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Raja Shahin

Prageet aur Samaj ka Saransh Notes & Objective | प्रगीत और समाज का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 8, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ नौ ‘प्रगीत और समाज (Prageet aur Samaj ka Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक नामवर सिंह हैं।

Prageet aur Samaj ka Saransh Notes & Objective

9. प्रगीत और समाज
लेखक- नामवर सिंह

लेखक परिचय
जन्‍म- 28 जूलाई 1927
जन्‍म-स्‍थान : जीअनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
माता- वागेश्‍वरी देवी, पिता- नागर सिंह (शिक्षक)

शिक्षा- प्राथमिक शिक्षा- उत्तर प्रदेश के आवाजापुर और कमालपुर गाँवों में, हीवेट क्षत्रिय स्‍कूल, बनारस से हाई स्‍कूल, उदय प्रताप कॉलेज बनारस से इंटर, बी.ए. और एम.ए. बनारस हिन्‍दु विश्‍वविद्यालय से किया।

सम्‍मान- 1971 में ‘कविता के नए प्रतिमान’ पर साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार।

कृतियाँ- दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद, कहना न होगा, पृथ्‍वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कविता के नए प्रतिमान।

प्रस्तुत निबंध में नामवर सिंह पर गीत के उदय के ऐतिहासिक और सामाजिक कारणों की पड़ताल करते हैं। कविता संबंधी प्रश्न कविता पर समाज का दबाव तीव्रता से महसूस किया जा रहा है । प्रगीत काव्य समाज शास्त्रीय विश्लेषण और सामाजिक व्याख्या के लिए सबसे कठिन चुनौती है। लेकिन प्रगीतधर्मी कविताएं सामाजिक अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त नहीं है । स्वयं आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य सिद्धांत के आदर्श भी प्रबंधकाव्य ही थें, क्योंकि प्रबंधकाव्य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्य होता है।

मुक्तिबोध के कविताओं नई कविता के अंदर आत्मपरक कविताओं की एक ऐसी प्रवृत्ति थी जो या तो समाज निरपेक्ष थी या फिर जिसकी सामाजिक अर्थवत्ता सीमित थी। इसलिए व्यापक काव्य सिद्धांत की स्थापना के लिए मुक्तिबोध की कविताओं की आवश्यकता थी। लेकिन मुक्तिबोध ने केवल लंबी कविताएं ही नहीं लिखी बल्कि उनकी अनेक कविताएं छोटी भी है जो की कम सार्थक नहीं है। मुक्तिबोध का समूचा काव्य मूलतः आत्मपरक है। रचना विन्यास में वह कहीं नाट्यधर्मी है, कहीं नाटकीय एकालाप है, कहीं नाट्यकीय प्रगीत है और कहीं शुद्ध प्रगीत भी है। आत्मपरकता तथा भावमयता मुक्तिबोध का शक्ती है जो उनकी प्रत्येक कविता को गति और उर्जा प्रदान करती है।

Prageet aur Samaj ka Saransh

विभिन्न कवियों द्वारा प्रगीतों का निर्माण यद्यपि हमारे साहित्य के मापदंड प्रबंधकाव्यों के आधार पर बने हैं। लेकिन यहां कविता का इतिहास मुख्यत: प्रगीत मुक्तको का है। कबीर, सूर, तुलसी, मीरा, रैदास आदि संतों ने प्राय: गेय काव्य ही लिखें । विद्यापति को इस हिन्‍दी का पहला कवि माना जाए तो हिंदी कविता का उदय ही गीत से हुआ, जिसका विकास आगे चलकर संतों और भक्‍तों की वाणी में हुआ।

समाजिकता पर आधारित काव्य अकेलेपन के बाद कुछ लोगों ने जनता की स्थिति को काव्य-जवार बनाया जिससे कविता नितांत सामाजिक हो गई। फिर कुछ ही समय बाद नयें कवियों ने कविता में हृदयगत स्थितियों का वर्णन करने लगे। इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया जब अनेक कवियों ने अपने हृदय का दरवाजा तोड़कर एकदम से बाहर निकल आए और व्यवस्था के विरोध के जुनून में उन्होंने ढ़ेर सारी सामाजिक कविताएं लिख डाली, लेकिन यह दौर जल्द ही समाप्त हो गया।

नई प्रगीतनात्मक का उभार युवा पीढ़ी के कवियों द्वारा हुआ और कविता के क्षेत्र में कुछ परिवर्तन हुए। आज कवि को अपने अंदर झांकने या बाहरी यथार्थ सामना करने में कोई हिचक नहीं है। उसकी नजर छोटी-छोटी स्थिति वस्तु आदि पर है। इसी प्रकार उसके अंदर छोटी-छोटी उठने वाली लहर को पकड़कर शब्दों में बांध लेने का उत्साह भी है। कवि और समाज के रिश्ते के बीच साधने का कोशिश कर रहा है। लेकिन यह रोमैंटिक गीतों को समाप्त करने या व्यक्तित्व कविता को बढ़ाने का प्रयास नहीं है। अपितु इन कविताओं से इस बात की पुष्टि हो जाती है की मितकथन में अतिकथन से अधिक शक्ति है और कभी-कभी ठंडे स्वर का प्रभाव गर्म भी होता है। यह नए ढंग की प्रगीत के उभार का संकेत है !!!

9. प्रगीत और समाज : नामवर सिंह

प्रश्न1. नामवर सिंह का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  गदौलिया, वाराणसी, उतर प्रदेश
(ख)  दशाश्‍वमेघ घाट, वाराणसी, उतर प्रदेश
(ग)  जीअनपुर, वाराणसी, उतर प्रदेश
(घ)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश
उत्तर-  (ग)  जीअनपुर, वाराणसी, उतर प्रदेश

प्रश्न 2. नामवर सिंह के माता-पिता का नाम बताएँ ।
(क)  लक्ष्‍मीवर्द्धिनी एवं अंधकार सिंह
(ख)  यशवर्द्धिनी एवं दीपक
(ग)  वर्णेश्‍वरी देवी एवं शहरी सिंह
(घ)  वागेश्‍वरी देवी एवं नागर सिंह

उत्तर-(घ)  वागेश्‍वरी देवी एवं नागर सिंह   

प्रश्न 3. नामवर सिंह का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  27 जुलाई, 1926
(ख)  28 जुलाई, 1927
(ग)  29 जुलाई, 1928
(घ)  30 जुलाई, 1929

उत्तर- (ख)  28 जुलाई, 1927  

प्रश्न 4. ‘प्रगीत और समाज‘ शीर्षक निबंध के निबंधकार का नाम बताएँ ।
(क)  नामवर सिंह
(ख)  रामविलास शर्मा
(ग)  नन्‍द किशोर नवल
(घ)  मैनेजर पाण्‍डेय

उत्तर- (क)  नामवर सिंह 

Prageet aur Samaj ka Saransh

प्रश्न 5. ‘प्रगीत और समाज‘ किस विद्या की रचना है?
(क)  आलोचनात्‍मक निबंध
(ख)  जीवनी
(ग)  आत्‍मकथा
(घ)  ललित निबंध

उत्तर-(क)  आलोचनात्‍मक निबंध   

प्रश्न 6. ‘हिन्‍दी के विकास में अपभ्रंश का योग‘ पुस्‍तक किसने लिखा? 
(क) रामविलास शर्मा
(ख)  नामवर सिंह
(ग)  दिनकर
(घ)  मैनेजर पाण्‍डेय

उत्तर- (ख)  नामवर सिंह 

प्रश्न 7. ‘दूसरी परम्‍परा की खोज‘ पुस्‍तक किसने  लिखी है?
(क)  अरूण कमल
(ख)  रामधारी सिंह दिनकर
(ग)  नामवर सिंह
(घ)  कर्मेन्‍दु शिशिर

उत्तर- (ग)  नामवर सिंह 

प्रश्न 8. ‘कविता के नए प्रतिमान‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  रमेश कुन्‍तल मेघ
(ख)  मैनेजर पाण्‍डेय
(ग)  रामविलास शर्मा
(घ)  नामवर सिंह

उत्तर- (घ)  नामवर सिंह

प्रश्न 9. ‘वाद-विवाद-संवाद‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  नामवर सिंह
(ख)  रामविलास शर्मा
(ग)  रमेश कुंतल मेघ
(घ)  मैनेजर पाण्‍डेय

उत्तर-  (क)  नामवर सिंह

Prageet aur Samaj ka Saransh

प्रश्न 10. ‘इन्द्रिय‘ शब्‍द का विशेषण बनाइए ।
(क)  इन्‍द्री
(ख)  ऐन्द्रिक
(ग)  सुख
(घ)  अंग

उत्तर- (ख)  ऐन्द्रिक 

प्रश्न 11. नामवर सिंह ने किस विषय पर पी.एच.डी की उपाधप्राप्‍त की?
(क)  ‘ पृथ्‍वीराज रासो की भाषा’
(ख)  ‘छायावाद’
(ग)  ‘इतिहास औरआलोचना’
(घ)  कहानी:नई कहानी

उत्तर-  (क)  ‘ पृथ्‍वीराज रासो की भाषा’

प्रश्न 12. नामवर सिंह को किस पुस्‍तक पर साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार मिला?
(क)  ‘कविता के नए प्रतिमान’
(ख)  वाद-विवाद-संवाद
(ग)  दूसरी परम्‍परा की खोज
(घ)  आधूनिक साहित्‍य की प्रवृतियाँ

उत्तर-(क)  ‘कविता के नए प्रतिमान’   

प्रश्न 13. ‘प्रगीत और समाज‘ शीर्षक निबंध किस पुस्‍तक से लिया गया है?
(क)  ‘वाद विवाद संवाद’
(ख)  ‘दूसरी परम्‍परा की खोज
(ग)  ‘कविता के नए प्रतिमान
(घ)  ‘इतिहास और आलोचना’

उत्तर-  (क)  ‘वाद विवाद संवाद’

प्रश्न 14. किसने कहा है-”प्रबंधकाव्‍य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्‍य होता है ।”
(क)  नामवर सिंह
(ख)  मोहन राकेश
(ग)  आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल
(घ)  बालकृष्‍ण भट्ट

उत्तर-  (ग)  आचार्य रामचन्‍द्र शुक्‍ल

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Filed Under: Hindi

A Snake in the Grass Line by Line Explanation in Hindi | Bihar Board Class 11th English in Hindi

October 6, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

In this post, I shall read Bihar Board Class 11th English Prose Chapter 3 A Snake in the Grass Line by Line Explanation in Hindi. BSEB Class 11th English A Snake in the Grass in Hindi.

3. A SNAKE IN THE GRASS (घास में एक सांप)
R.K. Narayan

RASIPURAM KRISHNASWAMI NARAYAN (1906-2001), the Sahitya  Akademy. Award winner in 1960, was one of the most accomplished and well-known Indian writers in English. Realism, irony and humor are the distinguished strength of his works. He paints the idiosyncrasies of people with consummate skill. His works include The Guide (novel), Next Sunday (collection of essays, and Lawley Road (collection of short stories).

रासीपुरम कृष्णस्वामी नारायण (1906-2001), 1960 में साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, अंग्रेजी में सबसे कुशल और प्रसिद्ध भारतीय लेखकों में से एक थे। यथार्थवाद, विडंबना और हास्य उनके कार्यों की विशिष्ट शक्ति है। वह घाघ कौशल के साथ लोगों की विशिष्टताओं को चित्रित करता है। उनके कार्यों में द गाइड (उपन्यास), नेक्स्ट संडे (निबंधों का संग्रह, और लॉली रोड (लघु कथाओं का संग्रह) शामिल हैं।

‘A Snake in the Grass’, the piece taken from An Astrologer’s Day and Other Stories, dramatically presents the alarm and disturbance caused in a household threatened by a cobra. The character of some of the people taking part in the hunt is dextrously revealed. Narayan also touches gently on the people’s superstitions concerning snakes. A undercurrent of irony and humor marks many of his observations in the story.

