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Bahut Dino Ke Baad class 11 Hindi | बहुत दिनों के बाद कक्षा 11 हिंदी बिहार बोर्ड पद्य पाठ 8 व्‍याख्‍या

September 12, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 8 ‘बहुत दिनों के बाद कविता का व्‍याख्‍या (Bahut Dino Ke Baad class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Bahut Dino Ke Baad class 11 Hindi

8 बहुत दिनों के बाद
लेखक-नागार्जुन

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी-भर देखी
पकी-सुनहली फसलों की मुसकान

-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल-कंठी तान ।

-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद ।

अब की मैंने जी-भर सूँघे
मौलसिरी के ढेर-ढेर से ताजे-टटके फूल ।

-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद

अब की मैं जी-भर छू पाया
अपनी गँवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल

-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी-भर

-बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद

अब की मैंने जी-भर भोगे.
गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ इस भू पर
-बहुत दिनों के बाद

इस पाठ के माध्यम से कवि यह जनकारी देना चाहतें हैं कि उन्होंने बहुत दिनों के बाद गाँव में रह कर क्या-क्या आनंद लिया गया हैं सबका व्याख्या इस पाठ में किया गया हैं। कवि नागार्जुन कहते हैं मुझे बहुत दिनों के बाद गाँव मे रहने पर जी भर के पकी हुई सुनहरों फसलो का मुस्कान को देखा दुसरी पंक्ति में कहते हैं कि बहुत दिनो बाद जी भर के धान कुटती हुई किशोरियों द्वारा कोयल की तरह गाना, तिसरी पंक्ति में कहते है और बहुत ही दिनों बाद ताजा-ताजी भौलसीरी के फुल देखें हैं। इसी तरह चौथें पंक्ति में कवि कहते है कि बहुत हि दिनों बाद गाँव के चंदन की जैसी मिटटी को छुआ। साथ पाँचवी पंक्ति में कहते हैं मेवा और ईख के जुस को भी मन भर खाया। अन्तिम पंक्ति में कवि कहते हैं कि मैंने तो गाँव बहुत दिनों बाद मन भर गंध (सुगंध), रूप (सौंदर्य), रस, शब्द भोगे है।

Bahut Dino Ke Baad class 11 Hindi

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Todti Patthar class 11 Hindi | तोड़ती पत्थर कक्षा 11 हिंदी बिहार बोर्ड पद्य पाठ 7 व्‍याख्‍या

September 12, 2022 by Raja Shahin 1 Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 7 ‘तोड़ती पत्थर कविता का व्‍याख्‍या (Todti Patthar class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Todti Patthar class 11 Hindi

7 तोड़ती पत्थर
लेखक-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
वह तोड़ती पत्थर;
देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर –
वह तोड़ती पत्थर
कोई न छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;
श्याम तन, भर बँधा यौवन,
नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार प्रहार:-
सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार ।
चढ़ रही थी धूप;
गर्मियों के दिन
दिवा का तमतमाता रूप;
उठी झुलसाती हुई लू,
रूई-ज्‍यों जलती हुई भू,
गर्द चिनगीं छा गईं,
प्राय: हुई दुपहर :-
वह तोड़ती पत्‍थर।
देखते देखा मुझे तो एक बार
उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार;
देखकर कोई नहीं,
देखा मुझे उस दृष्टि से
जो मार खा रोई नहीं,
सजा सहज सितार,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढुलक माथे से गिरे सीकर,
लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा-
‘मैं तोड़ती पत्थर ।’

इस पाठ के माध्यम से कवि कहते हैं कि मैं एक युवती को देखा इलाहाबाद के सड़को पर की वह पत्थर तोड़ रही हैं। वहाँ कोई छाया नही है वह पेड़ के तले बैठी हुई आराम कर रही हैं। जिसका शरीर सावली है और उसकी शरीर सम्पुर्ण रूप से गठीली है यानी उसका शरीर भरा है दुबली-पतली नही हैं। वह अपना कार्य बहुत ही प्यार से आँखे नीचे कर काम कर रही है। मानो की उस काम को अपने सम्पूर्ण इच्छा से करती है। कवि कहते हैं कि वह अपने हाथों से भारी भरकम हथौड़ा को पत्थर पर बार-बार प्रहार करती है। उसके चारो तरफ पेड़ो की पंक्ति लगी हुई है जो उसके सामने वृक्षो से घिरा हुआ एक महल मालुम पड़ता है। Todti Patthar class 11 Hindi

