमरिया, बेगूसराय, बिहार
(ग)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश
(घ)  कसेया, कुशीनगर, उतर प्रदेश

उत्तर-  (ग)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश

प्रश्न 7. ‘अज्ञेय ‘ जी का मूल-निवास कहाँ था?
(क)  कर्तारपुर, पंजाब
(ख)  लमही, वाराणसी
(ग)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(घ)  जबलपुर, मध्‍यप्रदेश

उत्तर- (क)  कर्तारपुर, पंजाब 

प्रश्न 8. अज्ञेय के पिता का नाम था
(क)  डॉ. अभयानन्‍द शास्‍त्री
(ख)  डॉ. दयानन्‍द शास्‍त्री
(ग)  डॉ. हीरानन्‍द शास्‍त्री
(घ)  डॉ. अच्‍युतानन्‍द शास्‍त्री

उत्तर-  (ग)  डॉ. हीरानन्‍द शास्‍त्री

प्रश्न 9. ‘रोज ‘ शीर्षक कहानी का पूर्व नाम क्‍या  था?
(क)  लौटती पगडंडियाँ
(ख)  छोड़ा हुआ रास्‍ता
(ग)  विपथगा
(घ)  गैंग्रीन

उत्तर- (घ)  गैंग्रीन 

प्रश्न 10. ‘अज्ञेय ‘ का पूरा नाम क्‍या है?
(क)  अज्ञात
(ख)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘ ‘अज्ञेय’
(ग)  हीरानंद वात्‍स्‍यान
(घ)  सच्चिदानंद वात्‍स्‍यान’

उत्तर-  (ख)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘ ‘अज्ञेय’

प्रश्न 11. ‘वामता‘ शब्‍द का अर्थ बताएँ ।
(क)  नारीत्‍व
(ख)  पुरूषार्थता
(ग)  स्‍त्रैणता
(घ)  विपरीतता

उत्तर-  (घ)  विपरीतता

प्रश्न 12. ‘ अकथ्‍य‘ शब्‍द का अर्थ बताएँ ।
(क)  जिसे कहा न जा सके
(ख)  जो कहा जा सके
(ग)  जो कहानी कही गयी
(घ)  जो कथा समझी गयी

उत्तर- (क)  जिसे कहा न जा सके 

प्रश्न 13. किस पाठ में आया है-‘ दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा मानों उस पर किसी शाम की छाया मँडरा रही हो‘ ।
(क)  ‘ रोज’
(ख)  ‘अर्धनारीश्‍वर’  
(ग)  ‘ तिरिछ’
(घ)  ‘ ओ सदानीरा’

उत्तर-  (क)  ‘ रोज’

प्रश्न 14. किस पाठ में आया है ‘तीन बज गए‘ , ‘चार बज गए‘, ‘ग्‍यारह बज गए
(क)  अर्धनारीश्‍वर
(ख)  रोज
(ग)  तिरिछ
(घ)  हँसते हुए मेरा अकेलापन

उत्तर- (ख)  रोज 

प्रश्न 15. ‘रोज ‘ कहानी की नायिका कौन हैं?
(क)  मालती
(ख)  कलावती
(ग)  सुनीता
(घ)  रागिनी

उत्तर-  (क)  मालती

प्रश्न 16. ‘विस्‍मय‘ शब्‍द का अर्थ बताएँ ।
(क)  अस्‍थायी
(ख)  अचानक
(ग)  अचरज
(घ)  अपराध

उत्तर-  (ग)  अचरज

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Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes | सम्पूर्ण क्रांति पाठ तीन गद्य भाग व्‍याख्‍या

September 30, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ तीन ‘सम्पूर्ण क्रांति (Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक जयप्रकाश नारायण हैं।

Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes

3. सम्पूर्ण क्रांति

प्रस्तुत पाठ लोकनायक जयप्रकाश नारायण के द्वारा रचित ‘सम्पूर्ण क्रांति‘ पाठ से लिया गया है। यह भाषण 5 जून 1974 को पटना के गाँधी मैदान में दिए गए। प्रस्‍तुत पाठ जयप्रकाश नारायण के ऐतिहासिक भाषण का एक अंश है। संम्पूर्ण भाषण एक पुस्तिका (किताब) के रूप में प्रकाशित हो चूका है। यह भाषण छात्र आंदोलन के दौरान दिया गया था। पटना गाँधी मैदान में उपस्थित लाखो लोगों ने उसी समय जात-पात, तिलक-दहेज और भेद-भाव छोड़ने का विचार किया। हजारो लोगों ने अपने जेनऊ को तोड़ दिया था। नारा जोर-जोर से गुँजने लगा— ‘जात-पात छोड़ दो तिलक-दहेज छोड़ दो समाज के प्रभाव को नई दिशा में मोड़ दो यही नारा गुँज उठा था।’