‘ए स्नेक इन द ग्रास’, एन एस्ट्रोलॉजर डे एंड अदर स्टोरीज से लिया गया अंश, नाटकीय रूप से एक कोबरा द्वारा खतरे वाले घर में होने वाले अलार्म और अशांति को प्रस्तुत करता है। शिकार में भाग लेने वाले कुछ लोगों का चरित्र चतुराई से प्रकट होता है। नारायण भी सांपों को लेकर लोगों के अंधविश्वास को धीरे से छूते हैं। विडंबना और हास्य की एक अंतर्धारा कहानी में उनकी कई टिप्पणियों को चिह्नित करती है।

A SNAKE IN THE GRASS

(1). on a sunny afternoon, when the inmates of the bungalow were at their siesta a cyclist rang his bell at the gate frantically and announced: “A big cobra has got into your compound. It crossed my wheel.’ He pointed to its track under the gate, and resumed his journey

एक धूप वाली दोपहर में, जब बंगले में रहने वाले लोग आराम कर रहे थे, एक साइकिल सवार ने गेट पर अपनी घंटी बजाई और घोषणा की: “एक बड़ा कोबरा तुम्हारे परिसर में घुस गया है। इसने मेरा पहिया पार कर लिया।’ उसने फाटक के नीचे उसकी पटरी की ओर इशारा किया, और अपनी यात्रा फिर से शुरू की

(2). The family consisting of the mother and her four sons assembled at the gate in great agitation. The old servant Dasa was sleeping in the shed They shook him out of his sleep and announced to him the arrival of the cobra there is no cobra,’ he replied and tried to dismiss the matter. They swore at him and forced him to take an interest in the cobra. The thing is something here. If it is not found before the evening, we will dismiss you. Your neglect of the garden and the lawns is responsible for all these dreadful things coming in.’ Some neighbours dropped in. They looked accusingly at Dasa: ‘You have the laziest servant on earth,’ they said. He ought to keep the surroundings tidy.” “I have been asking for a grasscutter for months,’Dasa said. In one voice they ordered him to manage with the available things and learn not to make demands. He persisted. They began to speculate how much it would cost to buy a grass- cutter. A neighbour declared that you could not think of buying any article made of iron till after the war. He chanted banalities of wartime prices. The second son of the house asserted that he could get anything he wanted at controlled prices. The neighbour became eloquent on black market. A heated debate followed. The rest watched in apathy. At this point the college-boy of the house butted in with: “I read in an American paper that 30,000 people die of snake-bite every year.’ Mother threw up her arms in horror and arraigned Dasa. The boy elaborated the statistics I have worked it out, 83 a day. That means every twenty minute someone is dying of cobra-bite. As we have been talking here, one person has lost his life somewhere.’ Mother nearly screamed on hearing it. The compound looked sinister. The boys brought in bamboo-stinka into the hands of the servant also. He kept desultorily poking it into the foliage with a cynical air. The fellow is beating about the bushe comeone cried aptly. They tucked up their dhoties, seized every available knife and crow-bar and began to hack the garden. Creepers, bushes, and lawns, were laid low. What could not be trimmed ined was cut to the root. The inner walls of the house brightened with the unobstructed glare streaming in. When there was nothing more to be done Dasa asked triumphantly, “Where is the snake?

माँ और उसके चार पुत्रों का परिवार बड़े आक्रोश में गेट पर इकट्ठा हुआ। बूढ़ा दास दास शेड में सो रहा था, उन्होंने उसे नींद से हिलाया और घोषणा की कि कोबरा के आने से कोई कोबरा नहीं है,’ उसने जवाब दिया और मामले को खारिज करने की कोशिश की। उन्होंने उस पर कसम खाई और उसे एक लेने के लिए मजबूर किया। कोबरा में रुचि। बात यहाँ कुछ है। यदि वह शाम से पहले नहीं मिला, तो हम आपको बर्खास्त कर देंगे। बगीचे और लॉन की आपकी उपेक्षा इन सभी भयानक चीजों के आने के लिए जिम्मेदार है।’ कुछ पड़ोसी अंदर आ गए। उन्होंने दास पर दोषारोपण करते हुए कहा: ‘आपके पास पृथ्वी पर सबसे आलसी नौकर है,’ उन्होंने कहा। उसे अपने आसपास साफ-सुथरा रखना चाहिए।” दास ने कहा, “मैं महीनों से घास काटने वाले के लिए कह रहा हूं।” एक स्वर में उन्होंने उसे उपलब्ध चीजों के साथ प्रबंधन करने और मांग न करना सीखने का आदेश दिया। वह कायम रहा। वे अनुमान लगाने लगे कि ग्रास-कटर खरीदने में कितना खर्च आएगा। एक पड़ोसी ने घोषणा की कि युद्ध के बाद तक आप लोहे से बनी कोई वस्तु खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकते। उन्होंने युद्ध के समय की कीमतों का जप किया। घर के दूसरे बेटे ने जोर देकर कहा कि उसे नियंत्रित कीमतों पर जो कुछ भी चाहिए वह मिल सकता है। पड़ोसी काला बाजारी पर वाक्पटु हो गया। इसके बाद तीखी बहस हुई। बाकी लोग उदासीनता से देखते रहे। इस बिंदु पर घर के कॉलेज के लड़के ने कहा: “मैंने एक अमेरिकी अखबार में पढ़ा कि हर साल 30,000 लोग सांप के काटने से मर जाते हैं।’ माँ ने भयभीत होकर अपनी बाहें फेंक दीं और दास को धिक्कारा। लड़के ने उन आँकड़ों को विस्तृत किया जिन्हें मैंने निकाला है, 83 एक दिन। यानी हर बीस मिनट में कोई न कोई नाग के काटने से मर रहा है। जैसा कि हम यहां बात कर रहे हैं, कहीं न कहीं एक व्यक्ति की जान चली गई है।’ यह सुनकर मां लगभग चीख पड़ी। परिसर भयावह लग रहा था। लड़कों ने नौकर के हाथ में बाँस-बदबू भी लाई। वह निंदनीय हवा के साथ उसे पत्ते में दबाता रहा। साथी झाड़ी के बारे में पिटाई कर रहा है आओ ठीक से रोया। उन्होंने अपनी धोती बाँध ली, हर उपलब्ध चाकू और कौवा-बार को जब्त कर लिया और बगीचे को हैक करना शुरू कर दिया। लताओं, झाड़ियों और लॉन को नीचा रखा गया था। जो नहीं काटा जा सकता था, उसे जड़ से काट दिया गया। घर की भीतरी दीवारें अबाधित चकाचौंध से जगमगा उठीं। जब कुछ और करने को नहीं था तो दास ने विजयी होकर पूछा, “साँप कहाँ है?

(3). An old beggar cried for alms at the gate. They told her not to pester when they were engaged in a snake-hunt. On hearing it the old woman became happy. “You are fortunate. It is God Subramanya who has come to visit you. Don’t kill the snake.’ Mother was in hearty agreement: “You are right. I forgot all about the promised Abhishekam.. This is a reminder.’ She gave a coin to the beggar, who promised to send down a snake-charmer as she went. Presently an old man appeared at the gate and announced himself as a snake-charmer. They gathered around him. He spoke to them of his life and activities and his power over snakes. They asked admiringly: ‘How do you catch them? ‘Thus,’ he said, pouncing upon a hypothetical snake on the ground. They pointed the direction in which the cobra had gone and asked him to go ahead. He looked helplessly about and said, ‘If you show me the snake, I’ll at once catch it. Otherwise what can I do? The moment you see it again, send for me. I live nearby.’ He gave his name and address and departed.

एक बूढ़ा भिखारी द्वार पर भिक्षा माँगने लगा। उन्होंने उससे कहा कि जब वे सांप के शिकार में लगे हों तो उसे परेशान न करें। यह सुनकर बुढ़िया खुश हो गई। “आप भाग्यशाली हैं। यह भगवान सुब्रमण्य हैं जो आपसे मिलने आए हैं। सांप को मत मारो।’ माँ ने हार्दिक सहमति में कहा: “तुम सही कह रहे हो। मैं वादा किए गए अभिषेकम के बारे में सब भूल गया.. यह एक अनुस्मारक है।’ उसने भिखारी को एक सिक्का दिया, जिसने उसके जाते ही एक सपेरे को नीचे भेजने का वादा किया। वर्तमान में एक बूढ़ा व्यक्ति द्वार पर प्रकट हुआ और अपने आप को सपेरा घोषित कर दिया। वे उसके चारों ओर जमा हो गए। उसने उन्हें अपने जीवन और गतिविधियों और सांपों पर अपनी शक्ति के बारे में बताया। उन्होंने प्रशंसा से पूछा: ‘आप उन्हें कैसे पकड़ते हैं? ‘इस प्रकार,’ उसने जमीन पर एक काल्पनिक सांप पर झपटते हुए कहा। उन्होंने उस दिशा की ओर इशारा किया जिस दिशा में कोबरा गया था और उसे आगे बढ़ने के लिए कहा। उसने असहाय होकर इधर-उधर देखा और कहा, ‘अगर तुम मुझे सांप दिखाओ, तो मैं उसे तुरंत पकड़ लूंगा। नहीं तो मैं क्या कर सकता हूँ? जिस क्षण आप इसे फिर से देखें, मेरे लिए भेजें। मैं पास में रहता हूँ।’ उसने अपना नाम और पता बताया और चला गया।

(4).At five in the evening, they threw away their sticks and implements and repaired to the veranda to rest. They had turned up every stone in the garden and cut down every grass-blade and shrub, so that the tiniest insect coming into the garden should have no cover. They were loudly discussing the various measures they would take against reptiles in the future, when Dasa appeared before them carrying a water-pot whose mouth was sealed with a slab of stone. He put the pot down and said:’ I have caught him in this. I saw him peeping out of it…I saw him before he could see me.’ He explained at length the strategy he had employed to catch and seal up the snake in the pot. They stood at a safe distance and gazed on the pot. Dasa had the glow of a champion on his face. “Don’t call me an idler hereafter,’ he said. Mother complimented him on his sharpness and wished she had placed some milk in the pot as a sort of religious duty. Dasa picked up the pot cautiously and walked off saying that he would leave the pot with its content with the snake-charmer living nearby. He became the hero of the day. They watched him in great admiration and decided to reward him adequately

शाम के पांच बजे, उन्होंने अपनी लाठी और औजार फेंक दिए और बरामदे में आराम करने के लिए मरम्मत की। उन्होंने बाग़ के एक-एक पत्थर को फेर दिया था, और घास-फूस और झाड़-झंखाड़ को काट डाला था, ताकि बगीचे में आने वाले छोटे से छोटे कीड़े पर कोई आवरण न पड़े। वे भविष्य में सरीसृपों के खिलाफ किए जाने वाले विभिन्न उपायों पर जोर-शोर से चर्चा कर रहे थे, जब दास उनके सामने एक पानी का बर्तन लेकर आए, जिसका मुंह पत्थर की एक स्लैब से बंद था। उसने मटका नीचे रख दिया और कहा: ‘मैंने उसे इसमें पकड़ा है। मैंने उसे उसमें से झाँकते हुए देखा… इससे पहले कि वह मुझे देख पाता, मैंने उसे देखा।’ उसने उस रणनीति के बारे में विस्तार से बताया जो उसने बर्तन में सांप को पकड़ने और सील करने के लिए अपनाई थी। वे सुरक्षित दूरी पर खड़े हो गए और मटके को देखने लगे। दास के चेहरे पर एक चैंपियन की चमक थी। “इसके बाद मुझे आलसी मत कहो,” उन्होंने कहा। माँ ने उसके तीखेपन की प्रशंसा की और कामना की कि उसने एक धार्मिक कर्तव्य के रूप में बर्तन में कुछ दूध रखा होता। दास ने सावधानी से घड़ा उठाया और यह कहकर चला गया कि वह मटके को अपनी सामग्री के साथ पास में रहने वाले सपेरे के पास छोड़ देगा। वह दिन का नायक बन गया। उन्होंने उसे बड़ी प्रशंसा से देखा और उसे पर्याप्त रूप से पुरस्कृत करने का फैसला किया

(5). It was five minutes since Dasa was gone when the youngest son cried: ‘See there!’ Out of a hole in the compound wall a cobra emerged. It glided along towards the gate, paused for a moment to look at the gathering in the veranda with its hood half-open. It crawled under the gate and disappeared along a drain. When they recovered from the shock they asked: “Does it mean that there are two snakes here?’ The college -boy murmured: “I wish I had taken the risk and knocked the water-pot from Dasa’s hand; we might have known what it contained:

दास को गए पांच मिनट हो चुके थे, जब सबसे छोटा बेटा रोया: ‘वहाँ देखो!’ परिसर की दीवार के एक छेद से एक कोबरा निकला। वह फाटक की ओर सरक गया, एक पल के लिए रुका और बरामदे में जमा भीड़ को आधा खुला देखा। यह गेट के नीचे रेंगता रहा और एक नाले के साथ गायब हो गया। जब वे सदमे से उबरे तो उन्होंने पूछा: “क्या इसका मतलब यह है कि यहां दो सांप हैं?’ कॉलेज-लड़का बड़बड़ाया: “काश मैंने जोखिम लिया होता और दास के हाथ से पानी का घड़ा खटखटाया होता; हम जान सकते थे कि इसमें क्या शामिल है:

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Class 11th English The Rule of the Road Line by Line Explanation

October 6, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

In this post, I shall read Bihar Board Class 11th English Prose Chapter 4 The Rule of the Road Line by Line Explanation in Hindi. BSEB Class 11th English The Rule of the Road in Hindi.