कवि कहते हैं उस तपति धूप में वह स्त्री पत्थर तोड़ रही है। और ये देखकर कवि कहते हैं प्रतिदिन गर्मी का बढ़ता ही जा रह है। इतने गर्मी पड़ रही है जिससे की लगता है यह दिन इन लोगों पर यानी देशवासियों पर क्रोधित है। उसी दिन लुह इतनी ज्यादा निकलती है लगता है और धरती इसी तरह जल रही है जिस तरह रूई जलती है और जब धुल उड़ती है और शरीर पर लगती है तो ऐसा लगता है जैसे आग की चिंगाड़ी लगा हो और वह दोपहर के वक्त पत्थर तोड़ रही है। कवि कहते हैं कि वह पत्थर तोड़ने वाली औरत एक बार कवि की ओर देखती है फिर वह उस बड़े से भवन को देखती है तो वहाँ पत्थर तोड़ने वाला कोई नहीं दिखता है। कवि कहते हैं कि जब वह हमारे तरफ देखती है तो ऐसा लगता है कि जिस तरह मार खाने के बाद न रोने वाले बच्चों के आँखों में होता है यहाँ पर वह मजदूरनी (मजदूरी करने वाली) बिवसता मालूम पड़ती है। कवि कहते हैं कि जब मैं उसे देखा तो मन में सितारे के तार बज उठते हैं। कवि कहते हैं कि ऐसा झंकार कभी नहीं सुना था जो आज सुना। उस समय उसका शरीर काँप उठता है और उसके माथ से पसिना नीचे की ओर लुढ़क जाता है और फिर वह अपने काम में लीन हो जाती है। अपना काम पुनः करने लगती है यानी पत्थर तोड़ने लगती है।

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Jhankar class 11 hindi | झंकार कक्षा 11 हिंदी बिहार बोर्ड पद्य पाठ 6 व्‍याख्‍या

September 12, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 6 ‘झंकार कविता का व्‍याख्‍या (Jhankar class 11 Hindi Vyakhya)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Jhankar class 11 hindi

6. झंकार
लेखक-मैथिलीशरण गुप्त

इस शरीर की सकल शिराएँ
हों तेरी तंत्री  के तार,
आघातों की क्या चिंता है,
उठने दे ऊँची झंकार ।

नाचे नियति, प्रकृति सुर साधे
सब सुर हों सजीव, साकार
देश देश में, काल काल में
उठे गमक गहरी गुंजार ।

कर प्रहार, हाँ, कर प्रहार तू
भार नहीं, यह तो है प्यार,
प्यारे और कहूँ क्या तुझसे
प्रस्तुत हूँ मैं, हूँ तैयार । 

मेरे तार तार से तेरी
तान तान का हो विस्तार
अपनी अंगुली के धक्के से
खोल अखिल श्रुतियों के द्वार ।

ताल ताल पर भाल झुका कर
मोहित हों सब बारंबार
लय बँध जाय और क्रम क्रम से
सम में समा जाय संसार ||

भावार्थ- इस पाठ के माध्यम से अपने प्रमात्मा से कहते हैं कि हे मेरे प्रमात्मा मेरे इस शरीर के सभी सिराए यानी की शरीर के सम्पूर्ण भाग तुम्हारी वाध्य यंत्र के तार के जैसा है हमें कितनी चोट लगी हैं इसकी कोई चिंता नही है और कवि कहते हैं कि जितनी झनकार निकलती है निकलने दो अब कवि कहते है कि भाग्य जो सबको नचाता है और प्रकृती स्वय् सुर साधती है। और कवि कहते हैं कि उसे संगीतमय ध्वनी से यानी की उस झंकार की अवाज सम्पुर्ण देश में वर्तमान भुत एवं भविष्य मे भी इसकी गुंज आती रहें। कवि कहते हैं कि तुम हम पर प्रहार करों मै इसे आपका प्यार ही मानता हुँ इसे हमे कोई आपती नही है। कवि कहते है कि और मैं आप से क्या कहुँ मै आपके द्वारा दिए जाने वाला प्रत्येक प्रहार को सहन करने के लिए आपके समझ हुँ। कवि अपने शरिर के नस-नस प्रमात्मा का वाध्य यंत्र का तार बताया जाता हैं कवि चाहते है इनके शरीर के प्रत्येक शिराए से प्रमात्मा का संगीत का उत्पन्न हो। और लेखक कहते हैं कि प्रत्येक ताल को सम्पुर्ण संसार इस ताल पर मोहित हो जाए और सर झुकाए आपका नमन करें। और एक-एक धुन मे सभी संसार उस संगीत के अन्दर समा जाए। Jhankar class 11 hindi 

Bihar Board Class 11th Book Solution पद्य Chapter 6 Jhankar by Maithli Saran Gupta

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Bharat Durdasha Class 11 Hindi Vyakhya | भारत दुर्दशा का व्‍याख्‍या

September 10, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 5 ‘भारत दुर्दशा का व्‍याख्‍या (Bharat Durdasha Class 11 Hindi Vyakhya)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Bharat Durdasha Class 11 Hindi Vyakhya

3.भारत-दुर्दशा
लेखक-भारतेंदु हरिश्चंद्र

रोवहु सब मिलिकै आवह भारत भाई ।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।

 सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो ।
सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ॥
सबके पहिले जो रूप रंग रस भीनो ।
सबके पहिले विद्याफल जिन गहि लीनो ||
अब सबके पीछे सोई परत लखाई ।।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।