1974 में बिहार से शुरू हुए छात्र आंदोलन का मुख्‍य कारण मँहगाई, बेरोजगारी और गरीबी था। इस आंदोलन का उद्देश्य तत्‍कलीन सरकार को हटाकर भ्रष्‍टाचार मुक्‍त सरकार की स्‍थापना था। भाषण के दौरान नेहरू जी का उदाहरण दिया गया था। नेहरू जी कहते थे कि देश को विकसित बनाने के लिए जनता को अभी कोसों दुर जाना होगा अर्थात कठिन परिश्रम करना होगा। वह आगे कहते हैं कि मेरे भाषण में क्रांति के बिगुल होंगे। जिन पर आपको अमल करना होगा। लाठियाँ खानी होंगी। यह सम्पूर्ण क्रांति है और वैसी ही जो हमारे भगत सिंह लाना चाहते थे। स्वराज से जनता कह रही, भूखमरी, महंगाई और भ्रष्टचार यहीं आज फैला हुआ है।

शिक्षा पाकर व्यक्ति ठोकर खाता फिर रहा है। कांग्रेस गरीबी हटाओं के नारे जरूर लगाती है, लेकिन गरीबी हटती नहीं, बढ़ती ही चली जा रही है। जयप्रकाश नारायण का यह भी कहना था कि जब वो नौजवान थे, तो बापू जब कोई बात कहते थे और वो बात जेपी के विचार से नहीं मिलते थे यानी जेपी (जयप्रकाश नारायण) अगर उनकी बात नहीं मानते थे, तो बापू में इतने महानता थी कि वो बुरा नहीं मानते थे। जेपी जी कहते है कि मै जवाहरलाल नेहरू को हमेशा भाई कहता था। (बड़ा भाई) वो भी मुझे बहुत मानते थे। मै उनका बड़ा आदर और उनसे प्रेम करता था।

नेहरू जी का बड़ा ही स्नेह था मुझपर। मैं भी उनकी आलोचना करता था लेकिन बड़प्पन था कि वो कभी बुरा नहीं माने। संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण का यहीं उपेक्षाएँ थी कि उनका काम केवल शोषण से संघर्ष करना नहीं बल्कि उनका काम तो समाज के हर अन्याय और अनीति के विरूद्ध लड़ना होगा और इस प्रकार जो संघर्ष समितियाँ सरकार से लड़ रही है। वह सिर्फ लोकतंत्र के लिए ही नहीं लड़ रही है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, नैतिक क्रांति के लिए अथवा सम्‍पूर्ण क्रांति के लिए एक महत्वपूर्ण काम करेगी। ये बात सच्च है कि जयप्रकाश नारायण जी जब अमेरिका में थे, तो 1929 में वे मार्क्सवादी बनें।

वे भारत लौटे, तो भी घोर मार्क्सवादी थे और काँग्रेस में दाखिल हुए वे कम्युनिस्‍ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि लेनिन द्वारा कही गई बात उनको अच्छी तरह याद थी कि लेनिन यह बताया था कि जो देश गुलाम हो, वहाँ के कम्युनिस्‍ट हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए।

हमारे नेता लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन वह जुलुस पर रोक लगाते हैं। जो लोकतंत्र के खिलाफ हैं।

लेखक के अनुसार अन्य देशों में प्रेस तथा पत्रिकाएँ प्रतिनिधियों पर अंकुश लगती है लेकिन हमारे देश में इसका बहुत अभाव है। जयप्रकाश नारायण जी का ये भाषण मंत्रमुग्ध करने वाला था। Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes

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Bihar Board Class 12th Hindi Notes Solutions दिगंत भाग 2

September 21, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 12 के हिन्‍दी दिगंत भाग 2 Bihar Board Class 12th Hindi Notes with Solutions के सभी पाठ के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगें।