4. THE RULE OF THE ROAD (सड़क का नियम)
A. G. Gardiner

ALFRED GEORGE GARDINER (1865 -1946), widely known under his pen-name of ‘Alpha of the Plough’, was one of the most delightful essayists of modern times. He was the Editor of the Daily News from 1902 to 1921. His essays combine ideas and emotions with beauty of form and ‘remind us of pleasant things, sunshine and mirth, laughter and mirth.

अल्फ्रेड जॉर्ज गार्डिनर (1865-1946), जिसे व्यापक रूप से ‘अल्फा ऑफ द प्लॉ’ के नाम से जाना जाता है, आधुनिक समय के सबसे रमणीय निबंधकारों में से एक थे। वे 1902 से 1921 तक डेली न्यूज के संपादक थे। उनके निबंध विचारों और भावनाओं को रूप की सुंदरता के साथ जोड़ते हैं और ‘हमें सुखद चीजों, धूप और आनंद, हंसी और आनंद की याद दिलाते हैं।

 His collections of essays include Pebbles on the Shore, Windfalls and Many Furrows. In this essay, he points out in an easy and thought- provoking manner what constitutes true liberty.

उनके निबंधों के संग्रह में पेबल्स ऑन द शोर, विंडफॉल्स और कई फ्यूरो शामिल हैं। इस निबंध में, वह एक आसान और विचारोत्तेजक तरीके से बताता है कि सच्ची स्वतंत्रता क्या है।

4. THE RULE OF THE ROAD (सड़क का नियम)

(1). A stout old lady was walking with her basket down the middle of a stree in Petrograd to the great confusion of the traffic and with no small peril to herself. It was pointed out to her that the pavement was the place for foot passengers, but she replied, “I’m going to walk where I like. We’ve got liberty now.” It did not occur to the dear old lady that if liberty entitled the foot passenger to walk down the middle of the road it also entitled the cab-driver to drive on the pavement, and that the end of such liberty would be universal chaos. Everybody would be getting in everybody else’s way and nobody would get anywhere. Individualliberty would have become social anarchy.

पेत्रोग्राद में एक बूढ़ी औरत अपनी टोकरी के साथ एक गली के बीच में यातायात की बड़ी उलझन के लिए चल रही थी और खुद को कोई छोटा खतरा नहीं था। उसे बताया गया कि फुटपाथ पैदल यात्रियों के लिए जगह है, लेकिन उसने जवाब दिया, “मैं जहाँ चाहूँ वहाँ चलूँगी। हमें अब आजादी मिल गई है।” प्रिय बूढ़ी औरत को यह नहीं लगा कि अगर स्वतंत्रता पैदल यात्री को सड़क के बीच में चलने का अधिकार देती है तो वह कैब-चालक को फुटपाथ पर गाड़ी चलाने का अधिकार देती है, और ऐसी स्वतंत्रता का अंत सार्वभौमिक अराजकता होगी। हर कोई हर किसी के रास्ते में आ रहा होगा और कोई भी कहीं नहीं मिलेगा। व्यक्तिगत स्वतंत्रता सामाजिक अराजकता बन जाती।

(2). There is a danger of the world getting liberty-drunk in these days like the old lady with the basket and it is just as well to remind ourselves of what the rule of the road means. It means that in order that the liberties of all may be preserved the liberties of everybody must be curtailed. When the policeman, say, at Piccadilly Circus steps into the middle of the road and puts out his hand, he is the symbol not of tyranny, but of liberty. You may think so. You may, being in a hurry and seeing your motor-car stopped by this insolence of office, feel that your liberty has been violated. How dare this fellow interfere with your free use of the public highway? Then, if you are a reasonable person, you will reflect that if he did not interfere with you he would interfere with your free use of the public highway? Then, if you are a reasonable person, you will reflect that if he did not interfere with no one, and the result would be you would never cross Piccadilly Circus at all. You have submitted to a curtailment of private liberty in order that you may enjoy a social order which makes your liberty a reality.

इन दिनों दुनिया में आज़ादी के नशे में धुत होने का खतरा है जैसे टोकरी के साथ बूढ़ी औरत और यह खुद को याद दिलाने के लिए भी है कि सड़क के नियम का क्या मतलब है। इसका मतलब है कि सभी की स्वतंत्रता को संरक्षित करने के लिए सभी की स्वतंत्रता को कम करना होगा। जब पिकाडिली सर्कस में पुलिसकर्मी सड़क के बीच में कदम रखता है और अपना हाथ डालता है, तो वह अत्याचार का नहीं, बल्कि स्वतंत्रता का प्रतीक होता है। आप ऐसा सोच सकते हैं। हो सकता है कि आप जल्दबाजी में हों और कार्यालय की इस जिद से अपनी मोटर-कार को रुका हुआ देखकर आपको लगे कि आपकी स्वतंत्रता का हनन हुआ है। सार्वजनिक राजमार्ग के आपके मुफ्त उपयोग में इस साथी की हस्तक्षेप करने की हिम्मत कैसे हुई? फिर, यदि आप एक उचित व्यक्ति हैं, तो आप सोचेंगे कि यदि उसने आपके साथ हस्तक्षेप नहीं किया तो वह सार्वजनिक राजमार्ग के आपके मुफ्त उपयोग में हस्तक्षेप करेगा? फिर, यदि आप एक उचित व्यक्ति हैं, तो आप सोचेंगे कि यदि उसने किसी के साथ हस्तक्षेप नहीं किया, और परिणाम यह होगा कि आप कभी भी पिकाडिली सर्कस को पार नहीं करेंगे। आपने निजी स्वतंत्रता को कम करने के लिए प्रस्तुत किया है ताकि आप एक सामाजिक व्यवस्था का आनंद ले सकें जो आपकी स्वतंत्रता को वास्तविकता बनाती है।

(3). Liberty is not a personal affair only, but a social contract. It is an adjustment of interests. In matters which do not touch anybody else’s liberty of course, I may be as free as I like. If I choose to go down the Strand in addressing gown, with long hair and bare feet, who shall say me nay? You have liberty to laugh at me, but I have the liberty to be indifferent to you. And if I have fancy for dyeing my hair, or waxing my moustache(which heaven forbid), or wearing a tall hat, a frock-coat and sandals, or going to bed late or getting up early, I shall follow my fancy and ask no man’s permission.

स्वतंत्रता केवल व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि एक सामाजिक अनुबंध है। यह हितों का समायोजन है। उन मामलों में जो किसी और की स्वतंत्रता को नहीं छूते हैं, मैं जितना चाहे उतना स्वतंत्र हो सकता हूं। अगर मैं लंबे बालों और नंगे पैरों के साथ गाउन को संबोधित करने के लिए स्ट्रैंड के नीचे जाना चुनता हूं, तो मुझे कौन कहेगा? आपको मुझ पर हंसने की आजादी है, लेकिन मुझे आपके प्रति उदासीन रहने की आजादी है। और अगर मुझे अपने बालों को रंगने, या अपनी मूंछों को वैक्स करने का शौक है, या एक लंबी टोपी, एक फ्रॉक-कोट और सैंडल पहने हुए, या देर से सोने या जल्दी उठने की इच्छा है, तो मैं अपनी कल्पना का पालन करूंगा और पूछूंगा किसी आदमी की अनुमति नहीं।

(4). In all these and a thousand other details you and I please ourselves and ask no one’s leave. We have a whole kingdom, in which we rule alone, can do what we choose, be wise or ridiculous, harshly or easy, conventional or odd. But directly we step out of that kingdom, our personal liberty of action is restricted by other people’s liberty. I might like to practise on the trombone from midnight till three in the morning. If I went on to the top of Helvelly to do it I could please myself but if I do it out in the streets the neighbours will remind me that my liberty to blow the trombone must interfere with their liberty to sleep in quiet. There are a lot of people in the world, and I have to accommodate my liberty to their liberties.

इन सभी में और एक हजार अन्य विवरणों में आप और मैं खुद को खुश करते हैं और किसी की छुट्टी नहीं मांगते। हमारे पास एक पूरा राज्य है, जिसमें हम अकेले शासन करते हैं, जो हम चुनते हैं वह कर सकते हैं, बुद्धिमान या हास्यास्पद, कठोर या आसान, पारंपरिक या अजीब हो। लेकिन सीधे हम उस राज्य से बाहर निकल जाते हैं, हमारी कार्रवाई की व्यक्तिगत स्वतंत्रता अन्य लोगों की स्वतंत्रता से प्रतिबंधित होती है। मैं आधी रात से सुबह तीन बजे तक ट्रंबोन पर अभ्यास करना पसंद कर सकता हूं। अगर मैं ऐसा करने के लिए हेलवेली के शीर्ष पर जाता तो मैं खुद को खुश कर सकता था लेकिन अगर मैं इसे सड़कों पर करता हूं तो पड़ोसी मुझे याद दिलाएंगे कि ट्रॉम्बोन को उड़ाने की मेरी स्वतंत्रता को चुपचाप सोने की उनकी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना चाहिए। दुनिया में बहुत सारे लोग हैं, और मुझे अपनी स्वतंत्रता को उनकी स्वतंत्रता में समायोजित करना है।

(5). We are all liable to forget this and, unfortunately, we are much more conscious of the imperfections of others in this respect than of or own.

हम सभी इसे भूलने के लिए उत्तरदायी हैं और, दुर्भाग्य से, हम इस संबंध में दूसरों की खामियों के प्रति या स्वयं की तुलना में अधिक जागरूक हैं।

(6). I got into a railway carriage at a country station the other morning and settled down for what the schoolboys would call an hour’s ‘swot’ at a Bluebook. I was not reading for pleasure. The truth is that I never do read Bluebooks for pleasure. I read them for the very humble purpose of turning an honest penny out of them. Now, if you are reading a book for pleasure it doesn’t matter what is going on around you.

मैं दूसरी सुबह एक देश के स्टेशन पर एक रेलवे गाड़ी में चढ़ गया और एक ब्लूबुक में स्कूली बच्चों को एक घंटे का ‘स्वॉट’ कहने के लिए बस गया। मैं आनंद के लिए नहीं पढ़ रहा था। सच तो यह है कि मैं कभी भी आनंद के लिए ब्लूबुक नहीं पढ़ता। मैंने उन्हें उनमें से एक ईमानदार पैसा निकालने के बहुत ही विनम्र उद्देश्य के लिए पढ़ा। अब, यदि आप आनंद के लिए कोई पुस्तक पढ़ रहे हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके आस-पास क्या हो रहा है।

 (7). But when you are reading a thing as a task you need reasonable quiet, and that is what I didn’t get, for at the next station in came a couple of men, one of whom talked to his friend for the rest of the journey in a loud and pompous voice. As I wrestled with clauses and sectie his family history, the deeds of his sons in war and his criticisms of the generals and the politicians submerged my poor attempts to hang on to my job .I shut up the Blue-book, looked out of the window, and listened wearily while the voice thundered on with themes like these: “Now what the French ought to have done…’’,the mistake the Germans made …”, “If only Asquith had · you know the sort stuff. I had it all before, oh, so often. It was like a barrel -organ groaning out some uninteresting song of long ago.

लेकिन जब आप किसी कार्य को एक कार्य के रूप में पढ़ रहे होते हैं तो आपको उचित शांति की आवश्यकता होती है, और वह मुझे नहीं मिला, क्योंकि अगले स्टेशन पर कुछ आदमी आए, जिनमें से एक ने अपने दोस्त से बाकी यात्रा के लिए बात की। ऊँचे और ऊँचे स्वर में। जैसा कि मैंने उनके परिवार के इतिहास के खंड और खंड के साथ कुश्ती की, युद्ध में उनके बेटों के कार्यों और जनरलों और राजनेताओं की उनकी आलोचनाओं ने मेरी नौकरी पर लटकने के मेरे खराब प्रयासों को जलमग्न कर दिया। मैंने ब्लू-बुक को बंद कर दिया, बाहर देखा खिड़की, और इस तरह के विषयों के साथ आवाज गड़गड़ाहट के दौरान थका हुआ सुना: “अब फ्रांसीसी को क्या करना चाहिए था …”, जर्मनों ने गलती की …”, “अगर केवल एस्क्विथ के पास था • आप तरह की चीजें जानते हैं। मेरे पास यह सब पहले था, ओह, इतनी बार। यह एक बैरल-ऑर्गन की तरह था जो बहुत पहले के किसी निर्बाध गीत को कराह रहा था।

(8). If I had asked him to be good enough to talk in a lower tone I dare to say he would have thought I was a very rude fellow. It did not occur to him that anybody could have anything better to do than to listen to him, and I have no doubt he left the carriage convinced that everybody in it had, thanks to him, had a very illuminating journey. A reasonable consideration for the rights or feelings of others is the foundation of social conduct.