 जहँ भए शाक्य हरिचंदरु नहष ययाती ।
जहँ राम युधिष्ठिर बासुदेव सर्याती ॥
जहँ भीम करन अर्जन की छटा दिखाती ।
तहँ रही मूढ़ता कलह अविद्या राती ॥
अब जहँ देखहु तहँ दु:खहिं दु:ख दिखाई।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।

 लरि बैदिक जैन डुबाई पुस्तक सारी ।
करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी ॥
तिन नासी बुधि बल बिद्या धन बहु बारी ।
छाई अब आलस कुमति कलह अँधियारी ॥
भए अंध पंगु सब दीन हीन बिलखाई ।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।

 अंगरेजराज सुख साज सजे सब भारी ।।
पै धन बिदेश चलि जात इहै अति ख्वारी ।
ताहू पै महँगी काल रोग बिस्तारी ।
दिन दिन दूने दुःख ईस देत हा हा री ॥
‘सबके ऊपर टिक्कस की आफत आई ।
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखी जाई ।।

भावार्थ- इस काव्यखंड के माध्यम से कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र भारत के दुर्दशा को देख अपना दुःख व्यक्त करते हैं और कहते हैं हे मेरे भारत के भाईयों आओ हम सब मिलकर रोंए। क्योंकि भारत के दुर्दशा हमसे देखा नहीं जाता है। जिस देश को भगवान ने सबसे पहले बलवान एवं धनवान बनाया। जिसे सबसे पहले सभ्यता का वर्दान मिला। जिस देश को सबसे पहले रूप-रंग-रस यानी कालाकृतियों का ज्ञान दिया। ज्ञान समर्पित किया आज वह देश सबसे पिछा हो गया है। कवि कहते हैं इसी कारण हमारे दुर्दशा देखी नहीं जाती है। अब कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र भारत के बिते भाग्यशाली दिन याद दिलाते हैं। वह कहते हैं कि यहाँ पर तो राम, युधिस्ठीर, वासुदेव कृष्ण, सूयांत, साक्य, बुद्धि दानी हरिश्चंद्र साथ भीम, करण एवं अर्जून जैसे योद्धा जन्म लिए और आज उनकी प्रतिमा दिखाई जाती है और सब रातो रात (अंधकर) में जहाँ देखो तहाँ अब उसी देश में दुःख हीं दुःख छाया हुआ है। कवि इन सभी बातो को जानकर बहुत बुरा महसुस करते हैं।

कवि कहते हैं कि वैदिक ग्रंथो को मानने वालो एवं जैन ग्रंथ वाले लोग हीं सभी ग्रंथो को नष्ट किया है। हमें आपसे लड़ाई को देख जवानों की सेना की आगमन होती है जो हमारे लिए जवानों की सेना भारी पड़ जाती है और इसी तरह सभी बुद्धि विद्या धन एवं बल सबकुछ नष्ट हो जाता है और इसी कारण आज हम सब आलस, कुभ्ती एवं कलह के अंधेरों में है और अंधेरे से जो कुछ खोए हैं उसके लिए मिलाप करते हैं। और कहते हैं के यही दुर्दशा तो हमें देखी नहीं जाती है। कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र कहते हैं कि अंग्रेजो की राज में यानी कि जब हमारा भारत देश अंग्रेजी शासन का पालन कर रहा था उस समय सुख सामानों में भारी वृद्धि हुई लेकिन यहाँ के सभी धन इकट्ठा कर पुनः अपने देश ले जाते हैं और साथ हीं दिन-प्रतिदिन महंगाई भी बढ़ाते रहते हैं। जिसके कारण हमारा दुःख दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। देखते-देखते सबके ऊपर आफत सी आ जाती है और इसी लिए कवि कहते हैं कि भारत की दुर्दशा हमसे नहीं देखा जा रहा है।

Bihar Board Chapter 5 Bharat Durdasha Class 11 Hindi Vyakhya

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Sahjo Bai ke pad class 11 Hindi | बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी सहजोबाई के पद

September 10, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 4 ‘सहजोबाई के पद की व्याख्या (Bihar Board Sahjo Bai ke pad class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Sahjo Bai ke pad class 11 Hindi

4. पद
लेखिका :-सहजोबाई

पद-1

मुकुट लटक अटकी मन माहीं।
नृत तन नटवर मदन मनोहर कुंडल झलक अलक बिथुराई ।
नाक बुलाक हलत मुक्ताहल, होठ मटक गति भौह चलाई ।।
ठुमक ठुमक पग धरत धरनि पर, बाँह उठाय करत चतुराई ।।
झुनक झुनक नूपुर झनकारत, तता थेई थेई रीझ रिझाई ।
चरनदास सहजो हिय अंतर भवनकारी जित रहौ सदाई ॥

भावार्थ- इस पद के माध्यम से सहजोबाई श्री कृष्ण के नाटयलीला एवं उनके माये का शोभाशाली मुकुद दे मग्ध हो जाती है और कहती है जब भी मैं कृष्ण के माथे पर वह अति सुंदर सा मुकुट और उसमें लगे वह लटकन जो हमारे मन को मोह लेता है यानी की मानो वह हमारे मन में हीं अटका हो। उस लीलाधारी कृष्ण का शरीर हमेंशा नृत्य करता मालुम पड़ता है और उनके मनोहर रूप, कानों पर कुंडल डोलने बिखरे हुए बाल सम्पूर्ण तरीके से मन को मुग्ध कर देता है।