यह पोस्‍ट बिहार बोर्ड के परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण है। इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्‍न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्‍टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्‍ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।

यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें हिन्‍दी के प्रत्‍येक पाठ के बारे में व्‍याख्‍या किया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिन्‍दी दिगंत भाग 2 के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह पाठ खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

Class 12th Hindi Notes Solutions हिन्‍दी के सम्‍पूर्ण पाठ का व्‍याख्‍या

Bihar Board Class 12th Hindi Notes गद्य खण्ड

Chapter 1 बातचीत
Chapter 2 उसने कहा था
Chapter 3 संपूर्ण क्रांति
Chapter 4 अर्द्धनारीश्वर
Chapter 5 रोज
Chapter 6 एक लेख और एक पत्र
Chapter 7 ओ सदानीरा
Chapter 8 सिपाही की माँ
Chapter 9 प्रगीत और समाज
Chapter 10 जूठन
Chapter 11 हँसते हुए मेरा अकेलापन
Chapter 12 तिरिछ
Chapter 13 शिक्षा

Bihar Board Class 12th Hindi Digant Bhag 2 Notes पद्य खण्ड

Chapter 1 कड़बक
Chapter 2 सूरदास के पद
Chapter 3 तुलसीदास के पद
Chapter 4 छप्पय
Chapter 5 कवित्त
Chapter 6 तुमुल कोलाहल कलह में
Chapter 7 पुत्र वियोग
Chapter 8 उषा
Chapter 9 जन-जन का चेहरा एक
Chapter 10 अधिनायक
Chapter 11 प्यारे नन्हें बेटे को
Chapter 12 हार-जीत
Chapter 13 गाँव का घर

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आशा करता हुँ कि आप को हिन्‍दी के सभी पाठ को पढ़कर अच्‍छा लगेगा। इन सभी पाठ को पढ़कर आप निश्चित ही परीक्षा में काफी अच्‍छा स्‍कोर करेंगें। इन सभी पाठ को बहुत ही अच्‍छा तरीका से आसान भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप सभी को आसानी से समझ में आए। इसमें हिन्‍दी दिगंत भाग 2 (गद्य भाग और पद्य भाग) के सभी पाठ को समझाया गया है। यदि आप बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्‍दी दिगंत भाग 2 से संबंधित किसी भी पाठ के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। यदि आप और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

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कक्षा 11 हिंदी मातृभूमि कविता का व्‍याख्‍या | Bihar Board Class 11th Hindi Solution पद्यखंड Chapter 12 Mathrubhumi kavita ka bhavarth

September 15, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 12 ‘मातृभूमि कविता का व्‍याख्‍या (Mathrubhumi kavita ka bhavarth class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Mathrubhumi kavita ka bhavarth

12. मातृभूमि
लेखक – अरूण कमल

आज इस शाम जब मैं भींजता खड़ा हूँ आसमान और धरती
के बीच
तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी माँ मेरी
मातृभूमि
धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढंक दिया है कि मुझे रास्ता तक
नहीं सूझता
और मैं मेले में खोए बच्चे सा दौड़ता हूँ तुम्हारी ओर
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले
हहाता
और उठती है शंखध्वनि कंदराओं के अंधकार को हिलोड़ती
ये बकरियाँ जो पहली बूंद गिरते ही भागीं और छिप गई पेड़
की ओट में
सिंधु घाटी का वह साँढ़ चौड़े पट्टे वाला जो भींगे जा रहा है।
पूरी सड़क छेके
वे मजदूर जो सोख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढेले की तरह
घर के आँगन में वो नवोढ़ा भींगती नाचती
और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोएँ तक भींगते
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुत्थमगुत्था
ये सब तुम्हीं तो हो
कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूँढ़ रहा था चारों तरफ
आज जब भीख में मुट्ठी भर अनाज भी दुर्लभ है
तब चारों तरफ क्यों इतनी भाप फैल रही है गर्म रोटी की
लगता है मेरी माँ आ रही है नक्काशीदार रूमाल से ढंकी
तश्तरी में
खुबानियाँ अखरोट मखाने और काजू भरे
लगता है मेरी माँ आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए
ये सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैं माँ
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर
छप्परों से इतना धुआँ उठता है और गिर जाता है
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकाले ये बच्चे तुम्हारी देहरी पर
सिर टेक सो रहे माँ
ये बच्चे कालाहाँडी के
ये आंध्र के किसानों के बच्चे ये पलामू के पट्टन नरौदा पटिया
के
ये यतीम ये अनाथ ये बंधुआ
इनके माथे पर हाथ फेर दो माँ
नके भींगे केश सँवार दो अपने श्यामल हाथों से-
तुम किसकी माँ हो मेरी मातृभूमि ?
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम्हीं तो हो मुझे प्यार से तकती
और मैं भींज रहा हूँ
नाच रही धरती नाचता आसमान मेरी कील पर नाचता नाचता
मैं खड़ा रहा भींजता बीचोंबीच ।