अगर मैंने उसे कम स्वर में बात करने के लिए पर्याप्त होने के लिए कहा होता तो मैं यह कहने की हिम्मत करता कि वह सोचता कि मैं बहुत कठोर व्यक्ति हूं। उसे ऐसा नहीं लगा था कि किसी के पास उसे सुनने से बेहतर करने के लिए कुछ भी हो सकता है, और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि उसने गाड़ी छोड़ दी, इस विश्वास के साथ कि उसमें हर कोई था, उसके लिए धन्यवाद, एक बहुत ही रोशन यात्रा थी। दूसरों के अधिकारों या भावनाओं के लिए उचित विचार सामाजिक आचरण की नींव है।

(9). I believe that the rights of small people and quiet people are as important to preserve as the rights of small nationalities. When I hear the aggressive bullying horn which some motorist deliberately use, I confess that I feel something boiling up in me which is very like what I felt when Germany came trampling like a bully over Belgium. By what right, my dear sir, do you go along our highway uttering that hideous curse on all who impede your path? Cannot you announce your coming like a gentleman? Cannot you take your turn?

मेरा मानना ​​​​है कि छोटे लोगों और शांत लोगों के अधिकारों को संरक्षित करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि छोटी राष्ट्रीयताओं के अधिकारों का। जब मैं आक्रामक बदमाशी वाले हॉर्न को सुनता हूं जिसका कुछ मोटर चालक जानबूझकर उपयोग करते हैं, तो मैं स्वीकार करता हूं कि मुझे अपने अंदर कुछ उबलता हुआ महसूस हो रहा है, जो बहुत कुछ वैसा ही है जैसा मैंने महसूस किया था जब जर्मनी बेल्जियम पर धमकाने की तरह रौंदता हुआ आया था। किस अधिकार से, मेरे प्रिय महोदय, क्या आप हमारे मार्ग पर चलने वाले सभी लोगों पर वह घिनौना श्राप देते हुए जाते हैं? क्या आप एक सज्जन की तरह अपने आने की घोषणा नहीं कर सकते? क्या आप अपनी बारी नहीं ले सकते?

(10). And there is the more harmless person who has bought a very blatant gramophone, and on Sunday afternoon sets the things going, operb and fills the street with ‘Keep the home fires burning’ or some banality. What are the right limits of social behaviour in a matter of this sort?: Let us take the trombone as an illustration again. Hazlitt said that a man who wanted to learn that fearsome instrument was entitled to learn it in his house, even though he was a nuisance to his neighbours, but it was his business to make the nuisance as slight as possible. He must practise in the attic, and shut the window. He had no right to sit in his front room, open the window, and · blow his noise into his neighbours’ears with the maximum of violence. And so with the gramophone. If you like the gramophone you are entitled to have it,but you are interfering with the liberties of your neighbours if you don’t do what you can to limit the noise to your own household. Your neighbours may not like ‘Keep the home fires burning’. They may prefer to have their Sunday afternoon undisturbed, and it is as great an impertinence for you wilfully to trespass on their peace as it would be to go, unasked, into their gardens and trample their flower-beds.

और अधिक हानिरहित व्यक्ति है जिसने एक बहुत ही ज़बरदस्त ग्रामोफोन खरीदा है, और रविवार की दोपहर को चल रही चीजों को सेट करता है, संचालित करता है और सड़क को ‘घर की आग जलाएं’ या कुछ भोज से भर देता है। इस प्रकार के मामले में सामाजिक व्यवहार की सही सीमाएँ क्या हैं?: आइए हम ट्रंबोन को एक उदाहरण के रूप में फिर से लें। हेज़लिट ने कहा कि एक व्यक्ति जो उस भयानक उपकरण को सीखना चाहता था, उसे अपने घर में सीखने का अधिकार था, भले ही वह अपने पड़ोसियों के लिए एक उपद्रव था, लेकिन उपद्रव को जितना संभव हो उतना हल्का बनाना उसका व्यवसाय था। उसे अटारी में अभ्यास करना चाहिए, और खिड़की बंद करनी चाहिए। उसे अपने सामने के कमरे में बैठने, खिड़की खोलने और अधिक से अधिक हिंसा के साथ अपने पड़ोसियों के कानों में शोर मचाने का कोई अधिकार नहीं था। और इसलिए ग्रामोफोन के साथ। यदि आप ग्रामोफोन पसंद करते हैं तो आप इसे पाने के हकदार हैं, लेकिन आप अपने पड़ोसियों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रहे हैं यदि आप शोर को अपने घर तक सीमित करने के लिए जो कर सकते हैं वह नहीं करते हैं। हो सकता है कि आपके पड़ोसियों को ‘घर की आग जलाना’ पसंद न आए। हो सकता है कि वे अपने रविवार की दोपहर को बिना किसी रुकावट के रखना पसंद करें, और यह आपके लिए उतनी ही बड़ी अभद्रता है कि आप जानबूझकर उनकी शांति का उल्लंघन करें, जैसे कि बिना पूछे, उनके बगीचों में जाना और उनके फूलों की क्यारियों को रौंदना होगा।

(11). I suppose the fact is that we can be neither complete anarchists nor complete socialists in this complex world – or rather we must be a judicious mixture of both. We have both liberties to preserve – our individual liberty and our social liberty.

मुझे लगता है कि तथ्य यह है कि हम इस जटिल दुनिया में न तो पूर्ण अराजकतावादी हो सकते हैं और न ही पूर्ण समाजवादी – या यों कहें कि हमें दोनों का विवेकपूर्ण मिश्रण होना चाहिए। हमारे पास संरक्षित करने की दोनों स्वतंत्रताएं हैं – हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और हमारी सामाजिक स्वतंत्रता।

(12). It is in the small matters of conduct, in the observance of the rule of the road, that we pass judgement upon ourselves, and declare that we are civilised or uncivilised. The great moments of heroism and sacrifice are rare. It is the little habits of commonplace intercourse that make up the great sum of life and sweeten or make bitter the journey. I hope my friend in the railway carriage will reflect on this. Then he will not cease, I am sure, to explain to his neighbour where the French went wrong and where the Germans went ditto; but he will do it in a way that will permit me to read my Blue-book undisturbed.

आचरण के छोटे-छोटे मामलों में, सड़क के नियम के पालन में, हम खुद पर फैसला सुनाते हैं, और घोषणा करते हैं कि हम सभ्य या असभ्य हैं। वीरता और बलिदान के महान क्षण दुर्लभ हैं। यह सामान्य संभोग की छोटी आदतें हैं जो जीवन का महान योग बनाती हैं और यात्रा को मीठा या कड़वा बनाती हैं। मुझे आशा है कि रेल गाड़ी में सवार मेरे मित्र इस पर विचार करेंगे। तब वह रुकेगा नहीं, मुझे यकीन है, अपने पड़ोसी को यह समझाने के लिए कि फ्रांसीसी कहाँ गलत हो गए और जर्मन कहाँ गए; लेकिन वह इसे इस तरह से करेगा जिससे मैं अपनी ब्लू-बुक को बिना किसी रुकावट के पढ़ सकूं।

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Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective | सिपाही की माँ एकांकी का सारांश और आब्‍जेक्टिव

October 3, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ आठ ‘सिपाही की माँ (Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक मोहन राकेश हैं।

Sipahi ki Maa Saransh Notes

8. सिपाही की माँ
लेखक – मोहन राकेश

सिपाही की माँ यह एक एकांकी (एक अंकवाला नाटक) है। जिसे एकांकीकार मोहन राकेश के द्वारा लिखा गया है। यह एकांकी मोहन राकेश की पुस्तक ‘अण्डे के छिलके‘ से लिखा गया है। यह रचना द्वितिय विश्व युद्ध के समय को आधार बनाकर लिखी गई है। इस एकांकी में दो दृश्य हैं। इस एकांकी पाठ में सिपाही की माँ के भावनाओं को बताया गया है। इस पाठ में एक माँ जिनका नाम विशनी है। एक बेटी (मुन्नी) और एक मात्र बेटा जिनका नाम मानक होता है।

इस एकांकी में विशनी नें अपने समाज को बहुत अच्छे संदेश देती हैं। एक सच्चे तथा इमानदार देशभक्त की माँ होने के साथ-साथ वह मुश्किलों का सामना किया करती है और वह अपने परिवार का पालन पोषण करती है। विशनी का बेटा मानक वह अपनी बहन की शादी के पैसा के लिए बर्मा की फौज बनकर लड़ने गया है। वह अपनी माँ का इकलौता बेटा है। मानक बर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से जापान से लड़ने गया है।

मानक अपने परिवार का इकलौता बेटा तथा अपनी बहन का एकलौता भाई है। उसी पर सारी आशाएँ टिकी हुई है। बिशनी की पड़ोसन कुंती थी। जब मानक युद्ध में चला जाता है। तो हमेशा उसकी माँ बिशनी अपने बेटे के बारे में ही सोचते रहते है कि कहीं मेरा बेटा युद्ध में मरा तो नहीं गया है। कुंती मानक के युद्ध में चले जाने पर संतोष दिलाती है। वो कहती है कि बिशनी मुन्नी बिटिया तो अब सयानी हो गई है। कोई अच्छा-सा घर-वर देखकर उसका हाथ पिला कर दो। तो विशनी कहती है कि मानक को तो आने दो। अच्छा सा घर-वर देखकर वह विवाह कर देगा।

दो लड़कियाँ वर्मा के रंगुन शहर की रहनेवाली है। वह विशनी के गाँव में आती है। वह वहाँ के लोगों से कहती है कि बर्मा और जापान में युद्ध शुरू हो चुकी है। वह बहुत ही भयानक लड़ाई शुरू हुई है। वह दोनों लड़कियाँ तेरह दिन जंगल के रास्तें में पैदल चलकर अपनी जान बचाने के लिए बिशनी के गाँव आई और उसके घर चावल दाल माँगने लगी। कुंती बोलती है कि इन लड़कीयों का लक्षण मुझे ठीक नहीं लग रहा है। इस पर दोनों लड़कियाँ बोली। आपलोग तो यहाँ ठीक-ठाक रह लेती है, लेकिन जहाँ से हमलोग जान बचाकर आएं हैं तो रोज गोलियाँ और खुनों की बहाव होती है। लड़ाई की वजह से मेरा मुल्क तो तबाह हो गया है। वहाँ फौज के अलावा अब कोई नहीं रह रहा है

मुन्नी अपने माँ से बोली कि माँ इनके मुल्क में रोज लड़ाई होती है। तो माँ के कहने पर मुन्नी ने उनदोनों लड़कियों से पूछा कि वर्मा तुम्हारे मुल्क से कितना दूर है। लड़की बोली कि मेरे मुल्क का नाम ही वर्मा है। उसके बाद वाली रात में सपने में विशनी को मानक दिखाई देता है। और वह उससे बात-चीत करती है। और मानक बहुत बुरी तरह से घायल है और वह बताता है। दुश्मन उसके पिछे लगा हुआ है। विशनी कहती है मानक-मानक कुछ ऐसा शब्द सुनाई देता है। दूर आँधी चल रही है। वह घबराकर बोलती है। तु सचमुच मानक ही है न बाहर की किसी कि आवाज माँ को सुनाई देती है।

विशनी चारपाई से उठ जाती है। वह घबराकर बोलती तो सच में मानक ही है न तु कहाँ है बेटा मानक बोलता है। मैं घायल हूँ माँ मुझे बहुत गोलियाँ लगी है। और दुश्मन अभी भी मेरे पिछे लगा है। विशनी बोलती है तेरा कौन दुश्मन है। मानक बोला मैने उसे बहुत गोलियाँ मारी मगर वह मरा नही है। वह जिन्दा है। उसने मेरा सारा शरीर जख्मी कर दिया है। विशनी बोलती उठ कर चारपाई पर बैठ मैं दूध लाती हूँ मानक बोला दूध नहीं पानी चाहिए। वह अभी यहाँ आ जाएगा देख माँ वह आ गया। तभी वहाँ एक सिपाही आता है और वह उसे मरा हुआ बताता है। यह सुनकर विशनी और घबरा जाती है। वह सिपाही बोला-तुझे नहीं दिखता यह मरा हुआ है। मानक बोला नहीं माँ मैं मरा नहीं हूँ मैं हिल-डोल सकता हूँ। सिपाही बोला तु इसे बचाना क्यूँ चाहती हो ? तु क्या लगती हो, इसका ? विशनी बोली मैं माँ हूँ। सिपानी ने विशनी से बोला कि यह इंसान नहीं जानवर है। क्या तु नहीं जानती इसने कितने सिपाहियों कि जान ली है। लेकिन विशनी विश्वास नहीं करती है। सिपाही कि बात को और सिपाही मानक को मारने तथा बोटी-बोटी करने का बात कहते हैं। तभी विशनी मानक-मानक चिल्लाने लगती है। इसी बची मुन्नी विशनी को जगाते हुए कहती है कि तु तो रोज भैया के सपने देखती है। जबकि मैंने तुमसे कहा था कि भैया जल्दी आऐंगे। विशनी मुन्नी की माथा चुमकर सो जाने को कहती है।