लेखिका सहजोबाई कहती है इनके आभूषण है वह मोती के बने है। और उनके ओठ बहुत ही सुंदर तरीके से मटके है यानी कि जब वह किसी से बात करते हैं तो उनके ओठ अति सुंदर प्रतित होते हैं। और होठों के साथ भौह की गति अति सुंदर मालुम परती है। जब वह अपना पैर उठा-उठा कर जमीन पर पखते है और अपने हाथों द्वारा किसी भी भाव को व्यक्त करना अति उत्‍तम मालुम पड़ता है।

सहजोबाई कहती है कि जब वे अपना पैर झनकराते हुए चलते हैं तो उनके पैरो की घुँघरू बजाने की आवाज सुनने वाले सभी लागों का मन मोह लेता है। चरणदास जी सहजोबाई से कहते हैं श्री कृष्ण की सदा तुम पर कृप्या बना रहे और तुम सदा जीती रहो।

पद-2

राम तनँ पै गुरु न बिसारूँ । गुरु के सम हरिकूँ न निहारूँ ॥
हरि ने जन्म दियो जग माहीं । गुरु ने आवागमन छुटाहीं ॥
हरि ने पाँच चोर दिए साथा । गुरु ने लई छुटाय अनाथा ।।
हरि ने कुटुंब जाल में गेरी । गुरु ने काटी ममता बेरी ॥
हरि ने रोग भोग उरझायौ । गुरु जोगी कर सबै छुटायौ ।।
हरि ने कर्म भर्म भरमायौ । गुरु ने आतम रूप लखायौ ।
हरि ने मोरूँ आप छिपायौ । गुरु दीपक दै ताहि दिखायो ।।
फिर हरि बंध मुक्तिगति लाये । गुरु ने सबही भर्म मिटाये ।
चरनदास पर तन मन वारूँ । गुरु न तजूं हरि तजि डारूँ ।।

सहजाबाई कहती है मैं राम को भुल सकती हुँ लेकिन गुरू को नहीं और कहती है गुरू एवं भगवान को मैं एक नजरिया से मैं नहीं देखती हुँ क्योंकि हरी/भगवान राम ने जन्म देकर इस सृष्टी पर भेजा लेकिन गुरू ने हमें शिक्षा देकर जन्म एवं मृत्यु के आवागमन से छुटकारा दिला दिया। इस पद के अनुसार हरि यानि राम ने पाँच चोरों को हमारे साथ भेजा था जिससे गुरूओं ने उन पाँच चोरों से मुक्ति दिलाने का काम किया। सहजोबाई कहती है कि हरि/राम ने हमें परिवार के कुटुम जाल में फँसा दिया था। लेकिन गुरूओं इस ममता की डोर को काटकर छुटकारा दिलाया। लेखिका सहजोबाई गुरू और हरि में तुलना करती हुई अंतर स्पष्ट करती है और कहती है कि हरि ने जन्म के साथ रोग और भोग में उलझा दिया लेकिन गुरूओं नें योग की शिक्षा देकर मुक्ति दिलाई। सहजोबाई कहती है कि हरि ने हमें कर्म के मार्ग पर डालकर कर्मफल में उलझाया लेकिन गुरूओं ने स्पष्ट तरिके बताया कि आत्म ज्ञान पाने से हीं कर्म फल एवं कर्म की बंधन से मुक्ति मिलती है लेखिका कहती है कि हरि ने हमें अपने स्वयं से छुपाया मानों कि हमारे और हरि के बीच ऐ पर्दा लग गया हो। जिससे एक दूसरे को देखा ना जा सके। लेकिन गुरूओं ने ज्ञान की दीपक जलाकर उस अंधकार से दूर किया और फिर हमें हरि यानी ईश्वर से दर्शन कराया और हम दोनों के एक साथ जोड़ा और मुक्ति गति लाया। सहजोबाई कहती है कि गुरू ने हमारे सारे भ्रम को दूर किया और कहती है मैं अपनी गुरू चरणदास जी को पुरे दिल से मानती हुँ मैं हरि को छोड़ सकती हुँ गुरू को नहीं।

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Bihar Board Class 11 Meera Bai ke Pad | मीराबाई के पद का व्‍याख्‍या कक्षा 11 हिंदी

September 10, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 3 ‘मीराबाई के पद की व्याख्या (Bihar Board Class 11 Meera Bai ke Pad)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Bihar Board Class 11 Meera Bai ke Pad