भावार्थ- कवि अरूण कमल इस पाठ के माध्यम से पृथ्वी की योग्यता का विशेष वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि जब मैं बारिश में भिंगता हुआ पृथ्वी एवं आसमान के बीच खड़ा था तो मुझे लगा कि यहीं तो मेरी माँ यानी की मेरी मातृभूमि है। जब कवि अपने खेत की ओर जाते हैं तो वह देखते हैं चारो तरफ धान के फसलों से रास्ता बंद हो चुका दिखाई नहीं दे रहा है। फिर कवि कहते हैं कि मेले में जिस तरह बच्चे गुम हो जाते हैं और इधर-उधर दौड़ते रहते हैं ठिक वैसे हीं भूल चुका हुँ रास्ते और फिर कवि का ध्यान बारिश में भिंगती बकरी के तरफ जाता है। और वह कहते हैं कि जो बकरी एक बूँद पानी उसक शरीर पर पड़ने पर वह तुरंत किसी भी पेड़ के नीचे और फिर सांड की तरफ नजर जाता है और वह कहते हैं कि सिंधु घाटी वाली जो सांड है वह बारिश में भिंगता हुआ पुरा सड़क पर हीं खड़ा हुआ है और बारिश में भिंग रहा है। और फिर कवि कह रहे हैं कि जो मजदूर है वह मिट्टी के ढ़ेले जिस तरह बारिश को सोख लेते हैं ठिक उसी तरह मजदूर बारिश के पानी सोख रहे हैं और घर के आँगन में वह नई नवेली दुल्हन जिस स्त्री की शादी हाल हीं में हुई हो वह भिंगती हुई आँगन में नाचती हैं साथ ही कौआ के काले पंख के नीचे सफेद रोंए भी भिग जाते हैं। इलायची के छोटे-छोटे दाने भी एक दूसरे से गुँथा हुआ यानी की इलायची के दाने के जो गुच्छा है वह भी भिग जाता है। और इन सब का श्रेय कवि अपनी मातृभूमि को देते हैं और कहते हैं यह सब तुम्हीं तो हो। और फिर लेखक कहते हैं जब भी कोई भूखा प्यासा रहता है तो वह तुम्हें हीं याद करता है। इसका अर्थ ये हुआ जब खेतों में सुखाड़ आता है। फसल खराब होने लगते हैं तो बारिश होने की संभावना जताई जाती है। फिर कवि कहते हैं कि जब कभी गर्मा-गरम भाप आता है तो मुझे लगता है अब मेरह माँ आ रही है। भेल भटुरे से ढ़की अपनी तस्तरी में जिसमें मेवा, अखरोट, मक्खन और काजू लिए आ रही है। और फिर मेरी अपने हाथों में दुध लिए आ रही है। ये सब बच्चे रसोई के चौखट पर इस आशा में खड़े हैं कि उन्हें कुछ खाने को मिल जाए।

कवि कहते हैं कि कभी-कभी तो धरती का रंग हरा मालुम पड़ता है। यहाँ पर कवि का कहने का अर्थ ये है कि कभी-कभी तो फसल बहुत हीं ज्यादा हरे-भरे होते हैं। तो कभी बहुत हीं ज्यादा सुनहरा कभी-कभी इतनी तेज धूप होती है जिसके कारण फसल सुखने लगता है और ये तुम्हारे चौखट पर खड़े के खड़े है। अपना सिर टेके सो रहे हैं और फिर कवि अपने मातृभूमि से कहते हैं कि ये जो आपके बच्चे जो यतिम है जिसका कोई नहीं अनाथ है। जो कर्ज से दबे हुए है उनके माथे पर हाथ फेर दो फिर कवि एक बार और कहते हैं कि माँ तुम इसके जिंदगी को संवार दो। यहाँ इस पाठ में भिगी हुई बाल संवारने की बात कही गई है। कवि उस बारिश में भिग रहें है और ये बाते अपने मातृभूमि से कह रहे हैं। 