अतः सेना एक-दूसरे का दुश्मन होते है। क्योंकि वह अपने-अपने देश की प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही एक-दूसरे का दुश्मन समझतें हैं। इसलिए एक दूसरे को मारना चाहतें हैं। इस प्रकार इस नाटक में एक माँ की भावनाओं को दर्शाया गया है।

BSEB Class 12th Hindi Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective

प्रश्न 1. ‘सिपाही की माँ‘ के रचयिता कौन हैं?
(क)  मोहन राकेश
(ख)  रामकुमार वर्मा
(ग)  अज्ञेय
(घ)  जगदीश चन्‍द्र माथुर

उत्तर-  (क)  मोहन राकेश

प्रश्न 2. मोहन राकेश के बचपन का नाम क्‍या था?
(क)  मदन मोहन गुगलानी
(ख)  कृष्‍ण मोहन मुगलानी
(ग)  राधाकृष्‍ण मुगलानी
(घ)  रामकृष्‍ण मुगलानी

उत्तर-  (क)  मदन मोहन गुगलानी

प्रश्न 3. मोहन राकेश का कहाँ जन्‍म हुआ था?
(क)  कबीर चौरा गली, अमृतसर, पंजाब
(ख)  गोरखनाथ गली, अमृतसर, पंजाब
(ग)  रसगुल्‍ला गली, अमृतसर, पंजाब
(घ)  जंड़ीवाली गली, अमृतसर, पंजाब

उत्तर-  (घ)  जंड़ीवाली गली, अमृतसर, पंजाब

प्रश्न 4. मोहन राकश का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  7 जनवरी, 1924 ई.
(ख)  8 जनवरी, 1925 ई.
(ग)  9 जनवरी, 1926 ई.
(घ)  10 जनवरी, 1927 ई.

उत्तर- (ख)  8 जनवरी, 1925 ई. 

प्रश्न 5. मोहन राकेश का कब निधन हुआ था?
(क)  01 दिसम्‍बर, 1970 ई.
(ख)  02 दिसम्‍बर, 1971 ई.
(ग)  03 दिसम्‍बर, 1972 ई.
(घ)  04 दिसम्‍बर, 1973 ई.

उत्तर- (ग)  03 दिसम्‍बर, 1972 ई. 

प्रश्न 6. मोहन राकेश रचित नाटक संग्रह है
(क)  उतर प्रियदर्शी
(ख)  पहला राजा
(ग)  सत्‍य हरिश्‍चन्‍द्र
(घ)  आषाढ़ का एक दिन

उत्तर-  (घ)  आषाढ़ का एक दिन

प्रश्न 7. मोहन राकेश रचित एकांकियों के नाम बताएँ ।
(क)  आषाढ़ का एक दिन
(ख)  पैर तले की जमीन, अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी
(ग)  कोणार्क
(घ)  भोर का तारा

उत्तर- (ख)  पैर तले की जमीन, अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी 

प्रश्न 8. मोहन राकेश के कहानी-संग्रहों के नाम लिखें ।
(क)  इंसान के खंडहर, नए बादल
(ख)  जानवर औेर जानवर, एक और जिंदगी
(ग)  फौलाद का आकाश, वारिस
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-(घ)  उपर्युक्‍त सभी   

प्रश्न 9. ‘ आखिरी चट्टान तक‘ नामक यात्रा-वृतान्‍त किसने लिखा है?
(क)  मोहन राकेश
(ख)  उषा किरण खान
(ग)  राम कुमार वर्मा
(घ)  रामेश्‍वर सिंह ‘कश्‍यप’

उत्तर- (क)  मोहन राकेश 

प्रश्न 10. मोहन राकेश द्वारा अनूदित पुस्‍तकों के नाम लिखें ।
(क)  मृच्‍छकटिकम्
(ख)  अभिज्ञानशाकुंतलम
(ग)  एक औरत का चेहरा
(घ)  उपर्युक्‍त सभी

उत्तर-  (घ)  उपर्युक्‍त सभी

प्रश्न 11. ‘सिपाही की माँ‘ शीर्षक एकांकी किस संग्रह से ली गयी है?
(क)  अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी
(ख)  पैर तले की जमीन
(ग)  आषाढ़ का एक दिन
(घ)  लहरों के राजहंस

उत्तर- (क)  अंडे के छिलके और अन्‍य एकांकी 

प्रश्न 12. किस पाठ से उद्धृत है-‘ यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है ।‘
(क)  हँसते हुए मेरा अकेलापन
(ख)  सिपाही की माँ
(ग)  तिरिछ
(घ)  शिक्षा

उत्तर- (ख)  सिपाही की माँ

Sipahi ki Maa Saransh Notes & Objective

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O Sadanira ka saransh notes & Objective | ओ सदानीरा कक्षा 12 हिंदी

October 3, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ सात ‘ओ सदानीरा (O Sadanira ka saransh notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक जगदीश चन्द्रमाथुर हैं।

O Sadanira ka saransh notes

7. ओ सदानीरा
लेखक- जगदीश चन्द्रमाथुर

‘ओ सदानीरा’ निबंध के निबंधकार जगदीश चन्द्रमाथुर हैं। 1973 में यह पाठ प्रकाशित हुआ। यह पाठ निबंध संग्रह ‘बोलते क्षण’ से लिया गया है। सदानीरा का अर्थ है जल से हमेशा भरा हुआ नदी।

इस पाठ में जगदीश चन्द्रमाथुर बताना चाहतें हैं कि ‘ओ सदानीरा’ बिहार के एक नदी का नाम है, जो गंडक नदी है। यह नदी मुख्‍य रूप से चम्पारण में बहती है। इसके किनारे बहुत से नगर बसा हुआ है।

वो कहते हैं कि नदियों में बाढ़ आना वह मनुष्य के स्वार्थ का कारण है। इस नदी के तट पर विशाल वन फैला हुआ था। जब से वनों की कटाई का सिलसिला चालू हुआ तब से ही यह नदी बाढ़ का कहर लाती है। लेखक ये भी कहतें हैं कि आज जो बहुत धार्मिक लोग स्नान करने आते हैं। पूजा-पाठ करके सड़ा-गला चीजें इसी नदी में फेंक देते हैं। जिसके कारण नदी का दुर्दशा हो गया है।

जगदीश चन्द्र माथुर मध्‍ययुगीन समाज के सच्चाई बताते हैं की लड़ाई झगड़ा के कारण तृरिट के लिए मुसल्मान शासकों ने आधाधुध जंगलों की कटाई की वसुंधरा भोगी मनव को अर्थ हैं।

पृथ्वी पर सुख भोगने वाला मानव और धर्माधमानव का अर्थ हैं धर्म के अधे कि तरह अनुकरण करके भाव रखने वाला मानव जिस प्रकार विशाल जंगलों को काट दिया उसी प्रकार मूर्तियों को भी नष्ट कर दिया। साथ में ही कई धर्म स्थलों को भी तोड़ दिया। यानी जिसमें मानव को सुख मिलता है वो को नष्ट कर रहा हैं। वसुंधरा भोगी मानव और धर्माधमानव एक ही सिक्के के दो पहल हैं। जगदिश चन्द्र माथुर इस पाठ के महायन से गुणगान किया है । उन्होंने कहा कि यह भूमि महान हैं। यहाँ अनेक बाहरी व्यक्ति आए और कई आक्रमण कारी भी आये। उन्होंने आकर या तो बस गयें या तो क्षति पहूँचाकर लेविन धन्य है। इस भूमि कि सहनता और उदारता जी कि इतने अत्याचार होते हुए भी सब को क्षमा कर दिया। लेखक ने इस पाठ में विभिन्न स्थानों से आकर चंपारण और उसके आस पास बसने का जिक्र किया और वो लोग विजय यात्रा पर आये नान्ददेव चालुक्य  नृपति विक्रमदित्य के सेनापति चंपार कि भूमि पर आयें और उसके बाद अंग्रेज देकेदार भी पूर्वी, बंगाल, दक्षिणी बिहार के विभिन्न वर्ग के लोग यहाँ आकर बस गयें। अंग्रेज का मकसद था कि खेजी से मोनाफा कमाना और किसानों से जबरदस्ती खेती करवाते थें। और जब चंपारण में बाढ़ आती थी तो उपजाऊ भिती टूट जाती थी। क्योंकि नदी अपना रास्ता बदल देती थी। तो उसी प्रकार उन्हे यौर और मन कहा गया है और उसे कहते हैं जिसमें पानी जाड़े या गर्मी में कम हो जाती है। और इसमें खेती आसानी से होती है। मन गहरे और विशाल खाल होते है। इसमें आसानी से खेती नहीं होती है। अंत में लेखक कहते हैं। ओ सदानीरा ओ चकरा, ओ नारायणी, ओ महागण्डक आदी युगों से दीन-हीन जनता तुम्हें इन पलों से संबोधित करती हैं। लेकिन तेरी चंचल धारा में अराधना के कसुमों को ठुकरा दिया लेकिन अब जो मंदिर बना रहा है उसकी नीव बहुत गहरी है तु ठकरा नही पाएगी।

अंततः हम यह कह सकतें है। कि ओ सदानीरा जगदीशचन्द्र माथुर के सबसे अच्छे निबंधों में से एक है। और इस निबंध के माध्यम से उन्होंने अपने विचारों का काफी अच्छे तरह से प्रस्तुत किये हैं।

BSEB Class 12th Hindi O sadanira ka Saransh Notes & Objective

ओ सदानीरा : जगदीशचन्‍द्र माथुर

प्रश्र 1. ‘ओ सदानीरा किस विधा के अन्‍तर्गत है?
(क)  नाटक
(ख)  निबंध
(ग)  आत्‍मकथा
(घ)  कहानी

उत्तर- (ख)  निबंध 

प्रश्न 2. ‘ओ सदानीरा‘ निबंध के निबंधकार का नाम बताएँ-
(क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर
(ख)  हजारी प्रसाद द्वि‍वेदी
(ग)  रामधारी सिंह दिनकर
(घ)  नामवर सिंह

उत्तर-(क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर   

प्रश्न 3. जगदीशचन्‍द्र माथुर का जन्‍म कब हुआ था?
(क)  15 जुलाई, 1916
(ख)  16 जुलाई, 1917
(ग)  17 जुलाई, 1918
(घ)  18 जुलाई, 1919

उत्तर-  (ख)  16 जुलाई, 1917

प्रश्न 4. जगदीशचन्‍द्र माथुर का कहाँ जन्‍म हुआ था?                                                                        
(क)  जबलपुर, मध्‍यप्रदेश
(ख)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(ग)  सिमरिया, बिहार
(घ)  शाहजहाँपुर, उतर प्रदेश

उत्तर- (घ)  शाहजहाँपुर, उतर प्रदेश  

प्रश्न 5. जगदीशचन्‍द्र माथुर का कब निधन हुआ था?
(क)  12 मई, 1976 ई.
(ख)  13 मई, 1977 ई.
(ग)  14 मई, 1978 ई.
(घ)  15 मई, 1979 ई.

उत्तर-  (ग)  14 मई, 1978 ई.