3. पद
लेखिका :-मिराबाई

पद-1
जो तुम तोड़ो, पिया मैं नहीं तोड़ूँ ।
तोसों प्रीत तोड़ कृष्ण ! कौन संग जोड़ूँ ।।
तुम भये तरुवर मैं भई पँखिया ।
तुम भये सरवर मैं तेरी मछिया ।।
तुम भये गिरिवर मैं भई चारा ।
तुम भये चंदा मैं भई चकोरा ।।
तुम भये मोती, प्रभु हम भये धागा ।
तुम भये सोना हम भये सोहागा ।।
मीरा कहे प्रभु ब्रज के बासी ।
तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी दासी ।।

भावार्थ- मिराबाई द्वारा रचित इस पाठ में मीरा एवं कृष्ण के प्रेम भाव विशेष रूप से व्यक्त किया गया है। लेखिका कहती है हे कृष्ण मैं आपसे प्रीत करती हुँ यानी की प्रेम करती हुँ चाहो तो तुम इस प्रेम बंधन यानी प्रीत को तोड़ सकते हो। लेकिन मैं नही तोरूंगी यदि मैं आपसे प्रीत तोड लेती हुँ तो फिर मैं प्र्र्र्रीत किससे जोरूंगी। आप हमसे प्रेम करो या न करो मैं तो आपसे प्रीत करूगीं। मीरा बाई कहती है कि हे कृष्ण अगर आप एक तरूवर (वृक्ष) है तो मैं उस वृक्ष पर निवास करने वाली चिड़िया हुँ अगर आप एक समुन्दर/तलाब है तो मैं उस तलाब में निवास करने वाली मछली हुँ अर्थात मीराबाई का कहना है कि मैं कृष्ण के बिना अधुरी हुँ आगे मीराबाई कहती है ठीक उसी तरह तुम एक पर्वत हो तो उस पर्वत पर उगने वाली घास हुँ। अगर तुम चाँद तो मैं चकोर, तुम यदि मोती हो तो मैं हुँ धागा और तुम अगर सोना हो तो मैं सोहागा। मीराबाई का कहने का मुख्य उद्देश्य है कि आपके बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं। मीराबाई कहती है कि हे मेरे ब्रजवासी प्रभु श्री कृष्ण आप मेरे स्वामी है और मैं आपकी दासी।

पद-2

मैं गिरधर के घर जाऊँ ।।
गिरधर म्हारो साँचो प्रीतम
देखत रूप लुभाऊँ ।।
रैप्प पड़े तब ही उठ जाऊँ
भोर भये उठ आऊँ ॥
रैण दिना वा के संग खेलूँ
ज्यूँ त्यूँ ताही रिझाऊँ ॥
जो पहिरावै सोई पहिरूँ
जो दे सोई खाऊँ ।।
मेरी उण की प्रीत पुराणी
उण बिन पल न रहाऊँ ॥
‘जहाँ बैठावें तितही बैढूँ
बेचै तो बिक जाऊँ ।
‘मीरा’ के प्रभु गिरधर नागर
बार बार बलि जाऊँ ।।

भावार्थ- इस पद के माध्यम से कवि मीराबाई श्री कृष्ण के घर मथुरा जाने की प्रेरणा जताई जाती है। मीराबाई कहती है मैं अपने कृष्ण के घर जाती हुँ। वे हमारे लिए सबसे सच्चे प्रित प्रेमी है। मीराबाई कहती है कि जब भी मैं उन्हें देखती हुँ लुब्ध हो जाती हुँ। जीस तरह सुगंधित फूल पर मंडराते भवड़े।

अब मीराबाई श्री  कृष्ण सौंदर्य एवं उनके प्यार में मग्ध है। वे कृष्ण के प्रेम दीवानी हो गई है। और कहती हैं कि जब भी रात होता है तो मैं उनके सेवा में लीन हो जाती हुँ। और सुबह होते हीं चली आती हुँ मीराबाई कहती है कि रात हो या फिर दिन मैं पुरे उनके साथ खेलती हुँ। वह जीस तरह से खुश रहते हैं मैं वैसे ही प्रसन्न रखती हुँ। मीराबाई कृष्ण के प्यार में पुरे तरह से लीन हो जाती है। अपने को समर्पित कर देती है और कहती है जो भी वह पहचाने (वस्त्र) है वह मैं पहनती, जो खिलाते वह मैं खा लेती हुँ। मीरा कहती हैं कि मेरा और उनका प्रेम बहुत पुराना है और कहती है कि मैं उनके बिना एक पल भी नहीं रह सकती हुँ। मीराबाई सम्पूर्ण रूप से अपने से श्री कृष्ण को समर्पित मालुम पड़ती है। और कहती है वे जहाँ भी बैठाऐंगे मैं वहा हीं बैठुंगी। अगर वह हमें बेचना चाहे तो मैं बीक भी जाऊँगी। मीराबाई कहती है कि मैं अपने प्रभु गिरधारी के लिए अपने (स्वयं) को बार-बार न्योछावर करूँगी।

Bihar Board Class 11 Meera Bai ke Pad bhavarth

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NCERT Class 10th Hindi Solutions Notes क्षितिज भाग 2 | CBSE Class 10th Hindi Solutions | कृृतिका भाग 2