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कक्षा 11 हिंदी पृथ्वी कविता का व्‍याख्‍या | Bihar Board Class 11th Hindi Solution पद्यखंड Chapter 11 पृथ्वी | Prithvi kavita class 11 hindi

September 15, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 11 ‘पृथ्वी कविता का व्‍याख्‍या (Prithvi kavita class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Prithvi kavita class 11 hindi

11. पृथ्वी
लेखक – नरेश सक्सेना

पृथ्वी तुम घूमती हो
तो घूमती चली जाती हो
अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते
अपने आधे हिस्से में अँधेरा
और आधे में उजाला लिए
रात को दिन और दिन को रात करते
कभी-कभी काँपती हो
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घरबार
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गाँव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी
पथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है
सिर्फ अग्नि
पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो
किलो ताप कितने दबाव और कितनी आर्द्रता से
अपने कोयलों को हीरों में बदल देती हो
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर
कितने चुपचाप
रत्नों से ज्यादा रत्नों के रहस्यों से
भरा है तुम्हारा हृदय
पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो
तुम घूमती हो
तो घूमती चली जाती हो ।

भावार्थ- कवि नरेश सक्सेना पृथ्वी की गति एवं इसके गति के कारण होने वाले भयाक्य दृष्य का भी वर्णन किया गया है। कवि कहते हैं पृथ्वी तुम अपना चक्कर लगाती हो यानी की तुम अपने केन्द्र के चारो ओर घुमती रहती हो कभी रूकती नहीं हो और फिर कवि कहते हैं कि पृथ्वी क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते हैं। तुम अपने आधे में अंधेरा और आधे में उजाला लिए चारो तरफ घुमती रहती हो। साथ हीं तुम कहीं रात तो कहीं दिन कर देती हो और फिर कवि कहते हैं कि जब तुम चक्कर लगाते समय कांपती हो तो कुछ पल के लिए ऐसा लगता है जैसे सबकुछ ध्वस्त हो जाएगा सबकुछ खत्म हो जाएगा। तुम्हारे ऊपर वह पेड़ पौधे, पर्व, शहर, नदी वह ग्रमीन टिला जहाँ हम निवास करते हैं और फिर कवि कहते हैं कि पृथ्वी क्या तुम नारी हो यानी की क्या तुम स्त्री हो। और फिर कवि पृथ्वी से कहते हैं कि तुम्हारे ऊपर और नीचे हर जगह जल है लेकिन कवि कहते हैं तुम्हारे केन्द्र में यानी की तुम्हारे गर्व में सिर्फ और सिर्फ अग्नि ही अग्नि है। फिर एक बार और पुछते हैं कि पृथ्वी क्या तुम स्त्री हो । फिर कवि आगे कहते हैं कि पृथ्वी तुम कितने ताप, दाब एवं नमी को सहन कर तुम अपने अंदर छुपे कोयले को हिरो में बदल देती है। और फिर कवि कहते हैं कि तुम किन प्रक्रियाओं से गुजरती हो। ना तो शोर सराब यानी की एकदम शांत तरीके से । फिर कवि कहते हैं कि तुम्हारा यह जो दिल है, धड़कन है वह सिर्फ रत्नों से भरा हुआ है। और फिर कवि एक बार फिर पूछते हैं कि क्या तुम स्त्री हो तुम घुमती हुई फिर से अपने केन्द्र पर चली जाती हो।

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Bihar Board Class 11th Hindi Chapter 10 Jagarnath Kavita ka Bhavarth | जगरनाथ कविता का भावार्थ

September 15, 2022 by Raja Shahin 3 Comments

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 10 ‘जगरनाथ कविता का भावार्थ (Jagarnath Kavita ka Bhavarth)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Jagannath Kavita ka Bhavarth