प्रश्न 6. ‘बहुजन-सम्‍प्रेषण के माध्‍यम‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  जयप्रकाश नारायण
(ख)  जगदीशचन्‍द्र माथुर
(ग)  मलयज
(घ)  मोहन राकेश

उत्तर-  (ख)  जगदीशचन्‍द्र माथुर

प्रश्न 7. ‘ मन‘ कैसे ताल है?
(क)  गहरे
(ख)  छोटे और विशाल
(ग)  उथले और छिछले
(घ)  गहरे और विशाल

उत्तर-  (घ)  गहरे और विशाल

प्रश्न 8. ‘ चौर‘ कैसे ताल है?
(क)  उथले
(ख)  चौड़े
(ग)  गहरे
(घ)  लबालब

उत्तर- (क)  उथले 

प्रश्न 9. जगदीशचन्‍द्र माथुर को कौन-सा पुरस्‍कार नहीं मिला था?
(क)  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार
(ख)  विद्या वारिधि की उपाधि
(ग)  कालिदास अवार्ड
(घ)  बिहार राजभाषा पुरस्‍कार

उत्तर-  (क)  भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार

प्रश्न 10. कौन-सी एकांकी जगदीश चन्‍द्र माथुर ने नहीं लिखी थी?
(क)  ‘ मेरी बाँसुरी’ , पहला राजा,  दशरथनंदन
(ख)  आषाढ़ का एक दिन, लोहा सिंह
(ग)  भोर का तारा, कोणार्क, बंदी शारदीया
(घ)  ‘ ओ मेरे सपने’, ‘मेरे श्रेष्‍ठ रंग एकांकी’, ‘कुँवर सिंह की टेक’, ‘गगन सवारी’

उत्तर- (ख)  आषाढ़ का एक दिन, लोहा सिंह 

प्रश्न 11. ‘परम्‍पराशील नाट्य‘ पुस्‍तक किसने लिखी है?
(क)  रामेश्‍वर सिंह ‘कश्‍यप’
(ख)  जितेन्‍द्र सहाय
(ग)  मोहन राकेश
(घ)  जगदीशचन्‍द्र माथुर

उत्तर- (घ)  जगदीशचन्‍द्र माथुर 

प्रश्न 12. वसुधरा भोगी मानव और धर्माध मानव-एक ही सिक्‍के के दो पहलू है ।-किस पाठ में आया है?
(क) ओ सदानीरा
(ख) हँसते हुए मेरा अकेलापन
(ग)  संपूर्ण क्रांति
(घ) अर्धनारीश्‍वर

उत्तर-  (क) ओ सदानीरा

 प्रश्न 13. ‘ ओ सदानीरा‘ जगदीश चन्‍द्र माथुर रचित किस पुस्‍तक से संकलित निबंध है?
(क)  ‘बोलते क्षण’
(ख)  दस तस्‍वीरें
(ग)  जिन्‍होंने जीना सीखा
(घ)  गगन सवारी

उत्तर- (क)  ‘बोलते क्षण’  

प्रश्न 14. ‘सदानीरा‘ किस नदी को निमित बनाकर लिखा गया है?
(क)  गंगा
(ख)  गंडक
(ग)  यमुना
(घ)  नर्मदा

उत्तर- (ख)  गंडक 

प्रश्न 15. ‘ धाँगड़ शब्‍द का अर्थ ओराँव भाषा में क्‍या है?
(क)  भारी शरीर की आदमी
(ख)  भाड़े का मजदूर
(ग)  हल्‍के शरीर का आदमी
(घ)  लँगड़े शरीर का आदमी

उत्तर-  (ख)  भाड़े का मजदूर

प्रश्न 16. चम्‍पारण में गाँधीजी के चमत्‍कार की कथा किसने लिखी है?
(क)  महात्‍मा गाँधी
(ख)  जवाहरलाल नेहरू
(ग)  राजेन्‍द्र प्रसाद
(घ)  राधाकृष्‍णन

उत्तर-  (ग)  राजेन्‍द्र प्रसाद

प्रश्न 17. ‘वैशाली महोत्‍सव‘ का प्रतिवर्ष आयोजन किसने प्रारंभ करवाया
(क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर
(ख)  रामधारी सिंह दिनकर
(ग)  नागार्जुन
(घ)  रामवृक्ष बेनीपुरी

उत्तर- (क)  जगदीशचन्‍द्र माथुर

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Ek Lekh aur Ek Patra Saransh Notes & Objective | एक लेख और एक पत्र कक्षा 12 हिंदी नोट्स

October 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ छ: ‘एक लेख और एक पत्र (Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes & Objective)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक भगत सिंह हैं।

Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes

6. एक लेख और एक पत्र
(भगत सिंह)

प्रस्तुत लेख भगत सिंह के द्वारा लिख गया है। भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी और विचारक थे। उनका जन्म 1907 ई. में लायलपुर (पाकिस्तान) में हुआ था। क्योंकि जन्म के पहले देश का बँटवारा नही हुआ था। वीर क्रांतिकारी माँ भारती के सपूत भगत सिंह देश की आजादी के लिए जंग लड़े थे और अपनी जान की कुर्बानी दी थी। उनकी पुरा परिवार स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। सब कोई देश के सेवा मे लगे हुए थे। उनके चाचा भी अजित सिंह, लाल लाजपत राय के सहयोगी थे। इस तरह से उन सभी लोगों को जेल हुआ था। सभी को अंग्रेजों ने कष्ट दिया था और भगत सिंह को फाँसी की सजा दिया गया। लाहौर षड्यंत्र के केश में भगत सिंह को फांसी दिया गया था। विद्यार्थी और राजनिति के माध्यम से भगत सिंह बताते हैं कि विद्यार्थी को पढ़ने के साथ-साथ राजनीति में भी भाग लेना चाहिए। यदि कोई इसे मना कर रहा है तो समझना चाहिए कि उसको राजनीति के पिछे विरोध करने का विचार है। क्योंकि विद्यार्थी युवा होते है। उन्ही के हाथ में देश का बागडोर होता है।

भगत सिंह कहते हैं कि देश को आजाद करने में तन-मन-धन से सहयोग करना चाहिए। विद्यार्थी अलग-अलग रहते हुए भी अपने देश की अस्‍तित्व की रक्षा करना चाहिए। पढ़ने के साथ-साथ राजनीति का भी ज्ञान जरूर रखना चाहिए और जब जरूरत पड़े तो देश के लिए के मैदान में भी कूद पड़ना चाहिए। भगत सिंह के अनुसार ये व्‍यक्ति सही है जो कष्ट सहकर भी सेवा कर सकता है। देश के गुलामी की स्थिति भगत सिंह को बहुत ज्यादा डरा देती थी। वे क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिए लोगों को जागरूक करने के लिए लेख लिखे और संगठन बनाएं। वे जेल भी गए। ऐसे देशभक्त को आज फिर से सलामी देते है। जो हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे पर झूल गएं। उनकी यह कुर्बानी भारतीय मानव को झकझोर दिया और आगे चलकर देश आजाद हुआ। भगत सिंह ने कहा है कि आजादी के लिए संघर्ष करते हुए मृत्‍यु दंड के रूप में मिलने वाली मृत्यु से सुंदर कोई मृत्यु नही हो सकता। क्योंकि यह मृत्यु आगे आनेवाली पीढ़ी में आजादी के लड़ाई के लिए एक जुनून पैदा करेगी।

वह कहते हैं कि बूढ़े व्‍यक्ति तथा परिवार और दुनियादारी में फंसा व्‍यक्ति देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी नहीं दे सकता है। अगर इस देश के लिए अगर कोई कुर्बानी दे सकता है, तो वह इस देश का नौजवान है। इसलिए नौजवान को राजनीति में भाग लेना चाहिए।

अंततः भगत सिंह कहना चाहते है कि विद्यार्थी परिश्रम से पढ़ाई करते हुए देश की राजनीति में भी हाथ बटाएँ। वे कहते हैं कि जिस प्रकार इंग्लैंड के छात्र कॉलेज छोड़कर जर्मनी के खिलाफ लड़ने के लिए निकल पड़े उसी प्रकार भारतीय छात्रों को भी पॉलिटिक्स में हिस्सा लेने की जरूरत है। Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes & Objective

सुखदेव के नाम पत्र का सारांश

पूर्व के वर्ष में सुखदेव आत्महत्या को अत्यंत नीच और बेकार कृत्य मानते थे। जबकि भगतसिंह आत्महत्या को कायरता, निरास और सफलता से घबराया हुआ मानसिकता का परिणाम मानते हैं। जबकि सुखदेव कुछ अवस्थाओं में आत्महत्या को अनिवार्य और आवश्यक मानने लगे हैं।

लेखक कहते हैं कि जब वे देश की आजादी के लिए काम कर रहे थे तो उस समय अलग-अलग प्रकार की कठिनाइयाँ सामने आया करती थी और अगर हम उस कठिनाइयों से डरकर अपना कार्य करना बंद कर दें तो ये मानव के शरीर व्यर्थ है। हमें अपनी विश्वासों पर खड़ा होकर प्रयास करना चाहिए।

भगत सिंह कहते हैं कि जब यह आंदोलन अपना चरम सिमा पर पहूँचे तो हमें फाँसी दे दी जाए। मेरी इच्‍छा है कि यदि कोई सम्मानपूर्ण और उचित समझौता होना कभी संभव हो जाए, तो हमारे जैसे व्यक्तियों का मामला उसके मार्ग में कोई रूकावट या कठिनाई उत्‍पन्‍न का कारण न बनेा क्योंकि देश के भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूरी तरह भूला देना चाहिए।

भगत सिंह ने क्रांतिकारी साथी सुखदेव द्वारा मिल रही यातनाओं दुखी होकर लिखे गए पत्र के जवाब में लिखा था। सुखदेव ने बहुत कमजोर ढंग से कहा था कि उनकी आजादी की लड़ाई का कोई भविष्य नहीं दिखाई देता है। सुखदेव जी कहते हैं कि अब लगता है कि पूरा जीवन जेल में ही काटना पड़ेगा। भगत सिंह लिखते हैं कि क्रांति व्यक्तिगत सुख-दुःख के लिए न तो शुरू होती है और न खत्म।

BSEB Class 12 Hindi गद्य Chapter 6 Ek Lekh Aur Ek Patra Objective Questions

प्रश्न 1. ‘एक लेख और एक पत्र‘ में भगत सिंह ने किसको पत्र लिखा था?
(क)  सुखदेव
(ख)  राजगुरू
(ग)  बिस्मिल
(घ)  अशफाक खाँ

उत्तर-  (क)  सुखदेव

प्रश्न 2. ‘एक लेख और एक पत्र‘ शीर्षक पाठ के लेखक कौन है?
(क)  भगत सिंह
(ख)  चन्‍द्रशेखर आजाद
(ग)  भगवती चरण बोहरा
(घ)  चंद्रमा सिंह

उत्तर-  (क)  भगत सिंह

प्रश्न 3. भगत सिंह का जन्‍म कहाँ हुआ था?
(क)  गंगा चक्‍क, नं. 102, घमैला ब्राँच, निहालपुर, भारत
(ख)  बंगा चक्‍क, नं. 103, गुरैरा ब्राँच, लायलपुर, पाकिस्‍तान
(ग)  बंगा चक्‍क, नं. 104, गुगैरा ब्राँच, लायलपुर, भारत
(घ)  बंगा चक्‍क नं. 105, गुगैरा ब्राँच, लायलपुर, पाकिस्‍तान

उत्तर-  (घ)  बंगा चक्‍क नं. 105, गुगैरा ब्राँच, लायलपुर, पाकिस्‍तान

प्रश्न 4. भगत सिंह का पैतृक गाँव कहाँ था?
(क)  खटकड़कलाँ, पंजाब
(ख)  खटकड़कलाँ, हरियाणा
(ग)  खटकड़कड़ा, अमृतसर
(घ)  खड़खड़ा, पंजाब

उत्तर- (क)  खटकड़कलाँ, पंजाब  

प्रश्न 5. भगत सिंह के माता पिता का क्‍या नाम है?
(क)  धनवती एवं सरदार विशन सिंह
(ख)  विद्यावती एवं सरदार किशन सिंह
(ग)  कलावती एवं सरदार हरकिशन सिंह
(घ)  वीर जननी एवं सरदार कृष्‍णा सिंह

उत्तर-  (ख)  विद्यावती एवं सरदार किशन सिंह

प्रश्न 6. भगत सिंह के पिता और चाचा किसके सहयोगी थे?
(क)  चन्‍द्रशेखर आजाद
(ख)  बटुकेश्‍वर दत
(ग)  लाला लाजपत राय
(घ)  सुखदेव

उत्तर- (घ)  सुखदेव 

प्रश्न 7. भगत सिंह की कृतियाँ कौन-सी है?
(क)  ‘पंजाब की भाषा तथा लिपि की समस्‍या, विश्‍वप्रेम
(ख)  ‘ युवक’, मैं नास्तिक हुँ’, ‘अछूत समस्‍या’
(ग)  ‘ विद्यार्थी और राजनीति’, ‘सत्‍याग्रह और हड़ताले’, ‘बम का दर्शन’, ‘भारतीय क्रांतिकारी का आदर्श’  
(घ)  उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर- (घ)  उपर्युक्‍त तीनों 

BSEB Class 12th Hindi Ek Lekh Aur Ek Patra Saransh Notes & Objective

प्रश्न 8. भगत सिंह की लिखी पुस्‍तकें जो अप्राप्‍य है-
(क)  समाजवाद का आदर्श
(ख)  आत्‍मकथा, मौत के दनवाजे पर
(ग)  भारत में क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास 
(घ)  उपर्युक्‍त तीनों

उत्तर-  (घ)  उपर्युक्‍त तीनों

प्रश्न 9. किसने कहा है-‘ जब देश के भाग्‍य का निर्णय हो रहा हो तो व्‍यक्तियों के भाग्‍य को पूर्णतया भुला देना चाहिए ।‘
(क)  भगत सिंह
(ख)  चन्‍द्रमा सिंह
(ग)  सुखदेव सिंह
(घ)  क्रांतिकारी सिंह

उत्तर- (क)  भगत सिंह 

प्रश्न 10. ‘ हस्‍यास्‍पद‘ शब्‍द के प्रत्‍यय को बताएँ ।
(क)  स्‍पद
(ख)  आस्‍पद
(ग)  अस्‍पद
(घ)  स्‍पदा

उत्तर-  (ख)  आस्‍पद

प्रश्न 11. भगत सिंह के पिता जेल कितनी बार गए थे?
(क) एकाधिक बार
(ख)  एक बार
(ग)  अनेक बार
(घ)  अनेकानेक बार

उत्तर-  (ग)  अनेक बार

प्रश्न 12. भगत सिंह की पहली गिरफ्तारी कब हुई
(क) अक्‍टूबर, 1923 ई. 
(ख)  अक्‍टूबर, 1924 ई.
(ग)  अक्‍टूबर, 1925 ई.
(घ)  अक्‍टूबर, 1926 ई.