September 5, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग CBSE बोर्ड के कक्षा 10 के हिन्‍दी क्षितिज भाग 2 NCERT Class 10th Hindi Solutions Notes के सभी पाठ के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगें।

NCERT Class 10th Hindi Solutions

यह पोस्‍ट CBSE बोर्ड के परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण है। साथ ही यह पोस्‍ट विभिन्‍न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्‍वूपर्ण है।

इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्‍न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्‍टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्‍ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।

यह नोट्स NCERT पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें हिन्‍दी के प्रत्‍येक पाठ के बारे में व्‍याख्‍या किया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप CBSE बोर्ड कक्षा 10 के हिन्‍दी क्षितिज भाग 2 के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह पाठ खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 2  | Chapterwise Class 10 Hindi Kshitij Solutions

NCERT Class 10th Hindi Solutions Kshitij bhag 2 (क्षितिज) भाग 2

NCERT Class 10 Hindi Solutions Notes Kshitij क्षितिज भाग 2

काव्य – खंड

  • Chapter 1 पद (सुरदास)
  • Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (तुलसीदास)
  • Chapter 3 सवैया और कवित्त (देव)
  • Chapter 4 आत्मकथ्य (जयशंकर प्रसाद)
  • Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही (सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’)
  • Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल (नागार्जुन)
  • Chapter 7 छाया मत छूना (गिरिजाकुमार माथुर)
  • Chapter 8 कन्यादान (ॠतुराज)
  • Chapter 9 संगतकार (मंगलेश डबराल)

गद्य – खंड

  • Chapter 10 नेताजी का चश्मा (स्‍वयं प्रकाश)
  • Chapter 11 बालगोबिन भगत (रामवृक्ष बेनीपुरी)
  • Chapter 12 लखनवी अंदाज़ (यशपाल)
  • Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक (सर्वेश्‍वर दयाल सक्‍सेना)
  • Chapter 14 एक कहानी यह भी (मन्‍नू भंडारी)
  • Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन (महावीर प्रसाद द्विवेदी)
  • Chapter 16 नौबतखाने में इबादत (यतींद्र मिश्र)
  • Chapter 17 संस्कृति (भदंत आनंद कौसल्‍यायन)

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Bhag 2 कृतिका भाग 2

  • Chapter 1 माता का आँचल
  • Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक
  • Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि
  • Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
  • Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

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आशा करता हुँ कि आप को हिन्‍दी के सभी पाठ को पढ़कर अच्‍छा लगेगा। इन सभी पाठ को पढ़कर आप निश्चित ही परीक्षा में काफी अच्‍छा स्‍कोर करेंगें। इन सभी पाठ को बहुत ही अच्‍छा तरीका से आसान भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप सभी को आसानी से समझ में आए। इसमें हिन्‍दी गद्य भाग और पद्य भाग के सभी पाठ को समझाया गया है। यदि आप CBSE बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी क्षितिज भाग 2 से संबंधित किसी भी पाठ के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। यदि आप और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

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Vidyapati ke pad class 11 Hindi | विद्यापति पद की व्याख्या | दिगंत भाग 1

September 5, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी के पद्य भाग के पाठ 1 ‘विद्यापति पद की व्याख्या (Vidyapati ke pad class 11 Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Vidyapati ke pad class 11 Hindi

1.पद
लेखक-विद्यापति

पद-1

चानन भेल बिषम सर रेए भूषन भेल भारी ।
सपनहुँ नहिं हरि आएल रेए गोकुल गिरधारी ॥

व्याख्या- इस पद के माध्यम से कवि विद्यापति कहते हैं कृष्ण की गोपियाँ उद्धव से कृष्ण तक संदेशा पहुँचाती है और कहती है जो चंदन के लेप माटी पर इतना ठंडक महसुस होता है। वह एक तेज शातिर की तरह चुभ रहा है और जो आभुषण है वह भारी लग रहा है। इन सब गोपियों की रक्षा करने वाला दयालू कृष्ण अब सपनों में भी दर्शन नहीं देते हैं।

एकसरि ठाढ़ि कदम.तरे रेए पथ हेरथि मुरारी ।
हरि बिनु देह दगध भेल रेए झामर भेल सारी ।।

व्याख्या- इस पंक्ति के माध्यम से गोपियाँ उद्धव से बात कर रही है कि गोपी अकेली वृक्ष के नीचे कृष्ण के आने की राह देख रही है। कृष्ण के आने की इंतजार में इनका शरीर झुलसा हुआ है और शरीर का वस्त्र मैला हो गया है।

जाह जाह तोहें ऊधव हेए तोहें मधुपुर जाहे ।
चन्द्रबदनि नहि जीउति रेए बध लागत काहे ॥

व्याख्या- इस पंक्ति के माध्यम से गोपियाँ उद्धव से कहती है आप जल्दी मथुरा लौट जाओ और बता देना कि अब चंद्रमा की तरह उसकि गोपी और जीवित नहीं रहेगी। वो आकर हमें बचा ले और गोपियाँ के मरने का पाप से मुक्त हो जाए।