10. जगरनाथ
लेखक – केदारनाथ सिंह

कैसे हो मेरे भाई जगरनाथ ?
कितने बरस बाद तुम्हें देख रहा हूँ
यह गुम्मट-सा क्या उग आया है
तुम्हारे ललाट पर ?
बच्चे कैसे हैं ?
कैसा है वह नीम का पेड़
जहाँ बँधती थी तुम्हारी बकरी ?
मैं ?
मैं तो बस ठीक ही हूँ
खाता हूँ
पीता हूँ
बक-बक कर आता हूँ क्लास में
यदि मिल गया समय तो दिन में भी
मार ही लेता हूँ दो-एक झपकी
पर हमेशा लगता है मेरे भाई
कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है
पर छोड़ो तुम कैसे हो ?
कैसा चल रहा है कामधाम ?
अरे वो ?
उसे जाने दो
वह बनसुग्गों की पाँत थी
जो अभी-अभी उड़ गई हमारे ऊपर से
वह है तो है
नहीं है तो भी चलती ही रहती है जिंदगी
पर यह भी सच है मेरे भाई
कि कई दिनों बाद
यदि आसमान में कहीं दिख जाय
एक हिलता हुआ लाल या पीला-सा डैना
तो बड़ी राहत मिलती है जी को
पर यह तो बताओ
तुम्हारा जी कैसा है आजकल ?
क्या इधर बारिश हुई थी ?
क्या शुरू हो गया है आमों का पकना ?
यह एक अजब-सा फल है मेरे भाई
सोचो तो कचाट और खुशबू से
भर जाती है दुनिया
पर यह क्या ?
तुम्हारे होंठ फड़क क्यों रहे हैं ?
तुम अब तक चुप क्यों हो मेरे भाई ?
जरा पास आओ
मुझे बहुत कुछ कहना है
अरे, तुम इस तरह खड़े क्यों हो ?
क्यों मुझे देख रहे हो इस तरह ?
क्या मेरे शब्दों से आ रही है
झूठ की गंध ?
क्या तुम्हें जल्दी है ?
क्या जाना ह काम पर ?
तो जाओ
जाओ मेरे भाई
रोकूँगा नहीं
जाओ………जाओ……..
और इस तरह
वह चला जा रहा था
मुझे न देखता हुआ
और उस न देखने की धार से
मुझे चीरता-फाड़ता हुआ
मेरा बचपन का साथी
जगरनाथ …….. !

भावार्थ- इस पाठ के माध्यम से लेखक एवं जगरनाथ से मिलने के बाद जो इन दोनों में बात हुई है उसका उल्लेख किया गया है। लेखक केदारनाथ सिंह अपने बचपने के दोस्त से मिलते हैं तो वह उनसे उनकी खबर लेते हैं कि जगरनाथ  भाई आप कैसे हो उसके सिर पर चोट लगने से वहाँ एक गोला के आकार सा उग गया है तो कवि इसे देखकर कहते हैं यह तुम्हारे ललाहट पर क्या उग गया है। जो पहले नहीं था और तुम्हारे बच्चे कैसे हैं और जहाँ तुम्हारी बढ़ांती थी उस पेड़ का क्या सब ठीक है ना और फिर कवि अपना समाचार सुनाते हैं और कहते हैं मैं तो ठिक हीं हुँ खाता पिता रहता कभी-कभी समय मिला तो क्लास में ही एक दो नींद मार लेता हुँ। और कवि कहते हैं चलो ठिक है कैसा चल रहा है तुम्हारा काम-धाम आसमान में उड़ रहे सुगों की पंख कवि के आगे गिर जाते हैं तो कवि कहते हैं चलो जाने दो ऐसी हीं चलती रहती मेरी जिंदगी। कवि कहते हैं कि अगर आसमान में यदि दिख जाए हेलता हुआ लाल पिला डायना (चिड़या का पंख) तो बहुत हीं राहत मिलती है जी को और फिर कभी जगरनाथ जी से उनका हाल-चाल पूछते हैं कि चलो फिर बताओ तुम्हारा जी कैसा क्या तुम्हारे यहाँ बारिश हुई। क्या आमों का पकना शुरू हो गया और फिर कवि आम के बारे में सु शब्द का उच्चारण करते हैं और फिर कहते हैं कि सोचो तो एक ही स्वाद में पुरी दुनिया स्वाद एवं खुशबु से भर जाती है। और फिर कवि का ध्यान उनक होठो की तरफ जाती है और उनसे कहते हैं कि आपका होठ क्यों फड़फरा रहें हैं। और फिर कवि जगरनाथ को पास बुलाते है, कुछ और कहना चाहते हैं। अब जगरनाथ कवि और आश्चर्य चनक रूप से कवि की ओर देख रहें हैं। और फिर कवि कहते हैं के क्या हमारे शब्दों से झुठी गंध आ रही है। यानी की कवि का कहना है कि क्या मैं झुठ बोल रहा हुँ। और क्या तुम्हें कहीं काम करने जाने की जल्दी है तो फिर तुम जाओ मैं तुम्हें नहीं रोकुंगा। और फिर जगरनाथ अपना काम करने चला जाता है।