उत्तर-  (घ)  अक्‍टूबर, 1926 ई.

प्रश्न 13. भगत सिंह को फाँसी की सजा कब मिली थी?
(क)  21 मार्च, 1929 ई.
(ख)  22 मार्च, 1930 ई.
(ग)  23 मार्च, 1931 ई.
(घ)  24 मार्च, 1932 ई.

उत्तर- (ग)  23 मार्च, 1931 ई. 

प्रश्न 14. किस पाठ की उक्ति है?-‘केवल कष्‍ट सहकर ही देश की सेवा की जा सकती है?
(क)  ‘एक लेख और एक पत्र’
(ख)  सिपाही की माँ
(ग)  अर्द्धनारीश्‍वर
(घ)  ओ सदानीरा

उत्तर- (क)  ‘एक लेख और एक पत्र’  

प्रश्न 15. किस पाठ की उक्ति है?- ‘विपतियाँ व्‍यक्ति को पूर्ण बनाने वाली होती है ।‘
(क)  ओ सदानीरा
(ख)  ‘एक लेख और एक पत्र’
(ग)  प्रगीत और समाज
(घ)  अर्द्धनारीश्‍वर

उत्तर- (ख)  ‘एक लेख और एक पत्र’

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Roj Kahani ka Saransh Notes & Objective | रोज कहानी कक्षा 12 हिंदी नोट्स

October 2, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ पॉंच ‘रोज (Roj Kahani ka Saransh Notes)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक सच्चीदानन्द हिरानन्द वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’ हैं।

Roj Kahani ka Saransh Notes

5. रोज कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ ‘रोज’ हमारे पाठ्यपुस्तक हिन्दी साहित्य से लिया गया है और यह पाठ सच्चीदानन्द हिरानन्द वात्‍स्‍यायन अज्ञेय जी के द्वारा रचित उनके जीवन का एक अंश है।

इस कहानी का प्रमुख पात्र मालती है। जो लेखक के दूर की बहन होती है। यह वहीं लड़की थी जिसके साथ लेखक का बचपन बीता था। लेखक उसे सखी कहना अधिक पसंद करते थे। साथ खेलना, लड़ना, झगड़ना, साथ पढ़ना, लिखना पसंद करते थे। वह बहुत ही चंचल थी। मालती के विवाह के करीब चार साल बाद लेखक उससे मिलने उसके घर जाते हैं। वहाँ लेखक मालती के घर का रंग-ढ़ंग देखकर वह बहुत उदास हो जाते हैं। मालती बहुत सुस्‍त और उदास रहती है। वह बहुत कमजोर हो गई होती है। उसका एक बेटा होता है, जो हमेशा रोता रहता था या हमेशा सोता रहता था। मालती घर में पूरे दिन अकेली रहती थी और अपने पति का इंतजार करते रहती है। उसका जीवन चारदिवारी में कैद हो गया था।

मालती के पति महेश्वर एक पहाड़ी गाँव में एक सरकारी डॉक्टर होते हैं। जिसके कारण वह समय पर अस्पताल जाता था तथा समय पर लौटकर आता । वह  के मरीजों के कभी हाथ तो कभी पैर का इलाज करता था। मालती को अपने पति का इंतजार करना,नल से पानी आने का इंतजार करना और रोज-रोज घर के काम एवं अपने रोते-बिलखते बेटे टिटी कर ख्याल रखना आदि यह सभी कार्य मालती के थे।

एक दिन महेश्वर कुछ आम लाए थे। जो अखबार में लपेटकर लाए थे। महेश्वर उसे धोने को कहते है। मालती उस अखबार के टूकड़े को पढ़ती है। लेखक उसकी पढ़ाई को देखकर मालती के अतित की याद करते हुए सोंचते हैं कि यह मालती पढ़ने से दूर भागती थी। बचपन में खेल-कूद और कहानी पढ़ने के सुदंर एहसास थे। अब वहीं मालती है। जिसके पास अपनी गृहणी दिनचार्य से बाहर देखने का भी समय नहीं है।

अतः इस कहानी से महिलाओं के प्रति लिखा गया है। ऐसी बहुत सारी महिलाएँ है जो अपनी जिंदगी जीती नही हैं बल्कि देती है।

Bihar Board Class 12 Hindi Roj Kahani Objective Questions

प्रश्न 1. निम्‍न में से किस कहानी में ‘गैग्रीन ‘ का उल्‍लेख है?
(क) उसने कहा था 
(ख)  रोज
(ग)  तिरिछ
(घ)  रस्‍सी का टुकड़ा

उत्तर- (ख)  रोज 

प्रश्न 2. ‘ मालती‘ किस कहानी की पात्र है?
(क)  सिपाही की माँ
(ख)  रोज
(ग)  तिरिछ
(घ)  गौरी

उत्तर-  (ख)  रोज

प्रश्न 3. ‘रोज ‘ शीर्षक  कहानी के  कहानीकार  बताएँ ।
(क)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’
(ख)  प्रेमचंद
(ग)  मोहन राकेश
(घ)  जगदीश चन्‍द्र माथुर

उत्तर-  (क)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’

प्रश्न 4. ‘अज्ञेय ‘ जी का कब जन्‍म हुआ था?
(क)  06 मार्च, 1910 ई.
(ख)  07 मार्च, 1911 ई.
(ग)  08 मार्च, 1912 ई.
(घ)  09 मार्च, 1913 ई.

उत्तर-  (ख)  07 मार्च, 1911 ई.

प्रश्न 5. ‘अज्ञेय ‘ जी का निधन कब हुआ था?
(क)  02  अप्रैल, 1985 ई.
(ख)  03 अप्रैल, 1986 ई.
(ग)  04 अप्रैल, 1987 ई.
(घ)  05 अप्रैल, 1988 ई.

उत्तर-  (घ)  05 अप्रैल, 1988 ई.

प्रश्न 6. ‘ अज्ञेय‘ जी का जन्‍म कहाँ हुआ था?
(क)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(ख)  सिमरिया, बेगूसराय, बिहार
(ग)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश
(घ)  कसेया, कुशीनगर, उतर प्रदेश

उत्तर-  (ग)  लमही, वाराणसी, उतर प्रदेश

प्रश्न 7. ‘अज्ञेय ‘ जी का मूल-निवास कहाँ था?
(क)  कर्तारपुर, पंजाब
(ख)  लमही, वाराणसी
(ग)  इटारसी, मध्‍यप्रदेश
(घ)  जबलपुर, मध्‍यप्रदेश

उत्तर- (क)  कर्तारपुर, पंजाब 

प्रश्न 8. अज्ञेय के पिता का नाम था
(क)  डॉ. अभयानन्‍द शास्‍त्री
(ख)  डॉ. दयानन्‍द शास्‍त्री
(ग)  डॉ. हीरानन्‍द शास्‍त्री
(घ)  डॉ. अच्‍युतानन्‍द शास्‍त्री

उत्तर-  (ग)  डॉ. हीरानन्‍द शास्‍त्री

प्रश्न 9. ‘रोज ‘ शीर्षक कहानी का पूर्व नाम क्‍या  था?
(क)  लौटती पगडंडियाँ
(ख)  छोड़ा हुआ रास्‍ता
(ग)  विपथगा
(घ)  गैंग्रीन

उत्तर- (घ)  गैंग्रीन 

प्रश्न 10. ‘अज्ञेय ‘ का पूरा नाम क्‍या है?
(क)  अज्ञात
(ख)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘ ‘अज्ञेय’
(ग)  हीरानंद वात्‍स्‍यान
(घ)  सच्चिदानंद वात्‍स्‍यान’

उत्तर-  (ख)  सच्चिदानंद हीरानंद वात्‍स्‍यायन ‘ ‘अज्ञेय’

प्रश्न 11. ‘वामता‘ शब्‍द का अर्थ बताएँ ।
(क)  नारीत्‍व
(ख)  पुरूषार्थता
(ग)  स्‍त्रैणता
(घ)  विपरीतता

उत्तर-  (घ)  विपरीतता

प्रश्न 12. ‘ अकथ्‍य‘ शब्‍द का अर्थ बताएँ ।
(क)  जिसे कहा न जा सके
(ख)  जो कहा जा सके
(ग)  जो कहानी कही गयी
(घ)  जो कथा समझी गयी

उत्तर- (क)  जिसे कहा न जा सके 

प्रश्न 13. किस पाठ में आया है-‘ दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा मानों उस पर किसी शाम की छाया मँडरा रही हो‘ ।
(क)  ‘ रोज’
(ख)  ‘अर्धनारीश्‍वर’  
(ग)  ‘ तिरिछ’
(घ)  ‘ ओ सदानीरा’

उत्तर-  (क)  ‘ रोज’

प्रश्न 14. किस पाठ में आया है ‘तीन बज गए‘ , ‘चार बज गए‘, ‘ग्‍यारह बज गए
(क)  अर्धनारीश्‍वर
(ख)  रोज
(ग)  तिरिछ
(घ)  हँसते हुए मेरा अकेलापन

उत्तर- (ख)  रोज 

प्रश्न 15. ‘रोज ‘ कहानी की नायिका कौन हैं?
(क)  मालती
(ख)  कलावती
(ग)  सुनीता
(घ)  रागिनी

उत्तर-  (क)  मालती

प्रश्न 16. ‘विस्‍मय‘ शब्‍द का अर्थ बताएँ ।
(क)  अस्‍थायी
(ख)  अचानक
(ग)  अचरज
(घ)  अपराध

उत्तर-  (ग)  अचरज

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Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes | सम्पूर्ण क्रांति पाठ तीन गद्य भाग व्‍याख्‍या

September 30, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिंदी गद्य भाग के पाठ तीन ‘सम्पूर्ण क्रांति (Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes)’ के सम्‍पूर्ण व्‍याख्‍या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक जयप्रकाश नारायण हैं।

Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes

3. सम्पूर्ण क्रांति

प्रस्तुत पाठ लोकनायक जयप्रकाश नारायण के द्वारा रचित ‘सम्पूर्ण क्रांति‘ पाठ से लिया गया है। यह भाषण 5 जून 1974 को पटना के गाँधी मैदान में दिए गए। प्रस्‍तुत पाठ जयप्रकाश नारायण के ऐतिहासिक भाषण का एक अंश है। संम्पूर्ण भाषण एक पुस्तिका (किताब) के रूप में प्रकाशित हो चूका है। यह भाषण छात्र आंदोलन के दौरान दिया गया था। पटना गाँधी मैदान में उपस्थित लाखो लोगों ने उसी समय जात-पात, तिलक-दहेज और भेद-भाव छोड़ने का विचार किया। हजारो लोगों ने अपने जेनऊ को तोड़ दिया था। नारा जोर-जोर से गुँजने लगा— ‘जात-पात छोड़ दो तिलक-दहेज छोड़ दो समाज के प्रभाव को नई दिशा में मोड़ दो यही नारा गुँज उठा था।’

1974 में बिहार से शुरू हुए छात्र आंदोलन का मुख्‍य कारण मँहगाई, बेरोजगारी और गरीबी था। इस आंदोलन का उद्देश्य तत्‍कलीन सरकार को हटाकर भ्रष्‍टाचार मुक्‍त सरकार की स्‍थापना था। भाषण के दौरान नेहरू जी का उदाहरण दिया गया था। नेहरू जी कहते थे कि देश को विकसित बनाने के लिए जनता को अभी कोसों दुर जाना होगा अर्थात कठिन परिश्रम करना होगा। वह आगे कहते हैं कि मेरे भाषण में क्रांति के बिगुल होंगे। जिन पर आपको अमल करना होगा। लाठियाँ खानी होंगी। यह सम्पूर्ण क्रांति है और वैसी ही जो हमारे भगत सिंह लाना चाहते थे। स्वराज से जनता कह रही, भूखमरी, महंगाई और भ्रष्टचार यहीं आज फैला हुआ है।