भनइ विद्यापति मन दए रेए सुनु गुनमति नारी ।
आज आओतण् हरि गोकुल रेए पथ चलु झट.झारी ॥

व्याख्या- कवि द्वारा रचित इस पंक्ति के माध्यम से बताया गया है कि श्री कृष्ण मथुरा से अब गोकुल आऐगें। उद्धव उन गोपियों एवं राधा से कहते हैं ध्यान से सुनों आज कृष्ण मथुरा से गोकुल आवेंगे। तुम सब जल्दी से गोकुल चलो।

पद-2

सरस बसंत समय भल पाओलए दछिन पबन बहु धीरे ॥
सपनहुँ रूप बचन एक भाखिएए मुख सओं दुरि करु चीरे ॥

व्याख्या- गोपियाँ इस पंक्ति के माध्यम से कहती है की वसंत ऋतु की समय आ गया है और हवा की गति दक्षिण से उतर की ओर है कवि कहते हैं कि इस समय गोपियाँ सो रही है। गोपियाँ कहती है की सपनें में एक सुंदर सा पुरूष आता है और कहता है कि तुम अपनें मुख पर सारियों से ढ़का है उसे उठाओ।

तोहर बदन सन चान होअर्थि नहिंए जइओ जतन बिहि देला ।
कए बेरि काटि बनाओल नव कएए तइओ तुलित नहिं भेला ॥

व्याख्या- लेखक कहते हैं कि जो पुरूष गोपियों की स्वप्न में आया था। वह कहता है कि तुम्हारे मुख शरीर के जैसा तो चाँद भी नहीं हैं। वह महान पुरूष कहता है कि विद्याता ने तो चाँद को तुम्हारे जैसा बनाने के लिए चाँद को कितना बार काटा है लेकिन फिर भी तुम्हारे मुख के योग चाँद भी नहीं।

लोचन-तूल कमल नहिं भएण् सकए से जग के नहिं जाने ॥
से फेरि जाए नुकाएल जल भएए पंकज निज अपमाने ॥

व्याख्या- इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहते है उस स्त्री से की तुम्हारे आँखों के जैसा सुंदर कमल के फूल भी नहीं है। और ये बात कौन नहीं जानता है। इस बात को कमल के फूल भी  अच्छे तरह से जानता है तभी तो कमल स्वयं को अपमानित समझकर जल में छुप जाता है।

भनइ विद्यापति सुनु बर जौबतिए ई सभ लछमी समाने ।
राजा सिबसिंह रूपनराएनए लखिमा देइ रमाने ।

व्याख्या- कवि विद्यापति द्वारा रचित पंक्ति में उस स्त्री के बारे में प्रसंशा करते हुए कहते हैं हे युक्ति तुम सबसे श्रेष्ठ हो तो सबसे अलग हो। मानों कि तुम लक्ष्मी कि प्रतिक हो जो मैने तुम्हारे इस खुबशुरती के बारे में कहा है वो सब राजा शिव सिंह एवं उनकि पत्नी लखिमा अच्छे तरह जानती है।

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कक्षा 11 हिंदी पाठ 11 गाँव के बच्चों की शिक्षा | Gao Ke Baccho Ki Shiksha class 11th Hindi

September 5, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी पाठ 12 ‘गाँव के बच्चों की शिक्षा (Gao Ke Baccho Ki Shiksha class 11th Hindi)’ के सारांश और व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे।