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गालिब कक्षा 11 हिंदी व्‍याख्‍या | Bihar Board Class 11th Hindi Chapter 9 Galib Explanation

September 14, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 9 ‘गालिब कविता का व्‍याख्‍या (Galib class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Galib class 11 Hindi

9. गालिब
लेखक- त्रिलोचन

गालिब गैर नहीं हैं, अपनों से अपने हैं,
गालिब की बोली ही आज हमारी बोली
है । नवीन आँखों में जो नवीन सपने हैं
वे गालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली
गाँठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली
नपीतुली थी, हलकेपन का नाम नहीं था ।
सुख की आँखों ने दुख देखा और ठिठोली
की, यों जी बहलाया । बेशक दाम नहीं था ।
उन की अंटी में, दुनिया से काम नहीं था
लेकिन उस को साँस-साँस पर तोल रहे थे।
अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था,
सत्य बोलता था जब जब मुँह खोल रहे थे।
गालिब हो कर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी,
कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी ।

भावार्थ- पाठ एक सोनेट (14 पंक्ति की कविता को सोनेट कहा जाता है।) है, जिसे त्रिलोचन के द्वारा संकलित किया गया है। प्रस्‍तुत कविता के माध्यम से कवि अपने क्या है और पराये क्या है के बारे में बताया है।

कवि यहाँ कहते हैं कि गालिब कोई बाहरी व्‍यक्ति नहीं है। वह हमारे अपने हैं। गालिब जो बोलते थे, वहीं हमारी बोलीं है। हमारी बोली में गालिब का बहुत बड़ा योगदान है। आज हमारी नये आँखों में जो नये सपने हैं, वह गालिब के सपने हैं। यानी देश के लिए गालिब जो सपने देखते थे, वहीं सपने हम भी देखते हैं। गालिब कठिन जीवने को भी आसान किए। गालिब जो भी बोलते थे, उनकी हर बात नपी-तौली होती थी। उनकी बातों में हलकेपन नहीं था। उनकी बातें प्रभावशाली हुआ करती थी। उनके जीवन में सुख और दु:ख आया। वह दु:ख में भी कभी उदास नहीं होते थे। वह दु:ख में भी मन को अच्‍छा से बहला लेते थे। उनका जीवन दु:ख में बीता, लेकिन वह हमेशा खुश रहे और हर किसी का मन बहलाया। उनके पास पैसे नहीं होते थे। वह गरीबी में अपना जीवन बिताया, लेकिन वह दुनिया के सामने गिड़गिड़ाया नहीं। उन्‍हें दुनिया से कोई मतलब नहीं था। लेकिन वह दुनिया को कदम-कदम पर तौल रहे थे। उनके पास कुछ भी नहीं था। खाने को भी कुछ नहीं था। फिर भी वह जब भी मुँह खोलते थे, तो सच बोलते थे। गालिब दुनिया को जीत कर इस दुनिया से अलविदा हुए। वह सभी को साथ लेकर चलने वाले कवि थे। वह अक्षर में अक्षर जोड़ने वाले कवि थे। वह सभी भाषाओं के अक्षर को जोड़कर काव्‍य की महिमा बढ़ा देते थे। गालिब महान शायर और कवि थे।

इस प्रकार, इस सोनेट में गालिब की विशेषता को बताया गया है। गालिब कभी किसी के पास हाथ नहीं फैलाया ना किसी से नफरत किए। वह दुनिया को एक साथ चलने की प्रेरणा देकर चले।

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