शिक्षा पाकर व्यक्ति ठोकर खाता फिर रहा है। कांग्रेस गरीबी हटाओं के नारे जरूर लगाती है, लेकिन गरीबी हटती नहीं, बढ़ती ही चली जा रही है। जयप्रकाश नारायण का यह भी कहना था कि जब वो नौजवान थे, तो बापू जब कोई बात कहते थे और वो बात जेपी के विचार से नहीं मिलते थे यानी जेपी (जयप्रकाश नारायण) अगर उनकी बात नहीं मानते थे, तो बापू में इतने महानता थी कि वो बुरा नहीं मानते थे। जेपी जी कहते है कि मै जवाहरलाल नेहरू को हमेशा भाई कहता था। (बड़ा भाई) वो भी मुझे बहुत मानते थे। मै उनका बड़ा आदर और उनसे प्रेम करता था।

नेहरू जी का बड़ा ही स्नेह था मुझपर। मैं भी उनकी आलोचना करता था लेकिन बड़प्पन था कि वो कभी बुरा नहीं माने। संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण का यहीं उपेक्षाएँ थी कि उनका काम केवल शोषण से संघर्ष करना नहीं बल्कि उनका काम तो समाज के हर अन्याय और अनीति के विरूद्ध लड़ना होगा और इस प्रकार जो संघर्ष समितियाँ सरकार से लड़ रही है। वह सिर्फ लोकतंत्र के लिए ही नहीं लड़ रही है, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, नैतिक क्रांति के लिए अथवा सम्‍पूर्ण क्रांति के लिए एक महत्वपूर्ण काम करेगी। ये बात सच्च है कि जयप्रकाश नारायण जी जब अमेरिका में थे, तो 1929 में वे मार्क्सवादी बनें।

वे भारत लौटे, तो भी घोर मार्क्सवादी थे और काँग्रेस में दाखिल हुए वे कम्युनिस्‍ट पार्टी में इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि लेनिन द्वारा कही गई बात उनको अच्छी तरह याद थी कि लेनिन यह बताया था कि जो देश गुलाम हो, वहाँ के कम्युनिस्‍ट हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए।

हमारे नेता लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन वह जुलुस पर रोक लगाते हैं। जो लोकतंत्र के खिलाफ हैं।

लेखक के अनुसार अन्य देशों में प्रेस तथा पत्रिकाएँ प्रतिनिधियों पर अंकुश लगती है लेकिन हमारे देश में इसका बहुत अभाव है। जयप्रकाश नारायण जी का ये भाषण मंत्रमुग्ध करने वाला था। Sampoorna Kranti Class 12th Hindi Notes

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Bihar Board Class 12th Hindi Notes Solutions दिगंत भाग 2

September 21, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

इस पोस्‍ट में हमलोग बिहार बोर्ड के कक्षा 12 के हिन्‍दी दिगंत भाग 2 Bihar Board Class 12th Hindi Notes with Solutions के सभी पाठ के व्‍याख्‍या को पढ़ेंगें।

यह पोस्‍ट बिहार बोर्ड के परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्‍वपूर्ण है। इसको पढ़ने से आपके किताब के सभी प्रश्‍न आसानी से हल हो जाऐंगे। इसमें चैप्‍टर वाइज सभी पाठ के नोट्स को उपलब्‍ध कराया गया है। सभी टॉपिक के बारे में आसान भाषा में बताया गया है।

यह नोट्स NCERT तथा SCERT बिहार पाठ्यक्रम पर पूर्ण रूप से आ‍धारित है। इसमें हिन्‍दी के प्रत्‍येक पाठ के बारे में व्‍याख्‍या किया गया है, जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। इस पोस्‍ट को पढ़कर आप बिहार बोर्ड कक्षा 12 के हिन्‍दी दिगंत भाग 2 के किसी भी पाठ को आसानी से समझ सकते हैं और उस पाठ के प्रश्‍नों का उत्तर दे सकते हैं। जिस भी पाठ को पढ़ना है उस पर क्लिक कीजिएगा, तो वह पाठ खुल जाऐगा। उस पाठ के बारे में आपको वहाँ सम्‍पूर्ण जानकारी मिल जाऐगी।

Class 12th Hindi Notes Solutions हिन्‍दी के सम्‍पूर्ण पाठ का व्‍याख्‍या

Bihar Board Class 12th Hindi Notes गद्य खण्ड

Chapter 1 बातचीत
Chapter 2 उसने कहा था
Chapter 3 संपूर्ण क्रांति
Chapter 4 अर्द्धनारीश्वर
Chapter 5 रोज
Chapter 6 एक लेख और एक पत्र
Chapter 7 ओ सदानीरा
Chapter 8 सिपाही की माँ
Chapter 9 प्रगीत और समाज
Chapter 10 जूठन
Chapter 11 हँसते हुए मेरा अकेलापन
Chapter 12 तिरिछ
Chapter 13 शिक्षा

Bihar Board Class 12th Hindi Digant Bhag 2 Notes पद्य खण्ड

Chapter 1 कड़बक
Chapter 2 सूरदास के पद
Chapter 3 तुलसीदास के पद
Chapter 4 छप्पय
Chapter 5 कवित्त
Chapter 6 तुमुल कोलाहल कलह में
Chapter 7 पुत्र वियोग
Chapter 8 उषा
Chapter 9 जन-जन का चेहरा एक
Chapter 10 अधिनायक
Chapter 11 प्यारे नन्हें बेटे को
Chapter 12 हार-जीत
Chapter 13 गाँव का घर

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आशा करता हुँ कि आप को हिन्‍दी के सभी पाठ को पढ़कर अच्‍छा लगेगा। इन सभी पाठ को पढ़कर आप निश्चित ही परीक्षा में काफी अच्‍छा स्‍कोर करेंगें। इन सभी पाठ को बहुत ही अच्‍छा तरीका से आसान भाषा में तैयार किया गया है ताकि आप सभी को आसानी से समझ में आए। इसमें हिन्‍दी दिगंत भाग 2 (गद्य भाग और पद्य भाग) के सभी पाठ को समझाया गया है। यदि आप बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्‍दी दिगंत भाग 2 से संबंधित किसी भी पाठ के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे कमेन्‍ट बॉक्‍स में क्लिक कर पूछ सकते हैं। यदि आप और विषय के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो भी हमें कमेंट बॉक्‍स में बता सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

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My Grandmother’s House Summary in Hindi | My Grandmother’s House Objective

September 21, 2022 by Raja Shahin Leave a Comment

In this article, I shall read Bihar Board Class 12th English Poetry Chapter 10 My Grandmother’s House Summary in Hindi and English with Objective Questions.

My Grandmother’s House Summary in Hindi

10. My Grandmother’s House

‘My Grandmother’s House’ is a beautiful poem, which has been composed by Kamala Das, who is the great poet of English and Malayalam literature. The poetess has shown the love for her grandmother through this poem.

‘मेरे दादीजी के घर’ एक सुंदर कविता है, जिसे अंग्रेजी एवं मलयालम साहित्य के महान कवियीत्री कमला दास के द्वारा संकलित किया गया है। कवियित्री ने इस पाठ के माध्यम से अपने दादी माँ के प्रति प्यार को दर्शाया है।

The poet used to live at her grandmother’s house earlier, but she was living far away now. Addressing her husband, she says that there is a house far away from here, where I had found a lot of love. That lady (Grandmother), who gave love to the poet, is no more in this world.

कवियित्री पहले अपने दादी माँ के घर रहती थी, लेकिन वह अब बहुत दुर रह रही थी। वह अपने पति को संबोधित करते हुए कहती है कि यहाँ से बहुत दूर एक घर है, जहाँ मैं काफी प्यार पायी थी। वह महिला (दादी माँ), जो कवियित्री को प्यार दी थी, वह अब इस दुनिया में नहीं है।

She says that I have grown up studying in that house. She expresses grief that now there is silence in that house. Snakes are starting to roam. Darkness has fallen. He felt proud to be there. The love that he used to get there, is nowhere to be found.

वह कहती है कि उस घर में ही मैं पढ़कर बड़ी हुई हूँ। वह दुःख व्यक्त करती है कि अब उस घर में सन्नाटा छा गया है। साँप घूमने लगे हैं। अँधेरा छा गया है। वहाँ रहकर उन्हें गर्व महसुस होता था। उन्हें जो प्यार वहाँ मिलता था, वह अब कहीं नहीं मिलता है।

Therefore, the poet says that we should not forget our family members. We should respect and honor everyone.

अतः कवियित्री कहती है कि हमें अपने परिवार के लोगों को नहीं भूलना चाहिए। हमें सभी का आदर एवं सम्‍मान करना चाहिए।

My Grandmother’s House objective

Q 1.Who wrote ‘Summer in Kolkata’ ?
(A) Kamala Das
(B) T.S. Eliot
(C) Keki N Daruwala
(D) D.H. Lawrence

Ans- (A) Kamala Das

Q 2. Snakes were seen among …… in my grandmother’s house
(A) bed covers
(B) tables
(C) books
(D) chairs

Ans- (C) books

Q 3. My Grand Mother’s House is written by …….
(A) Kamala Das
(B) D.H. Lawrence
(C) Keki N Daruwala
(D) John Donne

Ans- (A) Kamala Das

Q 4. Kamala Das remembers the happy days spent in the sweet company of her …….
(A) mother
(B) father
(C) grandmother
(D) grandfather

Ans- (C) grandmother

Q 5. The poetess in the Grandmother’s House ‘begs at …… doors.
(A) friend’s
(B) family’s
(C) stranger’s
(D) enemy’s

Ans- (C) stranger’s

Q 6. She noticed a …… behind the door of the bedroom.
(A) cat
(B) dog
(C) cow
(D) ox

Ans- (B) dog

Q 7. ‘There is a house now far away where once I received love’- is from the poem :
(A) Song of Myself
(B) Ode to Autumn
(C) My Grandmother’s House
(D) Snake

Ans- (C) My Grandmother’s House

Q 8. In the last lines of the poem, the poetess is begging for……..
(A) money
(B) jewellery
(C) love
(D) food

Ans- (C) love

Q 9. Kamala Das is …… poetess.
(A) American
(B) Indian
(C) African
(D) Nigerian

Ans- (B) Indian

Q 10. My way beg now at stranger’s doors is taken from the poem.
(A) My Grandmother’s House
(B) Ode to Autumn
(C) Fire Hymn
(D) None of these

Ans- (A) My Grandmother’s House

Q 11. …… lived with her grandmother.
(A) Mahadevi Verma
(B) Mamta Kalia
(C) Kamala Das
(D) Anita Desai

Ans- (C) Kamala Das

Q 12.’Among books, I was then too young’ – is from:
(A) My Grandmother’s House
(B) Snake
(C) Ode to Autumn
(D) An Epitaph

Ans- (A) My Grandmother’s House

Q 13. The poetess’s blood turned cold like the …….
(A) moon
(B) ice
(C) cold drink
(D) water

Ans- (A) moon

Q 14. ‘Darkness to bring it here to lie’ is from ……..
(A) Snake
(B) The Soldier
(C) My Grandmother’s House
(D) Fire-Hymn

Ans- (C) My Grandmother’s House

Class 12th English Prose
???? Chapter 1 Indian Civilization and Culture
???? Chapter 2 Bharat is My Home
???? Chapter 3 A Pinch of Snuff
???? Chapter 4 I Have a Dream
???? Chapter 5 Ideas that have Helped Mankind
???? Chapter 6 The Artist
???? Chapter 7 A Child Born
???? Chapter 8 How Free is the Press
???? Chapter 9 The Earth
???? Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes
???? Chapter 11 A Marriage Proposal
Class 12th English Poetry
???? Chapter 1 Sweetest Love I do not Goe
???? Chapter 2 Song of Myself
????  Chapter 3 Now the Leaves are Falling Fast
???? Chapter 4 Ode to Autumn
???? Chapter 5 An Epitaph
???? Chapter 6 The Soldier
???? Chapter 7 Macavity : The Mystery Cat
???? Chapter 8 Fire-Hymn
???? Chapter 9 Snake
???? Chapter 10 My Grandmother’s House
???? Class 12th English Line By Line
???? Class 12th Hindi Notes Solutions

BSEB Class 12th English Summary with Objective- Click here
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