Gao Ke Baccho Ki Shiksha class 11th Hindi

12. गाँव के बच्चों की शिक्षा
लेखक-कृष्ण कुमार

कृष्ण कुमार इस पाठ के माध्यम से लेखक बचपना की शिक्षा के बारे में विशेष रूप से प्रकाश डाला है। उन्होंने अपनी प्राईमरी स्कूल की पढ़ाई करने के बाद अपने चाचा के पास शहर जाकर माध्यमिक शिक्षा भी पुरी कर ली। माध्यम शिक्षा पुरा करने के बाद वह उच्च स्तर की पढ़ाई के लिए प्रतियोगिता में चुने जाते हैं। अब उनकी उच्च स्तरी शिक्षा ग्रहण करने के लिए फ्रांस जाना होगा। जब फ्रांस जाने की समय होती है और रिश्तेदारो एवं गाँव वालों से बिदाई लेते है लेकिन उस भीड़ में उसकी माँ झोंपड़ी में बैठी रो रही है। किसी तरह अपनी माँ का आर्शिवाद लेते हैं और लेखक का कहना है कि कैमरा लिए कहता है कि शिक्षा समाज में एक दवाई की तरह काम करता है। माननीय मंत्री जी के प्रति पश्चताप करते हैं क्योंकि पिछले 50 सालो से किसी भी बच्चों के पास शिक्षा नहीं पहुँची लेकिन फिर भी वादे किए जा रहें हैं। लेखक कहते हैं कि लड़का एवं लड़कियों के पास पहुँचने से पहले हमें ये विचार करना चाहिए कि बच्चे शिक्षा के माध्यम से क्या सिखेंगे। लेखक का मानना है सभी जगहों पर जैसे जमीन, जंगल, पानी, खनीज एवं अन्य मानों संसाधनों पर पुँजीपतियों का अधिकार जताया जाता है लेखक कहते हैं कि राजनितिक में अपराध एवं हिंसा का छाया का परिणाम छोटे-छोटे किसान महिलाएँ एवं आदिवासियों को शिकार होना पड़ता है। लेखक का मानना है कि अगर हमें इस भ्रष्ट नौकर साही राजनितिक नेताओं के काले कारणामें को खत्म करने के लिए राष्ट्र के विकाश के लिए सभी लोगों को शिक्षित बनना होगा। यानी की समाज में शिक्षा को अधिक कारगर बनना होगा। प्राथमिक शिक्षकों की गुणवता मे बदलाव एवं विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की स्तर में सुधार, यदि इन सभो में सुधार नहीं होता है तो लेखक का मानना है कि होसियार बच्चा कमरा ल्ये जैसे गाँव छोड़कर, शहर, शहर छोड़कर राजधानी एवं राजधानी को छोड़कर विदेश जाने को मजबुर हो जाता है।  इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे यहाँ उच्च स्तरीय ग्रामीण एवं पंचायत स्तर पर शिक्षा का अभाव जब गाँवों में देखा जाता है कि सबसे ज्यादा स्त्री पुरूष अनपढ़ अंधविश्वास मुर्ख मालुम पड़ते हैं। लेखक कहते हैं जो पंचायती राज्य व्यवस्था में जो नारा लगाये जाते है वह सिर्फ सिर्फ नारा हीं बनकर रह जाता है और जमीन, जंगल, पानी, शिक्षा को लेकर लड़ाई होने लगती है। बहुत ऐसे जगहों पर देखा जाता है जहाँ पानी तो नहीं लेकिन शराब की उपलब्धि जरूर होती है। इसमें गौर से देखा जाए तो इसमें शिक्षा का सुधार और उसकी प्रक्रिया को फिर से बदल देने का इरादा शामिल हैं। Gao Ke Baccho Ki Shiksha class 11th Hindi

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Bihar Board Class 11th Hindi Solutions Notes | दिगंत भाग 1 हिंदी

September 3, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 10 के हिन्‍दी दिगंत भाग 1 Bihar Board Class 11th Hindi Solutions All Topics के सभी पाठ के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगें।

यह पोस्‍ट बिहार बोर्ड के परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण है। साथ ही यह पोस्‍ट रेलवे, बैंकिग, प्रशासनिक सेवा तथा विभिन्‍न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी महत्‍वूपर्ण है।

इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्‍न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्‍टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्‍ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।

यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें हिन्‍दी के प्रत्‍येक पाठ के बारे में व्‍याख्‍या किया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 11 के हिन्‍दी दिगंत भाग 1 के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह पाठ खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

Class 11th Hindi Solutions Notes हिन्‍दी के सम्‍पूर्ण पाठ का व्‍याख्‍या

Bihar board class 11th Hindi Dingant 100 Marks Solutions गद्य खण्ड

  • Chapter 1 पूस की रात (प्रेमचंद)
  • Chapter 2 कविता की परख (रामचंद्र शुक्ल)
  • Chapter 3 आँखों देखा गदर (विष्णुभट्ट गोडसे वरसईकर)
  • Chapter 4 बेजोड़ गायिका : लता मंगेशकर (कुमार गंधर्व)
  • Chapter 5 चलचित्र (सत्यजित राय)
  • Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)
  • Chapter 7 सिक्का बदल गया (कृष्णा सोबती)
  • Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)
  • Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण (हरिशंकर परसाई)
  • Chapter 10 सूर्य (ओदोलेन स्मेकल)
  • Chapter 11 भोगे हुए दिन (मेहरुन्निसा परवेज)
  • Chapter 12 गाँव के बच्चों की शिक्षा (कृष्ण कुमार)

Bihar Board class 11th Hindi solutions 100 Marks Solutions पद्य खण्ड

  • Chapter 1 विद्यापति के पद
  • Chapter 2 कबीर के पद
  • Chapter 3 मीराबाई के पद
  • Chapter 4 सहजोबाई के पद
  • Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)
  • Chapter 6 झंकार (मैथिलीशरण गुप्त)
  • Chapter 7 तोड़ती पत्थर (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)
  • Chapter 8 बहुत दिनों के बाद (नागार्जन)
  • Chapter 9 गालिब (त्रिलोचन)
  • Chapter 10 जगरनाथ (केदारनाथ सिंह)
  • Chapter 11 पृथ्वी (नरेश सक्सेना)
  • Chapter 12 मातृभूमि (अरुण कमल)

Bihar Board Class 11th Hindi Solutions Notes प्रतिपूर्ति

  • Chapter 1 पागल की डायरी (लू शुन)
  • Chapter 2 नया कानून (सआदत हसन मंटो)
  • Chapter 3 सफेद कबूतर (न्गुयेन क्वांग थान)

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